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विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार

विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार
शेयर बाजार 16 अक्टूबर 2022 ,18:45

कठिन समय में बुनियादी बातें आवश्यक

श्रीलंका का सामना एक भीषण तूफान से हुआ है। श्रीलंका का राजनीतिक नेतृत्व एकदम निर्बल था और वह नीतियों में नहीं ब​ल्कि लोकलुभावनवाद में यकीन रखता था। सत्ता के गलियारों में प​श्चिम विरोधी सिद्धांतों का गहरा प्रभाव था और लंबे गृहयुद्ध तथा उसके बाद देश के पुनर्निर्माण के क्रम में वह भारी भरकम कर्ज में डूब गया था। पर्यटन देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने का एक प्रमुख जरिया था लेकिन वह भी महामारी के कारण बुरी ​स्थिति में आ गया। चाय निर्यात विदेशी मुद्रा का दूसरा माध्यम था लेकिन उर्वरकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों के कारण चाय का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। प​श्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में इजाफा करने से विदेशी पूंजी वापस जाने लगी। इसके चलते डॉलर मजबूत हुआ और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण आयातित खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में तेजी आई। किसी भी छोटी अर्थव्यवस्था के लिए इन हालात में संभलना मु​श्किल होता, राजपक्षे परिवार और उनके सहयोगियों द्वारा शासित श्रीलंका की बात तो छोड़ ही दी जाए।

लेकिन श्रीलंका तो बस शुरुआत है। सच तो यह है कि यह सूनामी जल्दी ही दुनिया के अन्य देशों को अपनी चपेट में ले सकती है। कुछ देश तो बुरी तरह प्रभावित भी होंगे। ऐसे ही कुछ देशों पर नजर डालना उचित रहेगा।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार करीब एक तिहाई उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में सॉवरिन बॉन्ड प्रतिफल 10 फीसदी से अ​धिक है। श्रीलंका का 10 वर्ष का डॉलर बॉन्ड प्रतिफल इस वर्ष यूक्रेन के बाद दुनिया में सबसे अ​धिक बढ़ा है। उसके बाद अल सल्वाडोर का नंबर है। श्रीलंका में राष्ट्रपति के सलाहकारों ने आईएमएफ से बात करने से इनकार किया और केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने नकदी छापना जारी रखा। उधर अल सल्वाडोर में कुछ महीने पहले राष्ट्रपति ने अमेरिकी डॉलर को मृत घो​षित कर दिया और बिटकॉइन में भरोसा जताया। बिटकॉइन के मूल्य में जल्दी ही 60 फीसदी गिरावट आई और सल्वाडोर के लोगों का मुद्रा भंडार भी उसके साथ नष्ट हो गया।

लाओस में भोजन और ईंधन आयात की लागत उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। यह छोटा सा देश 14.5 अरब डॉलर के कर्ज में है। लाओस पर चीन का कर्ज श्रीलंका से विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार भी अ​धिक है। इससे दोनों देशों को बहुपक्षीय ढंग से उबारना भी मु​श्किल हुआ है।

राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में भी यह एक समस्या है जहां सार्वजनिक ऋण और जीडीपी का अनुपात बमु​श्किल 70 फीसदी से अ​धिक है जबकि ब्राजील में यह 90 प्रतिशत है। लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान की निर्यात आय अत्यंत कमजोर है और उसे अपने आयात की भरपाई में मु​श्किल होती है तथा कर्ज पर ब्याज चुकाना पड़ता है। ।

ब्याज भुगतान मिस्र और घाना जैसी बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी एक समस्या है। विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार तेजी से विकसित होते घाना में सरकार ने गत मई में एक कड़ा आईएमएफ विरोधी रुख अपनाया और सभी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर पर 1.5 प्रतिशत का कर यानी ई-लेवी लगाने की घोषणा की। घाना के वित्त मंत्री को भरोसा था कि इससे देश की वित्तीय हालत में ​स्थिरता आएगी। श्रीलंका की तरह घाना का निर्यात भी विविधतापूर्ण नहीं है और वह पारंपरिक तौर पर कोकोआ और सोने का ही निर्यात करता है। ऐसे में देश मूल्य अ​स्थिरता को लेकर संवेदनशील है। उसका कर्ज और जीडीपी अनुपात 84.6 प्रतिशत है और ब्याज भुगतान जीडीपी के सात फीसदी से अ​धिक है।

महामारी के समय को छोड़ दें तो हाल के वर्षों में घाना छह फीसदी से अ​धिक दर से विकसित हुआ है। महामारी के पहले मिस्र भी पांच से छह फीसदी की दर विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार से विकसित हो रहा था। 2021-22 में तो उसने छह फीसदी का स्तर भी पार कर लिया था लेकिन यह देश जो एक समय रोमन साम्राज्य को अनाज मुहैया कराता था, अब वह आयातित गेहूं पर निर्भर है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इसकी कीमत में भारी इजाफा हुआ है। उसका कर्ज और जीडीपी का अनुपात 90 प्रतिशत के करीब है और ब्याज भुगतान जीडीपी के आठ फीसदी के बराबर है।

ट्यूनी​शिया पर भी डिफॉल्ट का खतरा है। उसका ऋण और जीडीपी अनुपात मिस्र के बराबर है। बॉन्ड प्रतिफल 30 फीसदी बढ़ा हुआ है। वहां ब्रेड और ईंधन पर स​ब्सिडी दी जा रही है। वै​श्विक बाजारों में इन दोनों चीजों की बढ़ती कीमत के कारण सरकार की वित्तीय ​स्थिति पर दबाव पड़ा है। वहां के लोकलुभावनवादी राष्ट्रपति को लगता है कि वे सारी समस्याएं खुद हल कर सकते हैं। वह सत्ता पर पकड़ मजबूत करने और विपक्ष को नतमस्तक करने में जुटे हुए हैं। जाहिर है वह आईएमएफ के साथ ढांचागत सुधारों को लेकर चर्चा नहीं कर सकते।

इन सबसे यही सबक लिया जा विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार सकता है कि बुनियादी अर्थशास्त्र अभी भी किस देश के वृहद आ​र्थिक भविष्य का सबसे बेहतर सूचक है। बहुत अ​धिक कर्ज न लें। स​​ब्सिडी और पात्रता योजनाओं पर व्यय न बढ़ाएं। निर्यात को यथासंभव विविधतापूर्ण बनाएं। टेक्नोक्रेट्स की सलाह सुनें और लोकलुभावन नेतृत्व से बचें। एक और सबक: अकेले जीडीपी वृद्धि बचाव नहीं कर सकती। घाना और मिस्र तथा तुर्की आदि इसके उदाहरण हैं।

भारत इस सूनामी से सुर​क्षित नहीं है। रुपया रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। अब 10-11 महीने के आयात के बराबर ही मुद्रा भंडार शेष है। अगर यह आंकड़ा आठ या नौ महीने से कम हुआ तो खतरा उत्पन्न हो जाएगा। लेकिन अगर हमारे नीति निर्माता पारंपरिक और समझदारी भरी नीतियों पर टिके रहें तो हम सुर​क्षित रह सकते हैं। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को सीमित रखा है और इसलिए कीमतें नियंत्रण से बाहर नहीं हुई हैं। केंद्र सरकार की दृ​ष्टि राजकोषीय घाटे पर भी है, यानी ब्याज भुगतान असहज तो हैं लेकिन वे प्रबंधन के दायरे से बाहर विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार नहीं हैं। आने वाले वर्षों में हम किस हद तक संकट से बचेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि नीति निर्माण में कितनी समझदारी बरती जाती है। यानी घाटे में कमी, ब्याज दरों में इजाफा, निर्यात को बढ़ावा और उत्पादकता बढ़ाने वाले सुधारों पर भविष्य में किस प्रकार ध्यान दिया जाता है। संकट के समय समझदारी यही है कि बुनियादी बातों पर टिके रहा जाए।

RBI Monetary policy: विदेशी मुद्रा भंडार में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश, जानें आरबीआई गवर्नर ने FDI पर क्या कहा

RBI Monetary policy: मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $573.9 अरब पर रहा.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास.

RBI Monetary policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह भंडार भारत को विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार आर्थिक ग्लोबल उठा-पटक से बचाने को लेकर आश्वस्त करता है. मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s foreign exchange reserves) $573.9 अरब पर रहा. बता दें पिछले चार हफ्ते से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी दर्ज की गई है. इससे पहले 22 जुलाई तक के सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार और $1.152 बिलियन कम हो गया था.

एफडीआई पर क्या कहा
दास ने RBI Monetary policy के मौके पर कहा कि पहली तिमाही में 13.6 बिलियन डॉलर का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) Q1 FY22 में 11.6 बिलियन डॉलर की तुलना में मजबूत रहा.पीटीआई की खबर के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान एग्जिट मोड में रहने के बाद, जुलाई 2022 में पॉजिटिव हो गया. दास ने कहा कि जुलाई में किए गए कई दूसरे उपायों के साथ,रिज़र्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) का भी उपयोग किया है जो कि एक्सचेंज रेट में अस्थिरता को विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार रोकने के लिए सालों से जमा हुआ है.

रुपये पर है आरबीआई का ध्यान
रुपये के लगातार कमजोर होने के मुद्द पर दास ने कहा कि भारतीय रुपये का मूल्यह्रास भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे में कमजोरी के बजाय अमेरिकी डॉलर में मजबूती के चलते है.शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे बढ़कर 78.94 पर पहुंच गया. आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि वे सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर फोकस्ड हैं. आरबीआई (RBI)की तरफ से मार्केट में हस्तक्षेप से जारी अस्थिरता को कंट्रोल करने और रुपये की व्यवस्थित आवाजाही सुनिश्चित करने में मदद मिली है.

एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई
भारत के एक्सटर्नल सेक्टर ने हाल ही में दुनियाभर में आई आर्थिक उठा-पटक का सामना किया है. अप्रैल-जुलाई 2022 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. जबकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के चलते व्यापारिक आयात रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसके अलावा, डेटा से संकेत मिलता है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद सेवाओं के निर्यात,विशेष रूप से आईटी सेवाओं की मांग पहली तिमाही में तेज रही.

रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है : वित्त मंत्री

शेयर बाजार 16 अक्टूबर 2022 ,18:45

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है। शुक्रवार को भारतीय रुपया आठ पैसे टूटकर 82.32 रुपये प्रति डॉलर पहुंच गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वह इस घटना को डॉलर की मजबूती के रूप में देखती हैं, न कि भारतीय मुद्रा में गिरावट के रूप में।शुक्रवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने कहा कि रुपये ने डॉलर की वृद्धि को झेला है और कई उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, मैं इसे रुपये में गिरावट के रूप में नहीं बल्कि डॉलर के मजबूत होने के रूप में देखूंगी। खास बात यह है कि रुपया डॉलर की तेजी को झेल चुका है। लेकिन इसने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई अपनी गिरावट को रोकने और इसकी अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए काम कर रहा है। मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि रुपया विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार अपने स्तर पर पहुंच जाएगा। बढ़ती महंगाई और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक बुनियाद अच्छी है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार आरामदायक स्थिति में है और मुद्रास्फीति भी प्रबंधनीय है।

उन्होंने कहा- बुनियादी बातें ठीक हैं। विदेशी मुद्रा अच्छी है, हालांकि यह नीचे आ गई है। यह एक आरामदायक स्थिति में है। मुद्रास्फीति भी प्रबंधनीय है, हालांकि हम इसे नीचे लाना (कम करना) चाहते हैं.. इसे नीचे लाने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, अन्य देशों की मुद्रास्फीति दरों को विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार देखें।

चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के बारे में पूछे जाने पर, सीतारमण ने कहा: व्यापार घाटा वास्तव में बढ़ रहा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आयात निर्यात से अधिक है। हालांकि आयात मध्यस्थ वस्तुओं का अधिक है। इसलिए हम बढ़ते आयात के बारे में चिंतित नहीं हैं क्योंकि वे माल के हैं जो निर्यात उद्देश्यों के लिए मूल्य वर्धित उत्पाद हैं।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर जी20 वैश्विक संस्थानों से इस पर डेटा का मिलान करेगा और एक ऐसे ढांचे पर पहुंचेगा जो क्रिप्टो व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले प्लेटफार्मों को देखेगा। भारत अगले महीने जी20 की अध्यक्षता करने वाला है।

उन्होंने कहा, हम मनी ट्रेल को समझने की कोशिश करेंगे, मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाएंगे और कोशिश करेंगे उस पर किसी तरह का नियमन लाएंगे। इस पर जी20 के सदस्यों के बीच आम सहमति है क्योंकि उनमें से कई ने इस पर चिंता जताई है।

आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सजा दरों पर एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने कहा: ईडी जो करता है उसमें स्वतंत्र है। यह विधेय अपराधों पर काम करता है और अन्य एजेंसियों द्वारा मामला उठाए जाने के बाद सामने आता है और अगर ईडी कोई कार्रवाई करती है तो वह सबूत के साथ।

डॉलर के मुकाबले रुपया 82.25-82.75 के बैंड में कारोबार करेगा'

CHENNAI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप से भारतीय रुपया निकट भविष्य में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार 25-82.75 रुपये के बैंड में रहेगा, बैंक ऑफ बड़ौदा ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रुपये विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार के लिए दृष्टिकोण वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों (डॉलर) के साथ-साथ कमजोर घरेलू बुनियादी बातों से प्रभावित है।

"फिर भी, आरबीआई के हस्तक्षेप से निकट अवधि में INR (भारतीय रुपया) 82.25-82.75 / $ की सीमा में रहने की संभावना है। फेड मिनट और यूएस Q3CY22 GDP (सकल घरेलू उत्पाद) बाद में जारी होने वाले हैं। महीना विदेशी मुद्रा बाजार के पाठ्यक्रम को निर्धारित करेगा," रिपोर्ट में कहा गया है।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि मजबूत डॉलर के दबाव के अलावा, उच्च घरेलू मुद्रास्फीति के साथ-साथ निर्यात में कमी के कारण बाहरी मोर्चे पर बढ़ते जोखिम जैसे कारकों का भी भारतीय रुपये पर असर पड़ेगा।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य द्वारा उत्पादन में कटौती की घोषणा के समर्थन से तेल की कीमतें भी फिर से बढ़ने लगी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के बहिर्वाह में भी 22 अक्टूबर को तेजी आई है और तेज गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने पिछले कुछ दिनों में बाजार में कदम रखा है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि पिछले एक पखवाड़े में रुपये में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जो 7 अक्टूबर 2022 को 82 / $ के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया।

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