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सपोर्ट और रेजिस्टेंस

सपोर्ट और रेजिस्टेंस
Fig. 4

टेक्निकल एनालिसिस का आधार basics of technical analysis

अगर आप स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट के बारे में सब कुछ हिंदी में सीखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। आज इस पोस्ट को पढ़ने के बाद सपोर्ट और रेजिस्टेंस basics of technical analysis se जुड़े आपके हर सवाल का जवाब मिल जाएगा और अगर आप शेअर मार्केट या शेअर मार्केट में बिल्कुल नये भी हैं तो भी आप इसे अच्छे से समझ जाएंगे। टेक्निकल एनालिसिस का आधार कैसे काम करता है,टेक्निकल एनालिसिस क्या है।

Table of Contents

सप्लाई और डिमांड (Supply and Demand) :

भाव के बीच का फर्क सप्लाई और डिमांड के कारण होता है जिसके आधार पर चार्ट बनाए जाते हैं जो टेक्निकल एनालिसिस का आधार होते हैं ,अगर सप्लाई से डिमांड अधिक हो तो भाव बढ़ता है और डिमांड से सप्लाई अधिक

प्राइस ट्रेंड (Price Trend) :

भाव पर से चार्ट का निर्माण करने का मूल हेतु स्थापित होने वाले ट्रेड की शुरुआत में ही पहचानना होता है। जहां से ट्रेड जिस दिशा में स्थापित होता है उस तरह से ट्रेडिंग का अथवा निवेश का निर्णय लिया जा सकता है लोगों के मनोवैज्ञानिक अभ्यास से चार्ट पर समय अनुसार तैयार होनेवाले किसी भी रचना को पहचानने के लिए होता है ज्यादातर जब ऐसी रचनाओं का निर्माण होता है तब उनके अनुसार पुनरावर्तन हुआ दिखाई देता है जिसका फायदा लेना चाहिए।

चार्ट पर भाव किसी भी समय के संदर्भ में टॉप और बॉटम की स्थिति तैयार करता है अगर तेजी हो तो ऊंचा बॉटम और अधिक ऊंचा टॉप तैयार होता है। अगर मंदी हो तो नीचला टॉप और अधिक निचला बॉटम तैयार होता है बाजार अब साइडवेज होता है तब समतल रेंज में टॉप और बॉटम तैयार होते हैं और ट्रेंड का अभाव होता है जब तेजी स्थापित होती है तब सप्लाई से डिमांड अधिक होती है और भाव अधिक बढ़ता है।

जब मंदी स्थापित होती है तब डिमांड से सप्लाई अधिक होता है और भाव अधिक गिरता है साइडवेस बाजार में डिमांड और सप्लाई इनके बीच समतल होता है ट्रेंड की दिशा के साथ ट्रेंड को अधिक तीन विभाग में विभाजित किया जा सकता है मुख्य दीर्घ कालावधि का ट्रेंड मध्य कालावधि का ट्रेंड और कम कालावधि का ट्रेंड।

उदाहरण के रूप में फ्यूचर ट्रेडर ज्यादातर कम कालावधि के दृष्टिकोण से पोजीशन लेते हुए नजर आते हैं क्योंकि फ्यूचर हर महीने को एक्सपायर होता है जहां शेअर के विषय में ऐसा नहीं होता है।

मुख्य कालावधि का ट्रेंड किसी एक कालावधि तक स्थापित होता है मध्य कालावधि के ट्रेंड की स्थापना मुख ट्रेंड के बीच में होता है और कम कालावधी का ट्रेंड मध्य कालावधि के ट्रेंड के बीच में तैयार होता है जिसकी मदद से हम खरीदी और बिक्री के संकेत प्राप्त कर सकते हैं उदाहरण के रूप में मध्य कालावधि का ट्रेंड ऊपर हो है और कम कालावधि का ट्रेंड नीचे हो तो आपको कम भाव से खरीदी की सूचना मिलती है उसी तरह से मध्य काल अवधि की ट्रेंड नीचे हो और कम कालावधी का ट्रेंड ऊपर हो तो आपको अधिक भाव से बिक्री की सूचना मिलती है।

कई बार ट्रेंड स्थापित है यह निश्चित करने के लिए तेजी के विषय में दो लोग तैयार होने चाहिए। जिसमे दुसरा लोग पहले लोग से ऊपर स्थापित होता है और मंदी में दूसरे लोग पहले लोग से नीचे तैयार होते नजर आता है।

ये भी पढें : शेयर बाजार के नियम

सपोर्ट और रेजिस्टेंस ( Support and Resistance) :

  • यह एक ऐसा स्तर है जहां पर डिमांड इतनी मजबूत होती है कि भाव को अधिक नीचे जाने से रोकती है इस स्तर पर सप्लाई से डिमांड अधिक होती है जो भाव को अधिक नीचे रोक कर रखती है।
  • जब सपोर्ट का स्तर टूटता है तब ऐसा कहा जा सकता है कि उस समय मंदी वालों की तेजी वालों पर जीत हुई है!
  • कई बार सपोर्ट का स्तर टूटने के बाद भी जब तक भाव 1 बटा 8 भाग देकर नीचे की ओर बंद नहीं होता है तब तक राह देखनी चाहिए । जिस से वीव्हपशो से बचा जा सकता है

रेजिस्टेंस (रेजिस्टेंस) :

  • रेसिस्टेंट को सप्लाई लाइन भी कहा जा सकता है जब किसी एक स्तर पर हमेशा बिक्री होता है तब उस स्तर पर अवरोध स्थापित हो सकता है।
  • जब अवरोधों का स्तर सफलता पूर्वक पार किया जाता है तब वह अवरोध का स्तर सपोर्ट में घूमने लगता है।
  • अवरोध और सपोर्ट का फायदा उठाया जा सकता है जब कोई शेअर किसी स्थापित चैनल में एक स्तर पर अवरोध देता है और दूसरे स्तर पर सपोर्ट देता है।
  • अंग्रेजी में अवरोध को रेसिस्टेंट कहते हैं और टोच को सपोर्ट करते हैं ।
  • सपोर्ट और रजिस्टेंस का उपयोग ट्रेड पहचानने के लिए भी किया जा सकता है
  • आप यह भी देख सकते हैं कि पुराना सपोर्ट टूटने के बाद जब वह नया अवरोध बनाता है तब जब तक इस अवरोध के ऊपर के भाव नही निकल जाता है तब तक नई खरीदारी नहीं करनी चाहिए।
  • ट्रेडर और निवेशकों की अपेक्षाओं का प्रतिबिंब ऐसे स्थापित सपोर्ट और अवरोध में दिखाई देता है जब ऐसी अपेक्षाओं में बदलाव होता है तब स्थापित सपोर्ट टूटते हुए नजर आता है और अवरोध पार होते हुए नजर आता है।
  • अगर लोगों की अपेक्षा है कि भाव सुधारना चाहिए और वह उस तरह से सुधार तो स्थापित अवरोध पारहोते हुए नजर आता है।
  • बाजार का सपोर्ट अवरोध के नजदीक कैसे चलना होता है वह समझना महत्पूर्ण है।

वॉल्यूम (volume) :

  • शेयर बाजार में दिन के दरमियान जो बाय और सेल होती है उसी आधार पर अब तक कितनी ट्रेडिंग हुई है वह वॉल्यूम के आधार पर जाना जा सकता है बाजार या शेयर के भाव में दिखने वाले उतार-चढ़ाव के दरमियान वॉल्यूम महत्व का भाग होता है।
  • जब शेयर का भाव बढ़ता है और वॉल्यूम भी बढ़ता है तब अच्छा माना जाता है।
  • जब शेयर का भाव गिरता है और वॉल्यूम बढ़ता है तब वह खराब संकेत समझा जा सकता है।
  • जब शेयर का भाव गिरता है और वॉल्यूम भी गिरता है तब वह अच्छा संकेत माना जाता है।
  • जब शेयर का भाव बढ़ता है और वॉल्यूम गिरता है तब खराब संकेत माना जाता है।

नोट (Note):

ऐसा कहा जाता है कि अच्छा वॉल्यूम वाले शेयर ही खरीदने चाहिए क्योंकि ऐसे शेयर में प्रवाहित अधिक होता है कम वॉल्यूम वाले शेयर खरीदने में जोखिम होता है क्योंकि शेयर का वॉल्यूम एकदम सूख जाने का डर होता है।

ट्रेंड रेवसल (Trend Reversal) :

अगर किसी शेयर में तेजी का ट्रेंड स्थापित हुआ है और अगर करेक्शन के दरमियान व गिरकर पहले वाले एक लो भाव के नजदीक आए तो ऐसा समझना चाहिए कि आपको पूर्व संकेत मिल रहा है कि अब ट्रेंड रिवर्सल संभव हैं या फिर भाव अब तेजी में से साइडवेज़ हो सकता है अगर स्थापित सपोर्ट टूटा तो ट्ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है उसी तरह से तेजी की बढ़ोतरी पहले वाले टॉप के भाव को पार करने में असफल हुई तो भी समझना चाहिए कि ट्रेंड अब बदल सकता है।

डायवर्जेंस ( Divergence):

शेअर का भाव जब कोई दिशा पकड़कर आगे बढ़ता है या गिरता है तब एक का स्तर ऐसा आता है जहां पर भाव बढ़ता है परंतु उसके साथ ही शेयर का भाव अधिक गिरता है और किसी सूचक के स्तर में गिरावट न होकर सुधरता है तब शेयर का भाव और उसके सूचक के दरमियान डायवर्जन आया ऐसा कहा जा सकता है।

इसमें सकारात्मक या नकारात्मक डायवर्जन को जांच कर शेयर के भाव में जल्द ही काम कालावधि में आने वाले बढ़ोतरी और गिरावट का संकेत हासिल किया जा सकता है।

Whipsaw:

ऐसा कई बार नजर आता है कि सभी टेक्निकल संकेत मिलने के बाद जल्द ही उसके विपरीत चाल नजर आती है ऐसा होता है तब विपशाव हुआ ऐसा कहा जाता है ।समझने की बात तो यह है कि लोग चार्ट देखते हैं पर उसके आधार पर संकेत मिलते ही कन्फर्मेशन मिलने के बिना ही खुद जाते हैं ऐसे लोग कई बार फस जाते हैं ऐसा नहीं हो इसलिए आपको संकेत मिलने के बाद कंफर्मेशन पर आधार रखना चाहिए अर्थात सपोर्ट या अवरोध अथवा ब्रेकआउट आने के बाद बाद स्थापित होने की राह देखनी पड़े तो भले थोड़े रुपए अधिक देकर शेयर खरीदने या थोड़े कम भाव से बेचने पड़े पर उसमें फंसने की संभावना नहीं के बराबर होता है।

रिस्पेक्ट (Respect) :

जब भाव किसी स्थापित एवरेज पर या किसी ट्रेंड लाइन पर सपोर्ट या अवरोध बनाता है तब आप ऐसा कह सकते हैं कि भाव ने इस स्तर का आदर्श रिस्पेक्ट किया एक महत्वपूर्ण घटना समझी जा सकती है क्योंकि आपको संकेत मिलता है की भाव ट्रेंड कर रहा है।

निष्कर्ष :

मैं आशा करता हूं कि आपको टेक्निकल एनालिसिस का आधार और शेयर बाजार में कैसे काम करता है। आपको समझ आ गया होगा । पूरी जानकारी हिंदी में है ,पोस्ट पसंद आई होगी। और आपको शेयर बाजार के बारे में काफी चीजें पता चल गई होगी.

अगर आप शेयर मार्केट को आसान भाषा हिंदी में सीखना चाहते हैं तो इस blog की और भी पोस्ट पढ़ सकते हैं। अगर आपका कोई सवाल है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

शेयर मार्केट को एनालाइज कैसे करें ?

इंडिकेटर प्राइस एक्शन मूमेंट का प्रयोग करके शेयर मार्केट का एनालाइज करते है।

शेयर मार्केट में चार्ट क्या होते हैं ?

शेअर मार्केट चार्ट से हम प्राइस एक्शन रेजिस्टेंस सपोर्ट डिमांड सप्लाई का पता चलता है।

How to find support and resistance in day trading?

About how to find support and resistance in day trading?

वे लोग जो स्टॉक मार्केट में काम करते हैं, ऐसा चाहते हैं की मार्केट में प्रत्येक दिन पैसा बनाया जाए जिसके लिए Intraday ट्रेडिंग करते हैं यानी मार्केट ओपन होने के बाद अपनी पोजीशन बनाते हैं और मार्केट क्लोज होने से पहले पहले अपनी पोजीशन को क्लोज करके अपना प्रॉफिट और लॉस को बुक कर लेते हैं।

वैसे तो मार्केट में तीन तरह के ट्रेडर होते हैं, पहले तरीके के वैसे लोग जो मार्केट में पैसे लगाकर के लंबे समय तक उसे अपने पास रखते हैं ताकि उनका पैसा अच्छे रिटर्न बना सके और इस तरीके के लोग को इन्वेस्टर बोला जाता है।

दूसरे तरीके के वैसे लोग होते हैं जो मार्केट में कम समय के लिए पैसे लगाते हैं अब वह या तो 5 से 7 दिन का समय हो सकता है या 7 से 15 दिन का समय हो सकता है या महीनों दिन का समय हो सकता है तो ऐसे लोग को स्विंग ट्रेडर के नाम से जाना जाता है जो पैसे लगाने के बाद कम से कम पांच 7 दिन या 7 से 15 दिन अपने पोजीशन को होल्ड करते हैं जिसके पश्चात् ही अपना पोजीशन को कट करते हैं।

तीसरे तरीके में वे सभी लोग शामिल हैं जो मार्केट ओपन होने के बाद अपनी एंट्री बनाते हैं और क्लोज होने से पहले पहले अपने एंट्री को कट करके प्रॉफिट एंड लॉस बुक करके अगले दिन की तैयारी करते हैं ऐसे लोग को इंट्राडे ट्रेडर कहा जाता है।

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कैंडल के बारे में परिचय

How to find support and resistance in day trading? को समझने से पहले कैंडल को समझना जरूरी है आइए समझते हैं।

बाजार में ट्रेडिंग के दौरान किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में खरीदार और विक्रेता टाइम के हर एक छोटे से छोटे पॉइंट पर खरीदारी या बिकवाली करते हैं। इसी दौरान अलग-अलग प्राइस पर खरीदारी होती रहती है हम कैडल को समझने के लिए चार महत्वपूर्ण बिंदु की बात करेंगे जो ओपन, क्लोज, हाई और लो है।

यह चार महत्वपूर्ण बिंदु ओपन वह प्राइस होता है जिस पर मार्केट ओपन होने के बाद पहला सौदा खरीदा जाता है या बेचा जाता है इसके बाद मार्केट में खरीदारी बिकवाली के दौरान एक सबसे कम पर होने वाली खरीदारी या बिकवाली के प्राइस को लो प्राइस बोला जाता है साथ ही लो प्राइस के बाद मार्केट क्लोजिंग होने से पहले तक जहां तक सबसे ऊपर के प्राइस पर खरीदारी होती है उस ऊपरी प्राइस को हाई प्राइस बोला जाता है और अंततः जहां पर मार्केट क्लोजिंग टाइम में क्लोज हो जाता है उस समय जो सबसे लास्ट का खरीदारी या बिकवाली होता है उस प्राइस को क्लोज प्राइस कहा जाता है।

Fig. 1

इस तरीके के बहुत सारे कैंडल्स मिलकर कैंडलस्टिक चार्ट का निर्माण करते हैं।

Fig. 2

लाइन चार्ट का परिचय

लाइन चार्ट को समझना बड़ा ही आसान है लाइन चार्ट को बनाने के लिए मार्केट के क्लोजिंग प्राइस को फ्री हैंड से मिलाया जाता है जिससे एक जिगजाग लाइन दिखती है इसी को लाइन चार्ट के नाम से जाना जाता है। जैसा की Fig. 3 मे दिखाया गया है।

Fig. 3

उपयुक्त चार्ट पेटर्न को समझने के बाद अब हम How to find support and resistance in day trading? को आसानी से समझ सकते हैं।

How to find Support and resistance in day trading?

सपोर्ट रेजिस्टेंस एक ऐसी तकनीक है जिससे day trader अपनी entry और exit को पता करने की कोशिश करते हैं। सपोर्ट वैसी जोन होता है जहा से शेयर का भाव को फिर से उपर जाने के प्रायिकता रहती है। उसी तरह से रेजिस्टेंस वैसी जोन होती है जहा से शेयर का भाव नीचे जाने प्रायिकता होती है।

Best time frame for finding support and resistance in day trading

Day trading में सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस पता करने के लिए हमें अपने टाइम फ्रेम को 5 या 15 मिनट का रखना चाहिए। जिसके बाद चार्ट पर हमें वैसे क्षेत्र का चयन करना चाहिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस सपोर्ट और रेजिस्टेंस जहां से मार्केट बार-बार घूम रहा है।

Fig. 4

ऊपर के चित्र में दिखाया गया है कि हाई का वह सारे क्षेत्र जहां से प्राइस नीचे आया है रेजिस्टेंस जोन है और वे सभी क्षेत्र जहां से प्राइस ऊपर गया है उस क्षेत्र को सपोर्ट जॉन कहा जाता है। यहां पर कैंडल 15 मिनट का रखा गया है यानी प्रत्येक कैंडल 15 मिनट टाइम का लिया गया है।

How to draw support line

सबसे पहले हम चार्ट पर वह क्षेत्र ढूंढने का प्रयत्न करेंगे जहां पर कैंडल बार बार आकर के रुक रही है। उस क्षेत्र को आपस में लायंस के द्वारा मिलाने का प्रयत्न करेंगे कभी-कभी यह पूर्णता लाइंस पर आएंगे और कभी-कभी यह लाइंस के आसपास तक आएंगे तब भी हमें प्रयास करना है कि अधिकतम से अधिकतम जॉन जहां से प्राइस ऊपर की ओर घूम रहा है लायंस पर आ जाए अब यह लाइन हमारे लिए सपोर्ट लाइन की तरह काम करेगा।

Fig. 5

How to draw resistance line

सबसे पहले चार्ट पर हम वैसा क्षेत्र ढूंढने का प्रयत्न करेंगे जहां से प्राइस नीचे गिर रहा हो और यह क्रिया बार-बार हो रहा हो अब उन सभी क्षेत्र जहां से प्राइस बार-बार नीचे गिर रहा है जैसा की चित्र 6 में दिखाया गया है। उन सभी क्षेत्रों को हम एक लाइट के द्वारा आपस में मिलाते हैं तो जो लाइन निकल कर के आती है वही लाइन रेसिस्टेंट लाइन कहलाती है और ऐसी प्रायिकता होती है कि वहां से आने वाले टाइम में भी प्राइस आने के बाद गिर जाए तो इस तरीके से हम आसानी से सपोर्ट और रेजिस्टेंस पता कर सकते हैं।

Fig. 6

अब आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि how to find support and resistance in day trading?

अड्डामार्केट वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी विभिन्न प्रकार के तथ्य सभी विश्लेषण अनुमान बाजार अध्ययन या अन्य सामान्य मूल्यांकन या जानकारी प्रदान करता है कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले कृपया अपने सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजर से सलाह मशवरा कर ले यहां पर प्रदान की गई जानकारी के आधार पर ट्रेड या इन्वेस्ट करने पर होने वाले प्रोफिट या लॉस का जिम्मेदार आप खुद होंगे अतः कोई भी ट्रेड पूरी तरह जिम्मेदारी से करें।

Shares Pivot Point Support And Resistant Level For Date:27-10-22

Nifty Shares Pivot Point Support And Resistant Level For Date:27-10-22 कल के लिए निफ्टी के सभी शेयर्स के पाइवोट पॉइं,ट सपोर्ट लेवल, और रेजिस्टेंस लेवल क्या होगे इसकी जानकारी आपको निचे के टेबल से मिल जायेगी|

जब कोई शेयर अपने पाइवोट पॉइंट से ऊपर होता है तो उसमे तेजी आने की और जब कोई शेयर्स अपने पाइवोट पॉइंट से निचे होता है तो उसमे गिरावट आ सकती है| मैंने 27 October 2022 के दिन के लिए सभी शेयर्स के पाइवोट पॉइंट सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल आपको निचे सपोर्ट और रेजिस्टेंस दिए हुए है| आपको इस वेबसाइट पर हररोज निफ्टी और उनमे समाविष्ट सभी शेयर्स के सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल इस वेबसाइट पर मिलेंगे|

जिनका फायदा आपको आपके ट्रेडिंग में होगा| पाइवोट पॉइंट, सपोर्ट लेवल और रेजिस्टेंस लेवल क्या होते है इनके बारे में अगर आपको जानकारी नहीं है तो आप मेरा आर्टिकल पाइवोट पॉइंट, सपोर्ट लेवल और रेसिस्टेंट लेवल पढ़ सकते है| थैंक्स

Nifty Shares Pivot Point Support And Resistant Level For Date:27-10-22

52 वीक ब्रेकआउट स्ट्रैटेजीज

दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ सालों में बोहत सारे एकैडमिक रिसर्च हुए हैं और इनमें से अधिकतर, इशारा करते हैं 52 हफ्तों के हाई तक पहुंचनेवाले स्टॉक्स के हाई मोमेंटम की ओर। यह मोमेंटम इन्वेस्टिंग के सबसे प्रसिद्ध पेपर के इस कोट से समझी जा सकती है।

The 52-week high price explains a large portion of the profits from momentum investing.

We find that nearness to the 52-week high is a better predictor of future returns than are past returns”
---- The 52-Week High and Momentum Investing - Thomas George and Chuan Hwang, Journal of Finance, 2004.

रिसर्च और डेटा के बावजूद, मैंने ऑब्जर्व किया है कि इन सालाना हाई और लो जोंस में ट्रेडिंग करनेवाले ट्रेडर्स पैसा गंवा देते हैं। कारण क्या है?

इन्टरनेट ट्रेडिंग के आने से पहले 52 वीक हाई और लो वास्तविक होते थे और मार्केट ज़्यादा मोमेंटम के साथ उनके आगे बढ़ता था। लेकिनजैसे-जैसे समय के साथ, और ज़्यादा लोग इस सरल मेथड को अपनाने लगे और इन्फर्मेशन की स्पीड बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप अस्थिरता और झूठे ब्रेक आउट्स बढ़े और इसकी ट्रेडिंग की तेज़ी खत्म हो गई।

तो फिर, आज के ट्रेडिंग के माहौल में इन स्टॉक्स की ट्रेडिंग कैसे की जानी चाहिए?

मेथड
यहाँ एक स्टेप बाय स्टेप मेथड दिया जा रहा है जिसे फॉलो करके आप ट्रेड कर सकते हैं।

  1. 52 वीक के हाई और लो को नियमित स्कैन करें।

मार्केट पल्स एप में ऐसे कई प्री-डिफ़ाइंड स्क़ैन्स हैं जो आपके लिए यह कर सकते हैं। इनके नाम हैं-

2. हाइज़ और लोज़ तक पहुंचनेवाले स्टॉक्स की अलग-अलग वॉचलिस्ट बनाएँ।

3. स्टॉक के इन लेवल्स को हिट करने के बाद रेंज से पलबैक होने का इंतज़ार करें। 100, 1000 आदि जैसे राउंड फिगर्स को देखें। ये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और ऐसी मूव्ज़ के दौरान मजबूत रेजीस्तेंस बनते हैं।

4. पिछले स्विंग के हाइज़ और लोज़ के आसपास कंसॉलिडेशन ढूंढें। इसे मॉनिटर करने के लिए आप स्टॉक के सपोर्ट और रेजिस्टेंस ज़ोन का उपयोग कर सकते हैं। एक गहरे करेक़्शन और यह देखने के लिए कि इन लेवल्स पर यह स्टॉक कैसे व्यवहार करते हैं, मैं 20-डे ईएमए या 50-डे ईएमए जैसे डायनामिक सपोर्ट/रेजिस्टेंस ज़ोन का उपयोग करना पसंद करता हूँ। इस कंसॉलिडेशन फेज में 2 से 5 हफ्ते लग सकते हैं।

5. हाल के स्विंग के नीचे एक टाइट स्टॉप लॉस साथ जब बड़े ट्रेंड्स ठहरने लगते हैं तब लॉन्ग पोज़िशन एंटर करें। इनमे से अधिकांश ब्रेक आउता ट्रेडिंग के पहले घंटे में होते हैं तो इस समय चऔकन्ने रहें।

6. अगले 2-3 ट्रेडिंग सेशन्स में यदि स्टॉक 52 वीक हाई के ऊपर ब्रेक आउट करता है तो मोमेंटम आपकी ओर होगा और लाभ तेज़ी से आएगा।यदि नहीं, तो अपने स्टॉप लॉस को ट्रेल करें और अगर आपके स्टॉक्स हिट करें तो एग्जिट कर जाएँ।अनुभवी ट्रेडर्स ब्रेक आउट पर अपनी मौजूदा पोज़िशन्स में जोड़ने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं तो मैं आपको यह करने की सलाह नहीं दूँगा।

7. अधिकांश ट्रेडर्स केवल 52 वीक हाई पर फोकस करते हैं। मेरा सुझाव है कि आप जितना अप साइड ट्रेड करते हैं आपको उतना ही डाउन ट्रेड (52 वीक लो) करना चाहिए। सामान्यतः डाउन साइड में मोमेंटम अपसाइड से ज़्यादा तेज़ होता है।

8. उन स्टॉक्स को चुनिए जिनमें पर्याप्त मात्रा में अच्छे वॉल्यूम्स और अच्छी परिवर्तनशीलता रहती है। अद्रव स्टॉक्स को ट्रेड करना हमेशा जोखिम भरा होता है। मैं खुद को निफ्टी 200 और लिक्विड फ्यूचर्स काउंटर तक सीमित करना पसंद करता हूँ।

Download Now - https://bit.ly/3z7TCMZ

केस स्टडीज़
फिगर अबोट इंडिया का चार्ट दिखाता है

जैसा कि आप चार्ट में देख सकते हैं स्टॉक ने 26 जून 2019 को अपने पिछले 52 हफ्ते के 8820 के हाई को तोड़ा। 9000 के हाई को हिट करने के बाद स्टॉक जल्दी से वापस लौटना शुरू कर देता है। इसे 20ईएमए पर पहला सपोर्ट मिलता है और एक नए हाई तक पहुँचने के अपने कुछ हफ्तों के असफल अटेम्प्ट के बाद, कुछ हफ्तों के लिए कंसॉलिडेट हो जाता है। यह 50 ईएमए के पास बढ़ी हुई वॉल्यूम के साथ एक नए हाई के लिए प्रयास करता है। 6 अगस्त 2019 की हाई वॉल्यूम कैन्डल एक 52 वीक ट्रेडर के लिए8439 पर 8278 के स्टॉप लॉस के साथ लॉन्ग एंट्री के लिए एक परफेक्ट एंट्री पॉइंट होता।

नीचे दिया गया फिगर हीरो मोटों को दिखाता है।

यह केस 52 वीक लो के टूटने को दिखाता है। 23 जुलाई 2018 को लो टूटा इसके बाद पहले 20 ईएमए पर पुल बैक करता है और फिर 50ईएमए(2) पर जहां से बड़ी वॉल्यूम के साथ बड़ा ट्रेंड मान लिया जाता है। 11 सितंबर 2018 को 3184 पर 3345 के स्टॉप लॉस के साथ एक शॉर्ट शुरू किया जा सकता था।

कंक्लूजन

आपको यह ज़रूर जान लेना चाहिए कि यह मेथड बहुत फायदेमंद हो सकता है लेकिन इससे सबसे अच्छे परिणाम पाने के लिए कभी कई डीनो तक तो कभी कई हफ्तों तक उच्च स्तर के सुधार की आवश्यकता होगी। आपको अपनी मौजूदा वॉचलिस्टको रोज़ रिव्यू और अपडेट करना होगा। ऐसे स्टॉक होंगे जो आपके क्राइटेरिया में नहीं आएंगे और आपको बिना पछतावे के उन ट्रेडोन को पास करने के लिए तैयार होना चाहिए।

Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.

Arshad Fahoum

Arshad Fahoum

Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.

Stock Market: क्या फिर से रिकॉर्ड बनाएगा शेयर बाजार? इन स्टॉक्स पर रखें नजर

अमेरिका के शेयर बाजार में मजबूती रही. S&P 500 और Nasdaq इंडेक्स करीब 0.8% की उछाल के साथ बंद हुए.

Stock Market: क्या फिर से रिकॉर्ड बनाएगा शेयर बाजार? इन स्टॉक्स पर रखें नजर

Share Market Prediction: 15 सितंबर को भारतीय शेयर मार्केट (Stock Market) के इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty) ने रिकॉर्ड हाई बनाया था. सरकार के द्वारा टेलिकॉम और ऑटो सेक्टर के लिये हुई घोषणा से बाजार में खरीदारी का सेंटीमेंट रहा था. सेंसेक्स 476 अंक चढ़ते हुए 58,723 पर क्लोज हुआ था. वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला निफ्टी 139.5 अंक की उछाल के साथ पहली बार 17,500 के उपर बंद हुआ था. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में भी 1% से ज्यादा की तेजी रही थी.

मार्केट एनालिस्ट मानते है निफ्टी 50 इंडेक्स आने वाले दिनों में 17,800 के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर सकता है.

Stock Market: सेंसेक्स नए शिखर पर, निफ्टी पहली बार 17,500 के पार- पूरा ब्योरा

Stock Market: सेंसेक्स नए शिखर पर, निफ्टी पहली बार 17,500 के पार- पूरा ब्योरा

विदेशी बाजारों का क्या हाल?

सुबह के समय साउथ कोरिया, हांगकांग और जापान के बाजार में कमजोरी हैं. वहीं ताइवान और चीन में कारोबार हरे निशान में हो रहा है.

अमेरिका के शेयर बाजार में मजबूती रही. S&P 500 और Nasdaq इंडेक्स करीब 0.8% की उछाल के साथ बंद हुए. DJIA इंडेक्स भी 0.68% चढ़ा.

भारतीय बाजार के लिए शुरुआती संकेत देने वाला सिंगापुर का SGX निफ्टी इंडेक्स खबर लिखे जाते समय 0.13% या 22 अंक की बढ़त के साथ 17,555.5 पर ट्रेड सपोर्ट और रेजिस्टेंस कर रहा था.

बाजार पर इसका भी असर-

मनीकंट्रोल के pivot charts के मुताबिक अगर 15 सितंबर को निफ्टी कारोबार के दौरान नीचे आता है तो 17,426.63 और 17,333.87 सपोर्ट स्तर हैं. इसी तरह अगर इंडेक्स अपने करंट लेवल से ऊपर जाता है तो 17,572.43 और 17,625.46 रेजिस्टेंस लेवल हैं, जो निफ्टी को नीचे लाने की कोशिश कर सकता है.

बीते दिन 15 सितंबर को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय इक्विटी मार्केट में नेट रूप से 232.84 करोड़ रूपये के शेयरों की खरीदारी की. वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने भी बाजार में नेट रूप रूप से 167.67 करोड़ रूपये के स्टॉक्स खरीदे.

बल्क डील:

Zen Technologies: Logical Solutions ने ₹237 प्रति शेयर के हिसाब से कंपनी के 4 लाख इक्विटी शेयर बेचे.

Stocks To Watch: इन स्टॉक्स पर रखें नजर

Healthcare Global Enterprises: केयर ने हेल्थकेयर ग्लोबल एंटरप्राइजेज की बैंक सुविधाओं के लिए रेटिंग को ए-/स्टेबल से ए/स्टेबल में अपग्रेड कर दिया है.

Wipro: विप्रो को मैक्सिस ब्रॉडबैंड Sdn Bhd से आईटी सेवा के लिये कॉन्ट्रैक्ट मिला है.

Fineotex Chemical: कंपनी ने भारतीय बाजार के लिए विशेष रसायनों के व्यावसायीकरण के लिए यूरोडी-सीटीसी, बेल्जियम के कंपनी के साथ एक रणनीतिक साझेदारी शुरू की.

Hindustan Copper: सरकार कंपनी में अपनी 10% हिस्सेदारी को ऑफर फॉर के रास्ते बेचने पर विचार कर रही है.

टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए सरकार के कई बड़े ऐलान, AGR में छूट- पूरा ब्योरा

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