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अनुगामी रोक

अनुगामी रोक

गोरखपुर: गुरु-शिष्य की बेमिसाल परंपरा का गवाह है गोरक्षपीठ

गोरखपुर। गुरु को हमारी सनातन संस्कृति गोविंद (भगवान) से भी ऊंचे स्थान पर प्रतिष्ठित करती है। गुरु का ध्येय समग्र रूप में लोक कल्याण का होता है और इसकी की दीक्षा भी वह अपने शिष्य को देता है। गुरु परंपरा के आईने में देखें तो नाथ पंथ की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ बेमिसाल है। पीढ़ी दर …

गोरखपुर। गुरु को हमारी सनातन संस्कृति गोविंद (भगवान) से भी ऊंचे स्थान पर प्रतिष्ठित करती है। गुरु का ध्येय समग्र रूप में लोक कल्याण का होता है और इसकी की दीक्षा भी वह अपने शिष्य को देता है। गुरु परंपरा के आईने में देखें तो नाथ पंथ की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ बेमिसाल है। पीढ़ी दर पीढ़ी गोरक्षपीठाधीश्वरों ने अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की परंपरा को विस्तारित किया है। वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इसे निरंतर ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं।

नाथ पंथ मुख्यतः गुरु गम्य मार्ग है। इस लिहाज से गोरक्षपीठ और गुरु पूर्णिमा का अटूट नाता है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है। गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है। यही वजह है कि गोरक्षपीठ को गुरु परंपरा के प्रतीक के तौर पर पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है। हर काल में इस परंपरा को कायम रख पीठ ने कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। शिवावतारी भगवान गोरक्षनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथ पंथ के मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी।

गुरु परंपरा के लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की गत-सद्यः तीन पीढ़ियां तो कीर्तिमान रचती नजर आती हैं। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज में लोक कल्याण के लिए शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम बनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत ने गोरखपुर विश्व विद्यालय की स्थापना के लिए अपने महाराणा प्रताप महाविद्यालय का एक भवन भी दान में दे दिया था।

उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा हेतु मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गये इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने विस्तार दिया। शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया।।

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है। किराए के एक कमरे में शुरू शिक्षा अनुगामी रोक का प्रकल्प दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है। इलाज के लिए गोरक्षपीठ की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है। योग अनुगामी रोक के प्रसार को लगातार गति मिली है। पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है।

रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 3

'ब्राह्मण का है धर्म त्याग, पर, क्या बालक भी त्यागी हों?
जन्म साथ , शिलोञ्छवृत्ति के ही क्या वे अनुरागी हों?
क्या विचित्र रचना समाज की? गिरा ज्ञान ब्राह्मण-घर में,
मोती बरसा वैश्य-वेश्म में, पड़ा खड्ग क्षत्रिय-कर में।

महाभारत शल्य पर्व अध्याय 26 श्लोक 23-42

राजन् ! उसने उस महासमर में पाण्डुपुत्र के धनुष को काटकर कटे हुए धनुष वाले भीमसेन को बीस बाणों से घायल कर दिया । तब महाबली भीमसेन दूसरा धनुष लेकर आपके पुत्र पर बाणों की वर्षा करने लगे और बोले-‘खड़ा रह, खड़ा रह’। उस समय उन दोनों में विचित्र, भयानक अनुगामी रोक और महान् युद्ध होने लगा। पूर्वकाल में रणक्षेत्र में जम्भ और इन्द्र का जैसा युद्ध हुआ था, वैसा ही उन दोनों का भी हुआ । उन दोनों के छोड़े हुए यमदण्ड के समान तीखे बाणों से सारी पृथ्वी, आकाश, दिशाएं और विदिशाएं आच्छादित हो गयी । राजन ! तदनन्तर क्रोध में भरे हुए श्रुतर्वा ने धनुष लेकर अपने बाणों से रणभूमि में भीमसेन की दोनों भुजाओं और छाती में प्रहार किया । महाराज ! आपके धनुर्धर पुत्र द्वारा अत्यन्त घायल कर दिये जाने पर भीमसेन का क्रोध भड़क उठा और वे पूर्णिमा के दिन उमड़ते हुए महासागर के समान बहुत ही क्षुब्ध हो उठे । आर्य ! फिर रोष से आविष्ट हुए भीमसेन ने अपने बाणों द्वारा आपके पुत्र के सारथि और चारों घोड़ों को यमलोक पहुंचा दिया । अमेय आत्मबल से सम्पन्न भीमसेन श्रुतर्वा को रथहीन हुआ देख अपने हाथों की फुर्ती दिखाते हुए उसके ऊपर पक्षियों के पंख से युक्त होकर उड़ने वाले बाणों की वर्षा करने लगे।राजन् ! रथहीन हुए श्रुतर्वा ने अपने हाथों में ढाल और तलवार ले ली। वह सौ चन्द्राकार चिन्हों से युक्त ढाल तथा अपनी प्रभा से चमकती हुई तलवार ले ही रहा था कि पाण्डुपुत्र भीमसेन ने एक क्षुरप्र द्वारा उसके मस्तक को धड़ से काट गिराया । महामनस्वी भीमसेन के क्षुरप्र से मस्तक कट जाने पर उसका धड़ वसुधा को प्रतिध्वनित करता हुआ रथ से नीचे गिर पड़ा । उस वीर के गिरते ही आपके सैनिक भय से व्याकुल होने पर भी संग्राम में जूझने की इच्छा से भीमसेन की ओर दौड़े। मरने से बचे हुए सैन्य-समूह से निकलकर शीघ्रतापूर्वक अपने ऊपर आक्रमण करते हुए उन कवचधारी योद्धाओं को प्रतापी भीमसेन ने आगे बढ़ने से रोक दिया । वे योद्धा भीमसेन के पास पहुंचकर उन्हें चारों ओर से घेर कर अनुगामी रोक खड़े हो गये । तब जैसे इन्द्र असुरों को नष्ट करते हैं, उसी प्रकार घिरे हुए भीमसेन ने पैने बाणों द्वारा आपके उन समस्त सैनिकों को पीडि़त करना आरम्भ किया । तदनन्तर भीमसेन ने आवरणों सहित पांच सौ विशाल रथों का संहार करके युद्ध में सात सौ हाथियों की सेना को पुनः मार गिराया। फिर उत्तम बाणों द्वारा एक लाख पैदलों और सवारों अनुगामी रोक सहित आठ सौ घोड़ों का वध करके पाण्डव भीमसेन विजयश्री से सुशोभित होने लगे । प्रभो ! इस प्रकार कुन्तीपुत्र भीमसेन ने युद्ध में आपके पुत्रों का विनाश करके अपने आपको कृतार्थ और जन्म को सफल हुआ समझा । नरेश्वर ! इस तरह युद्ध और आपके पुत्रों का वध करते हुए भीमसेन कोआपके सैनिक देखने का भी साहस नहीं कर पाते थे । समस्त कौरवों को भगाकर और उनके अनुगामी सैनिकों का संहार करके भीमसेन बड़े-बड़े हाथियों को डराते हुए अपनी दोनों भुजाओं द्वारा ताल ठोंकने का शब्द किया । प्रजानाथ ! महाराज ! आपकी सेना के अधिकांश योद्धा मारे गये और बहुत थोड़े सैनिक शेष रह गये; अतः वह सेना अत्यन्त दीन हो गयी थी ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शल्य पर्व में धृतराष्ट्र के ग्यारह पुत्रों का वध विषयक छब्वीसवां अध्याय पूरा हुआ ।

हिमाचल में पहले चरण में लगेंगी 93 हजार खुराक, मुख्यमंत्री ने किया वैक्सिनेशन का शुभारंभ

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आईजीएमसी शिमला से राज्य में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। पहले चरण में राज्य के स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों सहित अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं को 93 हजार खुराकें दी जाएंगी। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि शनिवार को राज्य में 27 चिन्हित स्थलों के माध्यम से 2,529 स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताआें को खुराक दी जा रही है। लगभग 74 हजार 500 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का टीकाकरण किया जाएगा और प्रत्येक लाभार्थी को दो खुराक दी जाएंगी। दूसरी खुराक 28 दिन के अंतराल के बाद दी जाएगी। राज्य सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण की प्रभावी निगरानी के लिए राज्य स्तरीय संचालन समिति, राज्य टास्क फोर्स, जिला टास्क फोर्स और खंड टास्क फोर्स का गठन किया है।

उन्होंने कहा कि राज्य टीकाकरण स्टोर की स्थापना शिमला में की गई है, जबकि मंडी और धर्मशाला में क्षेत्रीय वैक्सीन स्टोर स्थापित किए गए हैं। अनुगामी रोक सभी जिलों में जिला वैक्सीन स्टोर और राज्य में 386 कोल्ड चेन प्वाइंट स्थापित किए गए हैं। लाभार्थियों के अनुसार राज्य द्वारा पर्याप्त मात्रा में एडी सीरिंज भी प्राप्त किए गए हैं और जिलों को भी वितरित किए गए हैं और 0.5 मिली. एडी सीरिंज का अतिरिक्त स्टाक राज्य वैक्सीन स्टोर परिमहल शिमला, क्षेत्रीय वैक्सीन स्टोर मंडी और धर्मशाला में संग्रहित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रैफरल तंत्र स्थापित करने और कोविन ऐप पर रिपोर्ट के लिए सेशन साइट वैक्सिनेटर्स को प्रतिकूल घटना अनुगामी प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया है। इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, सचिव स्वास्थ्य अमिताभ अवस्थी, मिशन निदेशक एनएचएम डा. निपुण जिंदल, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. रवि शर्मा, प्रधानाचार्य आइजीएमसी डा. रजनीश पठानिया, उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

लोग पैसे देकर टीका लगवाने के लिए तैयार

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—मंडी

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रदेश के लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। बहुत से लोग उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर पैसे देकर वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हैं और वह इसकी मांग कर रहे हैं। शनिवार को मंडी पहुंचे मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि देश को अगर आज स्वदेशी वैक्सीन हासिल हो पाई है, तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने देश के वैज्ञानिकों को इसके लिए प्रोत्साहित किया। शनिवार को मंडी पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री ने बाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मंडी में जाकर कोरोना टीकाकरण अभियान का जायजा भी लिया। इसके बाद उन्होंने कोरोना वैक्सीन की तैयारियों और वर्ड फ्लू को लेकर अधिकारियों की बैठक भी ली। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब कोरोना की रफ्तार काफ ी धीमी पड़ गई है। प्रदेश जल्द कोरोना मुक्त होगा और इसके पूरी तरह से खात्मे के लिए दवाई का सहारा लिया जाएगा।

अब तक 4500 परिंदों की मौत

बर्ड फ्लू की स्थिति पर सीएम ने कहा कि अभी तक प्रदेश में 4500 पक्षियों की फ्लू के कारण मौत हुई है। यह वायरस सिर्फ कांगड़ा जिला में ही पाया गया है और वहां पर पूरी सख्ती और ऐहतियात के साथ काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाहरी राज्यों के पोल्ट्री प्रोडक्ट पर पूरी तरह से रोक लगाई है। पशु पालन और वन विभाग की संयुक्त टीमें इस पर पूरी नजर रखे हुए है ।

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