इक्विटी सूचकांक

भारत : इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स में हल्की गिरावट
नई दिल्ली। भारत के प्रमुख इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में मंगलवार के शुरूआती सत्र में मामूली गिरावट दर्ज की गई। सुबह 9.36 बजे सेंसेक्स 0.1 फीसदी या 38 अंक नीचे 56,448 अंक पर था, जबकि निफ्टी 0.1 फीसदी या 10 अंक नीचे 16,862 अंक पर था।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वी.के. विजयकुमार ने कहा, क्रूड में 140 डॉलर से 103 डॉलर की गिरावट एक बड़ी राहत है और अगर गिरावट इक्विटी सूचकांक जारी रहती है।
शेयरों में टाटा कंज्यूमर, सिप्ला, मारुति सुजुकी, डिविज लैब्स और सन फार्मा निफ्टी 50 कंपनियों में शीर्ष फायदे रहे, जबकि ओएनजीसी, हिंडाल्को, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और कोल इंडियन घाटे में रहे हैं।
Share Market Update: एफआईआई लगातार दूसरे महीने ‘नेट सेलर’ बने, अक्तूबर महीने में 1586 करोड़ की हुई बिकवाली
Share Market Update: नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में विदेशी निवेशकों (Foreign Institutional Investors) ने भारत में 7,624 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचे हैं। 2022 में अब तक उन्होंने संचयी आधार पर 1,70,375 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्तूबर में भारतीय शेयर बाजार में 1586 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। मजबूत अमेरिकी डॉलर सूचकांक, कमजोर रुपये और मौद्रिक नीति के कड़े होने के बीच लगातार दूसरे महीने वे शुद्ध विक्रेता (नेट सेलर) बन गए हैं।
हालांकि बीते सप्ताह भारतीय शेयर सूचकांकों के निवेशकों को बड़ा रिटर्न देने के साथ फंड के बहिर्वाह की मात्रा में काफी गिरावट आई है। पिछले 10 सत्रों में से नौ के दौरान भारतीय शेयर सूचकांक हरे निशान पर बंद हुए।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में विदेशी निवेशकों (Foreign Institutional Investors) ने भारत में 7,624 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचे हैं। 2022 में अब तक उन्होंने संचयी आधार पर 1,70,375 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने बीते एक वर्ष से भारतीय बाजारों में इक्विटी की बिकवाली कर रहे हैं, यह सिलसिला पिछले वर्ष अक्तूबर में अलग-अलग कारणों से शुरू हुआ था। इस बीच सिर्फ जुलाई और अगस्त महीने में वे शुद्ध खरीदार रहे।
विस्तार
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्तूबर में भारतीय शेयर बाजार में 1586 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। मजबूत अमेरिकी डॉलर सूचकांक, कमजोर रुपये और मौद्रिक नीति के कड़े होने के बीच लगातार दूसरे महीने वे शुद्ध विक्रेता (नेट सेलर) बन गए हैं।
हालांकि बीते सप्ताह भारतीय शेयर सूचकांकों के निवेशकों को बड़ा रिटर्न देने के साथ फंड के बहिर्वाह की मात्रा में काफी गिरावट आई है। पिछले 10 सत्रों में से नौ के दौरान भारतीय शेयर सूचकांक हरे निशान पर बंद हुए।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में विदेशी निवेशकों (Foreign Institutional Investors) ने भारत में 7,624 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचे हैं। 2022 में अब तक उन्होंने संचयी आधार पर 1,70,375 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने बीते एक वर्ष से भारतीय बाजारों में इक्विटी की बिकवाली कर रहे हैं, यह सिलसिला पिछले वर्ष अक्तूबर में अलग-अलग कारणों से शुरू हुआ था। इस बीच सिर्फ जुलाई और अगस्त महीने में वे शुद्ध खरीदार रहे।
शिक्षा सूचकांक में मलाया ने फिर हासिल किया सबसे निचला रैंक
सूचकांक सोमवार को थिंक-टैंक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा जारी एक पेपर में प्रकाशित किया गया था। पेपर का शीर्षक था "पीआईई इंडेक्स 2020-2: भारत में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रणालियों के स्वास्थ्य को मापना"।
सूचकांक को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य को मोटे तौर पर तीन मापदंडों - प्रदर्शन, बुनियादी ढांचे और इक्विटी पर मापने के लिए विकसित किया गया था।
इसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को तीन श्रेणियों में विभाजित किया - बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश। छोटे राज्यों में, सिक्किम और गोवा ने शीर्ष रैंक हासिल की, जबकि मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम रैंक थी।
त्रिपुरा जैसे कुछ राज्यों में, केवल 20% स्कूलों में बिजली की पहुंच थी। पेपर ने कहा कि बिहार और मेघालय में, काम करने वाले कंप्यूटरों का अनुपात केवल 15% है।
केंद्र शासित प्रदेशों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया जबकि छोटे राज्यों को सबसे कम स्थान दिया गया। शिक्षा मंत्रालय का अपना उपकरण है - प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स या पीजीआई।
पीआईई इंडेक्स में, पंजाब सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाले बड़े राज्य के रूप में उभरा। इसके बाद केरल और तमिलनाडु का नंबर आता है। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार थे। केंद्र शासित प्रदेशों में, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और चंडीगढ़ ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
पीआईई इंडेक्स इक्विटी सूचकांक का उपयोग 2016-17 से 2020-21 तक शिक्षा में बदलाव को ट्रैक करने के लिए किया गया है। पेपर ने कहा कि सीखने के परिणामों, बुनियादी ढांचे और इक्विटी पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
"राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निजी और सरकारी स्कूलों, लड़कों और लड़कियों की शिक्षा और ग्रेड में जाति-आधारित अंतर के बीच की खाई को पाटने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई की जरूरत है कि छात्राओं और अन्य हाशिए पर रहने वाले समूह पीछे न रहें, "पेपर ने कहा।
इसने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 से शिक्षा क्षेत्र में पर्याप्त सुधार की उम्मीद है और "देश भर में सीखने के परिणामों को अनुकूल रूप से प्रभावित कर सकता है"।
अखबार ने कहा, "एनईपी ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से पहुंच और इक्विटी बढ़ाने का भी प्रयास करता है, जिसका इक्विटी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"
पीआईई इंडेक्स को परिणामों और प्रक्रियाओं दोनों के दृष्टिकोण से विकसित किया गया है। हालांकि, यह उपस्थिति, शिक्षक उपलब्धता और पारदर्शिता जैसे परिणामों की सहायता करने वाली शासन प्रक्रियाओं में कारक नहीं है।
पीआईई इंडेक्स प्रदर्शन और इक्विटी सब-इंडेक्स के लिए नेशनल अचीवमेंट सर्वे (एनएएस 2021) और इंफ्रास्ट्रक्चर सब-इंडेक्स को मापने के लिए यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई 2020-21) के डेटा का उपयोग करता है।
स्कूल प्रणाली के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए अंग्रेजी और गणित के अंकों का उपयोग किया गया था। कक्षा 3, 5 और 8 में हाशिए के समुदायों के छात्रों के सीखने के परिणामों में अंतर - लिंग, जाति, स्कूल के प्रकार के आधार पर - समानता को मापने के लिए माना गया। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की उपलब्धता, पीने का पानी, बिजली के साथ कक्षाएं और काम करने वाले कंप्यूटर यूडीआईएसई के डेटा के साथ बुनियादी ढांचे के उप-सूचकांक के लिए विचार किए गए कारक थे।
यह सूचकांक राज्य-स्तरीय नीति निर्माताओं को इस संदर्भ में अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा कि वे अपने सिस्टम को कैसे सुधार सकते हैं जो डेटा-संचालित तरीके से एनईपी के कार्यान्वयन के दौरान सहायक हो सकता है।
शुरूआती कारोबार में इक्विटी सूचकांकों में हल्की गिरावट
भारत के प्रमुख इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में मंगलवार के शुरूआती सत्र में मामूली गिरावट दर्ज की गई। सुबह 9.36 बजे सेंसेक्स 0.1 फीसदी या 38 अंक नीचे 56,448 अंक पर था, जबकि निफ्टी 0.1 फीसदी या 10 अंक नीचे 16,862 अंक पर था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वी.के. विजयकुमार ने […]
भारत के प्रमुख इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में मंगलवार के शुरूआती सत्र में मामूली गिरावट दर्ज की गई। सुबह 9.36 बजे सेंसेक्स 0.1 फीसदी या 38 अंक नीचे 56,448 अंक पर था, जबकि निफ्टी 0.1 फीसदी या 10 अंक नीचे 16,862 अंक पर था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वी.के. विजयकुमार ने कहा, क्रूड में 140 डॉलर से 103 डॉलर की गिरावट एक बड़ी राहत है और अगर गिरावट जारी रहती है।
शेयरों में टाटा कंज्यूमर, सिप्ला, मारुति सुजुकी, डिविज लैब्स और सन फार्मा निफ्टी 50 कंपनियों में शीर्ष फायदे रहे, जबकि ओएनजीसी, हिंडाल्को, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और कोल इंडियन घाटे में रहे हैं।
लंबे समय का निवेश
बतौर एसेट इक्विटी और म्यूचुअल फंड समय के साथ आपके निवेश में संभावित वृद्धि के लिहाज से एक बेहतरीन विकल्प है
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 17 मई 2022,
- (अपडेटेड 17 मई 2022, 6:10 PM IST)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के 2019 के एक अध्ययन के मुताबिक, 95 फीसद से ज्यादा भारतीय परिवार अपना पैसा बैंक जमा में रखना पसंद करते हैं. बचत खातों में पैसा बेशक ब्याज देता है, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं. बचत खातों में ब्याज की दर औसतन 3 फीसद है जबकि वर्तमान औसत महंगाई दर 6 फीसद से ज्यादा है, इसलिए जब आप बैंक में पैसा रखते हैं, तो वास्तव में तब आप बैंक को अपना पैसा सुरक्षित रखने के एवज में धन भुगतान कर रहे होते हैं. सच तो यह है कि आपकी बचत की वैल्यू में महंगाई नहीं जुड़ी है, इसका मतलब है कि बैंक में जमा धन का वास्तविक मूल्य भी बरकरार नहीं रहता है.
पैसा ऐसी जगह लगाने की जरूरत है जिससे आपका रहन-सहन का स्तर बरकरार रखा जा सके. बचत की वैल्यू बढ़ाने इक्विटी सूचकांक के लिए, आपको निवेश की जरूरत है और अगर आप सच में लंबे समय तक महंगाई को पछाड़ते हुए पैसा बढ़ता देखना चाहते हैं तो आपको इक्विटी में पैसा लगाने की जरूरत है. निवेश के जिन साधनों का बतौर एसेट क्लास इक्विटी में पैसा लगा होता है उनमें ही वैल्यू बढ़ाने और ग्रोथ की जरूरी क्षमता होती है. मिसाल के तौर पर 1 जनवरी, 1980 को एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स सूचकांक में 100 रुपए निवेश किया गया, तब उसका मूल्य 118.16 रु. था, 42 साल बाद, 1 जनवरी, 2022 को, इसका सूचकांक मूल्य 59,183.22 हो गया यानी इसकी वैल्यू 50,078.9 रु के बराबर हो गई.
इक्विटी की विविधता
इक्विटी में पैसा, शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड (एमएफ) के मार्फत नवेश किया जा सकता है. दोनों में पैसा लगाने के अपने फायदे हैं, लेकिन शेयरों में सीधे निवेश करने के बजाए इक्विटी एमएफ में निवेश करना आसान, सुविधाजनक और ज्यादा सुरक्षित है. एक तय रकम को अगर इक्विटी एमएफ के बजाय सीधे शेयर बाजार में निवेश किया जाए तो आप विभिन्न कंपनियों के सीमित संख्या में ही. शेयर खरीद पाएंगे.
इक्विटी एमएफ, परिसंपत्ति आवंटन और विविधता के सिद्धांतों पर चलता है, जिससे निवेशक जोखिम को कम करते हुए अपने पैसे को ज्यादा शेयरों में लगा सकते हैं. सबसे अहम बात ये कि इस तरह के निवेश तरल होते हैं, जिसका मतलब है कि जरूरत पड़ने पर निवेशक इस निवेश को वापस निकाल सकता है. जिस दिन वे अपना धन निकालने की प्रक्रिया शुरू करते हैं, उसके तकरीबन एक हफ्ते के भीतर ही ये पैसा लिंक किए गए आपके बैंक खाते में जमा कर दिया जाता है.
एमएफ के जरिए से इक्विटी में निवेश करने के कई फायदे हैं- इक्विटी एमएफ में निवेश का पेशेवर ढंग से प्रबंधन कर एकत्र धन को मूल रूप से शेयर मार्केट में निवेश होता है. बाजार में एक दर्जन प्रकार के इक्विटी एमएफ हैं और प्रत्येक में अलग-अलग जोखिम का स्तर है जो निवेशकों की प्रोफाइल और निवेश समय सीमा के लिहाज से उपयुक्त हो सकते हैं.
प्रत्येक फंड के साथ जोखिम ग्रेड को रिस्कोमीटर में दर्ज किया जाता है, जो न्यूनतम से अधिकतम भी हो सकता है और इसमें निवेशक अपने जोखिम उठाने की इच्छा और निवेश लक्ष्यों के अनुसार फंड चुन सकता है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक बुनियादी नियम यह है कि निवेश की समय सीमा कम से कम पांच साल हो. इक्विटी में निवेश करने का दीर्घकालिक नजरिया इक्विटी निवेश के रिटर्न की अस्थिर प्रकृति पर निर्भर है. मसलन सेंसेक्स पहली बार सितंबर, 2021 में 59,000 के पार गया था और फिर 14 अक्तूबर, 2021 को 61,000 अंकों के स्तर को छू गया. हालांकि, सूचकांक दिसंबर 2021 में 56,000 तक गिर गया जो इक्विटी की अस्थिर प्रकृति को दर्शाता है. मुद्दा यह है कि इक्विटी निवेश का मूल्य अस्थिर हो सकता है लेकिन ये भी सच है कि लंबे वक्त में यह महत्वपूर्ण रूप से बढ़ता है.
इक्विटी फंड के कई विकल्प
इक्विटी फंड की हर श्रेणी अलग-अलग समय सीमा के लिए माकूल है. एक स्मॉल-कैप फंड 7 से 10 साल की लंबी अवधि के निर्धारित लक्ष्यों वाले पोर्टफोलियो में शामिल किया जा इक्विटी सूचकांक सकता है. इसके मुकाबले में लार्ज कैप फंड 5-6 साल आगे के लक्ष्य के लिए मुफीद साबित हो सकता है. सेवानिवृत्ति जैसे 20 साल तक के लंबी अवधि वाले वित्तीय लक्ष्य के लिए पोर्टफोलियो में लार्ज कैप मिड कैप तथा स्मॉल कैप फंड और यहां तक कि सेक्टोरल और थीमैटिक फंड का मिश्रण शामिल किया जा सकता है.
युद्ध, आपदाएं, आर्थिक मंदी और राजनीतिक अस्थिरता शेयर बाजार की चाल को प्रभावित करती हैं. हालांकि, जब आप शेयर बाजारों की चाल को लंबी अवधि के लिए देखते हैं, तो आप बाजार को बेहतर समझ सकते हैं. बेशक तब आपमें निवेश करने और निवेश के साथ धैर्य बनाए रखने का विश्वास बढ़ जाता है.
इक्विटी में निवेश शुरू करने के लिए आप सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और उन्हें हासिल करने की समयावधि को सूचीबद्ध करें. इसके बाद आप वित्तीय लक्ष्यों के लिए विभिन्न तरह के फंडों की योजना बना सकते हैं और निवेश शुरू कर सकते हैं. ये करने में आप जितनी ज्यादा देरी करते हैं, उतना ही आप अपने बचाए हुए पैसों के मूल्य को कम कर रहे हैं.
एक छोटी-सी शुरुआत करें, नियमित निवेश करें और महंगाई को मात देने के लिए लंबे समय तक अपने निवेश के साथ बने रहें. ऐसा करके ही आप अपने जीवन में कई वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.