संपत्ति पर वापसी

निवेशकों की रकम वापसी के लिए चिटफंड कंपनियों की संपत्ति होगी कुर्क, प्रशासन ने तेज की कार्रवाई
दुर्ग। चिटफंड निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में प्रशासन ने स्थानीय चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्की करने का निर्णय लिया है। इसके लिए चिटफंड कंपनियों का चिन्हांकन कर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जिले में करीब पौने दो लाख निवेशकों की पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्ना चिटफंट कंपनियों में डूबी हुई है। इन निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा सालभर पहले आवेदन भी लिया गया है। लेकिन रकम वापसी की दिशा में कार्यवाही ढीली है।
निवेशकों की रकम वापसी को लेकर मंगलवार को कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने राजस्व अधिकारियों और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक रखी थी। जिसमें एसपी डा. अभिषेक पल्ल्व द्वारा जानकारी मुहैया कराई गई कि चिटफंड द्वारा धोखा देने वाले कंपनियों के संचालकों का चिन्हांकन कर उन पर एफआइआर दर्ज कराई जा रही है।
इस अवसर पर कलेक्टर ने उपस्थित संबंधित अधिकारियों को उन चिटफंड कंपनियों को टार्गेट करने के लिए कहा जिनकी संपत्ति राज्य के अंदर ही है ताकि उन लोगों पर शिकंजा कसकर जल्द से जल्द उनकी संपत्ति कुर्क कराकर अनुपातिक रूप से पैसा हितग्राहियों को बाटा जा सके।
उन्होंने जिले में पूर्व में कार्यरत सभी चिटफंड कंपनियों की चल व अचल संपत्तियों की गहनता से जांच करने के पुनः निर्देश दिए। इसके साथ-साथ उन्होंने तहसीलदारों को कंपनी के अभिकर्ता और अन्य स्त्रोंतों से संचालक के संपत्ति पर वापसी चल व अचल संपत्ति एकत्रित करने के निर्देश भी दिए जिससे की आगे की कार्रवाई में सुविधा हो। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को सभी दस्तावेजों की जांच सूक्ष्मता से करने के लिए कहा।
- चिटफंड कंपनियों का चिन्हांकन कर दर्ज कराई जा रही प्राथमिकी
- रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा कवायद शुरू
- निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा सालभर पहले आवेदन भी लिया गया है
निवेशकों की रकम वापसी के लिए चिटफंड कंपनियों की संपत्ति होगी कुर्क, प्रशासन ने तेज की कार्रवाई
दुर्ग। चिटफंड निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में प्रशासन ने स्थानीय चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्की करने का निर्णय लिया है। इसके लिए चिटफंड कंपनियों का चिन्हांकन कर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जिले में करीब पौने दो लाख निवेशकों की पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्ना चिटफंट कंपनियों में डूबी हुई है। इन निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा सालभर पहले आवेदन भी लिया गया है। लेकिन रकम वापसी की दिशा में कार्यवाही ढीली है।
निवेशकों की रकम वापसी को लेकर मंगलवार को कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने राजस्व अधिकारियों और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक रखी थी। जिसमें एसपी डा. अभिषेक पल्ल्व द्वारा जानकारी मुहैया कराई गई कि चिटफंड द्वारा धोखा देने वाले कंपनियों के संचालकों का चिन्हांकन कर उन पर एफआइआर दर्ज कराई जा रही है।
इस अवसर पर कलेक्टर ने उपस्थित संबंधित अधिकारियों को उन चिटफंड कंपनियों को टार्गेट करने के लिए कहा जिनकी संपत्ति राज्य के अंदर ही है ताकि उन लोगों पर शिकंजा कसकर जल्द से जल्द उनकी संपत्ति कुर्क कराकर अनुपातिक रूप से पैसा हितग्राहियों को बाटा जा सके।
उन्होंने जिले में पूर्व में कार्यरत सभी चिटफंड कंपनियों की चल व अचल संपत्तियों की गहनता से जांच करने के पुनः निर्देश दिए। इसके साथ-साथ उन्होंने तहसीलदारों को कंपनी के अभिकर्ता और अन्य स्त्रोंतों से संचालक के चल व अचल संपत्ति एकत्रित करने के निर्देश भी दिए जिससे की आगे की कार्रवाई में सुविधा हो। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को सभी दस्तावेजों की जांच सूक्ष्मता से करने के लिए कहा।
- चिटफंड कंपनियों का चिन्हांकन कर दर्ज कराई जा रही प्राथमिकी
- रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा कवायद शुरू
- निवेशकों की रकम वापसी के लिए प्रशासन द्वारा सालभर पहले आवेदन भी लिया गया है
कुल संपत्ति और ब्याज दर पर वापसी के बीच क्या अंतर है? | इन्वेस्टोपेडिया
आयकर की गणना कैसे करें पर पूरी गाइड (A complete guide on How to calculate Income tax-) (नवंबर 2022)
विषयसूची:
कुल संपत्ति पर लौटें (रोता) लाभप्रदता मीट्रिक में से एक को दर्शाता है। इसकी संपत्ति पर वापसी गणना कंपनी की आय को ब्याज और करों (ईबीआईटी) से पहले लेती है और कंपनी की कुल परिसंपत्तियों द्वारा इसे विभाजित करती है। रोटा इंगित करता है कि कंपनी अपने कुल संपत्ति का उपयोग कैसे कर सकती है, संपत्ति पर वापसी जो उसके ऋण और इक्विटी के मालिकों के लिए आय का उत्पादन करती है। दूसरी तरफ एक ब्याज दर, यह इंगित करता है कि किसी कंपनी को अपने लेनदारों के दायित्वों पर कितना भुगतान करना होगा। एक ब्याज दर राजधानी की लागत के लिए गणना का एक अभिन्न अंग है। इस प्रकार, रोता और ब्याज दर के बीच मुख्य अंतर यह है कि रोटा एक मुनाफ़ा सूचक है, जबकि ब्याज दर पूंजी सूचक की लागत है।
कुल परिसंपत्तियों पर लौटें
रोटा में अंश और दोनों में एक कंपनी की कुल परिसंपत्तियां शामिल हैं I कुल परिसंपत्तियों की समान राशि के लिए एक बड़ा ईबीआईटी यह इंगित करता है कि कंपनी मौजूदा परिसंपत्तियों से अधिक दक्षता निचोड़ सकती है। परिसंपत्तियों (आरओए) पर वापसी की गणना करने के लिए ईबीआईटी सबसे उपयुक्त लाभप्रदता मीट्रिक है; यह किसी भी अनुबंध संबंधी दायित्वों, जैसे कि ऋण और पूंजी पट्टों, से पहले कंपनी की कमाई को दर्शाता है।
ब्याज दर
एक ब्याज दर, जो कि एक प्रिंसिपल पर वार्षिक प्रतिशत की दर के रूप में व्यक्त की जाती है, एक ऐसा आरोप दर्शाती है कि कंपनी अपने कारोबार के संचालन के लिए धन उधार लेने के लिए एक ऋणदाता को भुगतान करती है। मूल्यांकन डिफ़ॉल्ट जोखिम के आधार पर, ब्याज दर उधारकर्ताओं के बीच अलग-अलग है। विश्लेषकों के मान कंपनियां जब पूंजीगत गणना की लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो ब्याज दर भी महत्वपूर्ण है।
यदि कोई कुल संपत्ति अनुपात में कुल ऋण बहुत अधिक है तो कंपनी को क्या कदम उठाने चाहिए? | इन्वेस्टमोपेडिया
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जानें कि कुल परिसंपत्ति अनुपात में कुल कर्ज एक कंपनी की शोधन क्षमता के मूल्यांकन में निवेशकों और उधारदाताओं के लिए फायदेमंद है और जहां यह कम हो सकता है
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कंपनी की वार्षिक रिटर्न और उसकी वार्षिक वापसी की गणना करने के महत्व को समझते हैं, और दोनों के बीच के मतभेदों को सीखते हैं।
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संपत्ति पर वापसी
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सामग्री का स्वामित्व और उनको अद्यतित करने की जिम्मेदारी डाक विभाग के पास है। पिछला अपडेट: 24 नवम्बर 2022