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प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने समान लेखा मानदंड जारी किए

भारतीय रिजर्व बैंक ने परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिए समान लेखा मानदंड 23 अप्रैल 2014 को जारी किए.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए समान लेखा मानदंड 23 अप्रैल 2014 को जारी किए. ये मानदंड कंपनियों के लिए सामान्य उपचार सुनिश्चित करने के लिए गैर– निष्पादित ऋण को प्राप्त करने, राजस्व और प्रबंधन फीस को पहचानने के लिए जारी किए गए हैं. समान लेखा मानदंड पर आरबीआई ने निर्देश निम्न के तहत जारी किए हैं.


अधिग्रहण लागत (पूर्व और पश्चात अधिग्रहण)
बैंकों से वित्तीय संपत्ति प्राप्त करने के लिए परिश्रम प्रदर्शन के लिए पूर्व अधिग्रहण के स्तर पर किए गए खर्च आदि / प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में पहचान कर एफएल को तुरंत खर्च किया जाना चाहिए.

राजस्व पहचान
1. लाभ तभी माना जाए जब सुरक्षा रसीद के पूरे मूल राशि का पूर्ण प्रतिदान मिल जाए.
2. उल्टे आय (अपसाइड इनकम) को केवल सुरक्षा प्राप्तियों के पूर्ण प्रतिदान के बाद ही मान्यता दी जानी चाहिए.
3. प्रबंधन फीस को सिर्फ संभूति (एक्यूरल) आधार पर पहचाना जा सकता है. योजना अवधि के दौरान प्रबंधन फीस को योजना अवधि के खत्म होने के 180 दिनों के भीतर पहचान कर लेना चाहिए.

सुरक्षा प्राप्तियों का मूल्यांकन
एसआर में निवेश की प्रकृति को देखते हुए जहां गैर निष्पादित परिसंपत्तियों में अंतर्निहित नकदी प्रवाह वसूली पर प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट निर्भर करते हैं, को बिक्री के लिए उपलब्ध की श्रेणी में रखा जा सकता है.

VI अनुसूची के तहत संचालन चक्र संकल्पना की प्रयोज्यता
पूंजी औऱ रिजर्व देनदारियों के रूप में ऋण की तरफ जबकि एसआर में निवेश एवं लंबी अवधि के डिपॉजिट पूंजी की तरफ अचल संपत्ति में माना जाएगा. ये सिफारिशें केंद्र सरकार द्वारा 2011 में एआरसी पर आलोक निगम की अध्यक्षता में गठित प्रमुख सलाहकार समूह (केएजी) के विचारों पर आधारित है. नए निर्देश वित्त वर्ष 2014– 15 से प्रभावी हो जाएंगे.

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Dividend क्या है ?

Dividend कम्पनी का जो भी नेट प्रॉफिट हुआ है, उसमे से शेअर होल्डर्स को देना प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट | यानी कम्पनी के ग्रॉस इनकम से सभी तरह के खर्चे और टेक्स इत्यादि काटने के बाद जो प्रॉफिट बचता है, जिसमे से किसी और तरह का खर्चा नही निकालना बाकी रह जाता प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट है, उसे नेट प्रॉफिट कहते है | यानी की शुद्ध लाभ, प्रॉफिट ऑफ्टर टेक्स या नेट प्रॉफिट |

अब सवाल यह उठता है की अगर आपके पास सिर्फ 10 शेअर्स हैं और आप देखते हैं की कम्पनी ने 500 करोड़ रूपये का लाभ कमाई है, तो इसका क्या मतलब समझें ?

दरअसल आपको नेट प्रॉफिट की बजाय EPS देखना चाहिए | EPS का मतलब है अर्निंग पर शेअर यानी प्रति शेअर आय (यानी कम्पनी ने एक शेअर पर कितना कमाई की है वह रकम) |

EPS कैसे कॅलक्युलेट किया जाता है ?

कम्पनी के नेट इनकम को टोटल नंबर ऑफ शेअर्स से भाग (बांट) दिया जाता है | उदाहरण के लिए अगर कम्पनी ने नेट प्रॉफिट 100 रूपये कमाई है और कम्पनी के (कुल) टोटल शेअर्स 50 हैं | तो 100 बटा 50 (100/50) = 2 |

यानी कम्पनी ने प्रति शेअर 2 रूपये कमा लिए है | अब ऐसा मत सोचिए की कम्पनी ने प्रति शेअर 2 रूपये कमाई है तो 2 रूपये प्रति शेअर के हिसाब से आपको भी (शेअर होल्डर को) मिल जाएगा | ऐसा नहीं है |

अब कम्पनी की बोर्ड मीटिंग होगी और वहाँ पर यह तय किया जाएगा, की EPS का कितना प्रतिशत शेअर होल्डर को देना है | मान के चलते हैं की फैसला होता है की शेअर होल्डर्स को EPS का 50% ही देना है | तो EPS का 50% प्रतिशत यानी की 2 रूपये का 50% प्रतिशत होता है 1 रुपया जो आपको प्रति शेअर मिलेगा | और इसी “1″ रूपए को Dividend कहाँ जाता है |

Dividend कैसे तय होता है ?

सबसे पहले कम्पनी के प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग होती है | इस मीटिंग में यह तय किया जाता है की कितना Dividend शेअर होल्डर को देना है | प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा तय किए हुए डिविडेंड को इंटिरिम (अंतरिम) Dividend कहा जाता है | अब क्यूंकि यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है और कम्पनी के मालिक सिर्फ प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ही नहीं है, बल्कि शेअर होल्डर्स भी कम्पनी के मालिक ही है | इसलिए शेअर होल्डर्स का भी एक अधिकार होता है की वो अंतरिम Dividend के साथ सहमत हो |

इसीलिए इंटिरिम डिविडेंड या अंतरिम डिविडेंड की घोषणा के साथ ही शेअर होल्डर्स को वोटिंग राइट भी दिया जाता है | वोटिंग राइट यानी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने जो भी Dividend तय किया है उसके साथ ही, दो और कीमतें दी जाती है, जिन पर शेअर होल्डर्स को वोटिंग करनी होती है |

Voing of Shareholders

उदाहरण के लिए अंतरिम डिविडेंड EPS का 50% प्रतिशत है यानी की “1” एक रुपया | तो फिर शेअर होल्डर्स को ऑप्शन दिया जाता है, शेअर होल्डर्स निम्न तीन ऑप्शन में से किसी एक ऑप्शन पर वोटिंग (मतदान) करते हैं |

ऑप्शन नंबर (1) 51% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए |
ऑप्शन नंबर (2) 52% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए |
ऑप्शन नंबर (3) 53% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए |

जब वोटिंग पूरी हो जाती है तो ये पता चलता हैं की सबसे ज्यादा वोटिंग “51% प्रतिशत” इस पर हुई है | तो डिविडेंड की रकम रूपये के मामले में बहुत ज्यादा नहीं बदल जाएगी |

वोटिंग के बाद जो डिविडेंड प्रतिशत तय होता है उसी को फाइनल डिविडेंड कहा जाता है | प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट देखते हैं तो उसमे आपको EPS और डिविडेंड परसेंटेज भी देखना चाहिए |

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

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1. एनपीएस के अंतर्गत कौन-कौन से कर लाभ हैं?

व्यसक्तिगत अभिदाता को कर लाभ :
ऐसा कोई भी व्य क्ति जो एनपीएस अभिदाता है आयकर अधिनियम की धारा 80 CCE के तहत 1.5 लाख रू. की अधिकतम सीमा के भीतर अनुच्छे द 80 CCD (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 प्रतिशत पर कर कटौती का दावा कर सकता है।

आयकर अधिनियम 80 CCD (1B) के तहत सभी एनपीएस अभिदाताओं के लिए विशेष कर लाभ
एनपीएस (टीयर ।) में रू. 50,000 तक निवेश करने पर एनपीएस अभिताओं के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD(1B) के तहत अरिरिक्त, कटौती का लाभ का उपलब्धए है। यह आयकर अधिनियम की धारा,1861 के अंतर्गत उपलब्धC 1.5 लाख रूपए की कटौती के अतिरिक्त है।

कॉरपोरेट सेक्टबर के अंतर्गत कर लाभ

  1. कॉरपोरेट अभिदाता:
    कॉरपोरेट सेक्ट र के अभिदाताओं के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD (2) के अंतर्गत अतिरिक्त‍ कर लाभ उपलब्धल हैं। वेतन (मूल+महंगाई भत्ता2) के 10% तक नियोक्ताअ का एनपीएस अंशदान (कर्मचारी के भले के लिए), कर योग्यत आय में से बिना किसी मौद्रिक सीमा के कर प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कटौती के योग्य( है।
  2. कॉरपारेट
    नियोक्ताक द्वारा एनपीएस में वेतन (मूल+महंगाई भत्ता्) के 10% तक किए गए अंशदान को उनके प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट में से ‘व्या+पार खर्च’ के रूप में कटौती की जा सकती है।
  3. कर लाभ प्राप्तc करने के लिए निवेश किस प्रकार करें :यदि आप एक मौजूदा अभिदाता हैं तो आप टीयर । खाते में अतिरिक्तक अंशदान करने के लिए किसी भी पीओपी से सम्पार्क कर सकते हैं अथवा ई-एनपीएस वेबसाइट (https://enps.nsdl.com) पर जाकर अंशदान कर सकते हैं।

कृपया ध्यान रखें : कर लाभ केवल टीयर । खाते में निवेश करने पर लागू हैं।

2. एनपीएस के अंतर्गत कर लाभ प्राप्त करने हेतु निवेश साक्ष्ये के रूप क्याू प्रस्तुतत करना होगा?

अभिदाता निवेश साक्ष्या के रूप में ट्रांजेक्शरन स्टेयटमेंट प्रस्तुीत कर सकते हैं। वैकल्पिक रूप से,’ऑल सिटिजन ऑफ इंडिया’ के अभिदाता एनपीएस खाते में लॉग-इन करके अपेक्षित वित्ती य वर्ष के लिए टीयर । खाते में किए गए स्वैछिक अंशदान की प्रति को भी डाउनलोड कर सकते हैं। इसे एनपीएस खाते में लॉग इन करके ‘View’ मेन मेन्यूि के अंतर्गत दिए गए ‘ स्टेउटमेंट ऑफ वोल्यंपटरी कंट्रीब्यूकशन अंडर नेशनल पेंशन सिस्टिम (एनपीएस)’ उप मेन्यू से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

3. आयकर अधिनियम 80 CCD के अतिरिक्तो एनपीएस के अंतर्गत कौन-कौन से कर लाभ उपलब्धर हैं?

80 CCD के तहत उपलब्ध कर लाभों के अतिरिक्तए, एनपीएस के अंतर्गत निम्मालिखित अन्यै कर लाभ उपलब्धज हैं :

  1. आंशिक आहरण पर कर लाभ:
    अभिदाता निर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए 60 वर्ष की आयु से पहले एनपीएस टीयर I खाते से आंशिक आहरण कर सकता है। बजट 2017 के अनुसार, अभिदाता अंशदान में से 25 प्रतिशत तक आहरण राशि कर मुक्त है।
  2. वार्षिकी की खरीद पर कर लाभ:
    वार्षिकी की खरीद पर निवेश की गई राशि, पूरी तरह कर मुक्त है। हालांकि, आगामी वर्षों में आपको प्राप्त होने वाली वार्षिकी आय आयकर के अधीन होगी।
  3. एकमुश्त राशि के आहरण पर कर लाभ:
    अभिदाता द्वारा 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर , एकमुश्त रूप से आहरित की गई 40 प्रतिशत तक की राशि पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा।

उदाहरण : यदि 60 वर्ष की आयु पर कुल राशि 10 लाख रू है तो अर्थात कुल राशि का 40% अर्थात 4 लाख का आहरण आप बिना कोई कर दिए कर सकते हैं। यदि आप एनपीएस निधि के 40% भाग का उपयोग एकमुश्त् रूप में करते हैं और शेष 60% का उपयोग सेवानिवृत्ति के समय वार्षिकी की खरीद के लिए करते हैं तो आपको उस समय किसी कर का भुगतान नहीं करना पड़ता। परन्तु आगामी वर्षों में प्राप्ती होने वाली वार्षिकी आय आयकर के अध्यकधीन होगी।

नवरात्रि वेल्थ स्पेशल: महागौरी के रूप में छिपा है शेयर बाजार में "बिग बुल" बनने का फॉर्मूला

अच्छी कंपनी में पैसा लगाएंगे तो बाजार का बुल (Bull) आपके हक में दौड़ता रहेगा.

अच्छी कंपनी में पैसा लगाएंगे तो बाजार का बुल (Bull) आपके हक में दौड़ता रहेगा.

देवी पार्वती के महागौरी स्वरूप का वर्ण श्वेत है. सफेद रंग (महागौरी का वर्ण, वस्त्र और बैल के रंग) से मतलब फंडामेंटली मजबूत कंपनी से है, जिसकी बैलेंस शीट में कोई गड़बड़ी या नकारात्मकता न हो. अच्छी कंपनी में पैसा लगाएंगे तो बाजार का बुल (Bull) आपके हक में दौड़ता रहेगा.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 03, 2022, 12:44 IST

हाइलाइट्स

किसी भी कंपनी में पैसा लगाने से पहले आपको कंपनी को अच्छे से समझना चाहिए.
कंपनी को समझने के बाद आपको इसकी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए.
कर्ज का मूल्यांकन करना सबसे जरूरी है. यह कंपनी के प्रदर्शन को गिरा सकता है.

नई दिल्ली. आज दुर्गा अष्टमी के दिन आदिशक्ति के महागौरी स्वरूप को पूजा जाता है. देवी की कृपा अथवा अपार धन-संपदा और मन की शांति के लिए बहुत से लोग नवरातों के 9 दिनों में मां की आराधना करते हैं. कहा जाता है कि देवी की कृपा पाना आसान नहीं है, लेकिन यदि आप नव-दुर्गा के स्वरूपों से फाइनेंशियल प्लानिंग के सभी पाठ सीख लें तो यह मुश्किल भी नहीं है.

न्यूज़18 की नवरात्रि वेल्थ स्पेशल सीरीज आज 8वें दिन में आ चुकी है. आज शक्ति के मां महागौरी स्वरूप के माध्यम से हम आपके साथ शेयर बाजार में निवेश के ऐसे सबक शेयर करने जा रहे हैं, जो आपको समृद्धि की तरफ ले जाएंगे. बता दें कि इससे पहले के 7 दिनों पर निवेश के अलग-अलग तरीके और टिप्स शेयर किए जा चुके हैं. यदि आपने उन्हें नहीं पढ़ा है तो इस नवरात्रि आपने बहुत कुछ मिस किया है. आप चाहें तो उन्हें पढ़ सकते हैं. सभी सातों आर्टिकल्स के लिंक इस लेख के अंत में दिए गए हैं.

मां महागौरी के स्वरूप के बारे में अहम जानकारी
जब देवी पार्वती की आयु कम थी, उनके तब के स्वरूप को महागौरी कहा गया है. महागौरी इसलिए, क्योंकि उनका वर्ण श्वेत है. वे समस्त वस्त्र भी सफेद रंग के ही धारण करती हैं. वाहन वृषभ अर्थात बैल है, जिसका रंग भी पूरी तरह सफेद है.

नव-दुर्गा की विभिन्न कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था. हजारों वर्षों के कठिन तप के बाद उनकी कामना पूरी हुई थी. नवरात्रों का पहला दिन मां शैलपुत्री का है. हमने अपनी इस वेल्थ स्पेशल सीरीज में पहले ही दिन उनके इसी स्वरूप के माध्यम से निवेश का जरूरी पाठ (Lesson) शेयर किया था, जो व्यक्ति को निवेश करने और उसमें बने रहने को प्रेरित करता है.

क्या सिखाता है महागौरी स्वरूप?
दुनिया जानती है कि बेहतर रिटर्न के लिए निवेश की सबसे अच्छी जगह शेयर बाजार है. वारेन बफे का नाम दुनिया से सबसे बड़े अरबपतियों में शुमार है. वे शेयर बाजार से ही अरबपति बने हैं. भारत में बिग बुल राकेश झुनझुनवाला (जो अब इस दुनिया में नहीं है) भी शेयर बाजार में निवेश करके अमीर बने. इसी तरह और भी बहुत-से निवेशकों ने शेयर बाजार के माध्यम से करोड़ों-अरबों की संपति बनाई है. तो इसमें कोई शक नहीं कि स्टॉक मार्केट में अथाह धन है, लेकिन उसे पाने का तरीका आना चाहिए. मां महागौरी का स्वरूप स्पष्ट रूप से हमें वह तरीका बताता है.

निवेश करने से पहले याद रखें “सफेद रंग”
पिछले 7 दिनों में निवेश से संबंधित लभगभ सभी जरूरी चीजें कवर की जा चुकी हैं. आज हम बात कर रहे हैं सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने के बारे में. यहां सफेद रंग (महागौरी का वर्ण, वस्त्र और बैल के रंग) से मतलब फंडामेंटली मजबूत कंपनी से है, जिसकी बैलेंस शीट में कोई गड़बड़ी या नकारात्मकता न हो. इसे पहचानने के लिए आपको निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए. बैल यह संकेत देता है कि आप अच्छी बैलेंस शीट वाली कंपनी में पैसा लगाएंगे तो बाजार का बुल (Bull) आपको लगातार फायदा देता रहेगा.

जब कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस की बात आती है तो इसमें कंपनी के रेवन्यू, अर्निंग, भविष्य में ग्रोथ, रिटर्न ऑन इक्विटी, और प्रोफिट मार्जिन्स जैसी टर्म्स को शामिल किया जाता है. इन सबके विश्लेषण से आप बड़ी आसानी से ऐसी कंपनी खोज सकते हैं, जो आपको आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाएगी. राकेश झुनझुनवाला हमेशा फंडामेंटल्स के आधार पर कंपनियों को परखते थे और पैसा बनाते थे. वे टाटा ग्रुप की कंपनी टाइटन के बहुत बड़े फैन थे, क्योंकि वार्षिक आधार पर टाइटन का रेवेन्यू बढ़ रहा था और भविष्य में ग्रोथ करने की अपार संभावनाएं थीं.

1. कंपनी को समझें: जिस कंपनी में आप निवेश करना चाहते हैं, उसके बारे में आपको जानकारी होना बहुत जरूरी है. यह आपको अंदर की जानकारी देगा कि कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है, क्या कंपनी अपने भविष्य के लक्ष्य के लिए सही निर्णय ले रही है, और क्या आपको स्टॉक रखना चाहिए या नहीं. कंपनी, प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट उसके मैनेजमेंट, उसके प्रमोटरों और उसके उत्पादों के बारे में जानकारी पाने का एक अच्छा तरीका है कि आप कंपनी पर बेवसाइट खंगालें.

2. कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्ट देखें: कंपनी को समझने के बाद आपको इसकी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए. इसमें बैलेंस शीट, प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट, कैश फ्लो स्टेटमेंट, ऑपरेटिंग कॉस्ट, रेवेन्यू, और खर्च इत्यादी शामिल होते हैं. आप इसकी कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR), और सेल्स के आधा पर मूल्यांकन कर सकते हैं कि क्या पिछले 5 वर्षों से शुद्ध लाभ बढ़ रहा है या नहीं. यदि कंपनी 5 साल से लगातार अच्छा कर रही है तो इसे एक अच्छा संकेत माना जाता है. आप कह सकते हैं कि कंपनी का भविष्य उजला (सफेद वर्ण) है.

3. कर्ज का पता लगाना न भूलें: कर्ज का मूल्यांकन करना सबसे जरूरी है. यह कंपनी के प्रदर्शन को गिरा सकता है. कोई भी कंपनी आपको तब तक कमाकर नहीं दे सकती, जब तक कि उस पर भारी कर्ज है. पहले वह अपना कर्ज उतारेगी और उसके बाद कुछ कमाएगी तो आपको कुछ लाभांश दे सकती है. तो एक्सपर्ट मानते हैं कि जिन कंपनियों पर बड़ा कर्ज हो, वहां निवेश करने से बचना चाहिए. यदि कंपनी पूरी तरह कर्जमुक्त है तो इस आधार पर कहा जा सकता है कि कंपनी ग्रोथ करेगी और उसका भविष्य मां महागौरी के वर्ण-सा श्वेत हो सकता है. निवेश करने के लिए हमेशा एक ऐसी कंपनी खोजने की कोशिश करें, जिसमें कर्ज इक्विटी अनुपात (debt:equity ratio) 1 से कम हो. यह एक पैरामीटर है.

4. कंपनी के कंपीटीटर्स को जानें: जिस कंपनी में आप निवेश करना चाहते हैं, वह अपने पीयर्स या समकालीन कंपनियों में से सबसे अच्छी कंपनियों में से एक होनी चाहिए. ऐसी कंपनी खोजने की कोशिश करें जो अन्य कंपनियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हो. कंपनी के पास भविष्य की बेहतर योजनाएं होनी चाहिए. ये आप कंपनी की बैलेंस शीट से देख सकते हैं.

5. भविष्य को ध्यान में रखें: यदि आपको लम्बे समय के लिए किसी शेयर में निवेश करना है तो फंडामेंटल एनालिसिस बेहद जरूरी है. एक आम समझ से आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि कंपनी जो प्रोडक्ट बनाती है या जो सेवाएं देती है, क्या वो अगले प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट 10-15 वर्षों तक कारगर रहेंगे या नहीं. उदाहरण के लिए, हिन्दुस्तान यूनिलीवर ऐसे उत्पाद बनाती है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में काम आते हैं, जैसे कि शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन इत्यादी. इन उत्पादों की मांग कभी खत्म नहीं हो सकती.

6. समय-समय पर चेक करते रहें: ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप एक बार देख-परख कर निवेश करें और फिर 20 साल के लिए भूल जाएं. हर प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कंपनी अपनी सालाना रिपोर्ट पेश करती है. आपको हर साल उस कंपनी की रिपोर्ट पर नजर डालनी चाहिए. यदि उसमें भविष्य में बढ़ने की संभावनाएं हैं तो उसमें निवेश को जारी रखें, नहीं तो आप दूसरी कंपनी की तलाश में लग जाएं.

Note – कल नवरात्रि का 9वां दिन है और इस दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है. कल हम आपके लिए मां सिद्धिदात्री की प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कथा के माध्यम से निवेश के कुछ मंत्र शेयर करेंगे.

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प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

बैलेंस शीट/चिट्ठा (Balance Sheet): एक बैलेंस शीट एक निश्चित तारीख में एक व्यावसायिक चिंता की वित्तीय स्थिति का एक बयान है। इसे एक बैलेंस शीट कहा जाता है क्योंकि यह उन खाता बही के शेष खातों की एक शीट है जो ट्रेडिंग और लाभ और हानि खाते की तैयारी तक बंद नहीं किए गए हैं।

ट्रेडिंग और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट की तैयारी के बाद, ट्रायल बैलेंस में छोड़ी गई शेष राशि व्यक्तिगत या वास्तविक खातों का प्रतिनिधित्व करती है। दूसरे शब्दों में, वे किसी विशेष तिथि पर मौजूद संपत्ति या देनदारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। देनदारियों प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट से अधिक की संपत्ति पूंजी का प्रतिनिधित्व करती है और एक कंपनी की वित्तीय सुदृढ़ता का संकेत है। एक बैलेंस शीट को "पूंजी के स्रोत और अनुप्रयोग को दर्शाने वाला विवरण" के रूप में भी वर्णित किया गया है।

यह एक बयान है और एक खाता नहीं है और वास्तविक और व्यक्तिगत खातों से तैयार किया गया है। बैलेंस शीट के बाएं हाथ को उन स्रोतों के विवरण के रूप में देखा जा सकता है जिनसे उस व्यवसाय ने पूंजी प्राप्त की है जिसके साथ वह वर्तमान में काम करता है और दाएं हाथ की तरफ उस पूंजी के रूप में जिस रूप में निवेश किया जाता है उसके विवरण के रूप में एक निर्दिष्ट तिथि।

बैलेंस शीट क्या है?

बैलेंस शीट एक वित्तीय विवरण है जो किसी कंपनी की परिसंपत्तियों, देनदारियों और शेयरधारकों की इक्विटी को एक विशिष्ट समय पर रिपोर्ट करता है, और रिटर्न की कंप्यूटिंग दरों और इसकी पूंजी संरचना का मूल्यांकन करने के लिए एक आधार प्रदान करता है। यह एक वित्तीय विवरण है जो एक कंपनी के मालिक होने और बकाया होने के साथ-साथ शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई राशि का स्नैपशॉट प्रदान करता है।

अर्थ: किसी विशेष समय पर किसी व्यवसाय या अन्य संगठन की संपत्ति, देनदारियों और पूंजी का विवरण, पूर्ववर्ती अवधि में आय और व्यय के संतुलन का विवरण।

परिभाषा: एक बैलेंस शीट स्थिति स्टेटमेंट को संदर्भित करता है, जो एक निश्चित तिथि पर एक उद्यम की संपत्ति, देनदारियों और मालिक की इक्विटी, यानी पूंजी की शेष राशि को सूचीबद्ध करता है। जबकि परिसंपत्तियां कंपनी के स्वामित्व वाले संसाधनों को दर्शाती हैं, देनदारियां और पूंजी संसाधनों के वित्तपोषण को दर्शाती हैं।

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