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ब्रिकी का दबाव

ब्रिकी का दबाव
जॉनसन कंपनी के बेबी पाउडर में एस्बेस्टस मिला हुआ है। माना जा रहा है कि एस्बेस्टस में टैल्क मिलने की वजह से जॉनसन बेबी पाउडर शरीर में कैंसर को जन्म देता है। कंपनी को यह पता था, लेकिन फिर भी उसने यह तथ्य छिपाया और अपना उत्पाद बेचकर नवजात बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करती रही।
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गांव में शराब बिक्री पर भड़की महिलाएं, कारिंदे ठेका छोड़ भागे

जहां दोनों में बहसबाजी हुई। जिला परिषद सदस्य रिंकू भी पहुंचे। रिंकू का कहना है कि ठेकेदारों ने अवैध रूप से थाना से नौच जाने वाली सड़क पर शराब बेचने का खोखा रखा है। इसी कारण यहां से स्कूल जाने वाली छात्राओं को परेशानी होती है। गांव में शराब का चलन बढ़ता जा रहा है।

बर्तनोंके बदले भी देते हैं शराब : महिलाओंका आरोप है कि ठेकेदार के कारिंदे गेहूं से लेकर सिलेंडर बर्तनों के बदले भी शराब दे देते हैं। जिससे शराबियों ने अपने घरों का सामान बेचने के साथ-साथ चोरी करना भी शुरू कर दिया है। समस्या को लेकर वे अधिकारियों के पास कई चक्कर काट चुके हैं। लेकिन कोई सुनता ही नहीं। मजबूरी में उन्हें ठेके पर हमले जैसा कदम उठाना पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस भी ठेकेदारों के हक में शराब बिकवाने के लिए उन पर दबाव डालती है। वहीं ठेकेदारों का कहना है कि कुछ लोग शराब बेचने के बदले उनसे नजराना मांग रहे थे। जिन्हें मना करने पर उन्होंने ग्रामीणों को भड़का दिया।

ब्रिकी घटने के बाद भी मारुति सुजुकी का लाभ बढ़ा

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया का शुद्ध लाभ 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में 49 प्रतिशत बढ़कर 631.6 करोड़ रुपये.

ब्रिकी घटने के बाद भी मारुति सुजुकी का लाभ बढ़ा

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया का शुद्ध लाभ 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में 49 प्रतिशत बढ़कर 631.6 करोड़ ब्रिकी का दबाव रुपये रहा। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में कंपनी को 423.77 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि हालांकि बीती तिमाही में उसकी शुद्ध बिक्री घटकर 9,995.12 करोड़ रुपये रही जो बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 10,529.24 करोड़ रुपये थी। कारोबार के लिहाज से कंपनी की बिक्री 9.98 प्रतिशत घटकर 2,66,343 कारों की रही जबकि बीते वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 2,95,896 कारें बेची थीं।

इंडोनेशिया ने लगायी पाम ऑयल निर्यात पर रोक, बाबा रामदेव व अड़ानी ग्रुप की कटेगी चांदी

इंडोनेशिया ने लगायी पाम ऑयल निर्यात पर रोक, बाबा रामदेव व अड़ानी ग्रुप की कटेगी चांदी

दुनिया का सबसे पामऑयल का निर्यातक इंडोनेशिया से भारत सहित कई देशों के लिए बुरी खबर आई हैं। ऑयल की किल्लतों के चलते इंडोनेशिया की सरकार ने आज से पाम ऑयल नही बेचने का ऐलान किया हैं। भारत का इस पर गहरा असर पड़ने वाला हैं। दरअसल भारत ब्रिकी का दबाव अपनी जरूरतों का 60 प्रतिशत से अधिक पाम ऑयल इंडोनेशिया से आयात करता हैं। इससे पहले भारत पाम ऑयल भारी संख्या में मलेशिया से आयात करता था। लेकिन कश्मीर विवाद के चलते भारत सरकार ने मलेशिया से आने वाले पाम ऑयल पर सरकारी शुल्क बढा दिया था। लेकिन अब इंडोनेशिया ने वैश्विक ब्रिकी के लिए पाम ऑयल पर रोक लगा दी हैं। दरअसल ऐसा इसलिए किया हैं कि उसके घरेलू बाजार में पाम ऑयल के रेट आसमान छू रहे हैं। यही सबसे बड़ा कारण हैं कि इंडोनेशिया ने पाम ऑयल कि वैश्विक ब्रिकी पर रोक लगा दी हैं।

इंडोनेशिया कि सरकार ने कहा था कि वह 28 अप्रैल से प्रतिबंध शुरू करेगी और यह ऑयल की घरेलू कमी के पूरा होने तक जारी रहेगा. इसके बाद बाजार में हड़कंप मच गया था क्योंकि ऐसा होने से पहले से दबाव में चल रहा खाद्य बाजार और मुश्किल में आ जाता ।

देश में रसोई ऑयल पर बाबा रामदेव व अड़ानी ग्रुप का कब्जा हैं। इसलिए देश में रसोई तेल की ब्रिकी पर तेजी आ सकती हैं। जिस कारण गरीब को अपनी रसोई में ऑयल रखना मुनासिब नही हो सकेंगा। ऑयल ब्रिकी व रेट में वृध्दि के अनुमान के चलते बाबा रामदेव अड़ानी ग्रुप की कमाई काफी तेजी से उछाल मार सकती हैं।

कोमल सी त्वचा या कैंसर की सजा!

एक जमाने में टेलीविजन पर जॉनसन एंड जॉनसन के विज्ञापनों को देखकर लोग उसका ‘बेबी पाउडर’ खूब खरीदा करते थे। लेकिन जांच ने बताया कि उसमें कैंसर के तत्व मौजूद हैं। अमेरिका में कंपनी पर हुए सैकड़ों मुकदमे

पहले तक देश के हर बड़े टीवी चैनल पर अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का एक विज्ञापन दिखता था। इसमें बच्चे की त्वचा ब्रिकी का दबाव पर मां इस कंपनी द्वारा निर्मित बेबी पाउडर लगाते हुए कहती थी, ‘यह पाउडर आपके बच्चे को रखे फ्रेश और एक्टिव।’ बरसों तक यह कंपनी डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर और हिमालय जैसे ब्रांड को टक्कर देती रही

कुछ समय पहले तक देश के हर बड़े टीवी चैनल पर अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का एक विज्ञापन दिखता था। इसमें बच्चे की त्वचा पर मां इस कंपनी द्वारा निर्मित बेबी पाउडर लगाते हुए कहती थी, ‘यह पाउडर आपके बच्चे को रखे फ्रेश और एक्टिव।’ बरसों तक यह कंपनी डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर और हिमालय जैसे ब्रांड को टक्कर देती रही और भारतीय उपभोक्ता भी इस पाउडर को सिर्फ इसकी विशेष खुशबू के लिए खरीदते रहे। लेकिन अब यह विज्ञापन टीवी पर दिखना बंद हो गया है। अगले साल से कंपनी ने बेबी पाउडर का उत्पादन बंद करने की घोषणा की है। पाउडर में कैंसर कारक तत्व मिलने के बाद अमेरिका और कनाडा ने 2020 से ही जॉनसन बेबी पाउडर की ब्रिकी पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि कंपनी हमेशा पाउडर को सुरक्षित बताकर दुनियाभर में बेचती रही है।

बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन पर बेतहाशा खर्च
दरअसल, कैंसर की आशंका वाली रिपोर्ट आने के बाद बेबी पाउडर की बिक्री में भारी गिरावट आई है। कंपनी पर हजारों मामले तो दर्ज हुए ही हैं, इसे अरबों रुपये मुआवजे के तौर पर भी देने पड़े हैं। कंपनी 1894 से बेबी पाउडर बेच रही है और इसके लिए हर साल हजारों करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च करती है। जब कोरोना के कारण दुनियाभर के काम-धंधे ठप हो गए थे, तब कंपनी ने 2020 में विज्ञापन पर 334 करोड़ रुपये, जबकि 2019 में 434 करोड़ रुपये खर्च किए थे। दुनियाभर में कंपनी हर साल 2 अरब रुपये से अधिक के विज्ञापन देती है ताकि इस उत्पाद की बिक्री बढ़े। भारत में दस सबसे अधिक विज्ञापन दाता कंपनियों में जॉनसन एंड जॉनसन शामिल है। कंपनी के विज्ञापनों में ‘बेबी उत्पाद’ के विज्ञापन ही प्रमुख हैं। भारत में भी यह ‘बेबी उत्पाद’ धड़ल्ले से बेच रही है। यहां तक कि एलोपैथी डॉक्टर भी बच्चों को यही पाउडर लगाने के लिए कहते थे।

‘जॉनसन बेबी पाउडर’ का कैंसर से नाता
कंपनी के बेबी पाउडर में एस्बेस्टस मिला हुआ है, जो टैल्क यानी अभ्रक की खदान के पास ही मिलता है। इसे कैंसर का कारक माना जाता है। ऐसा नहीं है कि कंपनी को इस बारे में पहले से पता नहीं था, लेकिन कंपनी इस तथ्य को छिपाती रही। दुनियाभर में कंपनी के उत्पाद से महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होने के दावे किए जाते रहे। अमेरिकी नियामक ने भी बेबी पाउडर में कैंसर कारक तत्व पाए जाने की बात कही थी। 2018 में न्यूज एजेंसी रायटर्स ने इस पर एक रिपोर्ट लिखी, जिसमें कहा गया कि बेबी पाउडर में कासीनजन (एक ऐसा उत्पाद जो ऊतकों में कैंसर पैदा करता है) है। इसे लेकर कंपनी पर अमेरिका में कई मुकदमे भी भी हुए, पर कंपनी ने इस उत्पाद को बेचना बंद नहीं किया है, सिर्फ घोषणा की है कि वह 2023 के बाद इसे बेचना बंद कर देगी। साथ में यह भी कहा है कि उसका ‘यह उत्पाद सुरक्षित है’।

जॉनसन कंपनी के बेबी पाउडर में एस्बेस्टस मिला हुआ है। माना जा रहा है कि एस्बेस्टस में टैल्क मिलने की वजह से जॉनसन बेबी पाउडर शरीर में कैंसर को जन्म देता है। कंपनी को यह पता था, लेकिन फिर भी उसने यह तथ्य छिपाया और अपना उत्पाद बेचकर नवजात बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करती रही।
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बेशक, कंपनी अपने उत्पाद को सुरक्षित बता रही हो, लेकिन अमेरिका में इस पाउडर को लेकर बहुत सी महिलाओं ने अदालत में मुकदमा किया है। इनमें से ज्य़ादातर महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर हुआ है। इसके लिए उन्होंने जॉनसन बेबी पाउडर को जिम्मेदार बताया है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के ब्रिकी का दबाव अनुसार, टैल्क में अगर एस्बेस्टस की मिलावट से गर्भाशय के कैंसर से लेकर अन्य कई प्रकार के कैंसर हो सकते हैं।

आरोपों की शुरुआत
दरअसल, जॉनसन एंड जॉनसन पर 1990 के दशक के आखिरी सालों में आरोप लगने शुरू हुए थे। डारलिन चोकर नामक एक महिला ने आरोप लगाया था कि इस पाउडर के कारण उसे और उसके बच्चे को मेसोथेलियोमा रोग हो गया, जो एक तरह का कैंसर है, जिसकी वजह से ऊतकों को नुकसान होता है। हालांकि इस मुकदमे के बाद अदालती कार्रवाई के दौरान कंपनी ने न तो बेबी पाउडर की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की और न ही कंपनी का आंतरिक रिकॉर्ड ही सामने आया। अलबत्ता, कंपनी ने बाद में डारलिन पर दबाव डालकर इस मुकदमे को वापस करा दिया। उसके बाद से केवल अमेरिका में ही कंपनी पर अब तक 40 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें कंपनी को 3.5 अरब डॉलर यानी 28,000 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ा है।

एपी की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को 2018 में अमेरिका की एक अदालत ने 22 महिलाओं को 4.7 अरब डॉलर का जुर्माना देने का आदेश सुनाया था। अदालत ने माना था कि जॉनसन के पाउडर से ही इन महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर हुआ है। जॉनसन ने इस फैसले के खिलाफ वहां के सर्वोच्च न्यायालय में भी गुहार लगाई थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को नहीं पलटा।

कंपनी ने छिपाई जानकारी
2018 में रॉयटर्स और न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक जांच की थी। इसमें पाया गया कि 1970 में ही कंपनी को यह पता चल गया था कि उसके पाउडर में कुछ मात्रा में एस्बेस्टस मिला हुआ है। लेकिन लोगों के डर और बिक्री घटने के डर से कंपनी ने इस जानकारी को दबाकर रखा। हालांकि कंपनी लगातार इस बात को कहती रही है कि उसके उत्पाद ‘एस्बेस्टस फ्री’ हैं।

इसके बाद अमेरिकी एफडीए को 2019 में कंपनी के टेलकम पाउडर में एस्बेस्टॉस मिला था, इससे घबराकर कंपनी ने 33,000 बेबी टेलकम पाउडर के डिब्बे वापस लौटा लिए थे। इतना सब होने के बाद भी कंपनी ने कभी ये नहीं माना कि उसके बेबी पाउडर में एस्बेस्टॉस की मिलावट पाई गई है। हालांकि लगातार दबाव के बाद कंपनी ने मई 2020 में अमेरिका और कनाडा में इस पाउडर की बिक्री रोक दी थी। आरोपों के बीच 2019 में कंपनी को भारत में अपना उत्पादन बंद भी करना पड़ा था।

लाखों लोगों को हो रहे गर्भाशय कैंसर के बाद दबावों से बचने के लिए जॉनसन एंड जॉनसन ने एलटीएल मैनेजमेंट नाम से एक सहायक कंपनी खड़ी की, जिसको बेबी पाउडर संबंधी मुकदमों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और इस कंपनी ने दिवालिया होने की घोषणा कर दी। मामला अदालत में चला गया। इसके बाद जॉनसन के बेबी पाउडर के ब्रिकी का दबाव खिलाफ सभी सुनवाई रोक दी गईं। इतना होने के बाद भी विकासशील देशों में कंपनी ने अपने बेबी पाउडर की बिक्री पर रोक नहीं लगाई थी। लेकिन अब सोशल मीडिया और सरकार के दबाव में कंपनी ने उत्पादों की बिक्री पर रोक की हामी भरी है।

टोयटा के वाहन बिक्री में दर्ज की गयी 22 फिसदी की गिरावट

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाहनों की बिक्री नवंबर में 18.86% घट कर 9,241 इकाई रही. कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी

टोयटा के वाहन बिक्री में दर्ज की गयी 22 फिसदी की गिरावट

टोयोटा किर्लोस्कर की बिक्री में गिरावट

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाहनों की बिक्री नवंबर में 18.86% घट कर 9,241 इकाई रही. कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी. कंपनी ने पिछले साल इसी माह 11,390 वाहन बेचे थे. बयान के मुताबिक आलोच्य माह में कंपनी ने घरेलू बाजार में 8,312 वाहन बेचे जबकि एक साल पहले बक्री का आंकड़ा 10,721 था. यह बिक्री में 22 % गिरावट दर्शाता है. कंपनी अपने विनिर्माण की श्रृंखला में सुधार कर रही है. वह प्रदूषण मानक बीएस6 को अपनाने जा रही. इसके लिए पुराना स्टॉक दिसंबर तक निकालने का प्रयास है. इस दौरान इसका निर्यात 38.86% बढ़ कर 929 इकाई तक पहुंच गया.

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एक साल पहले इसी माह निर्यात 669 इकाई का रहा था. टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उप प्रबंध-निदेशक एन राज ने कहा, ‘हम जानबूझ कर डीलरों को वाहनों की बिक्री कम कर रखे हैं. ताकि उनके पास जमा स्टॉक कम रहे और बाजार में ऊंची पेशकश न करनी पड़े. हम अपने उत्पादन को समायोजित कर रहे हैं ताकि अप्रैल 2020 में बीएस6 मानक के वाहनों के आने से पहले हमारे डीलरों पर दबाव न बढ़े.'' उन्होंने कहा कि बाजार में सकारत्मक भाव नवंबर 2019 में भी बना रहा और यह बात सभी मॉडल के उसके वाहनों के लिए ग्राहकों के आर्डर में उछाल से झलकती है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि निकट भविष्य में खुदरा ब्रिकी में यह गति बनी रहेगी.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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