व्यापारिक विदेशी मुद्रा

या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है

या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है

बड़े काम की है सुकन्या समृद्धि स्कीम, जानिए योजना से जुड़े सभी सवालों के जवाब

यह योजना 10 साल तक की बेटियों के लिए है, जिस पर वित्‍त वर्ष 2019-20 के तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) लिए सरकार 8.4 फीसदी का ब्‍याज मिल रहा है.

खाते में बच्‍ची के पैरेंट्स या कोई भी परिवार का सदस्य पैसे जमा करा सकता है.

बच्‍चों के भविष्‍य की जरूरतों को पूरा करने के लिए तमाम तरह की योजनाएं हैं. इनमें से एक है ‘सुकन्‍या समृद्धि योजना’. यह योजना 10 साल तक की बेटियों के लिए है, जिस पर वित्‍त वर्ष 2019-20 के तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) लिए सरकार 8.4 फीसदी का ब्‍याज मिल रहा है. इसे इनकम टैक्‍स की धारा 80सी के अंतर्गत रखा गया है. इस खाते में जमा की गई रकम, मिलने वाले ब्‍याज और मैच्‍योरिटी पर मिलने वाली राशि टैक्‍स फ्री होती है. इनकम टैक्‍स बचाने के लिए इस खाते में आप अधिकतम डेढ़ लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं. जानिए योजना के फायदे.

कैसे खुलता है सुकन्‍या समृद्धि अकाउंट
यह खाता 10 वर्ष तक की बच्चियों के नाम खुलवाया जा सकता है. आप यह खाता तभी खुलवा सकते हैं, जब आप बच्‍ची के प्राकृतिक या कानूनन अभिभावक हों. आप एक बेटी के नाम एक ही खाता खुलवा सकते हैं. कुल मिलाकर आप दो बेटियों के नाम यह खाता खुलवा सकते हैं, लेकिन अगर दूसरी बच्‍ची के जन्‍म के समय आपको जुड़वां बेटी होती है तो आप तीसरा खाता भी खुलवा सकते हैं. यही नियम तीन बच्‍चे एक साथ पैदा होने पर लागू होता है अगर तीनों बच्चियां हैं.

न्‍यूनतम और अधिकतम जमा की राशि
सुकन्‍या समृद्धि खाते में आप शुरू में 1,000 रुपए और उसके बाद 100 रुपए के गुणकों में पैसे जमा करवा सकते हैं. एक फाइनेंशियल ईयर में खाते में अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा कराए जा सकते हैं. खाता खोलने की तारीख से 14 साल बाद तक आप पैसे जमा करवा सकते हैं. फाइनेंशियल ईयर में एक बार न्‍यूनतम 1,000 रुपए जमा कराना जरूरी है. अगर आप न्‍यूनतम राशि जमा नहीं करवाते हैं तो आपको 50 रुपए की पेनाल्‍टी देनी होगी.

खाते में कौन जमा करा सकता है पैसे
खाते में बच्‍ची के पैरेंट्स या कोई भी परिवार का सदस्य पैसे या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है जमा करा सकता है. इस खाते पर मिलने वाला ब्‍याज सालाना जुड़ता है. मतलब, पहले साल मिला ब्‍याज मूलधन में जुड़ जाएगा और अगले साल ब्‍याज पर ब्याज यानी कंपाउंडिंग इंट्रस्ट का भी फायदा मिलेगा. जब तक बच्‍ची 10 साल की नहीं हो जाती तब तक उसके पैरेंट्स ही खाते को ऑपरेट करेंगे. उसके बाद वह खुद भी अकाउंट ऑपरेट कर सकती है. खाता खुलने पर एक पासबुक दी जाएगी, जो बैंक या पोस्‍ट ऑफिस में पैसे जमा करवाते समय या ब्‍याज चढ़वाते समय पेश करनी होगी. मैच्योरिटी के समय, खाता बंद करवाते समय भी पासबुक की जरूरत होगी.

कितना मिल रहा है ब्‍याज
सुकन्‍या समृद्धि खाते पर मिलने वाला ब्‍याज सरकार हर साल तय करती है. हालांकि, यह तिमाही आधार पर तय किया जाता है. लेकिन, खाते में इसे सालाना क्रेडिट किया जाता है. साल 2019-20 के लिए फिलहाल ब्‍याज 8.4 फीसदी है.

अकाउंट कब होगा मैच्‍योर
बच्‍ची के 18 साल के होने से पहले आप खाते से पैसे नहीं निकाल सकते. उसके 21 वर्ष के होने पर सुकन्‍या समृद्धि खाता मैच्‍योर हो जाएगा. बच्‍ची के 18 वर्ष के हो जाने पर आंशिक निकासी की सुविधा मिलती है. मतलब, बच्‍ची के 18 वर्ष के होने पर 50 फीसदी तक राशि निकाल सकते हैं. अगर दुर्भाग्‍यवश, बच्‍ची की मृत्‍यु हो जाती है तो खाता तुरंत बंद हो जाएगा और खाते में जमा रकम पैरेंट्स को सौंप दी जाएगी. इस अकाउंट का ट्रांसफर भारत में कहीं भी करवाया जा सकता है.

खाता खुलवाने की प्रक्रिया
पोस्‍ट ऑफिस या किसी बैंक की किसी भी ब्रांच में सुकन्‍या समृद्धि अकाउंट खुलवाया जा सकता है. इसके लिए बच्‍ची का बर्थ सर्टिफिकेट और अन्‍य डॉक्‍युमेंट जैसे आइडेंटिटी और रेजिडेंस प्रूफ देना होता. अकाउंट में पैसा चेक, कैश या डिमांड ड्राफ्ट से जमा हो सकता है. इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा भी है.

इनकम टैक्‍स में मिलने वाला लाभ
सुकन्‍या समृद्धि अकाउंट धारा 80सी के दायरे में रखा गया है. इसलिए इस खाते में एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपए तक की सेविंग पर इनकम टैक्स छूट मिलती है.

सुकन्‍या समृद्धि योजना, पीपीएफ और चाइल्‍ड म्‍युचुअल फंड की तुलना
सुकन्‍या समृद्धि योजना, पीपीएफ और चाइल्‍ड म्‍युचुअल फंडों की तुलना रिटर्न, लिक्विडिटी और टैक्‍सेशन के आधार पर कर यह जानते हैं कि कौन सी योजना आपके लिए फायदेमंद हो सकती है.

आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा

डॉलर

रूस और भारत के आर्थिक संबंधों में भरोसा इस क़दर बढ़ रहा है कि रूस से दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी के चेयरमैन ने भारत से व्यापार में यहां की मुद्रा रुपया से लेन-देन की घोषणा की है. यानी भारत और रूस रुपये और रूबल में व्यापार करेंगे.

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने वीटीबी बैंक के चेयरमैन एंड्र्यू कोस्टिन का बयान छापा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि रूसी बैंक रुपए और रूबल में व्यापार करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को इस तरह की व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे अपनी ही मुद्रा में कारोबार हो सके.

एंड्र्यू ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो महज़ दो सालों में अच्छे नतीजे आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्रा में व्यापार से द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होंगे.

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कोस्टिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भारत दौरे पर आए थे. भारत और रूस या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है में 2025 तक वार्षिक व्यापार 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने पर सहमति बनी है.

वित्त मंत्रालय और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया तेल के आयात में रुपए और तेल के बदले अन्य सामान देने के विकल्प तलाश रहे हैं. भारत रूस, ईरान और वेनेज़ुएला की ओर इसे लेकर देख रहा है. कहा जा रहा है, भारत वेनेज़ुएला को दवाइयों की आपूर्ति के बदले तेल ले सकता है.

इसके साथ ही वाणिज्य मंत्रालय ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया से चीन के साथ भी रुपए और यूआन में कारोबार करने के विकल्प को आज़माने के लिए कहा है. भारत ऐसा विदेशी मुद्रा डॉलर और यूरो की बढ़ती क़ीमतों और उसकी कमी से निपटने के लिए करना चाहता है.

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भारत-रूस रुपये और रूबल में व्यापार करने को तैयार हैं

दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर

एक डॉलर की तुलना में रुपया 75 के क़रीब पहुंच गया है. रुपए का मूल्य कम होता है तो आयात बिल बढ़ जाता है और इससे व्यापार घाटा बढ़ता है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी ज़रूरत का 60 फ़ीसदी तेल मध्य-पूर्व से आयात करता है.

भारत ने 2017-18 में रूस से 1.2 अरब डॉलर का कच्चा तेल और 3.5 अरब डॉलर के हीरे का आयात किया था. रूस भारत से चाय, कॉफ़ी, मिर्च, दवाई, ऑर्गेनिक केमिकल और मशीनरी उपकरण आयात करता है. दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय कारोबार 30 अरब डॉलर तक करने का फ़ैसला किया है.

2017-18 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 10.7 अरब डॉलर का था. रूस के साथ भारत का वार्षिक व्यापार घाटा 6.5 अरब डॉलर का है.

अमरीकी मुद्रा डॉलर की पहचान एक वैश्विक मुद्रा की बन गई है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर और यूरो काफ़ी लोकप्रिय और स्वीकार्य हैं. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 फ़ीसदी अमरीकी डॉलर होते हैं.

ऐसे में डॉलर ख़ुद ही एक वैश्विक मुद्रा बन जाता है. डॉलर वैश्विक मुद्रा है यह उसकी मज़बूती और अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त का प्रतीक है.

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इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 करंसी हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मुद्राओं का इस्तेमाल अपने देश के भीतर ही होता है. कोई भी मुद्रा दुनिया भर में किस हद तक प्रचलित है यह उस देश की अर्थव्यवस्था और ताक़त पर निर्भर करता है.

दुनिया की दूसरी ताक़तवर मुद्रा यूरो है जो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 19.9 फ़ीसदी है.

ज़ाहिर है डॉलर की मज़बूती और उसकी स्वीकार्यता अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त को दर्शाती है. कुल डॉलर के 65 फ़ीसदी डॉलर का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है.

दुनिया भर के 85 फ़ीसदी व्यापार में डॉलर की संलिप्तता है. दुनिया भर के 39 फ़ीसदी क़र्ज़ डॉलर में दिए जाते हैं. इसलिए विदेशी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है.

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डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है

1944 में ब्रेटन वुड्स समझौते के बाद डॉलर की वर्तमान मज़बूती की शुरुआत हुई थी. उससे पहले ज़्यादातर देश केवल सोने को बेहतर मानक मानते थे. उन देशों की सरकारें वादा करती थीं कि वह उनकी मुद्रा को सोने की मांग के मूल्य के आधार पर तय करेंगे.

न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स में दुनिया के विकसित देश या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है मिले और उन्होंने अमरीकी डॉलर के मुक़ाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया. उस समय अमरीका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था. इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी.

1970 की शुरुआत में कई देशों ने डॉलर के बदले सोने की मांग शुरू कर दी थी, क्योंकि उन्हें मुद्रा स्फीति से लड़ने की ज़रूरत थी. उस समय राष्ट्रपति निक्सन ने फ़ोर्ट नॉक्स को अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर दिया.

तब तक डॉलर दुनिया की सबसे ख़ास सुरक्षित मुद्रा बन चुका था.

दुनिया की एक मुद्रा की बात उठी

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मार्च 2009 में चीन और रूस ने एक नई वैश्विक मुद्रा की मांग की. वे चाहते हैं कि दुनिया के लिए एक रिज़र्व मुद्रा बनाई जाए 'जो किसी इकलौते देश से अलग हो और लंबे समय तक स्थिर रहने में सक्षम हो, इस प्रकार क्रेडिट आधारित राष्ट्रीय मुद्राओं के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को हटाया जा सकता है.'

चीन को चिंता है कि अगर डॉलर की मुद्रा स्फीति तय हो जाए तो उसके ख़रबों डॉलर किसी काम के नहीं रहेंगे. यह उसी सूरत में हो सकता है जब अमरीकी कर्ज़ को पाटने के लिए यू.एस. ट्रेज़री नए नोट छापे. चीन ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से डॉलर की जगह नई मुद्रा बनाए जाने की मांग की है.

2016 की चौथी तिमाही में चीन की यूआन दुनिया की एक और बड़ी रिज़र्व मुद्रा बनी थी. 2017 की तीसरी तिमाही तक दुनिया के केंद्रीय बैंक में 108 अरब डॉलर थे. यह एक छोटी शुरुआत है, लेकिन भविष्य में इसका बढ़ना जारी रहेगा.

इसी कारण चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में व्यापार के लिए पूरे तरीक़े से इस्तेमाल हो. यह ऐसा होगा जैसे डॉलर की जगह यूआन को वैश्विक मुद्रा के रूप या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है में इस्तेमाल किया जाए. इसके लिए चीन अपनी अर्थव्यवस्था को सुधार रहा है.

NRI भारत लौटने पर ऐसे खोल सकते हैं फॉरेन करेंसी अकाउंट

आरएफसी अकाउंट में पैसा विदेशी मुद्रा में रखा जाता है.

foreign currency account

क्या है पात्रता?
अनिवासी भारतीय कुछ शर्तों के साथ आरएफसी अकाउंट खुलावा सकते हैं. शर्त यह है कि उन्हें विदेशी संस्थान से रिटायर होने की प्रक्रिया में विदेशी मुद्रा मिली हो. या फिर एनआरआर्इ रहते हुए उन्होंने एसेट खरीदा हो, जिसकी रकम वह देश में ट्रांसफर करना चाहते हों. या विदेश में रहने वाले व्यक्ति से उन्हें गिफ्ट मिला हो.

कैसे खुलता है खाता?
आरएफसी अकाउंट खोलने के लिए अधिकृत बैंक में इससे जुड़ा फॉर्म भरना होगा. बताए गए स्रोतों या एनआरई या एफसीएनआर खातों से इसमें फंड ट्रांसफर किए जा सकते हैं.

किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?
भरे हुए फॉर्म के साथ एनआरआई रह चुके व्यक्ति को खुद से सत्यापित किए हुए निम्नलिखित दस्तावेजों को जमा करना होगा:

-मौजूदा पासपोर्ट
-एक्सपायर हो चुका वर्क परमिट/एंप्लॉयमेंट वीजा
-भारत में मौजूदा पते का प्रमाण

भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) के मामले में अतिरिक्त दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है:
-पीआईओ या ओसीआई कार्ड या
-खुद/जीवनसाथी/दादा-दादी का पुराना भारतीय पासपोर्ट
- निर्धारित फॉर्म में पीआईओ के लिए सेल्फ-डेक्लेरेशन
-भारतीय वर्क वीजा या रेजिडेंट वीजा

किन बातों का रखें ध्यान
1. आरएफसी अकाउंट ज्वाइंट होल्डर के साथ खोला जा सकता है. ज्वाइंट होल्डर का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
2. इस बात पर कोई बंदिश नहीं है कि कब कोई आरएफसी अकाउंट खोले. बशर्ते व्यक्ति ऊपर दिए गए मानदंडों को पूरा करता हो.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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यूएसडी / जेपीवाई विदेशी मुद्रा जोड़ी को व्यापार करने का सबसे अच्छा समय

सिर्फ इसलिए कि वैश्विक विदेशी मुद्रा ( विदेशी मुद्रा ) बाजार 24 घंटे खुला रहता है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन सभी घंटों में से प्रत्येक व्यापार के लायक है। अमेरिकी डॉलर / जापानी येन (यूएसडी / जेपीवाई) व्यापार में कुछ घंटे हैं जो दिन के व्यापार के लिए स्वीकार्य हैं क्योंकि वहाँ लाभ उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त अस्थिरता है जो प्रसार और / या की लागत से अधिक होने की संभावना है आयोगों। लेकिन सबसे अच्छा दिन व्यापारी व्यापार करने के लिए सिर्फ "स्वीकार्य घंटे" नहीं चाहते हैं; वे दिन के सर्वश्रेष्ठ घंटों का व्यापार करना चाहते हैं - वे जो अपने हिरन के लिए सबसे अच्छा धमाका करते हैं। कुशल होने के लिए और सबसे बड़े इंट्राडे चाल दिन व्यापारियों पर कब्जा करने के लिए, व्यापारियों को केवल दिन के विशिष्ट घंटों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

दुनिया भर में ट्रेडिंग सत्रों के दौरान गतिविधि

वैश्विक समय क्षेत्र के अंतर के कारण, सप्ताह के दौरान हमेशा कहीं न कहीं व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा बाजार खुला रहता है। रविवार की रात (U.S.) में, एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई बाजार पहले खुले, जिससे व्यापार सुगम हुआ। फिर यूरोप खुलता है। फिर उत्तरी अमेरिका। इसलिए हमेशा व्यापारी, बैंक या व्यवसाय चौबीसों घंटे व्यापार करने को तैयार रहते हैं।

सभी वैश्विक बाजार सक्रिय रूप से सभी विदेशी मुद्रा जोड़े या मुद्राओं का व्यापार नहीं करते हैं। इसलिए, विभिन्न विदेशी मुद्रा जोड़े दिन के अलग-अलग समय पर व्यापारिक गतिविधि को काम पर रखते हैं।

जब लंदन व्यापार के लिए खुला होता है, तो यूरो (EUR), ब्रिटिश पाउंड (GBP) और स्विस फ्रैंक (CHF) शामिल करने वाले जोड़े अधिक सक्रिय रूप से कारोबार करते हैं। जब न्यूयॉर्क व्यापार के लिए खुला होता है, तो अमेरिकी डॉलर (यूएसडी) और कैनेडियन डॉलर (सीएडी) को शामिल करने वाले जोड़े अधिक सक्रिय होते हैं।

यूएसडी / जेपीवाई युग्मन इस संबंध में थोड़ा अजीब है। येन और अमेरिकी डॉलर अत्यधिक कारोबार वाली मुद्राएं हैं, इसलिए यह जोड़ी आम तौर पर दिन भर में अपेक्षाकृत स्थिर कार्रवाई देखती है, जिसमें अस्थिरता के साथ कुछ चोटियां और कुंड हैं। सत्र समय पर दिखाए जाते हैं विदेशी मुद्रामार्केट उपकरण , जो ग्रीनविच मीन टाइम में चूक करता है। आप इसके बजाय अपने समय क्षेत्र (या अपने विदेशी मुद्रा दलाल के समय क्षेत्र) का चयन कर सकते हैं।

ध्यान दें कि डेलाइट सेविंग टाइम के कारण शिफ्ट है। उत्तरी गोलार्ध में गर्म महीनों के दौरान, न्यूयॉर्क और लंदन के लिए व्यापारिक घंटे एक घंटे आगे बढ़ते हैं। जब दिन के उजाले की बचत समय के चारों ओर घूमती है, यदि आप इस बारे में अनिश्चित हैं कि बाजार कब खुले और बंद हों, तो पुष्टि के लिए बाज़ार के घंटों के उपकरण की जाँच करें।

यूएसडी / जेपीवाई से बचने के लिए टाइम्स

प्रति घंटा अस्थिरता चार्ट दिखाता है कि कितने पिप्स एक येन के सैकड़ों - दिन के प्रत्येक घंटे में यूएसडी / जेपीवाई जोड़ी चलती है।

मूल्य आंदोलन गतिविधि दिन के बहुत से अपेक्षाकृत स्थिर है, हालांकि अस्थिरता में ध्यान देने योग्य बूंदों के साथ अवधि होती है। उन कम-अस्थिरता के समय के दौरान दिन के व्यापार से बचें क्योंकि यदि आप व्यापार करते हैं, तो पाइप आंदोलन को फैलाने और / या कमीशन के लिए क्षतिपूर्ति करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है जो आप व्यापार करने के लिए भुगतान करेंगे।

इस जोड़ी में ट्रेडिंग 21:00 GMT और टोक्यो 00:00 GMT पर खुली है, इसलिए यह दिन-व्यापार के लिए आदर्श नहीं है। जैसा कि टोक्यो में हवा या विदेशी मुद्रा बाजार कब खुलता है चलती है और लंदन खुलने से पहले, यह जोड़ी 03:00 और 05:00 के बीच अस्थिरता में एक और गिरावट देखती है। व्यापार से बचने के लिए यह एक और समय है।

औसत दैनिक अस्थिरता समय के साथ बदलती है, लेकिन कम से कम अस्थिरता के वे घंटे आमतौर पर नहीं बदलते हैं। यह जांचने के लिए कि क्या दिन के अन्य समय असामान्य रूप से कम या उच्च-अस्थिरता दिखा रहे हैं, पर अस्थिरता के आंकड़ों को देखें Mataf . एक अद्यतन चार्ट के लिए एक मुद्रा जोड़ी पर क्लिक करें।

यह देखने के लिए कि एक विशिष्ट दिन में एक विदेशी मुद्रा जोड़ी कितने पिप्स चलती है, एक औसत वास्तविक सीमा (एटीआर) लागू करें सूचक एक दैनिक चार्ट के लिए। यदि एटीआर 15 पर सेट है, तो एटीआर पिछले 15 दिनों में औसत दैनिक अस्थिरता दिखाएगा।

यूएसडी / जेपीवाई को डे-ट्रेड करने के लिए आदर्श टाइम्स

यदि आप 12:00 और 15:00 GMT के बीच USD / JPY का व्यापार करने में सक्षम हैं। इस अवधि के दौरान लंदन और न्यूयॉर्क दोनों खुले हैं। भले ही टोक्यो खुला नहीं है, तीन घंटे की यह खिड़की आम तौर पर दिन की सबसे बड़ी कीमत है। (कभी-कभी अस्थिरता एक घंटे के लिए, 16:00 तक, चार घंटे की खिड़की के लिए उच्च रहती है।) इसका अर्थ है अधिक लाभ क्षमता, और फैलता इस समय के दौरान आम तौर पर सबसे अधिक तंग किया जाता है।

नीचे की रेखा 12:00 से 15:00 के बीच कारोबार कर रही है और USD / JPY के व्यापार में आपकी दक्षता को अधिकतम करती है। यह अवधि अक्सर तैनात करने के सबसे अधिक अवसर प्रदान करती है व्यापारिक पूंजी , क्योंकि बढ़ी हुई अस्थिरता व्यापार के अधिक अवसर प्रदान करती है।

कभी-कभी ऐसे समय भी हो सकते हैं जो एक समय में हफ्तों या महीनों के लिए अच्छे आकार की चालें पैदा करते हैं। माताफ पर नियमित रूप से अस्थिरता के आंकड़ों की जांच करें कि दिन के कौन से समय सबसे अधिक सक्रिय हैं। चूंकि घड़ी के आसपास यूएसडी / जेपीवाई सक्रिय रूप से कारोबार किया जाता है, ऐसे में कुछ अन्य समय भी हो सकते हैं जिनका आप लाभ उठा सकते हैं।

व्यापार के लिए अन्य मुद्रा जोड़े

यदि आप यूएसडी / जेपीवाई में सबसे अधिक सक्रिय समय के दौरान व्यापार नहीं कर सकते हैं, तो अन्य जोड़े जैसे कि यूरो / यू.एस. को देखें। डॉलर ( यूरो / अमरीकी डालर ) या ब्रिटिश पाउंड / यू.एस. डॉलर ( GBP / अमरीकी डालर ), जो आपके लिए बेहतर अवसर प्रदान कर सकता है।

Arthaat

अर्थार्थ
साख बचे तो (आर्थिक) सेहत जाए? ताज मिले तो ताकत जाए? एक रहे तो भी कमजोर और बिखर गए तो संकट घोर?? बिल्कुल ठीक समझे आप, हम पहेलियां ही बुझा रहे हैं, जो दुनिया की तीन सबसे बड़ी मुद्राओं अर्थात अमेरिकी डॉलर, चीन का युआन और यूरो (क्रमश:) से जुड़ी हैं। दरअसल करेंसी यानी मुद्राओं की पूरी दुनिया ही पेचीदा उलटबांसियों से मुठभेड़ कर रही है। व्यापार के मैदान में अपनी मुद्रा को कमजोर करने की जंग यानी करेंसी वार का बिगुल बजते ही एक लंबी ऊहापोह बाजार को घेर को बैठ गई है। कोई नहीं जानता कि दुनिया की रिजर्व करेंसी का ताज अमेरिकी डॉलर के पास कब तक रहेगा? युआन को कमजोर रखने की चीनी नीति पर कमजोर डॉलर कितना भारी पड़ेगा? क्या माओ के उत्तराधिकारियों की नई पीढ़ी युआन को दुनिया की रिजर्व करेंसी बनाने का दांव चलेगी? यूरो का जोखिम कितना लंबा खिंचेगा। क्या दुनिया में अब कई रिजर्व करेंसी होंगी? दुनिया के कुछ हिस्से आठवें दशक के लैटिन अमेरिका की तरह दर्जनों विनिमय दरों का अजायबघर बन जाएंगे? . सवालों की झड़ी लगी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार असमंजस में नाखून चबा रहा है।
दुविधा का नाम डॉलर
विश्व के करीब 60 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडारों में भरा ताकतवर अमेरिकी डॉलर ऊहापोह की सबसे बड़ी गठरी है। अमेरिकी नीतियों ने डॉलर को हमेशा ताकत की दवा दी ताकि अमेरिकी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति महंगाई से महफूज रहे। मजबूत डॉलर, सस्ते आयात व नियंत्रित मुद्रास्फीति अमेरिका के मौद्रिक प्रबंधन की बुनियाद है। सस्ते उत्पादन और अवमूल्यित मुद्रा के महारथी चीन ने इसी नीति का फायदा लेकर अमेरिकी बाजार को अपने उत्पादों से पाटकर अमेरिका को जबर्दस्त व्यापार घाटे का तोहफा दिया है। सस्ते आयात को रोकने के लिए विश्व व्यापार में डॉलर को प्रतिस्पर्धात्मक रखना अमेरिकी नीति का दूसरा पहलू है। अलबत्ता 1980-90 में जापान ने इसे सर के बल खड़ा किया था और अब चीन इसे दोहरा रहा है। इस अतीत को पीठ पर लादे विश्व की यह सबसे मजबूत रिजर्व करेंसी अब तक की सबसे जटिल चुनौतियों से मुकाबिल है। जीडीपी के अनुपात में 62 फीसदी विदेशी कर्ज (अमेरिकी बांडों में विदेशी निवेश) अमेरिका के भविष्य पर
कालिख पोत रहा है। इसका तुरत-फुरत इलाज तो कमजोर डॉलर व ऊंची मुद्रास्फीति है ताकि कर्ज का वास्तविक मूल्य घट जाए, जबकि इस का स्थायी इलाज तेज निर्यात, आर्थिक वृद्धि और बेहतर राजस्व से निकलेगा। दोनों ही स्थितियों में कमजोर डॉलर पहली शर्त है और यहीं से अमेरिका के लिए दुविधा का दरवाजा खुलता है। डॉलर की कमजोरी का नुस्खा रिजर्व करेंसी के तौर पर दुनिया में डॉलर की साख खत्म कर देगा, क्योंकि एक कमजोर व गिरती मुद्रा पर कोई भी अपने विदेशी मुद्रा भंडारों का शामियाना नहीं बांधेगा। कमजोर डॉलर अमेरिकी बांडों की कीमत में गिरावट, निवेश रणनीतियों में उलटफेर, जिंस बाजार में तेजी जैसे दुष्चक्र शुरू कर सकता है, जिससे अमेरिका की बीमारी और बढ़ सकती है। अमेरिका को डॉलर की ताकत और घरेलू अर्थव्यवस्था की सेहत के बीच में एक को चुनना है। यही चुनाव दुनिया के मुद्रा बाजार का नया नक्शा बनाएगा, क्योंकि दुनिया की अन्य मुद्राएं डॉलर को देखकर अपने पैंतरे तय करेंगी।
ऊहापोह का युआन व्यापार बाजार के नए सूरमा की उलझन भी कम दिलचस्प नहीं है। कमजोर डॉलर चीन की दो ट्रिलियन डॉलर ( विदेशी मुद्रा भंडार) की मेहनत पर पानी फेरने लगा है। इन डॉलरों का ठिकाना तो अमेरिकी बांड ही हैं, जिनकी कीमत गिरते ही चीन को अपनी कमाई बेकार लगने लगेगी। विदेशी मुद्रा भंडार की कीमत घटना चीन के लिए एक बड़ा राष्ट्रीय नुकसान है। इसलिए डॉलर बटोरने पर दुविधा लाजिमी है। हालांकि डॉलर को टूटता देख विश्व नई रिजर्व करेंसी के लिए युआन पर दांव लगा सकता है, मगर इसी बिंदु से चीन के लिए असमंजस के अंधेरे की शुरुआत हो जाती है। घटते डॉलर की मार से अपने विदेशी मुद्रा खजाने को बचाने और दुनिया की रिजर्व करेंसी बनने का दांव लगाने के लिए चीन को अपने युआन में ताकत भरनी होगी। जबकि चीन में तो डॉलरों के ढेर से लेकर तेज विकास तक सारा करिश्मा इसी कमजोर युआन का है। यानी मजबूत युआन का मतलब है निर्यात व आर्थिक विकास के फायदों से समझौता। चीन के लिए फैसला करना आसान नहीं है, क्योंकि उसका समाधानडॉलर की दुविधाओं का भविष्य तय करेगा। अगर युआन मजबूत हुआ तो अमेरिका सहित बहुतों की समस्याओं का हल मिल जाएगा है। इनमें पिछले बीस साल में चार बार मंदी झेलने वाला जापान भी है, जो निर्यात बढ़ाने के लिए येन को कमजोर करना चाहता है यानी कि युआन की मजबूती से जापान का पुनरोद्धार भी निकलेगा।
दोराहे पर यूरो
रिजर्व करेंसी की संभावनाओं और उम्मीदों के साथ जन्मा यूरो का कुनबा इसे रखने या छोडऩे के असमंजस में फंसा है। यूरोप की 16 बेमेल (फ्रांस, जर्मनी जैसी बड़ी और साइप्रस व माल्टा जैसी छोटी) अर्थव्यवस्थाओं ने यूरो के फायदे कितने बांटे यह तो पता नहीं, लेकिन संकट बहुत कायदे से बंटा और पूरे यूरोप की रीढ़ कांप गई। ग्रीस, पुर्तगाल, स्पेन को देख यूरोपीय मुद्रासंघ ने सख्ती के शिकंजे कसे हैं, लेकिन जर्मनी, फ्रांस जैसे दिग्गज ताजा संकट से हिल गए हैं। वक्त की करवट से पता चलेगा कि फ्रांस, जर्मनी अपने मार्क फ्रैंक लेकर अलग हो जाएंगे या उनकी ताकत के सहारे यूरो बना रहेगा। इधर ब्रिटेन में ताजा कर्ज ब्रिटिश पौंड के भविष्य को भी दांव पर लगा रहा है।
दरअसल सबसे बड़ा रहस्य भावी रिजर्व करेंसी को लेकर है। डॉलर, युआन व यूरो की परस्पर विरोधी दुविधाएं मिलकर इस गुत्थी को सख्त करती जा रही हैं। पहली बड़ी लड़ाई से पहले तक दुनिया का ज्यादातर कारोबार ब्रिटिश पौंड, फ्रेंच फ्रैंक व जर्मन मार्क में होता था। कुछ वर्षों तक अमेरिकी डॉलर व पौंड ने इस ताज का साझा किया और फिर उसके बाद यूरो के आने तक अमेरिकी डॉलर अकेली प्रमुख रिजर्व करेंसी बना रहा। ताजी ऊहापोह के बाद अब दुनिया में कई रिजर्व करेंसी होने के आकलन हैं और विदेशी मुद्रा भंडारों का 40 फीसदी हिस्सा समेटे विविध मुद्राएं इन विश्लेषणों को मजबूत कर रही हैं। लेकिन यह कोई नहीं जानता कि अगर बहुसंख्य करेंसी का दौर आया तो करीब चार ट्रिलियन डॉलर के दैनिक कारोबार वाले मुद्रा बाजार को दर्जनों विनिमय दरों की अस्थिरता और कई मुद्राओं के जोखिमों से बचाने का इंतजाम क्या होगा? 1980 के दशक में लैटिन अमेरिका मुद्राओं और विनिमय दरों की एक कष्टप्रद प्रयोगशाला बन गया था, हैरत की बात नहीं कि दुनिया के किसी बड़े हिस्से में यह प्रयोगवाद फिर दोहरा दिया जाए। मुद्राओं (करेंसी) की दुनिया में इस समय असमंजस की मुद्रा बड़ी मजबूत है, शायद किसी बड़ी उथल-पुथल का इंतजार हो रहा है।

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