क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार

भारत में क्या है क्रिप्टो का खेल, सरकार करेगी कंट्रोल, सदन में आ रहा है क्रिप्टोकरेंसी बिल
हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. अब इसी कड़ी में सरकार एक ऐसा बिल लाने वाली है जो क्रिप्टोकरेंसी को कंट्रोल कर सकेगा. केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) लेकर आने वाली है. इससे सभी प्रकार की क्रिप्टकरेंसी को कंट्रोल किया जा सकेगा.
प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 24 नवंबर 2021,
- (Updated 24 नवंबर 2021, 12:25 PM IST)
केंद्र सरकार Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021 लेकर आने वाली है.
शीतकालीन सत्र में पेश होगा नया बिल
पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर हो रहा है विचार
पिछले 4-5 साल से क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को लेकर चर्चा तेज हुई है, इसे एक ऐसी करेंसी के रूप में देखा जाता है जिसके ऊपर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. जैसे यूएस डॉलर को यूएस का सेंट्रल बैंक कंट्रोल करता है, भारतीय रुपये को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया कंट्रोल करता है, ऐसे ही बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी को कोई सेंट्रल बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन कंट्रोल नहीं करता है. अब इसी को लेकर भारत सरकार चिंता में है.
हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. अब इसी कड़ी में सरकार एक ऐसा बिल लाने वाली है जो क्रिप्टोकरेंसी को कंट्रोल कर सकेगा. केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) लेकर आने वाली है. इससे सभी प्रकार की क्रिप्टकरेंसी पर बैन लगाया जा सकेगा.
18 नवंबर को भी सिडनी डायलॉग में भाषण देते हुए, पीएम मोदी ने सभी देशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि क्रिप्टोकरेंसी “गलत हाथों में न जाये.”
शीतकालीन सत्र क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार में पेश होगा नया बिल
केंद्र सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने और 25 अन्य कानूनों के साथ सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के लिए एक विधेयक पेश करेगी.
क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल को अभी तक आधिकारिक तौर पर कैबिनेट द्वारा अप्रूव नहीं किया गया है. इस बिल के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक देश में आधिकारिक डिजिटल करेंसी के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करेगा.
पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर हो रहा है विचार
सेंट्रल बैंक जल्द ही ऑफिशियल डिजिटल करेंसी के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर विचार कर रहा है. लोकसभा बुलेटिन में प्रस्तुत किये गए इस नए बिल के अनुसार, बिल भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करेगा. हालांकि, इसमें कुछ अपवाद के चलते क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग में लाई जाने वाली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
हालांकि, अब तक, इस विधेयक के बारे में ज्यादा जानकारी किसी को नहीं है. अभी तक इसकी कोई सटीक रूपरेखा पब्लिक डोमेन में नहीं है और न ही इसपर अभी कोई सार्वजनिक परामर्श किया गया है.
बिटकॉइन की कीमत पहुंची 60 हजार डॉलर के पास
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को लेकर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है. इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन की कीमत, 60,000 डॉलर के आसपास पहुंच गयी है. इस साल की शुरुआत से इसकी कीमत दोगुनी से अधिक हो गई है, जो इन्वेस्टर्स को काफी आकर्षित कर रही है.
देश में इस वक्त 1.5 से 2 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स
दरअसल, कई लोग जहां क्रिप्टो करेंसी को इन्वेस्टमेंट के रूप में प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग इसे अल्टरनेटिव करेंसी (Alternative currency) के रूप में लेते हैं. इंडस्ट्री का अनुमान है कि भारत में 1.5 करोड़ से 2 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स हैं, जिनकी कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स लगभग ₹40,000 करोड़ रुपये तक है.
दुनिया की बन रही है पहली बिटकॉइन सिटी
आज लाखों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि जिस तरह से हम सोने का उपयोग करेंसी के रूप में करते हैं ठीक उसी तरह क्रिप्टो का कर पाएंगे. हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आपको बता दें, वर्तमान में, एल साल्वाडोर अकेला ऐसा देश है जिसने क्रिप्टोकुरेंसी को कानूनी मान्यता दी है, उन्होंने हाल ही में दुनिया की पहली बिटकॉइन सिटी बनाने की भी घोषणा की है.
सेटलमेंट गाइड : जानिए, क्रिप्टोकरेंसी क्या है और क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए
क्रिप्टोकरेंसी का नाम अपने ज़रूर सुना होगा लेकिन हो सकता है इसके बारे में आपको ज़्यादा जानकारी न हो। आज सेटलमेंट गाइड के इस अंश में हम समझेंगे कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी है क्या और क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए।
मुख्य बातें :
- क्रिप्टोकरेंसी बाइनरी कोड से बने डिजिटल टोकन का एक रूप है।
- क्रिप्टोकरेंसी अनियमित हैं जिसका अर्थ है कि वह किसी भी प्राधिकरण, बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा नियंत्रित नहीं की जाती।
- कुछ क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए आप न्यूनतम से शून्य लेनदेन शुल्क के साथ एटीएम से पैसे भी निकाल सकते हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए स्कैमर्स लोगों को बरगला सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी की 2000 के दशक में शुरुआत हुई और साइबर स्पेस में अपनी पहचान बनाने वाला पहला सिक्का था बिटकॉइन। कथित तौर क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार पर, इसे सतोशी नाकामोतो ने बनाया था, जो एक व्यक्ति या कोई समूह हो सकता है लेकिन आज तक उसकी पहचान कभी सामने नहीं आई है।
डिजिटल मुद्रा क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर काम करती है, जहां डेटा की मदद से कोड द्वारा एक टोकन बनाया जाता है जो एक दूसरे से जुड़े ब्लॉकों में संग्रहीत होता है। इस प्रणाली को ब्लॉकचेन तकनीक के रूप में जाना जाता है।
ब्लॉकचेन तकनीक का आविष्कार 1980 के दशक में हुआ था। यह तकनीक पैसे को ट्रैक करने में कुशल साबित हुई है और इसने क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में काम कर रहे लोगों के बीच विश्वास हासिल कर लिया।
आपको बता दें कि एक क्रिप्टोकरेंसी कोई भी बना सकता है और इस प्रकार की करेंसी हजारों की तादाद में साइबर स्पेस में पाई जा सकती हैं। लेकिन इसमें कुछ सबसे लोकप्रिय हैं जैसे बिटकॉइन, एथेरियम और लिटकोइन।
As an employee in a business you shouldn't be using company computing time to earn cryptocurrency and that may lead to dismissal. Source: Getty Images
इन सिक्कों का उपयोग व्यापार, खरीद, भुगतान प्रणाली और निवेश के लिए किया जाता है।
बिटकॉइन जैसी कुछ क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए आप बहुत कम लेनदेन शुल्क के साथ एटीएम से पैसे भी निकाल सकते हैं
क्रिप्टोकरेंसी के साथ लाभ कमाने की बात आती है तो संभावनाएं अनंत होती हैं।
किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो निवेश क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार में नया है और लाभ कमाने का एक आसान तरीका ढूंढ रहा है, उसे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना आसान लग सकता है लेकिन बड़े फायदे जोखिम के साथ आते हैं। क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर में अनियंत्रित हैं, जिसका अर्थ है कि
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ब्लॉकचेन तकनीक इस तरह से बनाई गई है कि निवेशक सिक्कों के लेनदेन को विनियमित करने और बदलाव करने क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं और यही क्रिप्टोकरेंसी को अविश्वसनीय बना सकता है। अब क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी का कोई नियामक निकाय नहीं है, इसलिए कई निवेशकों ने इसमें घोटालों के कारण बड़ी रकम भी खोई है।
घोटालों और फ़िशिंग घोटालों से धोखा देना आसान है और ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी कंपनियों को भी वैध दिखने वाले स्कैमर ने भारी नुक्सान पहुंचाया है। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले सावधान रहे और अधिक जानकारी के लिए www.
The blockchain technology was invented in the 1980s and has been proven to be a very reliable method of maintaining data. Source: Getty Images
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भास्कर एक्सप्लेनर: क्रिप्टोकरेंसी पर नहीं लगेगा पूर्ण प्रतिबंध, नए सिरे से नियम बनाएगी सरकार; जानें इस डिजिटल करेंसी के बारे में सबकुछ
केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी यानी डिजिटल करेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने के मूड में नहीं है। देश में क्रिप्टोकरेंसी के चलन के लिए सरकार नए सिरे से नियम बनाएगी। इसके लिए सरकार एक्सपर्ट के नए पैनल का गठन कर सकती है। इससे पहले भी सरकार ने एक्सपर्ट पैनल का गठन किया था। यह पैनल सरकार को अपनी सिफारिशें दे चुका है। आइए आपको बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है और अभी देश में इसको लेकर क्या नियम-कानून हैं.
क्या हैं एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशें?
केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने 2019 में अपनी सिफारिशों में क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। सरकार का मानना है कि सुभाष गर्ग की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशें पुरानी हो गई हैं। अब क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाए नए सिरे से नियम बनाने की जरूरत है।
क्या करेगी नई कमेटी?
नई कमेटी क्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाले ब्लॉकचेन की तकनीक में बढ़ोतरी की संभावना तलाश करेगी। साथ ही कमेटी क्रिप्टो को करेंसी के बजाए डिजिटल असेट्स के रूप में रेगुलेट करने के लिए सुझाव देगी। इस कमेटी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रस्तावित डिजिटल रुपए के संचालन के तौर-तरीकों पर स्टडी करने के लिए भी कहा जा सकता है। हालांकि, अभी नए कमेटी के गठन का प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
क्या हैं वित्त मंत्रालय की तैयारियां?
वित्त मंत्रालय देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की बढ़ती संख्या पर नजर रखे हुए है। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े संभावित जोखिमों को लेकर मंत्रालय सभी हितधारकों के संपर्क में है। हाल ही में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्रिप्टो और बैंकिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ बैठक की थी। अनुराग ठाकुर ने कहा था कि कमेटी में शामिल किए जाने वाले लोगों के नामों पर विचार चल रहा है। कमेटी में विपक्षी दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हुए डेवलपमेंट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनकी टीम इस महीने के अंत तक जानकारी दे सकती है।
डिजिटल करेंसी को लेकर सरकार की तैयारी?
देश में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियम बनाने के लिए सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 तैयार किया था। इस बिल को संसद के बजट सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों से अभी तक इसे पेश नहीं किया जा सका है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बिल को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। यह ड्राफ्ट बिल गर्ग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है। मौजूदा बिल में देश में क्रिप्टोकरेंसी असेट्स रखना आपराधिक बनाया गया है।
RBI की डिजिटल करेंसी को लेकर तैयारी?
इसी साल 25 जनवरी को RBI ने पेमेंट सिस्टम को लेकर एक बुकलेट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि RBI नई डिजिटल करेंसी या रुपए के डिजिटल वर्जन को क्रिप्टोकरेंसी का दर्जा देने की संभावनाएं तलाशेगा। इसी साल लोकसभा बुलेटिन में कहा गया था कि क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 के जरिए भारत की ऑफिशियल डिजिटल करेंसी का रास्ता तैयार किया जाएगा। इसके लिए RBI फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी होती है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है। दुनिया में इस वक्त 4 हजार से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। बिटकॉइन इनमें सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। हर बिटकॉइन ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है। जो डिसेंट्रलाइज तरीके से अलग-अलग यूजर्स द्वारा किया जाने वाला रिकॉर्ड मेंटेनेंस सिस्टम है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियम
देश में क्रिप्टोकरेंसी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसको लेकर देश में कोई कानून या गाइडलाइंस नहीं है। 2018 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें RBI ने सभी वित्तीय संस्थानों से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में RBI की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार हो रहा है। सरकार ने 2019 में भी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने और इसको आपराधिक बनाने के लिए बिल तैयार किया था। हालांकि, यह बिल संसद में पेश नहीं हो पाया था।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
- 1983 में सबसे पहले अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविड चाम ने ई-कैश (ecash) नाम से क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी बनाई थी।
- 1995 में डिजिकैश के जरिए इसे लागू किया गया।
- इस पहली क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी को किसी बैंक से नोटों के रूप में विड्रॉल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी।
- यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एनक्रिप्टेड था। सॉफ्टवेयर के जरिए क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी प्राप्त करने वाले को एनक्रिप्टेड-की यानी खास प्रकार की चाभी दी जाती थी।
- इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैसा जारी करने वाला बैंक, सरकार या अन्य थर्ड पार्टी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं कर पाते थे।
- 1996 में अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम के बारे में बताने वाला एक पेपर पब्लिश किया।
- 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के वर्चुअल निर्माता ने बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनाई। इसके बाद ही क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाभर में लोकप्रियता मिली।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वेबसाइट के जरिए इनकी खरीद की जा सकती है। इसके लिए पहले एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। फिर बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान कर क्रिप्टोकरेंसी की यूनिट खरीद सकते हैं। ग्राहक को अपने देश के नियम-कानून ध्यान में रखने होते हैं। अलग-अलग एक्सचेंज कमीशन के रूप में कुछ चार्ज लेते हैं। ग्राहक क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रख सकते हैं।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है। यह वर्चुअल माइनिंग होती है जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है। इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है। इसलिए सैद्धांतिक तौर पर कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी बना सकता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से देखें तो इसे बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
Cryptocurrency पर सरकार का आया बड़ा बयान, निवेशक हो जाएं सावधान!
सोमनाथन ने कहा कि जिस प्रकार सोना और हीरा मूल्यवान होने के बावजूद वैध मुद्रा नहीं है, निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं होंगी।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 03, 2022 19:43 IST
Photo:FILE
Highlights
- सोना और हीरा मूल्यवान होने के बावजूद वैध मुद्रा नहीं है, निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं बनेगी
- कानून के हिसाब से वैध मुद्रा का मतलब है कि उसे कर्ज के निपटान में स्वीकार किया जाएगा
- देश में क्रिप्टो मुद्रा के लिये नियम बनाने को लेकर विचार-विमर्श जारी है
नई दिल्ली। वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने गुरुवार को क्रिप्टोकरेंसी की वैधता को लेकर चीजें साफ करते हुए कहा कि निजी डिजिटल मुद्रा कभी भी कानूनी मुद्रा नहीं बनेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह संसद में पेश 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन पर होने वाले लाभ को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया। साथ ही एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने की भी घोषणा की।
निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं बनेगी
सोमनाथन ने कहा कि जिस प्रकार सोना और हीरा मूल्यवान होने के बावजूद वैध मुद्रा नहीं है, निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं होंगी। उन्होंने कहा,‘क्रिप्टो कभी भी वैध मुद्रा नहीं होगी। कानून के हिसाब से वैध मुद्रा का मतलब है कि उसे कर्ज के निपटान में स्वीकार किया जाएगा। भारत किसी भी क्रिप्टो संपत्ति को वैध मुद्रा नहीं बनाएगा। केवल भारतीय रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपया ही देश में वैध मुद्रा होगा। दुनिया में केवल अल-सल्वाडोर ने ही पिछले साल सितंबर में बिटकॉइन को वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया है। किसी भी अन्य देश में क्रिप्टो को वैध मुद्रा का दर्जा नहीं मिला है। देश में क्रिप्टो मुद्रा के लिये नियम बनाने को लेकर विचार-विमर्श जारी है। लेकिन अब तक कोई मसौदा जारी नहीं किया गया है।
कानून लाने पर व्यापक विचार-विमर्श
इस बीच, केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा अगले वित्त वर्ष से परिचालन में आएगी। यह पूछे जाने पर कि संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो संपत्ति के नियमन को लेकर विधेयक लाने की बात संसद के कामकाज में शामिल थी लेकिन मौजूदा बजट सत्र में ऐसा नहीं है, सोमनाथन ने कहा, यह महसूस किया गया कि क्रिप्टो पर कानून लाने से पहले इस पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है। इस विचार-विमर्श का मकसद इस बात पर गौर करना है कि क्या इसके लिये नियमन की जरूरत है। वित्त सचिव ने कहा, हमारी व्यवस्था लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र में सरकार कुछ शुरू करती है लेकिन फिर प्रतिक्रिया होती है। सरकार उस प्रतिक्रिया को सुन रही है और उसके आधार अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया है। इस बीच, चूंकि क्रिप्टो और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन लगातार बढ़ रहा था, अत: कर स्पष्टता की जरूरत थी।
ब्लॉग: डिजिटल करेंसी का स्वागत कीजिए
डिजिटल करेंसी के पीछे क्रिप्टोकरेंसी का जोर है. क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णत: बाहर है. इस करेंसी को बनाने का उद्देश्य था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है. लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय हो जाती है.
ब्लॉग: डिजिटल करेंसी का स्वागत कीजिए
Highlights डिजिटल करेंसी एक नंबर होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर रख सकते हैं. कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करेंसी जारी करने का मन बनाया है. डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती है.
भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करने पर विचार कर रहा है. डिजिटल करेंसी हमारे नोट की तरह ही होती है. अंतर यह होता है कि यह कागज पर छपा नोट नहीं होता है बल्कि यह एक नंबर मात्र होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर संभाल कर रख सकते हैं.
उस नंबर को किसी के साथ साझा करते ही उस नंबर में निहित रकम सहज ही दूसरे व्यक्ति के पास पहुंच जाती है.
डिजिटल करेंसी के पीछे क्रिप्टोकरेंसी का जोर है. क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णत: बाहर है. इस करेंसी को बनाने का उद्देश्य था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है. लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय हो जाती है.
जैसे यदि आप 100 रुपए के नोट से वर्तमान में 5 किलो गेहूं खरीद सकते हैं तो महंगाई तेजी से बढ़ने के बाद उसी 100 रुपये के नोट से आप केवल 1 किलो गेहूं खरीद पाएंगे. इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए इन इंजीनियरों ने क्रिप्टोकरेंसी का आविष्कार किया जिससे कि बैंकों द्वारा नोट अधिक छापे जाने से उनकी क्रिप्टो करेंसी की कीमत पर कोई प्रभाव न पड़े.
केंद्रीय बैंकों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी का विरोध तीन कारणों से किया जा रहा है. पहला यह कि अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर निकलने को हो जाती है. जैसे यदि देश में महंगाई अधिक हो रही है और रिजर्व बैंक ने मुद्रा के प्रचलन को कम किया तो क्रिप्टो करेंसी का चलन बढ़ सकता है और सरकार की नीति फेल हो सकती है.
दूसरा विरोध यह है कि क्रिप्टो करेंसी फेल हो सकती हैं. जैसे यदि कम्प्यूटर का नंबर हैक हो जाए अथवा क्रिप्टोकरेंसी बहुत भारी संख्या में बनाई जाने लगे तो आज जिस बिटकॉइन को आप ने एक लाख रुपए में खरीदा वह कल पांच हजार रुपए की हो सकती है.
तीसरा विरोध यह कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग आपराधिक गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है. इसलिए यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है और अर्थव्यवस्था सही चल रही है तो क्रिप्टोकरेंसी उसे अस्थिर बना सकती है.
दूसरी तरफ यदि बैंक गैर जिम्मेदार है जैसे महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है तो क्रिप्टोकरेंसी लाभप्रद हो जाती है. उस परिस्थिति में व्यापार करना कठिन हो जाता है.
आज आपने किसी व्यापारी से एक बोरी गेहूं का सौदा एक हजार रुपये में किया. कल उस एक हजार रुपये की कीमत आधी रह गई. बेचने वाले ने सौदे से इंकार कर दिया. आप यह सौदा क्रिप्टोकरेंसी में करते तो यह कठिनाई नहीं आती.
अत: यदि केंद्रीय बैंक द्वारा बनाई गई मुद्रा अस्थिर हो तो क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से व्यापार सुचारु रूप से चल सकता है. यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है तो क्रिप्टोकरेंसी अस्थिरता पैदा करती है लेकिन यदि केंद्रीय बैंक गैर जिम्मेदार है तो क्रिप्टोकरेंसी लाभप्रद हो सकती है.
इस स्थिति में कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करेंसी जारी करने का मन बनाया है. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में समानता यह है कि दोनों एक नंबर होते हैं जो आपके मोबाइल में रखे जा सकते हैं. लेकिन क्रिप्टो करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी गुमनाम नहीं होती है.
रिजर्व बैंक द्वारा इसे उसी तरह जारी किया जाएगा जैसे नोट छापे जाते हैं. इसलिए डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती है.
नोट छापने की तरह केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी भी भारी मात्रा में जारी कर महंगाई पैदा कर सकती है. लेकिन फिर भी मुद्रा को सुरक्षित रखने में डिजिटल करेंसी मदद करती है क्योंकि आपको नोटों को आग, पानी और चोरों से बचाना नहीं है.
यदि कभी आप अपनी करेंसी का नंबर भूल जाएं अथवा आपका मोबाइल चोरी हो जाए तो आपकी पहचान करके उसे वापस प्राप्त करने की व्यवस्था की जा सकती है.
मेरा मानना है कि डिजिटल करेंसी का हमें स्वागत करना चाहिए भले यह केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना आचरण से हमारी रक्षा नहीं करती है. केंद्रीय बैंक के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को इस प्रकार के तकनीकी आविष्कारों से नहीं रोका जा सकता है.
उसे ठीक करने का कार्य अंतत: राजनीति का है और उस व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए. पर डिजिटल करेंसी के माध्यम से नोट को छापने और रखने का खर्च कम होता है और आपस में लेनदेन भी सुलभ हो सकता है इसलिए हमें डिजिटल करेंसी का स्वागत करना चाहिए.