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आवर्स ट्रेडिंग क्या है

आवर्स ट्रेडिंग क्या है
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST

हॉलीडे सीजन में सेल्स ग्रोथ कम रहने के अनुमान से Amazon के शेयर 13% फिसले

माना जा रहा है कि पीक सीजन के दौरान इस बार एमेजॉन की सेल्स ग्रोथ सबसे कम रहेगी। एमेजॉन के दूसरे बिजनेसेज का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं है

एमेजॉन की वेब सर्विसेज, क्लाउड कंप्यूटिंग डिवीजन और एडवर्टाइजिंग यूनिट की रेवेन्यू ग्रोथ तीसरी तिमाही में उम्मीद के मुकाबले कम रही है।

Amazon.com के शेयरों में गुरुवार को बड़ी गिरावट आई। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने अपनी सेल्स की ग्रोथ सिर्फ 2-8 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। कंपनी का कहना है कि मुश्किल आर्थिक हालात को देखते हुए ग्राहक कम खरीदारी कर रहे हैं। इसका असर कंपनी की सेल्स पर पड़ेगा।

इस वजह से एक्सटेंडेड ट्रेडिंग आवर्स में एमेजॉन के शेयर करीब 13 फीसदी गिर गए। माना जा रहा है कि पीक सीजन के दौरान इस बार एमेजॉन की सेल्स ग्रोथ सबसे कम रहेगी। आम तौर पर पीक सीजन में ज्यादा ऑर्डर की डिलीवरी करने में कंपनी के वेयरहाउस एंप्लॉयीज को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उधर, एमेजॉन के दूसरे बिजनेसेज का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं है।

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एमेजॉन की वेब सर्विसेज, क्लाउड कंप्यूटिंग डिवीजन और एडवर्टाइजिंग यूनिट की रेवेन्यू ग्रोथ तीसरी तिमाही में उम्मीद के मुकाबले कम रही है। कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर Brian Olsavsky ने गुरुवार को कहा, "हम चीजों को ठीक करने के लिए कदम उठा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि कंपनी कुछ बिजनेसेज में हायरिंग रोक देगी।

उन्होंने यह भी कहा कि एमेजॉन उन इलाकों में भी अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की मौजूदगी में कमी लाएगी, जहां अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। कंपनी दूसरे इलाकों में अपने पैसे खर्च करेगी। कोरोना की महामारी के दौरान कंपनी की सेल्स में उछाल देखने को मिला था। लेकिन, फिर से बिक्री सुस्त पड़ने लगी है।

दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर को इस साल ई-कॉमर्स की ग्रोथ में सुस्ती देखने को मिली है। इसकी वजह यह है कि ग्राहक फिर से कोरोना से पहले जैसी खरीदारी कर रहे हैं। इस वजह से एमेजॉन ने वेयरहाउस ओपन करने में देरी की है। उसने हायरिंग रोक दी है। उसने एक्सपेरिमेंटल प्रोजेक्ट्स पर भी ब्रेक लगा दिए हैं। कुछ इनवेस्टर्स को उम्मीद थी कि अमेरिका और यूरोप में कंपनी की दमदार बाजार हिस्सेदारी, इसके लॉजिस्टिक्स बिजनेस के बड़े आकार और कॉस्ट में कमी से एमेजॉन पर ग्राहकों के खर्च घटाने का असर नहीं पड़ेगा।

लेकिन, ऐमजॉन के सेल्स ग्रोथ कम रहने की आशंका जताने के बाद यह साफ हो गया है कि ग्राहकों के खर्च में कमी करने का असर कंपनी पर पड़ना तय है। इससे पहले Alphabet और Microsoft जैसी दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों के नतीजे भी निराशाजनक रहे हैं। आगामी 'शॉपिंग सीजन' कैसा रहेगा, इस सवाल के जवाब में Olsavsky ने कहा कि एमेजॉन हॉलीडे को लेकर पॉजिटिव है, लेकिन हमें पता है कि अभी लोगों के वॉलेट्स पर कई चीजों का असर पड़ रहा है।

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इस वजह से एक्सटेंडेड ट्रेडिंग आवर्स में एमेजॉन के शेयर करीब 13 फीसदी गिर गए। माना जा रहा है कि पीक सीजन के दौरान इस बार एमेजॉन की सेल्स ग्रोथ सबसे कम रहेगी। आम तौर पर पीक सीजन में ज्यादा ऑर्डर की डिलीवरी करने में कंपनी के वेयरहाउस एंप्लॉयीज को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उधर, एमेजॉन के दूसरे बिजनेसेज का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं है।

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उन्होंने यह भी कहा कि एमेजॉन उन इलाकों में भी अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की मौजूदगी में कमी लाएगी, जहां अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। कंपनी दूसरे इलाकों में अपने पैसे खर्च करेगी। कोरोना की महामारी के दौरान कंपनी की सेल्स में उछाल देखने को मिला था। लेकिन, फिर से बिक्री सुस्त पड़ने लगी है।

दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर को इस साल ई-कॉमर्स की ग्रोथ में सुस्ती देखने को मिली है। इसकी वजह यह है कि ग्राहक फिर से कोरोना से पहले जैसी खरीदारी कर रहे हैं। इस वजह से एमेजॉन ने वेयरहाउस ओपन करने में देरी की है। उसने हायरिंग रोक दी है। उसने एक्सपेरिमेंटल प्रोजेक्ट्स पर भी ब्रेक लगा दिए हैं। कुछ इनवेस्टर्स को उम्मीद थी कि अमेरिका और यूरोप में कंपनी की दमदार बाजार हिस्सेदारी, इसके लॉजिस्टिक्स बिजनेस के बड़े आकार और कॉस्ट में कमी से एमेजॉन पर ग्राहकों के खर्च घटाने का असर नहीं पड़ेगा।

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Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम

Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम Gold ETF is better or sovereign gold bond know very useful information before investing

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST

Gold ETF vs sovereign gold bond - India TV Hindi

Photo:INDIA TV Gold ETF vs sovereign gold bond

Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर आवर्स ट्रेडिंग क्या है आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।

दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश आवर्स ट्रेडिंग क्या है की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।

किसे खरीदना-बेचना आसान

गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच नहीं सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।

डीमैट अकाउंट की जरूरत?

गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।

निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम

साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।

किस पर कितना ब्याज

साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।

ब्रोकरेज चार्ज

गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।

टैक्स का बोझ

अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। अगर तरलता आवर्स ट्रेडिंग क्या है की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं है। लेकिन सॉवरेन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा।

Gold ETF Dhanteras 2022: गोल्ड ईटीएफ सोने में निवेश करने का एक सुविधाजनक तरीका

Gold ETF Dhanteras 2022: गोल्ड ईटीएफ सोने में निवेश करने का एक सुविधाजनक तरीका

शुभ अवसरों पर सोना खरीदने की परंपरा हमेशा से भारतीय परंपरा का हिस्सा रही है और इस फेस्टिव सीजन में भारतीय परिवार एक बार फिर फेस्टिव सीजन में गोल्ड की खरीदारी के लिए बाहर निकलने लगे हैं। एक भारतीय निवेशक के रूप में सोने के खरीदारों के पास कई प्रकार के सोने के प्रोडक्ट खरीदकर आवर्स ट्रेडिंग क्या है इसमें निवेश करने के मौके होते हैं। उपलब्ध सभी विकल्पों या प्रोडक्ट्स में से खरीदार को यदि गहनों की आवश्यकता नहीं है, तो जो विकल्प आवर्स ट्रेडिंग क्या है जो सबसे अधिक उम्दा है और जो सबसे बढ़िया निवेश विकल्प के रूप में सामने आता है वह है गोल्ड ईटीएफ।
गोल्ड ईटीएफ गोल्ड बुलियन में निवेश करना फिजिकल मेटल में निवेश करने जितना ही अच्छा है, लेकिन इसे इलेक्ट्रोनिक रूप में म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसा रखा जाता है, जो एक डीमैट खाते में संग्रहीत होते हैं। गोल्ड ईटीएफ की प्रत्येक यूनिट बहुत उच्च शुद्धता के फिजिकल गोल्ड जैसी होती है। हर दूसरे ईटीएफ की तरह, गोल्ड ईटीएफ भी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग और ट्रेडिंग होती है। इसलिए, कोई भी व्यक्ति किसी भी समय गोल्ड ईटीएफ को आसानी से खरीद और बेच सकता है। इसलिए, यदि आप निवेश के दृष्टिकोण से सोना खरीदना चाह रहे हैं, तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। पोर्टफोलियो आवंटन के नजरिए से भी, गोल्ड ईटीएफ बेहतर स्थिति में हैं।

गोल्ड ईटीएफ की खूबियां

45 रुपए में निवेश शुरू: निवेशक गोल्ड ईटीएफ में कम से कम 45 रुपए में निवेश शुरू कर सकते हैं, जो कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट की कीमत है। इसलिए, एक निवेशक को सोने में निवेश करने के लिए बड़ी रकम जमा करने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है, जो अक्सर फिजिकल सोना खरीदने के मामले में होता है।
अफोर्डेबिलिटी: फिजिकल सोने की खरीद, स्टोरेज और बीमा की तुलना में निवेश की लागत अपेक्षाकृत कम आवर्स ट्रेडिंग क्या है है।
विश्वसनीयता: गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5 फीसदी शुद्धता या इससे अधिक शुद्धता वाला सोना खरीदना है।

कम खर्च: फिजिकल सोने के निवेश की तुलना में ईटीएफ गोल्ड से जुड़े खर्च काफी कम हैं, क्योंकि इसमें कोई मेकिंग चार्ज नहीं जुड़ा है। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेन्स रेशीयो 0.5 फीसदी है, जो गोल्ड ईटीएफ में सबसे सस्ता है।

लिक्विडिटी: गोल्ड ईटीएफ को किसी भी समय एक्सचेंज पर रीयल टाइम एनएवी पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान किसी की आवश्यकता के अनुसार एक यूनिट से बेचा जा सकता है। नतीजतन, यह आभूषणों, सिक्कों या बारों को बेचने की तुलना में अधिक आसान है।

कोलेटरल: ईटीएफ लोन के लिए कोलेटरल के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। टैक्स बचाने वाला: गोल्ड ईटीएफ को यदि तीन साल से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इससे अर्जित आय को लांग टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाता है। यह सोना रखने के लिए एक टैक्स बचाने का कुशल तरीका है।


निवेशक को इन बातों से सावधान रहना चाहिए
ईटीएफ की कीमतें फिजिकल गोल्ड की कीमतों के जैसे बढ़ती या घटती हैं। नतीजतन, गोल्ड ईटीएफ को सोने की कीमत से लाभ उठाने के लिए एक टूल के रूप में सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है। यानी निवेशक वास्तविक संपत्ति खरीदे बिना सोने में निवेश के लाभों को हासिल कर सकता है। इसे बेचने पर निवेशक को नकद प्राप्त होता है न कि फिजिकल गोल्ड। वास्तव में, गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से किसी निवेशक को सस्ती कीमत पर और सुरक्षित संभव तरीके से गोल्ड के संपर्क में आने का आश्वासन दिया जा सकता है। इसके अलावा, जब ईटीएफ के माध्यम से निवेश किया जाता है, तो किसी की आवश्यकता के अनुसार छोटे लॉट में यूनिट्स को जमा करने या बेचने की सुविधा होती है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते समय, एक निवेशक के पास सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश करने या एकमुश्त निवेश का विकल्प चुनने का विकल्प होता है। इसलिए इसे खरीदने वाले को इसकी शुद्धता, रखने की परेशानी आदि के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए, इस त्योहारों के मौसम में गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने का विकल्प चुनकर अपने निवेश पोर्टफोलियो में चमक बढ़ाने का काम करें।

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