म्यूचुअल फंडस

ऑटोमैटिक री-इनवेस्टमेंट (Automatic reinvestment plan) प्लान के तहत, जब कोई स्कीम डिविडेंड (लाभांश) की घोषणा करती है तो वह उपभोक्ता को अदा नहीं किया जाता है बल्कि वापस स्कीम में निवेश कर दिया जाता है ताकि नई यूनिटें खरीद ली जाए। यहां निवेशक लाभांश के चैक प्राप्त करने और फिर उस चैक से अन्य यूनिट खरीदने के बजाए सीधे सीधे म्यूचुअल फंडस वापस निवेश कर रहे होते हैं। इस प्रकार यह पूरा म्यूचुअल फंडस लेन-देन बगैर नगदी के आदान-प्रदान के हो जाता है।
सिस्टेमेटिक विड्रावल म्यूचुअल फंडस प्लान (SWP) क्या है?
नियमित आय की दृष्टि से कुछ लोग म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करते हैं और लाभांश प्राप्ति के विकल्प पर भी नज़र होती है| चुनांचे, बहुधा ऐसी योजनायें, खासकर डेब्ट से ताल्लुक रखने वाली, आपको मासिक या त्रैमासिक लाभांश का विकल्प देती है| ये जान लेना ज़रूरी है कि म्यूचुअल फंडस ये लाभांश योजनाओं से मिली वृद्धि से ही वितरित किए जाते हैं जिनकी हर महीने कोई गारंटी नहीं है, यद्यपि म्यूचुअल फंडस समरूप लाभांश की, फंड गृह की हमेशा कोशिश रहती है, वितरण म्यूचुअल फंडस लायक अतिरिक्त राशि कितनी होगी, ये बाज़ारों के गति और म्यूचुअल फंडस फंड के प्रदर्शन पर निर्भर है|
मासिक आय का एक और जरिया है: सिस्टेमेटिक विथड्रावल प्लान (SWP) का इस्तेमाल| यहाँ आपको स्कीम म्यूचुअल फंडस के विकास योजना में निवेश करना होता है जिसमें हर महीने मासिक भुगतान की एक निर्दिष्ट राशि निर्धारित करनी होती है| एक तयशुदा दिन, उस निर्धारित राशि के समतुल्य यूनिट्स/इकाइयां निकाल दी जाती हैं| उदाहरण स्वरुप, एक निवेशक १० लाख निवेशित कर हर महीने की पहली तारीख को १० हज़ार रूपए के भुगतान की गुजारिश कर सकता है| तब, १०,००० मूल्य की इकाइयां महीने की पहली तारीख को निकाल दी जायेंगी|
म्यूचुअल फंड्स में पहली बार करने जा रहे हैं निवेश तो अच्छे रिटर्न हासिल करने के लिए अपनाए ये टिप्स
साल 2021 रिटर्न के लिहाज से घरेलू निवेशकों के लिए बेहद शानदार रहा है. जहां एक ओर सेंसेक्स निफ्टी नए शिखर पर पहुंचे. वहीं, इसका फायदा उठाकर घरेलू म्यूचुअल फंड्स ने निवेशकों को 80 फीसदी तक का मुनाफा कराया है.
एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं म्यूचुअल फंडस कि जिन निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने से म्यूचुअल फंडस डर लगता है. वह म्यूचुअल फंड्स का फायदा उठाकर अच्छे रिटर्न हासिल कर सकते है. एसबीआई स्मॉल एंड मिडकैप फंड ने 80 फीसदी, टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड ने 75 फीसदी, रिलायंस स्मॉलकैप फंड ने 62 फीसदी का रिटर्न दिया है.
इसमें एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसे को अलग-अलग स्टॉक में लगाकर मुनाफा कमाता है और रिटर्न देकर एवज में अपने लिए कुछ अमाउंट कमीशन के तौर पर रख लेता है. फंड हाउस मैनेज करने के लिए ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी होती हैं, जैसे एचडीएफसी म्युचुअल फंड एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिरला म्युचुअल फंड आदि.
सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan)
सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान जिसे सिप (SIP) भी कहा जात है, म्यूचुअल फंड (Mutual funds) में निवेश का बेहद लोकप्रिय और आम व्यवहार में आने वाला तरीका है। इसमें निवेशक किस्तों में अपना निवेश करते हैं।
एक सिप (SIP) निवेशकों को सुविधा देता है कि वो नियमित अंतराल पर एक तय रकम से निवेश करें। यह रकम १०० रुपये महीने की भी हो सकती है। हालांकि अधिकांश एमएफ स्कीमों में 500 से 1000 रुपये एसआईपी की न्यूनतम निवेश राशि होती है।
आप जिस दिन यह राशि देते हैं उस दिन जो एनएवी (भाव) होता है उसके अनुसार आपकी यूनिटें खरीद कर आपके खाते में जमा करा दी जाती है। चूंकि एक निश्चित पैसा निवेश किया जा रहा होता है इसलिए फंड हाउस तब यूनिटों की खरीद करते हैं जब कीमतें नीचे हों ताकि अधिक यूनिटों की खरीद की जा सके। यदि भाव अधिक होंगे तो कम यूनिटें निवेशकों की झोली में आएंगी। इस प्रकार सिस्टेमैटिक निवेश से खरीद की औसत लागत कम हो जाती है। इस प्रकार की रणनीति रुपी कॉस्ट एवरेजिंग कहलाती है।
सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (Systematic Transfer Plan)
सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) निवेशकों को एक अंतराल पर एक स्कीम से निवेश (Investment) को निकाल कर दूसरे स्कीम म्यूचुअल फंडस में लगाने की सुविधा देता है। इसके लिए जरूरी है कि दोनों स्कीमें एक ही फंड हाउस की हों। इस ट्रांसफर को एक स्कीम से रिडम्पशन (निकासी), जिस स्कीम से ट्रांसफर हो रहा है (स्रोत स्कीम) और दूसरे स्कीम में निवेश, जिस स्कीम में रिडम्पशन को ट्रांसफर किया जा रहा है (गंतव्य स्कीम) माना जाता है।
इस प्रकार का रिडम्पशन उक्त समय में जो एनएवी निर्धारित होगी उस पर लगेगा। इधर एक्जिट लोड यदि लगना होगा तो वह भी फंड कंपनी की नीति के अनुसार ही लगेगा। निवेशकों द्वारा एसटीपी का इस्तेमाल अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के लिए किया जाता है ताकि वो अपने लक्ष्य तक पहुंच सकें। अक्सर बदलते ब्याज दरों के माहौल में लोग डेट-इक्विटी स्कीम के बीच इस प्रकार की व्यवस्था करते हैं। जिन निवेशकों को अपने इक्विटी स्कीम में बहुत ज्यादा निवेश नहीं रखना है वो धीरे-धीरे एसटीपी के माध्यम से अपना निवेश डेट में ले जा सकते हैं।
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सिस्टेमेटिक विड्रावल प्लान (SWP) क्या है?
नियमित आय की दृष्टि से कुछ लोग म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करते हैं और लाभांश प्राप्ति के विकल्प पर भी नज़र होती है| चुनांचे, बहुधा ऐसी योजनायें, खासकर डेब्ट से ताल्लुक रखने वाली, आपको मासिक या त्रैमासिक लाभांश का विकल्प देती है| ये जान लेना ज़रूरी है कि ये लाभांश योजनाओं से मिली वृद्धि से ही वितरित किए जाते हैं जिनकी हर महीने कोई गारंटी नहीं है, यद्यपि समरूप लाभांश की, फंड गृह की हमेशा कोशिश रहती है, वितरण लायक अतिरिक्त राशि कितनी होगी, ये बाज़ारों के गति और फंड के प्रदर्शन पर निर्भर है|
मासिक आय का एक और जरिया है: सिस्टेमेटिक विथड्रावल प्लान (SWP) का इस्तेमाल| यहाँ आपको स्कीम के विकास योजना में निवेश करना होता है जिसमें हर महीने मासिक भुगतान की एक निर्दिष्ट राशि निर्धारित करनी होती है| एक तयशुदा दिन, उस निर्धारित राशि के समतुल्य यूनिट्स/इकाइयां निकाल दी जाती हैं| उदाहरण स्वरुप, एक निवेशक १० लाख निवेशित कर हर महीने की पहली तारीख को १० हज़ार रूपए के भुगतान की गुजारिश कर सकता है| तब, १०,००० मूल्य की इकाइयां महीने की पहली तारीख को निकाल दी जायेंगी|