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पुट ऑप्शन की खरीद

पुट ऑप्शन की खरीद

ऑप्शन की पाठशाला: कब बेचते हैं कॉल-पुट

इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।

बाजार में कमाना चाहते हैं पैसा लेकिन वायदा बाजार की जटिलता से लगता है डर। तो अब आपका डर खत्म करने आ रहे हैं विरेंद्र कुमार । विरेंद्र से आसान भाषा में पुट ऑप्शन की खरीद समझें ऑप्शन क्या होता है और कैसे इससे पैसा कमाया जा सकता है। इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।

क्या होते हैं ऑप्शन

ऑप्शन शेयर को खरीदने-बेचने का अधिकार देता है। ऑप्शन की अवधि 1 सीरीज की होती है। ऑप्शन खरीदने के लिए प्रीमियम देना पड़ता है। ऑप्शन में मुनाफा असीमित और नुकसान सीमित होता है। ऑप्शन ज्यादा से ज्यादा नुकसान आपके प्रीमियम का होता है। उदाहरण के लिए निफ्टी 11000 कॉल में 6 रुपये की प्रीमियम दर से 75 के एक लॉट को खीदने की कामत होगी 6*75= 470 रुपये। अब निफ्टी क्रैश होने पर भी आपको ज्यादा से पुट ऑप्शन की खरीद ज्यादा 470 रुपये का ही नुकसान होगा। वहीं, निफ्टी 11000 पहुंचा को प्रीमियम बढ़कर 40 रुपये से भी ज्यादा होना संभव है।

फ्यूचर्स और ऑप्शन में अंतर

फ्यूचर्स में नुकसान असीमित होता है। फ्यूचर्स में लॉट की पूरी कीमत का मार्जिन देना पड़ता है। वहीं, ऑप्शन में सिर्फ प्रीमियम देकर सौदा ले सकते हैं।

कॉल और पुट की जानकारी, ऑप्शन ट्रेडिंग की जानकारी

कॉल और पुट क्या होती है, निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब, ऑप्शन ट्रेडिंग

What is Options trading, information about Options trading in Hindi

ऑप्शन (Option) दो प्रकार के होते है – कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन. इन्हें आम भाषा में कॉल और पुट कहते है, (Call or Put). ऑप्शन अंग्रेज़ी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, विकल्प. हर ऑप्शन की एक आखिरी तारीख होती है, इसे पुट ऑप्शन की खरीद एक्सपायरी या मेचुरिटी डेट (expiry or maturity date) भी कहते है. इस दिन के बाद वह ऑप्शन अर्थात कॉल या पुट ख़त्म हो जाती है. भारतीय शेयर बाजारों (NSE और BSE) में महीने के आखिरी गुरुवार को उस महीने के फ्यूचर और ऑप्शन (F&O) की एक्सपायरी (expiry) होती है. यदि आखिरी गुरुवार को छुट्टी हो तो एक दिन पहले एक्सपायरी की तारीख होती है. लेकिन करेंसी फ्यूचर और ऑप्शन की एक्सपायरी तारीख अलग होती है. ऑप्शन एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे खरीदने वाले के पास यह विकल्प होता है की वह उस कॉन्ट्रैक्ट की अंतिम तारीख या मेचुरिटी पर वह कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है या नहीं. इसमें खरीदने वाले व्यक्ति पर यह बाध्यता नहीं होती है की उसे कॉन्ट्रैक्ट खरीदना या बेचना ही है. इसे पुट ऑप्शन की खरीद आगे उदाहरण से समझाया गया है. निफ़्टी की पुट और कॉल यानि इंडेक्स (Index) के ऑप्शन यूरोपियन ऑप्शन होते है. (Nifty Put and Calls are European Options). स्टॉक्स यानि शेयर्स के पुट और कॉल के ऑप्शन अमेरिकन ऑप्शन होते है. (Stock Put and Calls are American Options). यूरोपियन ऑप्शन में कॉन्ट्रैक्ट के आखिरी दिन यानि एक्सपायरी के दिन खरीदने वाला व्यक्ति अपने विकल्प का उपयोग कर सकता है, जबकि अमेरिकन ऑप्शन में खरीदने वाला व्यक्ति कभी भी अपने विकल्प का उपयोग कर सकता है. लेकिन इन दोनों में आप अपनी खरीदी हुई कॉल या पुट को कभी भी बेच सकते है.

निफ़्टी की कॉल या पुट ऑप्शन खरीदने का अर्थ है कि आपके पास निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट खरीदने या बेचने का विकल्प है. निफ़्टी की कॉल आपको निफ़्टी खरीदने का विकल्प देती है. निफ़्टी की पुट आपको निफ़्टी बेचने का विकल्प देती है. विकल्प का अर्थ यह है की आप चाहे तो वह कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे या बेचे, या फिर कुछ न करे. इसे आगे उदाहरण के द्वारा समझाया गया है. निफ़्टी के कुछ शेयर्स में भी फ्यूचर, कॉल और पुट की ट्रेडिंग होती है. इनको स्टॉक ऑप्शन (stock options) भी कहते है. फ्यूचर, कॉल और पुट हमेशा लॉट (Lot) में ख़रीदे बेचे जाते है. हर लॉट में एक निश्चित संख्या के शेयर्स होते है. यह लॉट निफ़्टी और शेयर्स के लिए अलग-अलग होते है. इनके लॉट का साइज़ इनके शेयर्स के भाव के अनुसार होता है. किसी भी लॉट की संख्या शेयर्स के मार्किट भाव के अनुसार पहले से तय होती है. यदि शेयर का भाव ज्यादा है तो लॉट का साइज़ कम होगा, और यदि शेयर का भाव कम है तो लॉट का साइज़ ज्यादा होगा.

आजकल निफ़्टी के फ्यूचर, कॉल और पुट के एक लॉट में 50 शेयर्स होते है. जैसे किसी ने निफ़्टी 7800 की कॉल का एक लॉट 20 रूपये में ख़रीदा है तो यह बीस रूपये उस ऑप्शन के एक शेयर का प्रीमियम (Option premium) कहलाता है. उस व्यक्ति ने कुल प्रीमियम ₹20 * 50 = ₹1,000 दिया. उस व्यक्ति ने 1000 रूपये दे कर 7800 की निफ़्टी का एक लॉट खरीद लिया है. हम एक निवेशक के उदाहरण से इसको समझते है. मान लीजिए की निफ़्टी आज 8500 पर है और आपको लगता को लगता है कि महीने के आखिरी पुट ऑप्शन की खरीद गुरुवार या ऑप्शन की आखिरी तारीख तक निफ़्टी गिर कर 8300 पर पहुँच जायेगा, तो ऐसी स्तिथि में वह व्यक्ति 8300 की पुट खरीदेगा. अब जैसे जैसे बाजार में गिरावट आती जायेगी, और निफ्टी गिरता जायेगा और 8300 के पास पहुंचता जायेगा, उसी प्रकार से 8300 की पुट का भाव भी बढ़ता जायेगा. और यदि बाजार ऊपर चढ़ता जायेगा, और निफ्टी 8500 के ऊपर जाते जायेगा, उसी प्रकार से 8300 की पुट का भाव भी गिरता जायेगा या कम होने लगेगा. ऐसा इसलिए होता है की यदि निफ्टी 8700 पर चला गया तो उसे 8300 तक आने के लिए 400 पॉइंट की गिरावट चाहिए और चूंकि इसकी संभावना कम है, इसलिए 8300 की पुट का भाव भी कम होते जायेगा.

कम जोखिम में ज्यादा फायदा पाने का आसान तरीका है ऑप्शन ट्रेडिंग से निवेश, ले सकते हैं बीमा

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। पुट ऑप्शन की खरीद ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।

विकल्प (Options) ऑप्शन ट्रेडिंग - Options Trading

आपके द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आप क्या पूर्ण करने की आशा रखते हैं, उसकी समझ होना बेहद जरूरी है. केवल तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे. आइये पहले ऑप्शन की अवधारणा को समझते हैं.

ऑप्शन की अवधारणा को इस उदाहरण से समझा जा सकता है. उदाहरण के लिए, जब आप कुछ संपत्ति खरीदने की योजना बनाते हैं, तो आपने अन्य ऑप्शन का मूल्यांकन करने के दौरान उसे कुछ समय के लिए होल्ड करने के लिए नॉन-रिफंडेबल डिपॉजिट रखा हो सकता है.

यह ऑप्शन के प्रकार का उदाहरण है. उसी प्रकार, शायद आपने सुना हो कि बॉलीवुड किसी उपन्यास पर कोई ऑप्शन खरीद रहा है. किसी उपन्यास को ऑप्शन करने में निर्देशक पैसा रखा निर्दिष्ट दिनांक से पहले उपन्यास पर फिल्म बनाने के अधिकार खरीदता है. मकान और स्क्रिप्ट वाले दोनों मामलों में, किसी ने निश्चित दिनांक से पहले निश्चित मूल्य पर कोई उत्पाद खरीदने के अधिकार के लिए कुछ हैं. स्टॉक ऑप्शन खरीदना भी कुछ ऐसा ही है. ऑप्शन वे अनुबंध हैं जो निश्चित समय के भीतर धारक को निश्चित मूल्य पर निश्चित स्टॉक की तय मात्रा बेचने या खरीदने का अधिकार देते हैं. कोई पुट ऑप्शन धारक को प्रतिभूति बेचने का अधिकार देता है, कोई कॉल ऑप्शन प्रतिभूति खरीदने का अधिकार देता है. हलांकि इस प्रकार के अनुबंध धारक को अधिकार देते हैं, बल्कि निश्चित दिनांक से पहले निश्चित मूल्य पर स्टॉक व्यापार करने की कोई बाध्यता नहीं देते हैं. कई व्यक्तिगत निवेशक को ऑप्शन उपयोगी साधन लगता हैक्योंकि वे इसे निम्न तरह से उपयोग कर सकते हैं:

ए) लेवरेज के प्रकार के रूप में या

बी) बीमा के प्रकार के रूप में.

ऑप्शन में ट्रेड करना आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने देता है. वे आपको पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना पुट ऑप्शन की खरीद में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण प्रदान करते हैं. बीमा के रूप में पुट ऑप्शन की खरीद उपयोग किए जाने पर ऑप्शन आपको सीमित समय के लिए खरीदने या बेचने का अधिकार प्रदान करके किसी निश्चित प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से आपकी सुरक्षा करते हैं. ऑप्शन स्वाभविक रूप से जोखिमभरा निवेश साधन है केवल अनुभवी एवं ज्ञानी निवेशकों के लिए उचित है जो कि बाजार स्थिति को करीब से देखने के लिए तैयार है और अनुमान लगाकर संभावित नुकसान उठाने के लिए वित्तीय रूप से तैयार हैं.

अलग-अलग प्रकार ऑप्शन क्या है? ऑप्शन को लाभ कमाने / हानि घटाने के लिए रणनीतिक उपाय के रूप में कैसे उपयोग किया जा सकता है?

अः ऑप्शन को निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, ऑप्शन के दो प्रकार हैं, कॉल और पुट. कॉल ऑप्शन धारक को समापन अवधि से पहले किसी भी समय स्ट्राइक मूल्य पर अंतनिर्हित स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है. समान्य तौर पर, अंतनिर्हित साधनों का मूल्य बढ़ने पर कॉल ऑप्शन का मूल्य भी बढ़ता है..

इसके विपरीत पुट ऑप्शन समापन दिनांक को या उसके पहले स्ट्राइक मूल्य पर धारक को अंतर्निहित शेयर बेचने का अधिकार पुट ऑप्शन की खरीद प्रदान करते हैं. अंतर्निहित साधनों का मूल्य कम होने पर पुट ऑप्शन का मूल्य बढ़ता है.

पुट ऑप्शन पुट ऑप्शन की खरीद वह है जिसमें कोई व्यक्ति बाद में होने वाली मूल्य गिरावट के लिए कोई स्टॉक सुनिश्चित कर सकता है. यदि आपके स्टॉक का मूल्य कम होता है, तो आप अपना पुट ऑप्शन लेकर इसे पूर्व में निर्धारित मूल्य स्तर पर बेच सकते हैं.यदि स्टॉक मूल्य ऊपर जाता है, तो आपको बस केवल चुकायी गई प्रीमियम राशि की हानि होती है. ध्यान रखें कि समाचार पत्रों और ऑनलाइन उदाहरणों में आप कॉल को सी के रूप में और पुट को पी के रूप में संक्षिप्त किया

नीचे दिए उदाहरणों में पुट ऑप्शन का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है: केस 1: राजेश ने मई इंफ़ोसिस टेक्नोलॉजिस मई 3000 पुट का 1 लोट खरीदता है और 250 का प्रीमियम देता है,

यह अनुबंध राजेश को वर्तमान दिनांक पुट ऑप्शन की खरीद से मई के अंत तक 3000 रुपए के 100 शेयर खरीदने देता है. इसका लाभ उठाने के लिए, राजेश को बस 25000 रुपए का प्रीमियम देना है ( 250 रुपए एक शेयर के लिए कुल 100 शेयर). पुट के खरीदार ने बेचने का अधिकार खरीद लिया है. पुट के स्वामी के पास बेचने का अधिकार हैं.

केस 2:यदि आप सोचते हैं कि कोई विशेष स्टॉक जैसे रे टक्नोलॉजिस” का फरवरी के महीने में मूल्य अधिक है, और भविष्य में मूल्यों में सुधार हो सकता है. हालांकि आप मूल्य बढ़ने के मामले में कोई खतरा नहीं उठाना चाहते हैं. तो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प स्टॉक पर पुट ऑप्शन लेना रहेगा. मान लीजिए स्टॉक के लिए भाव इसके अंतर्गत हैं:

1050 रुपए 10 पर मई पुट 1070 रुपए 30 पर मई पुट

इसलिए आपने स्ट्राइक मूल्य 1070 और पुट मूल्य 30 रुपए पर 1000 रे टेक्नोलॉजिस” पुट खरीदे

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