मुद्रा व्यापार की मूल बातें

एयरटेल खत्म करेगी सस्ते प्लान! पर फैसले में है जोखिम: विश्लेषक
भारती एयरटेल का हरियाणा और ओडिशा सर्कल में 99 रुपये वाला रिचार्ज प्लान बंद करने का सोमवार का फैसला दूरसंचार कंपनी के लिए कुछ महीनों में शुल्क बढ़ाने का संकेत हो सकता है। विश्लेषकों ने यह संभावना जताई है। एयरटेल के कुल मोबाइल राजस्व में 99 रुपये वाली श्रेणी का योगदान सात से आठ फीसदी रहता है, जिसने एक साल पहले शुल्क बढ़ोतरी की थी। विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी का हालिया कदम निचले स्तर वाली 2जी श्रेणी पर असर का आकलन करने का तरीका हो सकता है, जिसमें आम तौर पर इस तरह के सस्ते प्लान की सेवा प्रदान की जाती है।
सिटी रिसर्च की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है कि अगर भारती अपने सभी सर्कलों में यह बदलाव लागू करने में कामयाब रहती है, तो हमारा अनुमान है कि यह अपने मोबाइल राजस्व में ढाई से तीन प्रतिशत तक का इजाफा कर सकती है, हालांकि इस खंड की मूल्य संवेदनशीलता को देखते हुए ग्राहकों के निकलने की अधिक दर से इसे आंशिक रूप से बराबर किया जा सकता है।
विश्लेषकों ने कहा कि एयरटेल द्वारा इस फैसले को देश भर में लागू करना ग्राहकों की प्रतिक्रिया और प्रतिस्पर्धा पर निर्भर करेगा। मॉर्गन स्टेनली रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कम वैधता अवधि के साथ 57 प्रतिशत की वृद्धि की प्रायोगिक शुरुआत साहसिक कदम है और एक महत्त्वपूर्ण सकारात्मक आश्चर्य के रूप में सामने आया है। हालांकि अगर यह देश के लिए मूल योजना बन जाता है, तो राजस्व पर असर इससे काफी कम रह सकता है।
मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि दूरसंचार सेवाओं के लिए शुरुआती प्लानों का औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता (एआरपीयू) न्यूनतम रिचार्ज राशि से अधिक हो सकता है क्योंकि कुछ उपभोक्ता अपने सब्सक्रिप्शन को एक से अधिक बार रिचार्ज कर सकते हैं।
एयरटेल के प्रतिस्पर्धी
विश्लेषकों ने कहा कि शायद अन्य दूरसंचार कंपनियां एयरटेल के फैसले का तुरंत अनुसरण न करें। मॉर्गन स्टेनली रिसर्च ने वोडाफोन इंडिया लिमिटेड (वीआईएल) का जिक्र मुद्रा व्यापार की मूल बातें करते हुए कहा कि वीआईएल ने अपनी पिछली कॉन्फ्रेंस कॉल में शुरुआती स्तर पर कुछ मूल्य निर्धारण के व्यवधान के बाद ग्राहकों के जाने के बारे में बात की थी।
वीआईएल औ रिलायंस जियो भी शायद शुल्क बढ़ाना चाहें, लेकिन उन्हें व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मॉर्गन स्टेनली ने बताया कि वोडाफोन इंडिया में पहले से ही अधिक ग्राहक निकासी दिख रही है।
दुनिया की सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्राएं: यूएसडी, यूरो, जेपीवाई, जीबीपी, एयूडी, सीएडी | Most traded currencies globally
दुनिया भर में सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली शीर्ष 6 मुद्राएं
- Date : 03/11/2021
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- Read in English: Top 6 most traded currencies across the world
दुनिया की सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली शीर्ष 6 मुद्राएं कौन सी हैं, जानिये। उनकी लोकप्रियता का कारण क्या है?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिकी डॉलर दुनिया में सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। कुछ अन्य मुद्राएं भी हैं जिनके साथ इसका बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। साथ ही ये मुद्रा जोड़े दुनिया में कुल विदेशी मुद्रा व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस लेख में, आप दुनिया भर में कारोबार की जाने वाली शीर्ष 6 मुद्राओं के बारे में पढ़ेंगे।
1. अमेरिकी डॉलर (यूएसडी)
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन में औसतन लगभग 2.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार होता है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होना, इस मुद्रा की इस असाधारण लोकप्रियता की मुख्य वजह है। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने के लिए विश्व स्तर पर कई बैंकों में सबसे अधिक आरक्षित मुद्रा है। दूसरा कारण यह है कि सोना, कच्चा तेल, तांबा आदि जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं का दाम अमेरिकी डॉलर में बताया जाता है।
2. यूरो (ईयूआर)
दूसरे स्थान पर यूरो है, जो यूरोपीय संघ की आधिकारिक मुद्रा है। एक अध्ययन के अनुसार, यह अमेरिकी डॉलर के बाद दुनिया में दूसरी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। इस मुद्रा का औसतन लगभग 1.1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर प्रतिदिन कारोबार किया जाता है। यूरोप में मजबूत आर्थिक परिदृश्य और मजबूत राजनीतिक माहौल यूरो के मूल्य को स्थिर और उच्च रखता है।
3. जापानी येन (जेपीवाई)
इसके बाद जापानी येन है, जिसका दुनिया भर में अत्यधिक कारोबार होता है। यूएसडी/जेपीवाई मुद्रा जोड़ी भी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्राओं में से एक है। यह जापान की आधिकारिक मुद्रा है और विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा है। देश के फलते-फूलते विनिर्माण क्षेत्र के कारण इसका मूल्य अधिक है। जापान असाधारण विकास वाला एक छोटा देश है और इसकी मुद्रा का मूल्य मजबूत बना हुआ है।
4. पाउंड स्टर्लिंग (जीबीपी)
पाउंड स्टर्लिंग यूनाइटेड किंगडम और उसके क्षेत्रों की आधिकारिक मुद्रा है।एक रिपोर्ट के अनुसार, यह दुनिया की मुद्रा व्यापार की मूल बातें चौथी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। इस मुद्रा के व्यापार की दैनिक मात्रा लगभग 422 बिलियन अमरीकी डॉलर है। जीबीपी की लोकप्रियता का कारण यूके का उत्कृष्ट आर्थिक प्रदर्शन, उच्च रोजगार स्तर और महत्वपूर्ण मौद्रिक नीतियां हैं।
5. ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (एयूडी)
पांचवें स्थान पर ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है, जिसकी दैनिक मुद्रा कारोबार मात्रा लगभग 223 बिलियन अमरीकी डॉलर है। एयूडी के मूल्य को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है इस देश का विकसित विदेश कारोबार होना। ऑस्ट्रेलिया कोयला, तांबा, लोहा और अन्य खनन वस्तुओं का शीर्ष निर्यातक है, इसलिए इसकी मुद्रा का मूल्य स्वाभाविक रूप से मजबूत रहता है।
6. कैनेडियन डॉलर (सीएडी)
सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा के मामले में छठवें स्थान पर कैनेडियन डॉलर है। यह कनाडा की आधिकारिक मुद्रा है। इसका दैनिक औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम लगभग 166 बिलियन अमरीकी डॉलर है। कनाडा प्राकृतिक संसाधनों से भरा देश मुद्रा व्यापार की मूल बातें है। यह वस्तुओं के प्रमुख निर्यातकों में से एक है, जो इसकी मुद्रा के मूल्य को काफी हद तक प्रभावित करता है।
विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है। 2020 के बाद से इसके कारोबार की दैनिक मात्रा 6.6 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गई है। यह मात्रा लगातार बढ़ रही है। ऊपर उल्लिखित मुद्राएं कारोबार के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिकी डॉलर दुनिया में सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। कुछ अन्य मुद्राएं भी हैं जिनके साथ इसका बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। साथ ही ये मुद्रा जोड़े दुनिया में कुल विदेशी मुद्रा व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस लेख में, आप दुनिया भर में कारोबार की जाने वाली शीर्ष 6 मुद्राओं के बारे में पढ़ेंगे।
1. अमेरिकी डॉलर (यूएसडी)
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन में औसतन लगभग 2.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार होता है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होना, इस मुद्रा की इस असाधारण लोकप्रियता की मुख्य वजह है। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने के लिए विश्व स्तर पर कई बैंकों में सबसे अधिक आरक्षित मुद्रा है। दूसरा कारण यह है कि सोना, कच्चा तेल, तांबा आदि जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं का दाम अमेरिकी डॉलर में बताया जाता है।
2. यूरो (ईयूआर)
दूसरे स्थान पर यूरो है, जो यूरोपीय संघ की आधिकारिक मुद्रा है। एक अध्ययन के अनुसार, यह अमेरिकी डॉलर के बाद दुनिया में दूसरी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। इस मुद्रा का औसतन लगभग 1.1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर प्रतिदिन कारोबार किया जाता है। यूरोप में मजबूत आर्थिक परिदृश्य और मजबूत राजनीतिक माहौल यूरो के मूल्य को स्थिर और उच्च रखता है।
3. जापानी येन (जेपीवाई)
इसके बाद जापानी येन है, जिसका दुनिया भर में अत्यधिक कारोबार होता है। यूएसडी/जेपीवाई मुद्रा मुद्रा व्यापार की मूल बातें जोड़ी भी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्राओं में से एक है। यह जापान की आधिकारिक मुद्रा है और विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा है। देश के फलते-फूलते विनिर्माण क्षेत्र के कारण इसका मूल्य अधिक है। जापान असाधारण विकास वाला एक छोटा देश है और इसकी मुद्रा का मूल्य मजबूत बना हुआ है।
4. पाउंड स्टर्लिंग (जीबीपी)
पाउंड स्टर्लिंग यूनाइटेड किंगडम और उसके क्षेत्रों की आधिकारिक मुद्रा है।एक रिपोर्ट के अनुसार, यह दुनिया की चौथी सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा है। इस मुद्रा के व्यापार की दैनिक मात्रा लगभग 422 बिलियन अमरीकी डॉलर है। जीबीपी की लोकप्रियता का कारण यूके का उत्कृष्ट आर्थिक प्रदर्शन, उच्च रोजगार स्तर और महत्वपूर्ण मौद्रिक नीतियां हैं।
5. ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (एयूडी)
पांचवें स्थान पर ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है, जिसकी दैनिक मुद्रा कारोबार मात्रा लगभग 223 बिलियन अमरीकी डॉलर है। एयूडी के मूल्य को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है इस देश का विकसित विदेश कारोबार होना। ऑस्ट्रेलिया कोयला, तांबा, लोहा और अन्य खनन वस्तुओं का शीर्ष निर्यातक है, इसलिए इसकी मुद्रा का मूल्य स्वाभाविक रूप से मजबूत रहता है।
6. कैनेडियन डॉलर (सीएडी)
सबसे अधिक कारोबार की जाने वाली मुद्रा के मामले में छठवें स्थान पर कैनेडियन डॉलर है। यह कनाडा की आधिकारिक मुद्रा है। इसका दैनिक औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम लगभग 166 बिलियन अमरीकी डॉलर है। कनाडा प्राकृतिक संसाधनों से भरा देश है। यह वस्तुओं के प्रमुख निर्यातकों में से एक है, जो इसकी मुद्रा के मूल्य को काफी हद तक प्रभावित करता है।
विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया में सबसे बड़ा है। 2020 के बाद से इसके कारोबार की दैनिक मात्रा 6.6 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गई है। यह मात्रा लगातार बढ़ रही है। ऊपर उल्लिखित मुद्राएं कारोबार के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
विदेशी व्यापार किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है ?
मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त हैं। कुछ आवश्यकता की वस्तुए तो देश में ही प्राप्त हो जाती है तथा कुछ वस्तुओं को विदेशों से मंगवाना पड़ता है। भोगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रत्येक देश सभी प्रकार की वस्तुए स्वयं पैदा नहीं कर सकता है। किसी देश में एक वस्तु की कमी है तो दूसरे देश में किसी दूसरी वस्तु की। इस कमी को दूर करने के लिए विदेशी व्यापार का जन्म हुआ है।
दो देशों के मध्य होने वाले वस्तुओं के परस्पर विनिमय या आदान’-प्रदान को विदेशी व्यापार कहते हैं। जो देश माल भजेता है उसे निर्यातक एवं जो देश माल मंगाता है उसे आयातक कहते हैं एवं उन दोनों के बीच होने वाल े आयात-निर्यात को विदेशी व्यापार कहते हैं।
मुद्रा व्यापार की मूल बातें
जोरदार मुद्रा नीति अनुसंधान के लिए दुनिया भर में अपनी पहचान कायम करने वाले फ्रांसीसी बैंक बीएनपी पारिबा ने पिछले सप्ताह 'सेल अमेरिका' (अमेरिका को बेचो) नाम से एक रिपोर्ट जारी की।
इस रिपोर्ट का शीर्षक वैश्विक परिसंपत्ति बाजार में अचानक लोगों की बदलती धारणा को बेहतर ढंग से अभिव्यक्ति देता है। अगर यह धारणा बनी रहती है तो इससे उभरते बाजारों की मुद्राओं और इक्विटी बाजार के प्रति कुछ समय के लिए भरोसा पैदा हो सकता है।
दरअसल 'सेल अमेरिका' रिपोर्ट इस घटना की ओर इशारा करती है कि गैर-डॉलर मुद्रा व्यापार (जो पिछले छह महीनों के दौरान लगभग गायब ही हो गया है) एक बार फिर नाटकीय ढंग से वापसी कर सकता है।
मुद्रा कारोबारियों और निवेशकों ने डॉलर को बेचना शुरू कर दिया है, जो भारी बजट घाटे को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में धन की आवश्यकता जैसी अमेरिकी संरचनात्मक समस्याओं को लेकर उसकी व्याकुलता को दिखाता है।
ये निवेशक हाल-फिलहाल तक जोखिम से बचने के लिए डॉलर खरीद रहे थे। यह दीगर बात है कि इस संकट का कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र ही थे। लेकिन, अब तस्वीर बदल गई है। रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स द्वारा ब्रिटेन के सॉवरिन फंड की रेटिंग को घटाने के बाद पिछले सप्ताह डॉलर की भारी बिक्री देखने को मिली थी।
निवेशकों का मानना है कि इसके बाद अमेरिका की बारी आनी है क्योंकि 2009 के दौरान अमेरिका का बजट घाटा करीब 13 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो काफी अधिक है। अप्रत्याशित रूप से इस खबर के बाद पाउंड स्टर्लिंग में बढ़त देखने को मिली, लेकिन डॉलर को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा।
चूंकि निवेशक डॉलर परिसंपत्ति को छोड़ रहे हैं, इसलिए उन्हें विकल्प की तलाश है। निश्चित तौर से एक विकल्प भारत सहित उभरते बाजारों के पूंजी बाजार हैं। भारत में आम चुनावों के नतीजों से स्थानीय बाजार को मजबूती मिली है, ऐसे में, वैश्विक बाजार की धारणा अमेरिकी मुद्रा से हटने के कारण इसमें आगे और तेजी देखने को मिल सकती है।
अगर हम आर्थिक इतिहास पर थोड़ा सा गौर करे तो पूरे मामले को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। पिछले तीन दशक के दौरान आमतौर पर वैश्विक मंदी डॉलर में तेजी के साथ ही आई है। निवेशकों को जब कभी जोखिम का एहसास हुआ तो अमेरिका के सरकारी बॉन्ड और दूसरी अमेरिकी परिसंपत्ति उन्हें सबसे अधिक सुरक्षित लगीं।
आंकड़े यह भी बताते हैं कि इससे मुद्रा व्यापार की मूल बातें मुद्रा व्यापार की मूल बातें कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वैश्विक मंदी अमेरिकी द्वारा प्रेरित है या नहीं। जब भी संकट पैदा होता था वैश्विक निवेशक आमतौर पर डॉलर के पीछे खड़े हो जाते थे। मौजूदा वित्तीय संकट इसका अपवाद नहीं है।
इस तथ्य के बावजूद कि वैश्विक आर्थिक संकट के मूल में अमेरिकी हाउसिंग बाजार और बैंकिंग क्षेत्र हैं, मुद्रा का प्रवाह अमेरिका की ओर होता रहा और दूसरी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी का रुख जारी रहा। इस कारण एक अजीब स्थिति पैदा हो गई जहां अमेरिका को उसकी गलतियों के लिए सजा मिलने की जगह पुरस्कार मिल रहा था।
हालांकि अब तीन कारणों से हालात बदल रहे हैं। पहला, इस अवधारणा में पर्याप्त सुधार होता दिख रहा है कि वैश्विक कारोबारी चक्र अपने निचले स्तर पहुंच गया है। दूसरा, डिकप्लिंग की धारणा (या इसका कोई दूसरा रूप) एक बार फिर लौट रही है।
निवेशक अब इस तथ्य के आधार पर दांव खेल रहे हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में दूसरों के मुकाबले अधिक तेजी से सुधार आएगा। अंतिम बात यह है कि खासतौर से भारी सरकारी बजट घाटे सहित अमेरिका की संरचनात्मक समस्याओं के कारण उन्हें अपने कर्मों की सजा मिल रही है।
इसके अलावा जोखिम की भूख बढ़ने और आकर्षक विकल्पों के उभरने के कारण, अब निवेशक अधिक आक्रामक रूप से अमेरिका के बारे में अपनी आशंकाओं को व्यक्त कर सकते हैं। इस बीच एक और जोखिम बना हुआ है।
अगर इस बात के संकेत मिलते हैं कि जी-7 अर्थव्यवस्थाओं सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर गिर सकती है तो डॉलर के पक्ष में एक बार फिर सकारात्मक धारणा विकसित हो सकती है। जैसा कि अनिष्ट की आशंका व्यक्त करने वाले हमेशा कहते रहते हैं, यह भी संभव है कि व्यापक आर्थिक आंकड़ों में दिख रहा सुधार अस्थायी हो, और मुख्य मांग में बहुत अधिक इजाफा न हो।
अगर ऐसा होता है तो डॉलर में सुधार देखने को मिलेगा और उभरते बाजारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। निराशावादी इस तथ्य पर भी जोर दे रहे हैं कि अमेरिका में खातों को दुरुस्त करने की कवायद और भविष्य में अमेरिकी सरकार को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, उस कारण आर्थिक संकुचन को बढ़ावा मिल सकता है।
ऐसे में जब तक घरेलू बचत बढ़ती रहेगी और सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश करेगी, तब तक मांग पर दबाव बना रहेगा और अमेरिकी विकास दर पर लगाम लगी रहेगी। अमेरिकी में किसी बड़ी तेजी के बगैर उभरते बाजारों के लिए तेजी से वापसी करना असंभव है।
संक्षेप में कहें तो हम एक 'डब्ल्यू' आकार के सुधार के पहले चरण में हैं, जहां मौजूदा उत्साह निराशा के एक और दौर को जन्म देगा और उसके बाद एक बार फिर हालात में सुधार आएगा। मेरा अनुमान है कि (क) विकसित देशों में बहुत धीमा लेकिन टिकाऊ सुधार देखने को मिलेगा और (ख) भारत या चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं, जिनके पास अपना विशाल घरेलू बाजार है, में 2010 के मध्य तक पर्याप्त सुधार देखने को मिलेगा।
मेरी तात्कालिक चिंता भारतीय शेयर बाजारों के मूल्याकंन को लेकर है। अगले एक साल के लिए मूल्य-आय अनुपात करीब 16 गुना है, जो सस्ता नहीं है। ऐसे में बाजार में सुधार की काफी संभावनाएं हैं। जैसा कि बेहतर वैश्विक विकास संभावनाओं के कारण जिंसों की कीमतों में भारी तेजी देखने को मिली थी। भारत के तेजी से बढ़ते चालू खाता घाटा को लेकर भी चिंताएं हैं।
इसके अलावा नीतिगत मोर्चे पर भी कुछ निराशाजनक बातें हो सकती हैं, खासकर अगर सरकार घाटे को पाटने के लिए कर की दरों को बढ़ाने की घोषणा करती है तो। इससे थोड़े समय के लिए बाजार की उड़ान थम सकती है। मुद्रा व्यापार की मूल बातें हालांकि, अगर बेहतर प्रतिफल की तलाश में फंड अमेरिका से बाहर निकलते रहे तो भारतीय शेयर बाजार में तेजी का दौर बना रहेगा।
मुद्रा बाजार के कार्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा बाजार के कार्य यह कम जोखिम, अत्यधिक तरल, अल्पकालिक उपकरणों के लिए थोक ऋण बाजार के रूप में कार्य करता है। यह अल्पकालिक तरलता, अधिशेष और घाटे को दूर करने के लिए एक तंत्र प्रदान करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस प्रक्रिया में मौद्रिक नीति के कामकाज की सुविधा प्रदान करता है।
विदेशी मुद्रा बाजार के महत्व क्या है?
इसे सुनेंरोकेंऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार करने के सबसे बड़े लाभों में से एक बाजार निर्माता के साथ सीधे व्यापार करने की क्षमता है। एक प्रतिष्ठित विदेशी मुद्रा दलाल व्यापारियों को स्ट्रीमिंग, निष्पादन योग्य मूल्य प्रदान करेगा। सांकेतिक कीमतों और निष्पादन योग्य कीमतों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है।
विदेशी मुद्रा बाजार में भाग लेने वाले कौन हैं समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ।
विदेशी विनिमय बाजार से आप क्या समझते हैं इसके महत्व और भागीदारों के कार्यों का वर्णन कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय (या फोरेक्स या एफएक्स) बाजार सबसे बड़ा बाजार है, जिसमें विदेशी व्यापारियों के बीच ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का आदान–प्रदान होता है। विदेशी मुद्राओं का व्यापार भारतीय बाजार सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्थानों में किया जाता है, और यह 24 घंटे खुला मुद्रा व्यापार की मूल बातें रहता है।
मुद्रा बाजार से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंयह वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए अल्पकालिक अवधि की नकदी/तरलता का वित्त पोषण प्रदान करता है। मुद्रा बाजार वह जगह है जहां अल्पकालिक कार्यकाल दायित्व जैसे ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक पत्र/पेपर और बैंकरों की स्वीकृतियां आदि खरीदे और बेचे जाते हैं।
मुद्रा बाजार कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय मुद्रा बाजार संगठित एवं असंगठित दो भागों में विभाजित है ।
मुद्रा का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा के जरिया ही चीजों के कीमत का निर्धारण मुमकिन होता है। चीजों और सेवा का कीमत करेंसी से मापने पर विनिमय सरल हो जाता है। मुद्रा से राष्ट्र आय की गणना भी सरल होता है। वह विधि उत्पादन तथा आय विधि के जरिया देश की राष्ट्रीय आय करेंसी के रूप में आसानी से की जा सकती है।
विदेशी विनिमय बाजार से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : विदेशी विनिमय बाजार, विदेशी करेंसी के क्रेताओं तथा मुद्रा व्यापार की मूल बातें विक्रेताओं के किसी प्रकार के संचार द्वारा संबंधों को संबोधित करता है जिसमें वह विदेशी करेंसी का लेनदेन करते हैं। इसके मुख्य क्रेता-विक्रेता, दलाल, बैंक्स तथा केंद्रीय बैंक होते हैं।
विदेशी बाजार के चयन के मुख्य आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकें1. अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफार्इ करने का एक तरीका विदेशी बाजारों में निवेश करना है. विदेशी बाजारों में आर्थिक स्थितियां घरेलू बाजारों से अलग होती हैं. इसलिए जरूरी नहीं कि जब घरेलू बाजारों में गिरावट हो तो वही बात विदेशी बाजारों पर भी लागू हो.
विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा (एफएक्स) एक बाज़ार है जहाँ कई राष्ट्रीय मुद्राओं का कारोबार होता है। यह सबसे अधिक तरल और सबसे बड़ा हैमंडी दुनिया भर में हर दिन खरबों डॉलर का आदान-प्रदान हो रहा है।
विनिमय बाजार क्या है इसकी कार्य पद्धति समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय बाजार एक विकेन्द्रीकृत वैश्विक बाजार है जहां सभी दुनिया की मुद्राओं का कारोबार होता है एक दूसरे, और व्यापारी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन से लाभ या हानि बनाते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार को विदेशी मुद्रा बाजार, FX या मुद्रा ट्रेडिंग मार्केट के रूप में भी जाना जाता है।
विदेशी विनियम से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी विनिमय को विस्तृत अर्थों में स्पष्ट करते हुए एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में लिखा है कि “विदेशी विनिमय वह प्रणाली है जिसके द्वारा व्यापारिक राष्ट्र पारस्परिक ऋणों का भुगतान करते हैं।” इस प्रकार ऐसे साधन जिनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय भुगतान में किया जाता है, विदेशी विनिमय कहलाता है।
मुद्रा बाजार के मुख्य समस्या कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय मुद्रा बाजार का सबसे महत्वपूर्ण दोष असंगठित क्षेत्र का अस्तित्व है। बाजार के इस क्षेत्र में उद्देश्य के रूप में अच्छी तरह से अवधि स्पष्ट रूप से सीमांकित नहीं हैं। वास्तव में, यह खंड इस विशेषता पर पनपता है। यह खंड मुद्रा बाजार में RBI की भूमिका को मुद्रा व्यापार की मूल बातें कम आंकता है।
मुद्रा और पूंजी में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा बाजार में, अत्यंत तरल वित्तीय साधनों का कारोबार किया जाता है, अर्थात अल्पकालिक प्रकृति के मौद्रिक उपकरण निपटाए जाते हैं। इसके विपरीत, पूंजी बाजार दीर्घकालिक प्रतिभूतियों के लिए है। यह उन प्रतिभूतियों के लिए एक बाजार है जिनके पास पूंजी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दावे हैं।
वित्तीय बाजार के प्रमुख कार्य क्या है?
इसे सुनेंरोकें(1) बचतों को गतिशील बनाना तथा उन्हें उत्पादक मुद्रा व्यापार की मूल बातें उपयोग में सरणित करना:- वित्तीय बाजार बचतों को बचतकर्ता से निवेशकों तक अंतरित करने को सुविधापूर्ण बनाता है। अत: यह अधिशेष निधियों को सर्वाधिक उत्पादक उपयोग में सरणित करने में मदद करते हैं। (2) कीमत निर्धारण में सहायक :- वित्तीय बाजार बचतकर्ता तथा निवेशकों को मिलता है।
मुद्रा बाजार का अंग क्या है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय मुद्रा बाजार के अंग- भारतीय मुद्रा बाजार के संगठित क्षेत्रों के अंग में माँग मुद्रा बाजार, राजकोषीय बिल, वाणिज्यिक बिल, अन्तर-निगम निधियाँ, जमा प्रमाण-पत्र, व्यापारिक प्रपत्र, मुद्रा बाजार म्यूचुअल फण्ड और रिपोज हैं।
मुद्रा बाजार से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य अंग कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंमुद्रा बाजार के घटक वाणिज्यिक बैंक, स्वीकृति गृह और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) हैं। यह एक एकल बाजार नहीं है, बल्कि कई उपकरणों के लिए बाजारों का संग्रह है। यह एक जरूरत-आधारित बाजार है, जिसमें पैसे की मांग और आपूर्ति बाजार को आकार देती है। मुद्रा बाजार मूल रूप से एक ओवर-द-फोन बाजार है।
पूंजी बाजार की संरचना क्या है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय अंश पूँजी बाजार, करेंसी बाजार, व्युत्पत्ति बाजार और निगम ऋण बाजार की भूमिका, संरचना और कार्यों का विवरण दे सकेंगे। होता है। इस पूँजी बाजार के अवयव होते हैं: स्टाक या अंश (शेयर) बाजार, ऋण बाजार, व्युत्पत्ति बाजार, विदेशी विनिमय बाजार और वस्तु बाजार ।
पूंजी बाजार का नियामक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में पूंजी बाजार के लिए नियामक संस्था सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) है।
विकसित मुद्रा बाजार की क्या विशेषताएं हैं?
इसे सुनेंरोकेंविकसित मुद्रा बाजार की एक और विशेषता यह है कि इसमें एक एकीकृत ब्याज दर संरचना है। ब्याज दरें जो विभिन्न उप-बाजारों में प्रबल होती हैं, एक-दूसरे के साथ एकीकृत होती हैं। इसे स्पष्ट करने के लिए, अलग-अलग उप-बाजारों के मामलों में मौजूद ब्याज दरों में समान अनुपात में बदलाव के कारण बैंक दर में परिवर्तन होता है।