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भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर सहित
12:25 AM, 07-Oct-2019
- प्रश्न :- केन्द्रीय करों में राज्यों को कितने प्रतिशत हिस्सेदारी पर कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दी है? उत्तर – 29 प्रतिशत
- प्रश्न :- विक्रेता बाजार क्या होता है ? उत्तर – ऐसा बाजार जहाँ माँग की अपेक्षा पूर्ति कम होती है।
- प्रश्न :- अंकटाड-IX (UNCTAD-IX) का आयोजन कहाँ किया गया था ? उत्तर – मिडरैन्ड (दक्षिण अफ्रीका)
- प्रश्न :- योजना में ‘कोर सेक्टर’ का क्या तात्पर्य है ? उत्तर – चयनित आधारभूत उद्योग
- प्रश्न :- भारत में सकल घरेलू बचतों में किस क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक है ? उत्तर – घरेलू क्षेत्र का
- प्रश्न :- इण्डिया इज फॉर सेल नामक पुस्तक किसने लिखी है ? उत्तर – चित्रा सुब्रह्मण्यम ने
- प्रश्न :- दक्षेस (SAARC) की स्थापना कब हुई थी ? उत्तर – 1985 में
- प्रश्न :- स्वामीनाथन समिति किस क्षेत्र से सम्बन्धित है ? उत्तर – जनसंख्या नीति (1994)
- प्रश्न :- भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (IRBI) की स्थापना कब हुई थी ? उत्तर – 20 मार्च , 1985
- प्रश्न :- भारत में सर्वाधिक कम आय वाला राज्य कौन सा है ? उत्तर – बिहार
- प्रश्न :- प्रथम पंचवर्षीय योजना में किस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई ? उत्तर – कृषि एवं सिंचाई
- प्रश्न :- भारत का सबसे पहला बैंक कौनसा था ? उत्तर – बैंक ऑफ हिन्दुस्तान
- प्रश्न :- टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना कब हुई थी ? उत्तर – 1907 में
- प्रश्न :- भारत में सर्वाधिक गन्ना किस राज्य में उत्पन्न किया जाता है ? उत्तर – उत्तर प्रदेश
- प्रश्न :- भारत के किस राज्य में साक्षरता प्रतिशत सबसे अधिक है ? उत्तर – केरल में
- प्रश्न :- भारत के किस राज्य में जन्म-दर सबसे अधिक है ? उत्तर – उत्तर प्रदेश में
- प्रश्न :- भारत में शिशु मृत्यु-दर किस राज्य में सबसे अधिक है ? उत्तर – उड़ीसा में
- प्रश्न :- भारत में बाल-श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक किस राज्य में है ? उत्तर – आन्ध्र प्रदेश में
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कोलकाता, 24 अगस्त (वार्ता) केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस नेता अनुब्रत मंडल (Anubrata Mandal) को सीमा पार से कथित विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर गौ तस्करी मामले में अदालत में पेश करने के लिए पश्चिम बर्धमान जिले के आसनसोल ले गई है। तृणमूल कांग्रेस की बीरभूम जिला इकाई के अध्यक्ष मंडल को उनके गांव निचुपट्टी स्थित आवास से 11 अगस्त को सीबीआई ने सीमा पार से चल रहे पशु तस्करी घोटाले में कथित रूप से सहयोग नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। शहर के निज़ाम पैलेस में पेश होने के लिए सीबीआई के दस सम्मनों की अनदेखी करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। पिछले 14 दिनों से मंडल सीबीआई की हिरासत में ही हैं।
आसनसोल (asansol) की विशेष अदालत द्वारा 62 वर्षीय राजनेता मंडल को जांच एजेंसी के तहत रिमांड पर लेने के बाद वह पहले ही दो सप्ताह (क्रमशः 10 और चार दिन) सीबीआई हिरासत में बिता चुके हैं। मंडल को बुधवार को कोर्ट में पेशी के लिए आसनसोल ले जाया गया। इस बीच आसनसोल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आसनसोल दुर्गापुर कमिश्नरेट पुलिस ने आसनसोल कोर्ट के न्यायाधीश न्यायामूर्ति राजेश चक्रवर्ती को मिले कथित धमकी भरे पत्र की जांच शुरू कर दी है।
आसनसोल के विशेष सीबीआई अदालत (CBI court) के न्यायाधीश राजेश चक्रवर्ती को कथित तौर पर एक व्यक्ति से धमकी भरा पत्र मिला, जिसने उन्हें अनुव्रत मंडल को जमानत देने की धमकी दी है अन्यथा उनके (न्यायाधीश) परिवार के सदस्यों को झूठे ड्रग मामले में फंसाया जाएगा। न्यायाधीश ने मामले की जानकारी पश्चिम बर्धमान जिला न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय को दी। न्यायाधीश को ऐसा पत्र 20 अगस्त को मिला था। आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस आयुक्तालय (एडीपीसी) ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
Five year plans और नीति आयोग
पंचवर्षीय योजना हर 5 साल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा देश के लोगों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1950 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा शुरू की गई योजना थी।
पंचवर्षीय योजना हर 5 साल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा देश के लोगों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1950 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा शुरू की गई योजना थी। यह केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम था। इस योजना के अंतर्गत अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं जारी की जा चुकी थी और 13वीं पंचवर्षीय योजना को खारिज करके नीति आयोग का निर्माण किया गया है।
पिछले 12 पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत देश में कृषि विकास, रोजगार के अवसर प्रदान करना, मानवीय व भौतिक संसाधनों का उपयोग कर उत्पादकता को बढ़ावा देना, आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया गया। पंचवर्षीय योजना को चलाने का धेय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी को जाता है।
‘ मैं तब तक आराम से नहीं बैठ सकता जब तक कि इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की न्यूनतम सुविधाएं हासिल नहीं हो जाती। एक राष्ट्र को जांचने के लिए पांच छः साल का वक्त काफी कम होता है। आप 10 साल और इंतजार कीजिए उसके बाद आप पाएंगे कि हमारी योजनाएं इस देश का नजारा ऐसे बदल देंगी कि दुनिया भौचक्की रह जाएगी।’ यह बात प्रधानमंत्री नेहरू ने पहली पंचवर्षीय योजना (1951 से 1956) के शुरू होने के 2 साल बाद 1953 में कही थी, यह बात इसलिए भी कही गई थी क्योंकि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल सहित कई आलोचकों ने एक लोकतांत्रिक रूप में भारत की सत्ता का बचा रह पाने पर, संदेह प्रकट कर दिए थे।
आजादी के आंदोलन में तपे नेता इन चुनौतियों से अनजान नहीं थे । 1946 में ही पंडित नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने केसी नियोगी की अध्यक्षता में एक सलाहकार नियोजन बोर्ड बना दिया था। इसने अपनी रिपोर्ट में योजना आयोग बनाने का सुझाव दिया था जिसको सरकार ने 15 मार्च 1950 को अपनी सहमति दे दी और यह संस्था वजूद में आ गई।
प्रधानमंत्री नेहरू के पंचवर्षीय योजना को लाने का प्रमुख कारण सोवियत संघ की 4 वर्षीय योजना और उसकी सफलता थी जिसने नेहरू जी को प्रभावित किया। इसलिए उन्होंने इसी तर्ज पर 1 अप्रैल 1951 से देश में इस योजना की शुरूआत कर दी। इस योजना के अध्यक्ष प्रधानमंत्री थे अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री पदेन सदस्य थे। तब से चल रही इस योजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12वीं योजना के बाद रोक दिया है। यह सिलसिला 12 योजनाओं सहित 7 वार्षिक योजनाओं से मिलकर बना था।
पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई थी जबकि, दूसरी (1956 से 1961) में औद्योगिक क्षेत्रों को। इन 5 वर्षों में दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), भिलाई (छत्तीसगढ़) और राउरकेला (उड़ीसा) में स्पात संयंत्र की स्थापना की गई।
तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961 से 1966) में पहले से तय की गई विकास की गति को, और आगे बढ़ाने का लक्ष्य था। लेकिन इस दौरान देश को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ा 1962 में चीन का हमला, इसके 2 साल बाद नेहरू का निधन, और फिर 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी, जिसके कारण या योजना पूरी तरह से विफल रही।
1966 में चौथी पंचवर्षीय योजना की शुरुआत ना करके 1959 तक तीन वार्षिक योजनाएं चलाई गई। इन वार्षिक योजनाओं के दौरान ही हरित क्रांति की शुरुआत हुई, जिसकी वजह से देश न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ बल्कि दूसरे देश को अनाज निर्यात करने की स्थिति में आ गया।
चौथी पंचवर्षीय योजना (1969 से 1974) में तेजी से विकास दर हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया था। पहले 2 वर्षों तक स्थिति अच्छी थी, परंतु उसके बाद बिजली संकट, मंहगाई के साथ बांग्लादेश शरणार्थी की समस्या और 1971 में पाकिस्तान विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर के साथ एक और युद्ध ने इस योजना की गति को पीछे धकेल दिया। इसके बाद पंचवर्षीय योजना को 1974 में शुरू किया गया , पर मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी सरकार ने इसे 1978 में खत्म कर दिया और इसकी जगह 6 साल की अनवरत योजना (रोलिंग प्लान) की शुरुआत की गई। लेकिन 1980 में श्रीमती गांधी के सत्ता में वापसी करने पर तत्काल रुप से इसे रद्द कर , फिर से पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की गई।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980 से 1985) में गरीबी और क्षेत्रीय विषमता को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था। जिसके सकारात्मक प्रभाव मिले । इसके बाद सातवीं पंचवर्षीय योजना 1985 से 1990 आई । इसके तहत खाद्यान्न उत्पादन और रोजगार के अवसरों में तेजी लाने की बात कही गई थी, विकास दर की दृष्टि से यह योजना भी सफल रही थी।
1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार बनने से पंचवर्षीय योजना पर एक बार फिर से रोक लगा दिया गया। जिसके स्थान पर 1990 से 1992 के बीच 2 आर्थिक योजनाएं चलाई गई। यह वह वक्त था जब भारत विदेशी मुद्रा संकट की वजह से आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। लेकिन राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आई और आर्थिक सुधारों के साथ आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992 से 1997) की शुरुआत की गई , जिसके सकारात्मक विकास दर प्राप्त हुए।
नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997 से 2002) लाई गई जिसमें सामाजिक न्याय के साथ विकास का मुद्दा तय किया गया । इस पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत विकास दर का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया । जिसके बाद दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002 से 2007) में 8 फीसद के साथ तय लक्ष्य की जगह 7.2 फीसद और 11वीं योजना 2007 से 2012 में 7.7 फीसद विकास दर हासिल की जा सकी।
2012 में 12वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की गई जिसमें दीर्घकालीन समावेशी विकास और आठ फ़ीसदी जीडीडी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया । इस योजना की अवधि 31 मार्च 2017 को खत्म हो गई इस योजना के भी सकारात्मक विकास दर प्राप्त हुए।
वैसे तो 2017 में 13वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत को जानी चाहिए थी जिसके अंतर्गत पुस्तकें क्लासरूम आदि दुरुस्त किया जाना था। रिमेडियल क्लासेस के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के कमजोर विद्यार्थियों को अलग से पढ़ाए जाने की योजना आदि शामिल थी। पर 2014 में आई नए मोदी सरकार ने पंचवर्षीय योजना को हाशिए पर धकेलना शुरू कर दिया था। और जनवरी 2015 में मोदी सरकार ने इस योजना आयोग को खत्म कर एक नीति आयोग का गठन कर, नए रूप में योजना बनाने का काम शुरू किया।
नीति आयोग(नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफारमिंग इंडिया) पं. जवाहरलाल नेहरू के युग में शुरू की गई योजना आयोग का 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आप्रतिस्थापन है। नेहरू काल में शुरू किए गए योजना आयोग ने भारत के पंचवर्षीय विकास की योजना को कई सालों तक लागू किया। भारत में भाजपा सरकार ने वर्षों पुरानी योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग रख दिया है।
साथ में इस आयोग की कार्यप्रणाली में भी एक बड़े स्तर पर बदलाव किया गया है। इस नई संस्था को थिंक-टैंक के रूप में वर्णित किया गया है। इस आयोग का प्राथमिक कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है ताकि सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो।
नीति आयोग किस प्रकार योजना आयोग से भिन्न है : नीति आयोग ने लोगों के विकास के लिए नीति बनाने के लिए विकेन्द्रीयकरण (सहकारी संघवाद) को शामिल किया है। इसके आधार पर केंद्र के साथ राज्य भी योजनाओं को बनाने में अपनी राय रख सकेंगे। इसके अंतर्गत योजना निचले स्तर पर स्थित इकाइंयों गांव, जिले, राज्य, केंद्र के साथ आपसी बातचीत के बाद तैयार की जाएगी। इसका उद्देश्य जमीनी हकीकत के आधार पर योजना बनाना होगा।
उपर्युक्त बातों से स्पष्ट हो जाता है कि जितनी भी पंचवर्षीय योजनाएं थी उनमें से कुछ योजनाओं को छोड़कर देखा जाए तो पंचवर्षीय योजनाओं का लाभ तो हुआ है। पर उस मात्रा में नहीं जिस मात्रा में इस योजना का प्रारंभ किया गया था। अगर जानकार की बात माने तो किसी भी योजना या नीति के लिए पंचवर्षीय योजना की जगह ले पाना कतई आसान नहीं होगा। हां ,लेकिन प्रायोगिक तौर पर इसे नकारा भी नहीं जा सकता और उनका विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर यह भी मानना है कि भारत की विकास की इमारत आज जो इतनी बड़ी दिख रही है, वह दरअसल इन योजनाओं की बुनियाद पर खड़ी है जिसने भारत जैसे विकासशील देशों को एक मार्ग प्रदान किया है। नीति आयोग के बारे में आगे के वर्षों में पता चलेगा कि यह कितना सफल हो पाया है।
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नई दिल्ली, Tuesday 15-11-2022 08:57:22pm
लैंडिंग से पहले तूफ़ान में फंसा स्पाइसजेट का विमान, कई यात्री घायल
नई दिल्ली: स्पाइसजेट की मुंबई-दुर्गापुर उड़ान को हवाईअड्डे पर उतरते समय रविवार को गंभीर वायुमंडलीय विक्षोभ का सामना करना पड़ा। इस दौरान उसमें सवार कम से कम 17 यात्री घायल हो गए। घायल यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ यात्रियों को सिर में चोटें आई हैं। उन्हें टांके लगे हैं। एक यात्री को स्पाइनल इंजरी भी हुई है। बताया जा रहा है कि इस घटना में तीन केबिन क्रू भी घायल हुए हैं।
आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक, 14 यात्री और 3 केबिन क्रू स्टॉफ घायल हुए हैं। वहीं बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच होगी। डायरेक्टर (एअर सेफ्टी) एचएन मिश्रा इस मामले की जांच करेंगे।
स्पाइसजेट के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘एक मई को स्पाइसजेट का बोइंग बी737 विमान मुंबई से दुर्गापुर की उड़ान एसजी-945 संचालित करने के दौरान हवाईअड्डे पर उतर रहा था, तभी उस समय गंभीर वायुमंडलीय विक्षोभ का सामना करना पड़ा, जिसके चलते दुर्भाग्यवश कुछ यात्रियों को चोटें आईं।''
प्रवक्ता ने बताया कि विमान के दुर्गापुर में उतरने पर तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई। उन्होंने कहा, ‘‘स्पाइसजेट इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर खेद व्यक्त करता है और वह घायलों को हरंसभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा रहा है।''