डेरिवेटिव मार्केट क्या है?

वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, डेरिवेटिव निपटान की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।
डेरिवेटिव्स बाजार क्या होता है ? एवं इसके कार्य क्या हैं ?
डेरिवेटिव्स बाजार को व्युत्पन्नी बाजार भी कहा जाता है और 'डेरिवेटिव्स' वर्तमान उत्पाद से व्युत्पन्न लाभ को कहा जाता है । डेरिवेटिव्स एक वित्तीय उपकरण है जिसका मूल्य अन्य वित्तीय उपकरणों से परिवर्तनीय है । ऐसे उपकरणों में ट्रेजरी बिल, बॉण्ड्स, इक्विटी डेरिवेटिव मार्केट क्या है? इंडेक्स, ब्याज दर, वस्तु, नोट, सोना आदि मुख्य हैं । वित्तीय डेरिवेटिव्स के अन्तगर्त निम्न उपकरणों को सम्मिलित किया जाता है -
डेरिवेटिव्स ने वित्तीय बाजार को बदल दिया है । इसका कारण बाजार विश्व स्तर का हो गया है । डेरिवेटिव्स सभी देशों में सामान्य रूप से प्रचलित है ।
वैश्विक डेरिवेटिव्स बाजार ( Global Derivatives Market ) :- विश्व में डेरिवेटिव्स बाजार तेजी से विकसित हुआ है । उदारीकरण, वैश्वीकरण अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार, अन्तर्राष्ट्रीय बैंकिंग सम्बन्धों के कारण डेरिवेटिव्स बाजार विश्व स्तर का हो गया है । डेरिवेटिव्स बाजार के विकसित होने के निम्नलिखित कारण हैं -
( 4 ) सूचना प्रौद्योगिकी, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक साधनों का विकास इनकी स्थापना लागतों में भारी कमी तथा नये आविष्कार के कारण कीमतों में कमी होना ।
'डेरिवेटिव्स' के विकसित होने में सुरक्षा दीर्घकालीन कोष, सभी कम्पनियों के लिए उपयुक्त होना आदि गुणों का योगदान है । विश्व में डेरिवेटिव्स का व्यापार वित्तीय बाजार, प्रतिभूति बाजार, विदेशी विनिमय बाजार और वस्तु बाजार में किया जाता है ।
वैश्विक बाजार में 'डेरिवेटिव्स' का प्रचलन नया नहीं है । सन 1970 में 'करेन्सी डेरिवेटिव्स' तथा 1980 में पहला 'Swaps Contract' 'खास अनुबन्ध' किया गया था । जो कि डेरिवेटिव्स का ही प्रकार है । कई देशों में ऑप्शन डेरिवेटिव्स ( Options Derivatives ) OTC डेरिवेटिव्स, फारवर्ड, फ्यूचर आदि प्रचलित किये गये हैं ।
भारत में सेबी ने 9 जून, 2000 को BSE ( Bombay Stock Exchange ) तथा 12 जून, 2000 को NSE ( National Stock Exchange ) में वित्तीय डेरिवेटिव्स जारी करने की अनुमति प्रदान की । सितम्बर 2001 में 'फ्यूचर ट्रेडिंग' ( Future Trading ) की अनुमति सेबी द्वारा दी गई है । सेबी ने स्टॉक फ्यूचर ( Stock Future ) एवं इक्विटी डेरिवेटिव्स की भी अनुमति प्रदान की । इस प्रकार भारतीय पूँजी बाजार में 'डेरिवेटिव्स' की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है ।
डेरिवेटिव्स आवश्यक क्यों ? ( Why Derivatives Necessary ? ) :- प्रत्येक व्यवसाय में जोखिम होता है । किन्तु यह जोखिम कम या अधिक हो सकता है । बीमा कम्पनियों के सहयोग से जोखिम को कम किया जा सकता है । किन्तु कुछ जोखिम, मूल्य परिवर्तन के कारण या वित्तीय सम्पत्तियों के दायित्वों में कमी के कारण या बाजार की दशाओं में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती हैं । इससे नकदी का प्रवाह रुक जाता है । ऐसी जोखिम डेरिवेटिव मार्केट क्या है? को दूर करने के लिए बीमा कम्पनियों के पास कोई योजना नहीं है । व्यापारिक जोखिम दूर करने के लिए वित्तीय डेरिवेटिव्स और अन्य वित्तीय उपकरण उपलब्ध नहीं हैं । बाजार की विपरीत दशाओं में भी डेरिवेटिव्स सहायता पहुँचाता है । डेरिवेटिव्स को जोखिम के विरुद्ध एक तकनीक माना जाता है । वित्तीय संस्थाएँ, फर्म निगम, कम्पनियाँ जोखिम उठाकर लाभ कमाने का उद्देश्य रखती है । किन्तु जोखिम कम करने के लिए इन संस्थाओं द्वारा प्रबन्धकीय रणनीति जोखिम विश्लेषण का प्रयोग किया जाता है ।
डेरिवेटिव्स के कार्य ( Functions of Derivatives ) :- डेरिवेटिव्स वित्तीय उपकरण है । इसमें कोष के उधार लेन-देन सम्बन्धी कार्य नहीं होते । वरन मूल्य-जोखिम को कम किया जाता है । डेरिवेटिव्स दो प्रमुख कार्य करता है - ( 1 ) जोखिम प्रबन्धन ( 2 ) बाजार क्षमता में सुधार ।
[ 1 ] जोखिम प्रबन्धन ( Risk Management ) :- डेरिवेटिव्स को 'जोखिम प्रबन्धन' का औजार ( Tools ) माना जाता है । इससे जोखिम प्रबन्धन के उद्देश्य को पूरा करने में सहायता मिलती है । इस डेरिवेटिव्स रूपी औजार का प्रयोग करने के पूर्व आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय अपनाना चाहिए अन्यथा वित्तीय डेरिवेटिव्स का प्रयोग बिना किसी योग्यता के या असमान ढंग से किया जाता है तो संस्था घोर वित्तीय संकट में फँस सकती है ।
'वित्तीय डेरिवेटिव्स' नये जोखिम प्रबन्धन की तकनीक ही नहीं है वरन यह संगठन के जोखिम घटकों को उजागर करने वाला उपकरण है ।
[ 2 ] बाजार क्षमता में सुधार ( Improving Market-efficiency ) :- डेरिवेटिव्स, 'बाजार क्षमता' में सुधार कर आर्थिक व्यापारिक गतिविधियों को प्रेरित करता है । यह बाजारोन्मुखी प्रणाली ( Market-oriented System ) में व्यक्तिगत जोखिम घटकों को स्वीकार करता है जिससे कि वित्तीय बाजार क्षमता में सुधार होने लगता है । पूँजी बाजार में सभी स्तर की फर्म व्यापार करती है 'डेरिवेटिव्स' फर्म के आकार-प्रकार पर ध्यान नहीं देती । सभी प्रकार डेरिवेटिव मार्केट क्या है? की फर्म के लिए डेरिवेटिव्स बाजार उपलब्ध होता है । डेरिवेटिव्स व्यापार में वृद्धि होती है । पूँजी बाजार क्षमता में वृद्धि होती है ।
डेरिवेटिव्स बाजार के भागीदार ( Participants of Derivatives Market ) :- डेरिवेटिव्स बाजार में भाग लेने वाले भागीदारों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । इन भागीदारों में Hedger ( हेजर ), Trader or Dealer ( व्यापारी या डीलर ), Speculator ( सट्टेबाजी करने वाला ) एवं Others ( अन्य ) होते हैं । इन भागीदारों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । डेरिवेटिव्स बाजार एक नियंत्रित बाजार के समान रहता है जिसमें मात्रा, मूल्य व समय पर संचालकों का नियंत्रण होता है । संचालकों द्वारा प्रत्येक कार्य करने की समय-सीमा निश्चित की जाती है । डेरिवेटिव्स बाजार में भागीदारों का हस्तक्षेप नहीं होता । इससे बाजार में अनिश्चितता एवं जोखिम नहीं रहती । बाजार के संचालक गण बोर्ड की अनुमति एवं मार्गदर्शन में कार्य करते हैं ।
( 1 ) Hedger ( हेजर ) - 'हेजर' वर्तमान या भविष्य की जोखम को समाप्त या कम करने के उद्देश्य से उल्टे ( Reverse ) सौदे करने वाला होता है । डेरिवेटिव्स बाजार में Hedger सबसे महत्त्वपूर्ण भागीदार होता है ।
बैंक, डेरिवेटिव्स बाजार में हेजर के रूप में कार्य करते हैं । बैंक स्वामी के रूप में भी Hedger के समान कार्य करते हैं । ये विशेषकर सम्पत्ति या दायित्व-प्रबन्ध में रुचि लेते हैं । बैंक अवांछित जोखिम के विरुद्ध भी कार्य करते हैं ।
( 2 ) व्यापारी या डीलर ( Trader or Dealer ) - डेरिवेटिव्स बाजार में दूसरा भागीदार व्यापारी या डीलर होता है । बैंक भी व्यापारी की हैसियत से डेरिवेटिव्स बाजार में कार्य करते हैं । डीलर के रूप में बैंक डेरिवेटिव्स का प्रयोग 'बिड' ( Bids ) ( खरीद के प्रस्तावित मूल्य ) के रूप में निश्चित करके ग्राहक को प्रबन्धकीय जोखिम की आवश्यकता को संतुष्ट करते हैं । वित्तीय डेरिवेटिव्स के डीलर प्रायः ब्रोकर्स के रूप में कार्य करते हैं और ग्राहकों के लिए मध्यस्थता करते हैं । वर्तमान में डीलर या व्यापारी द्वारा डेरिवेटिव्स के पोर्टफोलियो का प्रबन्ध किया जाता है या उसकी समस्त जोखिम व्यवस्था को देखा जाता है । इस तरह डीलर की जोखिम प्रबन्ध-योग्यता व्यक्तिगत सौदों से लेकर पोर्टफोलियो प्रबन्धन तक होती है ।
( 3 ) सट्टेबाजी करने वाला ( Speculator ) - डेरिवेटिव्स बाजार में सट्टेबाजी करने वाले भागीदार को 'सट्टेबाज' ( Speculator ) कहा जाता है । डेरिवेटिव्स बाजार में माँग-पूर्ति के अन्तर से सट्टेबाज लाभ कमाता है दो विभिन्न बाजारों में मूल्य अन्तरों से लाभ कमाना सट्टेबाजों का मुख्य कार्य होता है । ये लोग दो अलग-अलग बाजारों में क्रय-विक्रय के एक साथ, एक समय में सौदों के विशेषज्ञ माने जाते हैं । डेरिवेटिव्स जैसे वित्तीय उपकरण सट्टेबाजों को अनिश्चितता एवं जोखिम से बचाते हैं ।
Stock डेरिवेटिव मार्केट क्या है? Market Holiday 2022: आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर शेयर बाजार बंद, यहां जानें इस साल किस-किस दिन नहीं होगा कारोबार
Stock Market Holiday List 2022: शेयर बाजार में बुधवार को कारोबार नहीं हुआ, दरअसल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे होने के चलते बंदी रही। बीएसई की वेबसाइट के अनुसार, साल 2022 की बात करें तो इस साल अंतिम स्टॉक मार्केट हॉलिडे 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक जयंती के अवसर पर होगा।
शेयर बाजार में बुधवार को कारोबार नहीं हुआ, दरअसल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे होने के चलते बंदी रही। बीएसई की वेबसाइट के अनुसार, साल 2022 की बात करें तो इस साल कुल 13 दिन शेयर बाजार में अवकाश रहेगा। इस साल का अंतिम स्टॉक मार्केट हॉलिडे 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक जयंती के अवसर पर होगा।
इस साल 13 दिन रहेगा अवकाश
भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा घोषित की गईं साल 2022 में शेयर बाजार की छुट्टियों की सूची के अनुसार, सप्ताह में पड़ने वाले शनिवार और रविवार को छोड़कर, एनएसई और बीएसई में ट्रेडिंग पूरे साल में 13 दिन नहीं होगी। इन दिनों में स्टॉक मार्केट छुट्टियों के कारण इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कोई ट्रेड नहीं होगा। 2022 में पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे 26 जनवरी के बाद फरवरी के महीने में शेयर बाजार में कोई छुट्टी नहीं होगी, जबकि अगले माह मार्च में महाशिवरात्रि और होली के लिए की छुट्टी क्रमशः 1 और 18 मार्च को पड़ेगी।
अप्रैल में होगा सबसे लंबा अवकाश
अप्रैल के महीने में शेयर बाजार की दो छुट्टियां होंगी। इनमें महावीर जयंती/डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती के मौके पर 14 अप्रैल को कारोबार नहीं होगा, जबकि इसके अगले दिन 15 अप्रैल 2022 को गुड फ्राइडे के चलते शेयर बाजार बंद रहेगा। गौरतलब है कि 14 और 15 अप्रैल क्रमश: गुरुवार और शुक्रवार होने के कारण अप्रैल में सबसे ज्यादा दिन के लिए बाजार बंद रहेगा। यह सबसे बड़ा इसलिए होगा क्योंकि 16 और 17 अप्रैल को शनिवार और रविवार होगा। यानी अप्रैल में पूरे चार दिन शेयर बाजार में छुट्टी रहेगी।
सितंबर-अक्तूबर में तीन-तीन छुट्टियां
मई महीने की बात करें तो ईद-उल-फितर (रमजान ईद) के लिए भारतीय शेयर बाजार 3 मई 2022 को अवकाश रहेगा। इस महीने में यह एकमात्र शेयर बाजार की छुट्टी होगी। इसके अलावा भारतीय शेयर बाजार में अगस्त और अक्तूबर के महीने में तीन-तीन छुट्टियां होंगी। सूची पर नजर डालें तो अगस्त 2022 में, मुहर्रम, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी त्योहारों के लिए क्रमशः 9, 15 और 31 अगस्त को शेयर बाजार की छुट्टियां होगीं, जबकि इसी तरह, अक्तूबर 2022 के महीने में 5, 24 और 26 तारीख को क्रमशः दशहरा, दीवाली लक्ष्मी पूजन और दिवाली बलिप्रतिपदा त्योहारों के लिए तीन दिन के लिए शेयर बाजार में काम-काज नहीं होगा।
इस बार मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्तूबर को होगी
मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्टूबर 2022 (दिवाली-लक्ष्मी पूजन) के दिन होगी। मुहूर्त ट्रेडिंग 2022 का समय बाद में अधिसूचित किया जाएगा। इसके बाद नवंबर 2022 के महीने में, 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती उत्सव के लिए सिर्फ एक शेयर बाजार की छुट्टी होगी। जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह वर्ष 2022 में पड़ने वाला आखिरी शेयर बाजार अवकाश (स्टॉक मार्केट हॉलिडे) होगा।
विस्तार
शेयर बाजार में बुधवार को कारोबार नहीं हुआ, दरअसल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे होने के चलते बंदी रही। बीएसई की वेबसाइट के अनुसार, साल 2022 की बात करें तो इस साल कुल 13 दिन शेयर बाजार में अवकाश रहेगा। इस साल का अंतिम स्टॉक मार्केट हॉलिडे 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक जयंती के अवसर पर होगा।
इस साल 13 दिन रहेगा अवकाश
भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा घोषित की गईं साल 2022 में शेयर बाजार की छुट्टियों की सूची के अनुसार, सप्ताह में पड़ने वाले शनिवार और रविवार को छोड़कर, एनएसई और बीएसई में ट्रेडिंग पूरे साल में 13 दिन नहीं होगी। इन दिनों में स्टॉक मार्केट छुट्टियों के कारण इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कोई ट्रेड नहीं होगा। 2022 में पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे 26 जनवरी के बाद फरवरी के महीने में शेयर बाजार में कोई छुट्टी नहीं होगी, जबकि अगले माह मार्च में महाशिवरात्रि और होली के लिए की छुट्टी क्रमशः 1 और 18 मार्च को पड़ेगी।
अप्रैल में होगा सबसे लंबा अवकाश
अप्रैल के महीने में शेयर बाजार की दो छुट्टियां होंगी। इनमें महावीर जयंती/डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती के मौके पर 14 अप्रैल को कारोबार नहीं होगा, जबकि इसके अगले दिन 15 अप्रैल 2022 को गुड फ्राइडे के चलते शेयर बाजार बंद रहेगा। गौरतलब है कि 14 और 15 अप्रैल क्रमश: गुरुवार और शुक्रवार होने के कारण अप्रैल में सबसे ज्यादा दिन के लिए बाजार बंद रहेगा। यह सबसे बड़ा इसलिए होगा क्योंकि 16 और 17 अप्रैल को शनिवार और रविवार होगा। यानी अप्रैल में पूरे चार दिन शेयर बाजार में छुट्टी रहेगी।
सितंबर-अक्तूबर में तीन-तीन छुट्टियां
मई महीने की बात करें तो ईद-उल-फितर (रमजान ईद) के लिए भारतीय शेयर बाजार 3 मई 2022 को अवकाश रहेगा। इस महीने में यह एकमात्र शेयर बाजार की छुट्टी होगी। इसके अलावा भारतीय शेयर बाजार में अगस्त और अक्तूबर के महीने में तीन-तीन छुट्टियां होंगी। सूची पर नजर डालें तो अगस्त 2022 में, मुहर्रम, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी त्योहारों के लिए क्रमशः 9, 15 और 31 अगस्त को शेयर बाजार की छुट्टियां होगीं, जबकि इसी तरह, अक्तूबर 2022 के महीने में 5, 24 और 26 तारीख को क्रमशः दशहरा, दीवाली लक्ष्मी पूजन और दिवाली बलिप्रतिपदा त्योहारों के लिए तीन दिन के लिए शेयर बाजार में काम-काज नहीं होगा।
इस बार मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्तूबर को होगी
मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्टूबर 2022 (दिवाली-लक्ष्मी पूजन) के दिन होगी। मुहूर्त ट्रेडिंग 2022 का समय बाद में अधिसूचित किया जाएगा। इसके बाद नवंबर 2022 के महीने में, 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती उत्सव के लिए सिर्फ एक शेयर बाजार की छुट्टी होगी। जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह वर्ष 2022 में पड़ने वाला आखिरी शेयर बाजार अवकाश (स्टॉक मार्केट हॉलिडे) होगा।
डेरीवेटिव क्या होता है ? (What is Derivative)
इसलिए सिम्सोपली सोने की रिंग डेरीवेटिव है सोने का, और मार्केट में अगर सोने के भाव में तेजी होगी, तो सोने की रिंग का भाव भी बढेगा, और मार्केट में अगर सोने का भाव घटा तो सोने की रिंग के भाव में कमी आ सकती है,
ये एक सिम्पल एक्साम्प्ल है डेरीवेटिव का, यहाँ पर सोना underlying asset है सोने का,
इसके अलावा – दही भी डेरीवेटिव दूध का,
दही, दही बंनने के लिए जरुरी है दूध, दूध नहीं तो दही नहीं, इसलिए दही जो डिपेंड (underlay) है दूध पे, और इसलिए हम डेरिवेटिव मार्केट क्या है? कह सकते है दही डेरीवेटिव है दूध का,
जी हा, दही डेरीवेटिव है,
और आज के बाद, आप जब भी दही को देखो, दही खाओ या दही का नाम भी सुनो तो समझना कि दही दूध का डेरीवेटिव है,
एक स्टेप आगे…जाये…तो
दही से बनता है – घी और मक्खन, और घी और मक्खन दही के डेरीवेटिव है, या कह सकते है कि दही या मक्खन दूध के भी डेरीवेटिव है …क्योकि …दही हो, मक्खन हो या फिर घी हो …इन सबकी उत्पति दूध होने पर ही संभव है,
अगर दूध नहीं तो दही नहीं…
खैर….हम दूध दही और इन सबमे और डीप में नहीं जायेंगे…यहाँ पर हमें सिम्पली ये समझना है कि दही एक बेस्ट एक्साम्प्ल है डेरीवेटिव का…
लेकिन दही और स्टॉक मार्केट का क्या सम्बन्ध,
दही और स्टॉक मार्केट (डेरीवेटिव) का क्या सम्बन्ध
ये सही है कि दही और स्टॉक मार्केट का कोई सम्बन्ध नहीं है, लेकिन जो हमने कांसेप्ट समझा डेरीवेटिव का, उस कांसेप्ट का स्टॉक मार्केट में बहुत ज्यादा महत्व है,
क्योकि स्टॉक मार्केट में दो सेगेमेंट होते है
एक होता है – कैश सेगेमेंट, औरदूसरा – डेरीवेटिव सेगेमेंट,
और डेरीवेटिव सेगमेंट को हम फ्यूचर और आप्शन सेगमेंट के नाम से भी जानते है,डेरिवेटिव मार्केट क्या है?
यानी स्टॉक मार्केट में स्टॉक फ्यूचर एक डेरीवेटिव है, जिसका मूल्य उसके underlying stock के भाव से निकाला जाता है,
और आप्शन के साथ भी ऐसा ही है, आप्शन भी एक डेरीवेटिव है, जिसका भाव किसी स्टॉक या इंडेक्स के भाव से निकाला जाता है,
जैसे – टाटा स्टील फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट, एक डेरीवेटिव है , और इस केस में टाटा स्टील फ्यूचर के कॉन्ट्रैक्ट का भाव डेरिवेटिव मार्केट क्या है? डिपेंड करेगा, टाटा स्टील के स्टॉक प्राइस से,
और ऐसे ही, निफ्टी आप्शन कॉन्ट्रैक्ट, एक डेरीवेटिव है, और निफ्टी आप्शन कॉन्ट्रैक्ट का भाव derive होगा निफ्टी से,
अब डेरीवेटिव इनता इम्पोर्टेन्ट क्यों है ?
अगर बात करे कि डेरीवेटिव का क्तोया इम्पोर्टेंस है ?
तो डेरीवेटिव बहुत ही इम्इपोर्सटेन्काट पार्ट है स्टॉक मार्केट या कैपिटल मार्केट का, और इसका सिम्पल सा कारण ये है कि अगर आप स्टॉक मार्केट के डाटा को देखे तो आपको पता चलेगा कि इन टर्म ऑफ़ टर्नओवर, कैश सेगेमेंट से कई गुना ज्यादा कारोबार डेरीवेटिव सेगेमेंट में होता है, और अगर कोई स्टॉक मार्केट में काम करना चाहता है तो उसके लिए लिए डेरीवेटिव के कांसेप्ट को समझना बहुत ही ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हो जाता है,
आई हॉप कि आप यहाँ तक डेरीवेटिव के कांसेप्ट को जरुर समझ पा रहे होंगे…और आपको डेरीवेटिव का कांसेप्ट और इसकी परिभाषा, इसका अर्थ आपको जरुर याद रहेगा…
Derivative और underlying asset
जैसा हमने देखा डेरीवेटिव में दो चीज है
पहला – डेरीवेटिव प्रोडक्ट (कॉन्ट्रैक्ट ) उस प्रोडक्ट का underlying asset (जिस के आधार पर डेरीवेटिव का भाव में बदलाव आता है )
अब एक इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन – किसका भाव ज्यादा होगा – डेरीवेटिव का या फिर उस डेरीवेटिव के underlying (asset/stock/index) का,
दुसरे, शब्दों में,
Example के तौर पे किसका भाव ज्यादा होगा दही या फिर दूध का ?
(ध्यान दीजिए कि दही डेरीवेटिव है और दूध underlying है )
तो इसका जवाब यही होगा कि –
दही क्योकि दूध से बनता है, दूध को दही बनने के लिए समय लगता है, प्रोसेस होता है, और उस प्रोसेस के कास्ट को जोड़ने से दूध की अपेक्षा दही की कीमत ज्यादा हो जाती है,
जैसे – अगर दूध का प्राइस है x और उस दूध को दही बनाने में जो कास्ट आएगा वो मान लेते है Y
तो दही का जो प्राइस होगा = x+y+profit of the seller
और अगर दूध का भाव बढेगा तो दही का भाव आटोमेटिकली बढ़ जायेगा… यानि, इसका मतलब ये हुआ कि – आम तौर पर
डेरीवेटिव का भाव उसके underlying asset से ज्यादा होता है,
और बिल्कुल स्टॉक मार्केट के डेरीवेटिव सेगमेंट में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है
और इसमें जो डेरीवेटिव होता है उसका प्राइस भी कुछ इसी तरह से तय होता है, जिसमे underlying asset (stock/index/commodity) का मार्केट प्राइस + कॉन्ट्रैक्ट कैर्री प्राइस + मार्जिन ऑफ़ seller /buyer मिलकर डेरीवेटिव के प्राइस को तये करते है,
डेरीवेटिव क्या होता है ? (What is Derivative) – Summary
तो अब फाइनली स्टॉक मार्केट में डेरीवेटिव को समझना हो, तो वो कुछ ऐसा होगा कि –
डेरीवेटिव (Derivative)– एक फाइनेंसियल instrument/contract/product है जिसकी value किसी दुसरे स्टॉक/इंडेक्स /commodity से derive होती है,
ध्यान दीजिए कि – स्टॉक मार्केट में डेरीवेटिव लेगेल कॉन्ट्रैक्ट होते है, और इस कॉन्ट्रैक्ट की सभी नियम और शर्ते, पहले से निश्चित होती है, और लीगली bounded अग्रीमेंट होते है,