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समानांतर चैनल

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मुख्य अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखाएं

प्रत्येक देश अपने देश की सीमा की रक्षा करने के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करता है | इस सीमा को पार करना समानांतर चैनल देश की सीमा में घुसपैठ माना जाता है | इन सीमाओं के निर्धारण का एक फायदा यह भी है कि देशों को यह बात पता होती है कि उन्हें कहां तक अपने राज्य की सीमा का विस्तार करना है | कुछ प्रमुख सीमाओं का वर्णन इस लेख में किया गया है |

प्रत्येक देश अपने देश की सीमा की रक्षा करने के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करता है | इस सीमा समानांतर चैनल समानांतर चैनल को पार करना देश की सीमा में घुसपैठ माना जाता है | इन सीमाओं समानांतर चैनल के निर्धारण का एक फायदा यह भी है कि देशों को यह बात पता होती है कि उन्हें कहां तक अपने राज्य की सीमा का विस्तार करना है | ऐसी ही कुछ प्रमुख सीमाओं का वर्णन इस लेख में किया गया है |

1. डूरंड रेखा (Durand Line): अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर 2,640 किलोमीटर लम्बी सीमा रेखा को डूरंड रेखा कहते हैं| यह रेखा सन 1893 में ब्रिटिश इंडिया और अफ़ग़ान प्रतिनिधियों के बीच हई एक सहमती का नतीजा है| इस रेखा का नाम ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन विदेश मंत्री सर मॉर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था|

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2. मैकमोहन रेखा (Macmahon Line): 700 किमी. लम्बी इस रेखा को 1914 में सर मैकमोहन (ब्रिटेन) ने भारत-चीन सीमा के विवाद को सुलझाने के लिए तैयार किया था |

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3. रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe Line): यह रेखा, भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमाओं का निर्धारण करती है | यह सीमा 3310 किमी लम्बी है | 15 अगस्त 1947 को सर रेडक्लिफ ने इस सीमा का निर्धारण किया था |

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4. हिंडनबर्ग रेखा (Hindenburg Line): यह रेखा जर्मनी और पोलैंड के मध्य स्थित है | प्रथम विश्व युद्ध के समय जर्मनी की सेना इसी रेखा से लौटी थी |

5. मैनरहीन रेखा: सोवियत रूस और फ़िनलैंड के बीच की रेखा है |

6. मैगीनाट रेखा (Maginot Line): फ़्रांस द्वारा खिंची गयी जर्मनी और फ़्रांस के बीच की सीमा रेखा है समानांतर चैनल | यह रेखा कंक्रीट, लोहा इत्यादि से मिलकर बनी है | इसका निर्माण 1929 से 1938 के बीच किया गया था |

7. 17 वीं समानांतर रेखा (17th Parallel): यह उत्तरी वियतनाम तथा द. वियतनाम के बीच स्थित थी| वियतनाम के एकीकरण के पहले यह देश को दो भागों में बांटती थी। अब यह रेखा नही है क्योंकि वियतनाम अब संयुक्त हो गया है |

8. 24 वीं समानांतर रेखा (24th Parallel): यह रेखा भारत तथा पाकिस्तान के बीच कच्छ के पास स्थित है| पाकिस्तान के अनुसार यह रेखा भारत पाकिस्तान के बीच ठीक - ठीक सीमा का निर्धारण करती है लेकिन भारत इस रेखा को स्वीकार नहीं करता है।

9. 38 वीं समानांतर रेखा (38th Parallel): यह उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया को दो भागों में बांटती है |

10. 141 0 पश्चिमी देशांतर रेखा: यह अलास्का (USA) और कनाडा के बीच की सीमा रेखा है |

11. 49 वीं समानांतर रेखा (49th Parallel): यह उत्तरी अमेरिका तथा कनाडा को दो भागों में बांटती है।

12. ओडरनीसे रेखा (Order-Neisse Line): यह पूर्व जर्मनी त​था पोलैंड के बीच स्थित है और द्वितीय विश्व युद्ध समानांतर चैनल के बाद निर्धारित की गई।

13. सीजफ्राइड रेखा (Seigfrid Line): यह जर्मनी तथा फ्रांस के बीच है और इसे जर्मनी ने बनाया है |

योगी राज में बदहाल है अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवर फ्रंट'

अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट "गोमती रिवर फ्रंट" योगी सरकार की उदासीनता का शिकार होता जा रहा है. गोमती नदी में गंदगी बढ़ती रही है.

लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 11 जून 2017,
  • (अपडेटेड 11 जून 2017, 10:57 AM IST)

अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवर फ्रंट' योगी सरकार की उदासीनता का शिकार होता जा रहा है. देश का सबसे शानदार माना जाने वाला रिवर फ्रंट कुछ ही महीनों में बदहाली का शिकार होता नजर आ समानांतर चैनल रहा है. बेशक गोमती में गिरने वाले कई नालों को बंद कर दिया गया है, बावजूद इसके गोमती नदी में गंदगी बढ़ रही है.

नाले में तब्दील हुई नदी
फिलहाल गोमती नदी नाले में तब्दील हो गई है. गोमती नदी के ज्यादातर हिस्से में जलकुंभी का प्रकोप है. दिन-ब-दिन इसकी गंदगी का लेवल बढ़ता ही जा रहा है. गर्मी में पानी कम है और गंदगी ज्यादा होने से बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ गया है. गोमती रिवर फ्रंट के 1 किलोमीटर के मुख्य भाग पर घूमने वालों का तांता अब भी लगा हुआ है, लेकिन करीब 7 किलोमीटर का रिवरफ्रंट पूरी तरीके से बदहाल है. यहां लगाए गए ज्यादातर पौधे सूख चुके हैं, विदेशों से मंगाई गई घास भी सूख गई है, मोटर बोट चलना बंद हो गए हैं, नदी को साफ करने के लिए लगाई गई मशीनें भी बंद हैं. वहीं नाव के जरिए होने वाली सफाई भी बंद है.

बताया जा रहा है कि गोमती रिवरफ्रंट से जुड़े हुए ज्यादातर अधिकारी प्रोजेक्ट छोड़कर जा चुके हैं. पुराने लोगों के तबादले हो चुके हैं और नये लोग जांच के डर से उदासीन बन गए हैं.

गोमती नदी में कुल 37 नाले गिरते हैं. इनमें से 8 नाले ऐसे हैं जो शहर के बाहर गोमती में गिरते हैं. रिवरफ्रंट में कुछ वक्त पहले तक कुल 29 नाले गिर रहे थे. योगी सरकार ने 9 नालों को समानांतर चैनल से जोड़ दिया है जिससे अब 20 छोटे बड़े नाले इस रिवर फ्रंट में गिर रहे हैं. गोमती रिवरफ्रंट में गिरने वाले दो बड़े नालों कुकरैल और हैदर कनाल को डाइवर्ट किया जा चुका है जबकि नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे ब्रिज से पार होकर आने वाले नाले को अब तक चैनल से नहीं जोड़ा जा सका है. ट्रांस गोमती में अब भी 6 बड़े नाले गिर रहे हैं जिससे गोमती का प्रदूषण बना हुआ है.

योगी समानांतर चैनल आदित्यनाथ ने सीएम की कुर्सी संभालने के बाद ही गोमती रिवर फ्रंट पर अफसरों समानांतर चैनल की पंचायत लगाई थी. योगी ने रिवर फ्रंट का काम तीन महीने में पूरा करने, नालों को गोमती में गिरने से रोकने का भी आदेश दिया था.

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स्पिन-लहर नैनो-चैनल की अवधारणा

भा रतीय वैज्ञानिकों ने विद्युतीय रूप से व्यवस्थित ऐसे नैनो-चैनल विकसित किए हैं, जिनसे अनावश्यक अपशिष्ट को खत्म करने और तरंग-आधारित कंप्यूटिंग को संभव बनाने में मदद मिल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये नैनो-चैनल भविष्य में ऑन-चिप डेटा संचार और प्रसंस्करण में क्रांति ला सकते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्थान एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के प्रोफेसर अंजन बर्मन समानांतर चैनल और उनके सहकर्मियों द्वारा यह नैनो-चैनल विकसित किया गया है। यह नैनो-चैनल बिजली द्वारा फिर से विन्यासित (कॉन्फिगर) किए गए हैं, जो नैनो-संरचना वाले तत्वों में स्पिन तरंगों के व्यवहार को व्यवस्थित करते हैं।

इस संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक वक्तव्य में बताया गया है कि पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक्स लॉजिक सर्किट से बना होता है, समानांतर चैनल जिसमें धातु के तारों के जरिये बड़ी संख्या में ट्रांजिस्टर आपस में जुड़े होते हैं। विद्युत आवेशों द्वारा वहन किए जाने वाले डेटा को ऐसे अवांछनीय ताप का सामना करना पड़ता है, जो इसके एकीकरण घनत्व को सीमित करते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्थान एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के प्रोफेसर अंजन बर्मन और उनके सहकर्मियों द्वारा यह नैनो-चैनल विकसित किया गया है। यह नैनो-चैनल बिजली द्वारा फिर से विन्यासित (कॉन्फिगर) किए गए हैं, जो नैनो-संरचना वाले तत्वों में स्पिन तरंगों के व्यवहार को व्यवस्थित करते हैं।

शोधकर्ताओं द्वारा विद्युतीय रूप से व्यवस्थित ये नैनो-चैनल समय-समय पर उन गुणों को अनुकूलित करके विकसित किए हैं, जो किसी सिस्टम के स्पिन पर एक मनचाही दिशा प्रदान करते हैं, और जिसे विद्युत क्षेत्र का उपयोग करने वाला अनिसोट्रॉपी भी कहा जाता है। तकनीकी रूप से इसे वोल्टेज-नियंत्रित चुंबकीय अनिसोट्रॉपी का सिद्धांत कहा जाता है। यह अध्ययन 'साइंस एडवांसेज' शोध-पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

इस अध्ययन में, स्पिन-तरंगों को इन नैनो-चैनलों के जरिये कुशलता से स्थानांतरित किया गया है, और शोधकर्ताओं को इसे 'चालू' एवं 'बंद' करने में भी सफलता मिली है। शोधकर्ताओं ने इसके परिमाण को बेहद कम वोल्टेज की सहायता से परिवर्तित करके दिखाया है। शोधकर्ताओं समानांतर चैनल का मानना है कि भविष्य में, इन नैनो-चैनलों को डिजाइन किए गए समानांतर चैनलों द्वारा विशिष्ट आवृत्तियों के बैंड को स्थानांतरित कर ऑन-चिप मल्टीप्लेक्सिंग उपकरणों के विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।

स्पिनट्रोनिक्स, जिसे स्पिन इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉन के आंतरिक स्पिन और उससे संबंधित चुंबकीय क्षण के अध्ययन के रूप में भी जाना जाता है, अपने बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक आवेश के अलावा, ठोस-अवस्था (सॉलिड-स्टेट) उपकरणों में इलेक्ट्रॉन स्पिन का उपयोग करने की पेशकश करते हैं। उनकी सामूहिक प्रधानता कणों की किसी भी भौतिक गति के बिना उनके आयाम, चरण, तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति में एन्कोडेड जानकारी को वहन कर सकती है, अवांछित ऊर्जा अपशिष्ट को खत्म कर सकती है, और तरंग-आधारित कंप्यूटिंग को संभव बना सकती है।

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