Trading सुर्खियों पर

कच्चे तेल में तेजी से व्यापार घाटा बढ़ेगा, रूपये पर भी दवाब
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर असर दिख रहा है। महामारी की तीसरी लहर से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रहेगी। विश्लेषकों का कहना है कि तीसरी लहर के प्रभाव के बाद अब कच्चे तेल में रिकॉर्ड तेजी से भारत के व्यापार और चालू खाता घाटा में इजाफा होगा। इसके साथ ही घरेलू मुद्रा पर भी दबाव Trading सुर्खियों पर बढ़ेगा।
सरकार के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी, 2022 में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 21.19 अरब डॉलर पहुंच गया, जबकि जनवरी, 2022 में यह आंकड़ा 17.94 अरब डॉलर रहा था। बार्कलेज के अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा कि पवैश्विक बाजार में कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है।
यह भी पढ़ें | सिंधिया को लेकर बैठेंगे शिवराज, इंदौर-भोपाल में बढ़ेंगी हवाई सेवाएं
इसके साथ ही भारत का निर्यात 34.Trading सुर्खियों पर 06 अरब डॉलर से घटकर 33.81 अरब डॉलर रह गया है। इस दौरान आयात 52.01 अरब डॉलर से बढ़कर 55.01 अरब Trading सुर्खियों पर डॉलर पहुंच गया है। मौजूदा हालात को देखते हुए निर्यात के मोर्चे पर भारत को राहत नहीं मिलने वाली है। इससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
21.2 अरब डॉलर पहुंच गया है व्यापार घाटा फरवरी में बढ़कर 15 मार्च से राजस्व और खर्च की हर दिन निगरानी
वित्त मंत्रालय राजकोषीय घाटे को तय लक्ष्य के भीतर रखने के लिए 15 मार्च से दैनिक आधार पर कर संग्रह सहित राजस्व प्राप्ति और खर्च की निगरानी करेगा। एलआईसी के आईपीओ को टालने की आशंका के बीच यह फैसला किया गया है।
इसके अलावा, यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीय छात्रों को वापस लाने के सरकार के फैसले से राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अधिकारियों ने बताया कि लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने 15 मार्च से 31 मार्च के बीच विभिन्न मंत्रालयों के राजस्व संग्रह और व्यय के आंकड़े को दैनिक आधार पर उपलब्ध कराने को कहा है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग के कारण बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी वर्ष 2015 के सबसे कम स्तर पर बंद हुए
एल्गोरिथम ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग 6 मई 2015 को सुर्खियों में आया जब दो प्रमुख शेयर सूचकांक बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) निफ्टी 17 दिसंबर 2014 के बाद सबसे कम स्तर पर बंद हुए.
एल्गोरिथम ट्रेडिंग: ट्रेडिंग कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से पूर्व निर्धारित निर्देशों के आधार Trading सुर्खियों पर पर की जाने वाली शेयरों की ट्रेडिंग
एल्गोरिथम ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग 6 मई 2015 को उस समय सुर्खियों में आया जब दो प्रमुख शेयर सूचकांक बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) निफ्टी 17 दिसंबर 2014 के बाद सबसे कम स्तर पर बंद हुए.
एल्गोरिथम ट्रेडिंग
एल्गोरिथम ट्रेडिंग का मतलब है कोई भी ऑर्डर जो ऑटोमेटेड एक्जिक्यूशन लॉजिक के इस्तेमाल से जेनेरेट किया गया हो, खरीद व बिक्री के ऑर्डर अपने आप ही जेनेरेट होते हैं और सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम की सुविधा से एक्सचेंज के ट्रेडिंग सिस्टम में एंटर कर लिए जाते हैं जिससे कि वह एक्सचेंज के सिस्टम से मैच कर सके.
एल्गोरिथम ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग भी कहा जाता है. इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग की जाती है. इसमें ऑर्डर का समय, कीमत और मात्रा सभी कुछ पहले से दिया गया होता है. जैसे ही पहले से निर्धारित समय, मात्रा और कीमत से मार्केट की स्थितियां मेल खाती हैं, उसी वक्त ऑटोमेटिक तरीके से ट्रांजैक्शन हो जाता है. ये कम्प्यूटर प्रोग्राम खुद यह तय करते हैं कि कब, कहां और किस शेयर का कारोबार करना है.
एल्गोरिथम ट्रेडिंग मुख्य रूप से संस्थागत व्यापारियों जैसे निवेश बैंकों, पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड, द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. एल्गो ट्रेडिंग के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बढ़ जाती है. वर्ष 2008 से डायरेक्ट मार्केट एक्सेस की अनुमति मिलने के बाद एल्गोरिथम ट्रेडिंग को बढ़ावा मिला.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
ट्रेड वॉर पर चीन से अमेरिका के सुलह वाले सुर पर बाजार में मना जश्न
[ ईटी ब्यूरो | मुंबई ]अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप के टॉप इकनॉमिक एडवाइजर ने चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर में सुलह के संकेत दिए हैं। इसके चलते .
[ ईटी ब्यूरो | मुंबई ]
अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप के टॉप इकनॉमिक एडवाइजर ने चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर में सुलह के संकेत दिए हैं। इसके चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों का सेंटीमेंट मजबूत हुआ और इंडियन मार्केट भी मजबूती के साथ बंद हुआ। निफ्टी तीन हफ्तों में पहली बार 10,300 प्वाइंट्स से ऊपर बंद होने में कामयाब रहा।
आरबीआई ने मौजूदा फिस्कल ईयर की पहली छमाही के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान घटा दिया है। बैंकिंग रेगुलेटर ने उनके लिए इंडियन एकाउंटिंग स्टैंडर्ड लागू करने की समय सीमा भी एक साल Trading सुर्खियों पर बढ़ा दी है। इन दोनों वजहों से गुरुवार को बैंकिंग शेयरों में जोरदार खरीदारी हुई। लेकिन मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि रैली टिकाऊ नहीं है और निवेशकों को हर उछाल पर बेचने की रणनीति अपनानी चाहिए।
सेंसेक्स गुरुवार को 577.73 प्वाइंट्स यानी 1.75% उछलकर 33,596.80 प्वाइंट पर बंद हुआ जो इस साल 12 मार्च के बाद एक दिन की सबसे बड़ी उछाल है। इसी तरह, एनएसई निफ्टी 196.75 प्वाइंट्स यानी 1.94% की ऊंची छलांग लगाकर 10,325.15 पर रहा जो मई 2016 के बाद इसमें आई सबसे ऊंची छलांग है। बैंक निफ्टी भी 2.6% की तेज उछाल के साथ 24,759.80 पर पहुंच गया।
केयर रेटिंग्स के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनबीस ने कहा, 'आरबीआई ने न्यूट्रल रुख अपनाया है और महंगाई का अनुमान घटा दिया है। इनको देखते हुए पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में रेट हाइक नहीं होगा। महंगाई घटती जाती है और मॉनसून सामान्य रहता है तो रेट कट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।'
सबनबीस ने कहा, 'आरबीआई ने बैंकों के लिए इंड-एएस को लागू करने की समय सीमा एक साल बढ़ा दी है क्योंकि उनको पहले से ही एनपीए के लिए प्रोविजन करने और इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में एमटीएम लॉस दर्ज करने को लेकर एकाउंटिंग के मोर्चे पर दिक्कत हो रही है।'
एक्सचेंजों के प्रोविजनल डेटा के मुताबिक फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने शेयरों आई तेजी का फायदा उठाकर 108 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने 615 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। इस साल 3 अप्रैल तक एफपीआई इंडियन इक्विटी मार्केट में (IPO रूट सहित) 13,300 करोड़ रुपये लगाए हैं जबकि म्यूचुअल फंड्स ने 33,410 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
ग्लोबल मार्केट्स में एशियाई बाजारों का रुख मिला जुला रहा जबकि यूरोपियन मार्केट तेज उछाल के साथ बंद हुए। अमेरिकी बाजारों में बीती रात 1% से ज्यादा उछाल आई थी। गुरुवार को शेयरों में हुई जोरदार खरीदारी से इंडियन बेंचमार्क पिछले सेशन में आई 1 पर्सेंट की गिरावट से ज्यादा की भरपाई कर ली।
हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रेड वॉर का मसला अभी खत्म नहीं हुआ है। आनेवाले दिनों में दुनियाभर के बाजारों की नजर अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से जुड़ी सुर्खियों पर बनी रहेगी। गुरुवार को अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप के टॉप इकनॉमिक एडवाइजर लैरी कुडलो ने कहा कि ट्रंप प्रशासन चीन के साथ ट्रेड वॉर में उलझने से ज्यादा उससे बातचीत करने में जुटा है।
Trade Spotlight: आज के ट्रेड में Affle India, Indraprastha Gas, Strides Pharma Science के शेयरों पर कैसे बनेंगे पैसे, एक्सपर्ट से जानें
Moneycontrol 16-06-2022 Hindi.Moneycontrol.com Team
© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त Trade Spotlight: आज के ट्रेड में Affle India, Indraprastha Gas, Strides Pharma Science के शेयरों पर कैसे बनेंगे पैसे, एक्सपर्ट से जानें टेक्नोलॉजी, एफएमसीजी, पावर स्टॉक और इंडेक्स हैवीवेट रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा दबाव बनाने के बाद कल यानी बुधवार 15 जून को बाजार का एक और वोलाटाइल सत्र निगेटिव नोट पर समाप्त हुआ। हालांकि बजाज फाइनेंस ट्विंस, ऑटो, बैंकिंग और फाइनेंस सर्विसेस और मेटल शेयरों ने गिरावट को कुछ हद तक सीमित कर दिया। कल सेंसेक्स 152.18 अंक यानी 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,541.39 पर और निफ्टी 39.90 अंक यानी 0.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,692.20 पर बंद हुआ था। निफ्टी मिडकैप 100 और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 0.35 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की तेजी आई। कल के ट्रेड में Strides Pharma Science और Indraprastha Gas में एक्शन देखने को मिला। ये दोनों स्टॉक्स कल एफएंडओ सेगमेंट में टॉप गेनर रहे। Strides Pharma Science का शेयर 5 प्रतिशत बढ़कर 326 रुपये और Indraprastha Gas का शेयर 4 प्रतिसत बढ़कर 355.35 रुपये के स्तर पर बंद हुए। वहीं Affle India का शेयर 5.2 प्रतिशत चढ़कर 1019.7 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। इन तीनों शेयरों ने डेली चार्ट पर बुलिश कैंडलस्टिक भी बनाया। आज जानिये इन तीनों स्टॉक्स पर क्या है Anand Rathi Shares & Stock Brokers के जिगर एस पटेल की कमाई की रणनीति Affle India वीकली चार्ट पर काउंटर ने 950 रुपये के अपने अहम सपोर्ट के पास एन-वेव फॉर्मेशन बनाया है और अच्छी तरह से रिबाउंड किया है। Stocks to Watch Today:आज सुर्खियों में रहने वाले RIL, Usha Martin, Jyothy Labs और अन्य स्टॉक्स इस स्टॉक ने वीकली चार्ट पर एक बुलिश AB=CD पैटर्न भी बनाया है। इसके साथ ही रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) 30 लेवल के पास एक इंपल्सिव स्ट्रक्चर बना रहा है। इसलिए ये काउंटर आकर्षक लग रहा है। जिगर ने कहा कि मौजूदा स्तरों पर इसे थोड़ा-थोड़ा करके खरीदना चाहिए। इसके बाद 990 रुपये के भाव में भी खरीदना चाहिए। इसमें 1,200 रुपये के लक्ष्य देखने को मिल सकते हैं। इसमें 940-950 रुपये पर स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। Strides Pharma Science पिछले कुछ वर्षों में स्ट्राइड फार्मा ने लगभग 65 प्रतिशत की गिरावट दिखाई है। वर्तमान में इसने वीकली चार्ट पर एक बुलिश अल्टरनेट बैट पैटर्न बनाया है। इससे लगता है कि यह लंबी अवधि के निवेश के लिए एकदम सही स्टॉक है। जिगर ने कहा कि कोई ट्रेडर चाहे तो इसे तुरंत खरीद सकता है। ये इस समय अच्छे स्तर मिल रहा हैं। इसमें 260-270 रुपये पर स्टॉपलॉस लगायें। इसके अलावा इसमें 500-550 रुपये तक का लक्ष्य देखने को मिल सकता है। Indraprastha Gas आईजीएल में एक क्लासिक सेटअप बना है जहां 340 रुपये के अहम सपोर्ट पर ये कई बार रुकता हुआ दिखाई दिया है। थ्री आवर्स चार्ट पर इसने 340-350 के संभावित रिवर्सल ज़ोन के साथ बुलिश बैट पैटर्न बनाया है। इससे इसमें पॉजिटिव मोमेंटम का संकेत मिल रहा है। सीधा सौदा- ऐसे 20 स्टॉक्स जिसमें ट्रेड लेकर आप कर सकते हैं दमदार कमाई जिगर के मुताबिक 340 रुपये के स्टॉपलॉस के साथ इसमें 385 रुपये के लक्ष्य के लिए मौजूदा स्तरों पर स्टॉक खरीद सकते हैं। डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)
Moneycontrol की और Trading सुर्खियों पर खबरें
Paytm Shares: लॉक-इन पीरियड खत्म होने पर अलीबाबा और एंटफिन को मुनाफा, वॉरेन बफे का डूब सकता है 50% पैसा
Hindalco नए प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग कंपनी के कैश फ्लो को ध्यान में रखकर करेगी, कर्ज लेने की कोई योजना नहीं : MD सतीश पाई
2008 के स्तर से नीचे हैं ये शेयर, क्या करना चाहिए निवेश?
बाजार में जारी उतार-चढ़ाव में ही निवेश के सही मौके होते हैं. अभी बाजार की हालत ऐसी ही है.
हालांकि, निवेशकों को इन शेयरों में निवेश की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सिर्फ सस्ते शेयर खरीद लेना ही काफी नहीं. जरूरी है कि शेयरों को आकर्षक वैल्यूएशन पर खरीदा जाए, ताकि वे आने वाले भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकें.
इंफ्रा सेगमेंट
पावर और कंस्ट्रक्शन को मिलाने के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट का दायरा काफी फैल जाता है. इस सेगमेंट में कई सस्ते शेयर हैं. ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर के संस्थागत इक्विटीज प्रमुख आर. श्रीशंकर कहते है, "ज्यादा कंपनियां अपने कारणों की वजह से नीचे हैं."
जानकारों का मानना है कि पावर सेक्टर में कुछ और समय तक कमजोरी जारी रह सकती है. एडलवाइज सिक्योरिटीज के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च प्रमुख विनय खट्टर का कहना है कि पावर सेक्टर में कंपनियों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसके कारण मुश्किलें बनी हुई हैं.
कई पावर यूनिट्स कर्ज के चलते ठप्प पड़ी हुई हैं. हालांकि, भेल जैसे पावर उपकरण निर्माताओं मे निवेश किया जा सकता है. इस तरह की कंपनियों को मांग बढ़ने से काफी फायदा होगा. इसका असर अभी से कुछ हद तक नजर आने लगा है.
हालांकि, इस तरह के शेयरों में निवेशकों को ज्यादा समय तक निवेश जारी नहीं रखना चाहिए. खट्टर का कहना है, "मौजूदा कैपेक्स चक्र सरकारी खर्च पर आधारित है, जिसमें वह रोड, रेलवे आदि पर जोर दे रही है. वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में निजी सेक्टर वापसी कर सकता है."
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक
ज्यादातर दिग्गज इस सेक्टर के प्रति आश्वस्त नहीं हैं. घटती ग्रोथ और बढ़ते डूबे कर्ज के चलते इनकी हालत बदतर हो रही है. खट्टर के अनुसार, "डूबे कर्ज का असर दिखाई देने से पहले यह शेयर एक बार उछल सकते हैं. इसके लिए रुकना बेहतर होगा."
जानकारों का कहना है कि पीएसयू बैंकों का जोखिम ज्यादा भी हो सकता है. इनकी कार्यकुशलता भी कम है. रिटर्न ऑन एसेट भी घट रहा है. लगातार हो रहे घाटे से सरकारी बैंकों के दिन अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं. श्रीशकंर के अनुसार, ये बैंक अपनी मार्केट हिस्सेदारी भी गंवा रहे हैं.
चीनी (शुगर)
श्रीशंकर का कहना है, "शुगर सेक्टर बिजनेस साइकिल की जटिलता का एक उल्लेखनीय उदाहरण है. ज्यादा उत्पादन से चीनी की कीमतें घट गई हैं." कारोबार का चक्र छोटा होता है, इस वजह से कीमतें हर दो-तीन साल में लुढ़कती रहती हैं.
चीनी कंपनियों पर कर्ज भी बहुत ज्यादा है. श्री रेणुका शुगर का ब्राजील में अधिग्रहण भी विफल रहा. कंपनी ने हाल ही में शेयर बाजारों को सूचित किया है कि वह अपने कर्ज को कम करने के लिए ब्राजील में अधिग्रहण को कम करेगी.
टेलीकॉम और मीडिया
रिलायंस जियो द्वारा शुरू किए गए युद्ध का अंत अभी नजर नहीं आ रहा है. साइट्रस एडवाइजर्स के संस्थापक संजय सिन्हा के अनसुार, मौजूदा प्राइस वॉर 2018-19 में भी जारी रहेगी. हालांकि, इसमें रिलांयस कॉम्युनिकेशंस को फायदा हो सकता है.
कंपनी रिलायंस जियो को 25,000 करोड़ रुपये में अपने टावर एसेट बेच सकती है. हालांकि, यह भी इसका कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. कंपनी Trading सुर्खियों पर Trading सुर्खियों पर को कर्ज चुकाने के लिए अपने अन्य एसेट भी बेचने होंगे. बेहतर होगा कि निवेशक इस शेयर से दूर ही रहें.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.