एक्सचेंज रेट रिस्क कैसे काम करता है

इंटरनेशनल फंड में टैक्स देनदारी
इंटरनेशनल फंड में निवेश पर टैक्स देनदारी बनती है. हाइब्रिड ग्लोबल फंड 65-70 फीसदी घरेलू कंपनियों में निवेश करते हैं. हाइब्रिड ग्लोबल फंड 25-30 फीसदी ओवरसीज मार्केट में निवेश करता है. इस वजह से फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है.
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
पीएम मोदी ले रहे हैं बहुत बड़ा रिस्क, हिल जाएगी पूरी दुनिया, रुपया मजबूत करने के लिए लगाएंगे डॉलर की लंका
Updated Nov 9, 2022 | 11:24 PM IST
पीएम मोदी ले रहे हैं बहुत बड़ा रिस्क, हिल जाएगी पूरी दुनिया, रुपया मजबूत करने के लिए लगाएंगे डॉलर की लंका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बहुत बड़ा रिस्क ले रहे हैं और यकीन मानिए जो रिस्क पीएम मोदी ले रहे हैं उससे पूरी दुनिया हिल जाएगी। पूरी दुनिया अमेरिका के डॉलर के पीछे भागती है। सरकारें हों, कंपनियां हों, मार्केट हो। किसी का काम डॉलर के बिना नहीं चलता। दुनिया में देश कोई भी हो, उसकी करेंसी की वैल्यू डॉलर (Dollar) के मुकाबले ही देखी जाती है। इंटरनेशनल ट्रेड में किसी को सुई भी खरीदनी होती है तो पेमेंट डॉलर में होता है। यानी डॉलर का ऐसा रुतबा है, ऐसा दबदबा है, कि दुनिया भर में इसी की दादागीरी चलती है। इसके सामने दूसरी करेंसी बेबस हो जाती है। इसके सामने दुनिया के दूसरे देश बेबस हो जाते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे बदलना चाहते हैं। कैसे वो बहुत बड़ा रिस्क ले रहे हैं।
Explained: रुपया में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट का सिस्टम कैसे काम करेगा ?
इस तरह का सिस्टम कुछ साल पहले ईरान के साथ शुरू किया गया था। लेकिन, 2019 में ईरान से तेल का इंपोर्ट बंद करने के इंडिया के फैसले के बाद यह सिस्टम बेकार हो गया।
अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट रुपया में होगा। RBI इसके लिए सिस्टम शुरू करने जा रहा है। अभी ज्यादातर इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट (नेपाल और भूटान को छोड़) दुनिया की प्रमुख करेंसी में होता है। इनमें डॉलर, स्टर्लिंग पाउंड, यूरो और येन शामिल हैं। RBI के नई व्यवस्था शुरू करने के बाद अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट रुपया में भी हो सकेगा।
आरबीआई ने ट्रेड सेटलमेंट का नया सिस्टम क्यों शुरू किया?
आरबीआई ने कहा है कि सेटलमेंट की नई व्यवस्था एक्सचेंज रेट रिस्क कैसे काम करता है शुरू करने का मकसद इंडिया के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना है। भारतीय रुपया में ट्रेड करने में देशों की दिलचस्पी बढ़ी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इस कदम का मकसद रूस के साथ ट्रेड बढ़ाना है। यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस अमेरिका, इंग्लैंड और ईयू में अपने डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।
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उधर, विदेशी फंड पिछले 8-9 महीनों से इंडियन स्टॉक मार्केट में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इधर, जून में इंडिया का ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 25.63 अरब डॉलर पहुंच गया है। एक्सचेंज रेट रिस्क कैसे काम करता है यह पिछले साल जून के मुकाबले ढ़ाई गुना है। RBI ने विदेशी मुद्रा भंडार के लिए भी कुछ उपायों का ऐलान किया है। इसने NRI के फॉरेन करेंसी होल्डिंग अकाउंट्स पर इंटरेस्ट बढ़ाने की इजाजत बैंकों को दे दी है। एक फाइनेंशियल ईयर में ऑटोमैटिक रूच से विदेश से कर्ज जुटाने की सीमा भी बढ़ा दी है।
कैसे काम करेगा रुपया में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम?
इंटरनेशनल फंड में भी कर सकते हैं निवेश, जानें इससे जुड़ी हर बात
इंटरनेशनल फंड में आपको डबल मार्केट का रिस्क होता है. अपने देश के मार्केट का उतार-चढ़ाव और दूसरे देश के मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर पड़ता है.
विदेशी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इंटरनेशनल फंड्स की मदद लेनी होगी. इंटरनेशनल फंड को ओवरसीज फंड भी कहते हैं. फॉरेन फंड्स में ज्यादा जोखिम और ज्यादा रिटर्न होता है. पोर्टफोलियो में इंटरनेशनल फंड (nternational Funds) को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए रखते हैं.
किसे करना चाहिए निवेश
इंटरनेशनल फंड पैसिव इन्वेस्टर के लिए नहीं होता है. इंटरनेशनल फंड (nternational Mutual Funds) में काफी सतर्कता की जरूरत होती है. यहां इन्वेस्टमेंट के लिए फॉरेन एक्सपोजर में मार्केट स्टडी की जरूरत होती है.
यहां निवेश के लिए निवेशक के शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गोल साफ होने चाहिए. इंटरनेशनल फंड में 15-20 फीसदी एलोकेशन सही होता है.
बिटकॉइन से करें शुरुआत
हर क्रिप्टोकरंसी अपने आप में यूनिक है और उसी हिसाब से उसकी ट्रेडिंग होती है. नए निवेशक जब खरीदारी करने चलें तो एक्सचेंज रेट रिस्क कैसे काम करता है उसके बारे में ठीक से रिसर्च कर लें. जैसे नंबर टू क्रिप्टोकरंसी इथीरियम एक प्लेटफॉर्म भी है जिसे अलग-अलग ऐप के जरिये खरीदा जा सकता है. ऐसा नहीं है कि किसी खास ऐप से ही इसकी ट्रेडिंग और खरीदारी होगी. जैसे मोबाइल में एंड्रॉयड सिस्टम अलग-अलग मोबाइल कंपनियों में काम करता है, वैसे ही इथीरियम अलग-अलग ऐप पर भी काम करता है. नए निवेशकों को एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बिटकॉइन और इथीरियम में पैसा लगाकर शुरुआत करनी चाहिए. ठीक वैसे ही जैसे इक्विटी में एसआईपी के जरिये निवेश शुरू करते हैं.
भारत में अभी क्रिप्टोकरंसी रेगुलेटेड नहीं है, सरकार और रिजर्व बैंक का अभी रुख साफ नहीं है. ऐसे एक्सचेंज रेट रिस्क कैसे काम करता है में कम पैसे में निवेश करने की सलाह दी जाती है. ट्रेडिंग का मतलब होता है कि खरीदारी पर कितना मुनाफा कमाते हैं. कोई किप्टो कितने में खरीदते हैं, ट्रेडिंग का मकसद यह नहीं होता है. इसी हिसाब से क्रिप्टो में पैसे लगाने और उसे जारी रखने पर फोकस करना चाहिए. नए निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 2-3 परसेंट क्रिप्टोकरंसी को रखना चाहिए. बाद में मार्केट की समझ हो जाए तो निवेश बढ़ा सकते हैं.