अब कमा रहे लाखों रुपए

मई-जून में होता है बीज रोपण
जगदीशपुरा के किसान सीताराम सैनी, महिला किसान कमलेश सैनी ने बताया कि मई-जून में मिर्च की पौध तैयार करने के लिए बीज रोपण किया जाता है। पौध 45 से 50 दिन के बीच में तैयार होती हैं। पौध तैयार होने के बाद फसल उत्पादन के लिए एक फीट से डेढ़ फीट के बीच अंतर रखकर पौध रोपण किया जाता है।
राजस्थान के किसान देसी मिर्च से कमा रहे लाखों, इस तकनीकी से होती है पौध तैयार
किसान कभी जौ, गेंहू और बाजरा उगाते थे मगर अब देसी मिर्च की खेती कर अब कमा रहे लाखों रुपए लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस अब कमा रहे लाखों रुपए उपखंड के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में उगाई जाने वाली मिर्च की मांग कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, गुरूग्राम, हिसार सहित देश के तमाम शहरों तक है।
अरुण शर्मा/पचलंगी (झुंझुनूं)। उदयपुरवाटी के किसान कभी जौ, गेंहू और बाजरा उगाते थे मगर अब देसी मिर्च की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस उपखंड के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में उगाई जाने वाली मिर्च की मांग कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, गुरूग्राम, हिसार सहित देश के तमाम शहरों तक है। पहले यहां के किसान कम ही फल व सब्जियों की खेती करते थे। मगर लागत कम व मुनाफा अधिक होने के चलते किसानों को फल और सब्जी की खेती रास आने लगी। देसी मिर्ची की खेती से इस क्षेत्र के सैकड़ों किसान जुड़े हैं। उदयपुरवाटी उपखण्ड मुख्यालय व आस-पास के अब कमा रहे लाखों रुपए गांवों के साथ चिराना, पणिहारावास जहाज, राजीवपुरा, मणकसास, जगदीशपुरा, कोट, सकराय, खेतड़ी, नवलगढ़, खेतड़ी उपखण्ड के कांकरिया सहित अन्य अब कमा रहे लाखों रुपए अब कमा रहे लाखों रुपए गांवों में भी बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती हो रही है। दिसंबर में अधिक सर्दी पडऩे पर यह फसल नष्ट भी हो जाती है।
फूलों की अब कमा रहे लाखों रुपए महक से किसान खुशहाल, हो रही लाखों की आमदनी
25 से 30 हेक्टर भूमि में हुई मिर्च की बुवाई
झुंझुनूं के सहायक निदेशक (उद्यान) शीश राम जाखड़ बताया कि जिले में इस साल 25 से 30 हेक्टेयर भूमि पर मिर्च की खेती हुई। मिर्च का प्रति हेक्टर 100 से 150 क्विंटल का उत्पादन रहा। किसानों को प्रति हेक्टर 10 लाख रुपए की आय हुई। वहीं, सूखी देसी मिर्ची का प्रति हेक्टर 15 से 20 क्विंटल का उत्पादन हुआ और 10 लाख रुपए प्रति हेक्टर आय हुई। किसान 70 से 80 प्रतिशत हरी मिर्ची बेचते हैं। बाकी सुखा कर बेचते हैं।
नई तकनीकी से होती है पौध तैयार
किसान सावित्री देवी, हेमंत सैनी जहाज का कहना है कि अब मणकसास, जगदीशपुरा, गुहाला, जहाज सहित अन्य पहाड़ी इलाकों के गांवों व कस्बों में किसान पौध तैयार कर देसी मिर्च की खेती करते हैं। कृषि पर्यवेक्षक पचलंगी पूरन प्रकाश यादव ने बताया कि किसान ड्रिप सिस्टम से सेब और सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
Rajasthan : इस किले पर तोप के गोलों का भी नहीं होता था असर, जानिए खासियत
एक लाख रुपए बीघा होता है फायदा
किसान सीताराम सैनी ने बताया कि एक बीघा देसी मिर्च की फसल तैयार करने में खाद, बीज, पानी, दवा सहित 40 से 45 हजार रुपए खर्च होते हैं। एक बीघा में करीब 15 क्विंटल मिर्च तैयार होती हैं। मिर्च का भाव 70 से 100 रुपए प्रति किलो मिलता है। एक बीघा में लगभग डेढ़ लाख रुपए की मिर्ची की बिक्री होती है।
अगस्त से दिसंबर तक मिलता अब कमा रहे लाखों रुपए है उत्पादन
पौधरोपण के बाद 15 अगस्त से मिर्ची का उत्पादन शुरू होता है। किसान मनोहर लाल सैनी, शिशपाल सैनी, मशीष कुमार सैनी ने बताया कि मिर्च की फसल में 15 से 20 अब कमा रहे लाखों रुपए दिन के अंतर में तीन-चार बार अब कमा रहे लाखों रुपए पुष्पन फाल आता है। महिला किसान सुमित्रा सैनी ने बताया कि पुष्पन होने के साथ ही 25 दिन में मिर्च तैयार होती है।
गांवों में ही होता है मिर्च का बीज तैयार
किसान मिर्च को सुखाकर बीज तैयार करते हैं। करीब एक किलो सूखी मिर्ची से 200 अब कमा रहे लाखों रुपए से 225 ग्राम बीज निकलता है। यह 7 से 8 हजार रुपए प्रति अब कमा रहे लाखों रुपए किलो बिकता है। पौध तैयार करने में एक बीघा के लिए 200 ग्राम अब कमा रहे लाखों रुपए बीज की आवश्यकता होती है। एक से दो रुपए प्रति पौध बिक्री होती है।