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बांड में निवेश

बांड में निवेश
बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट बॉन्ड अधिक बेहतर विकल्प है क्योंकि इस पर कंपनियां आमतौर पर एफडी से अधिक ब्याज ऑफर करती हैं.

नॉलेज: सरकारी बांड के जरिए सरकार जुटाती है किसी विशेष काम के लिए पैसा, इसमें निवेश करना है सुरक्षित

जिस तरह कंपनियों या व्यापारियों को बिजनेस चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। उसी प्रकार सरकार को भी काम करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सरकार कई बार किसी विशेष प्रोजेक्ट के लिए बांड जारी करती है। सरकार द्वारा जारी किए गए बांड पर ब्याज थोड़ा कम मिलता है, लेकिन इसमें निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है। आमतौर बांड में निवेश पर सरकारी बांड भारत सरकार जारी करती है। जिस पर मैच्योरिटी अवधि तक समय-समय बांड में निवेश पर ब्याज मिलता है।

रेपो व रिवर्स रेपो रेट पर निर्भर करती हैं ब्याज दरें
सरकारी बांड के लिए सॉवरेन बांड शब्‍द का प्रयोग किया जाता है। ऐसे बांड बांड में निवेश की गारंटी सरकार लेती है। बांडों में सबसे अहम बात यह होती है कि उन पर ब्याज कितना है। बांड पर ब्याज की दर इस अधार पर भी तय होती है कि रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दरें यानी कि रेपो व रिवर्स रेपो रेट क्‍या तय कर रखी हैं। इसलिए सरकारी बांडों में निवेश का मौका मिलने पर लोग इसे खरीदने से नहीं चूकते।

Corporate Bond में क्यों लगाएं पैसे? निवेश के समय किन बातों का ख्याल रखना जरूरी? जानिए इन सभी सवालों के जवाब

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बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट बॉन्ड अधिक बेहतर विकल्प है बांड में निवेश क्योंकि इस पर कंपनियां आमतौर पर एफडी से अधिक ब्याज ऑफर करती हैं.

Corporate Bond: लंबे समय से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को निवेश का बेहतर विकल्प माना जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से कम दरों के चलते इसमें बांड में निवेश रिटर्न कम मिल रहा है. इसके अलावा इसमें निवेश पर रिटर्न पर टैक्स देनदारी भी इसके प्रति आकर्षण को कम करती है. इस वजह से निवेशक ऐसे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं जिसमें कम रिस्क पर बेहतर मुनाफा कमा जा सके. ऐसे निवेशकों के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं. कॉरपोरेट बॉन्ड पर एफडी से अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है और टैक्स देनदारी भी कम बनती है. हालांकि अन्य निवेश विकल्पों की तरह इसमें भी पैसे लगाने से पहले कुछ चीजों की जानकारी जरूरी है.

पैसे जुटाने के लिए कंपनियां जारी करती हैं कॉरपोरेट बॉन्ड

कॉरपोरेट बॉन्ड को कंपनियां वर्किंग कैपिटल, विज्ञापन और इंश्योरेंस पेमेंट्स जैसे शॉर्ट टर्म खर्चों के लिए जारी करती हैं. पैसे जुटाने के लिए कंपनियां बैंकों से भी लोन ले सकती है लेकिन उसकी तुलना में बॉन्ड जारी करना अधिक सस्ता है. इस वजह से कंपनियां पैसे जुटाने के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड के विकल्प पर अधिक जोर देती हैं.

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कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना इसलिए बेहतर

  • बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट बॉन्ड अधिक बेहतर विकल्प है क्योंकि इस पर कंपनियां आमतौर पर एफडी से अधिक ब्याज ऑफर करती हैं.
  • टैक्स के लिहाज से देखें तो अगर इसमें तीन साल से अधिक निवेश बना हुआ है तो लांग टर्म कैपिटल गेन बनेगा और बांड में निवेश इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट्स के फायदे के साथ लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. इसके विपरीत एफडी रिटर्न पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है. लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर 20 फीसदी है.
  • यह कम रिस्क-अधिक रिटर्न वाला शानदार विकल्प है जिसमें लंबे समय में बड़ी पूंजी का निर्माण किया जा सकता है.
  • इसमें सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
  • ये बॉन्ड कम रिस्क में अधिक रिटर्न के लिए बेहतर विकल्प हैं जिसका इस्तेमाल लंबे समय में बड़ी पूंजी बनाने के लिए किया जा सकता है. हालांकि अगर आप रिस्क उठा सकते हैं और औसत से अधिक रिटर्न हासिल करना चाहते हैं तो इसमें निवेश करना बेहतर फैसला नहीं है.
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कॉरपोरेट बॉन्ड की सेफ्टी का मूल्यांकन करती हैं और इस रेटिंग्स के जरिए अपने निवेश को लेकर फैसला किया जा सकता है. जिन कंपनियों के बॉन्ड की रेटिंग एएए होती है, उन्हें सबसे अधिक सुरक्षित माना जाता है. ऐसे में बॉन्ड में निवेश से पहले रेटिंग
  • को जरूर देखें.
  • बॉन्ड के भाव समय के साथ बदलते हैं और एक बांड में निवेश ही बॉन्ड को अलग-अलग भाव पर खरीद सकते हैं जो इस पर निर्भर करता है कि इसे आप खरीद कहां से रहे हैं.

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By: ABP Live | Updated at : 31 Mar 2022 12:21 PM (IST)

बॉन्ड खरीदने के फायदे

बॉन्ड एक साधन है जिसके द्वारा सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती बांड में निवेश है. हर साल सरकार और अलग-अलग प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी अपना बॉन्ड जारी करती है. इस बॉन्ड के जरिए सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. सरकार जिस बॉन्ड को जारी करती है वह सरकारी बॉन्ड यानी Government Bond कहलाता है. वहीं प्राइवेट कंपनियां जिस बॉन्ड को जारी करती है उस बॉन्ड को कॉर्पोरेट बांड कहते हैं. सरकार और प्राइवेट कंपनियां अपने खर्चे को पूरा करने के बांड में निवेश लिए निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी करती है. बाद में इस बॉन्ड को वह बेच देती है. इससे जो पैसा जुटता है वह सरकारी प्रोजेक्ट और कंपनी की ग्रोथ के लिए खर्च किया जाता है.

बॉन्ड खरीदने के फायदे-
अगर आप अलग-अलग जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं तो उसमें बॉन्ड में निवेश भी शामिल करें. ऐसा करने से लोगों के पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के निवेश दिखते हैं और यह डायवर्सिफाई हो पाता है. बता दें कि मार्केट में ऐसे बॉन्ड भी मौजूद है जो आपको टैक्स छूट में लाभ देते हैं. इसके अलावा ऐसे बॉन्ड भी मार्केट में है जो आपको लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन्स पर बांड में निवेश किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा. गौरतलब है कि बॉन्ड में निवेश करना बहुत सुरक्षित माना जाता है.

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हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि उच्च आय वाले व्यक्ति जो टैक्स के दायरे में आ रहे हैं, उनके लिए टैक्स सेविंग बांड और मेच्योरिटी प्लान, बैंक एफडी से बेहतर विकल्प हैं. उन्होंने कहा कि बैंक एफडी शॉर्ट टर्म में 5 प्रतिशत से अधिक रिटर्न नहीं देंगे, जबकि टैक्स सेविंग बांड किसी भी अवधि के लिए बैंक की सावधि जमा दरों की तुलना में 1.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत अधिक रिटर्न देंगे.

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हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि उच्च आय वाले व्यक्ति जो टैक्स के दायरे में आ रहे हैं, बांड में निवेश उनके लिए टैक्स सेविंग बांड और मेच्योरिटी प्लान, बैंक एफडी से बेहतर विकल्प हैं. उन्होंने कहा कि बैंक एफडी शॉर्ट टर्म में 5 प्रतिशत से अधिक रिटर्न नहीं देंगे, जबकि टैक्स सेविंग बांड किसी भी अवधि के लिए बैंक की सावधि जमा दरों की तुलना में 1.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत अधिक रिटर्न देंगे.

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