भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें

कमोडिटी वायदा बाजार में जानें क्या है मार्जिन ?
हाजिर बाज़ार में किसी जिंस को खरीदते हैं तो एक साथ पूरा भुगतान करना पड़ता है लेकिन कमोडिटी वायदा बाजार में कुछ रकम देकर भी ट्रेडिंग संभव है और इस रकम को मार्जिन कहा जाता है. हर कमोडिटी को खरीदने या बेचने के लिए एक निश्चित मार्जिन पहले से तय होता है . सामान्यतया यह मार्जिन मनी 3-5 फीसदी के बीच होती है. लेकिन कभी भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति में एक्सचेंज अतिरिक्त या स्पेशल मार्जिन भी लगाते हैं.
10 मिनट में जानिए कमोडिटी भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें ट्रेडिंग कर कैसे कमा सकते हैं मुनाफा
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकाउंट की आईडी मुहैया कराता . इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं . इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.
वायदा कारोबार पर लगाई गई रोक, तिलहन और कच्चे तेल के बढ़ते दामों पर काबू पाने के लिए सरकार ने उठाया कदम
TV9 Bharatvarsh | Edited By: पवन कुमार
Updated on: Dec 20, 2021 | 5:58 PM
देश में पिछले दो वर्षों से तेल और तिलहन के दाम लगातार बढ़ रहे थे. तिलहन और कच्चे तेलों के वायदे खेलने की कमोडिटी एक्सचेंज पर कारोबार करने की मंजूरी भी इसके दामों के बढ़ने के पीछे का एक कारण बताया जा रहा था. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के महानगर अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि, इस विषय पर अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ ने लगातार सरकार से मांग की थी, की तेलों और तिलहन संबंधी चीजों के वायदे पर रोक लगाई जाए जिससे हो रहे “खेले” को रोका जा सके और बड़े सटोरिए एवं पूंजीपतियों द्वारा किसी भी चीज पर वायदे के माध्यम से काबू में न कर सके.
वायदा कारोबार पर रोक लगाने की दी गयी थी सलाह
गौरतलब कि आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण सरकार चिंतित थी. सरकार द्वारा उपभोक्ता मंत्रालय , वाणिज्य मंत्रालय एवं कृषि मंत्रालय द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित वेबीनार में शंकर ठक्कर ने यह सुझाव दिया था की दामों को काबू में लाना है तो वायदा कारोबार पर रोक लगानी चाहिए और इस बारे में संबंधित मंत्रालयों को बार-बार चिट्ठी लिख कर भी अवगत कराया था.
सरकार के लिए आगामी दिनों में पांच राज्यों के चुनाव सर पर है और नवंबर के लिए उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.91 फीसदी हो गई है इसके साथ ही खाद्य कीमतों में भी वृद्धि हुई. यह सरकार और राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में कटौती के बावजूद था, जिसने मुद्रास्फीति को कम करने में ज्यादा राहत नहीं दी. नवंबर में थोक महंगाई दर एक महीने पहले के 12.54 फीसदी से बढ़कर 14.23 फीसदी हो गई. यह लगातार आठवां महीना था जिसमें यह दोहरे अंक के स्तर पर रहा जिससे सरकार को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. संगठन के महामंत्री तरुण जैन ने कहा हमारी मांग पर सरकार द्वारा वायदा कारोबार पर देर से ही सही रोक लगाने के लिए सरकार के आभारी है.
10 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल, फिर भी पेट्रोल, डीजल के दाम स्थिर
Updated: June 10, 2022 4:17 PM IST
Crude Oil Price Rise: भारत की तरफ से खरीदे जाने वाले स्टैंडर्ड कच्चे तेल का दाम एक दशक के उच्च स्तर 121 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल का बिक्री मूल्य स्थिर बना हुआ है.
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पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) के आंकड़ों के अनुसार भारतीय मानक कच्चा तेल नौ जून को 121.28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. इससे पहले कीमत का यह स्तर फरवरी/मार्च 2012 में देखा गया था.
पीपीएसी (PPAC) के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध के तुरंत बाद भारतीय कच्चा तेल मानक मूल्य 25 फरवरी और 29 मार्च के बीच औसतन 111.86 डॉलर प्रति बैरल रहा. तीस मार्च से 27 अप्रैल के बीच यह औसतन 103.44 डॉलर प्रति बैरल था.
अमेरिका जैसे प्रमुख ग्राहकों की मजबूत मांग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बृहस्पतिवार को 13 सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गयी.
हालांकि, शुक्रवार को इसमें गिरावट आयी. अगस्त महीने के लिये ब्रेंट क्रूड वायदा की कीमत 81 सेंट (0.81 डॉलर) कम होकर 122.26 डॉलर प्रति बैरल पर आ गयी. अमेरिकी वेस्ट टेक्स इंटरमीडिएड क्रूड का भाव जुलाई में 79 सेंट कम होकर 120.72 डॉलर प्रति बैरल रहा.
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में व्यापार घाटा दोगुना बढ़ गया, आगे कैसी रहेगी स्थिति?
- News18Hindi
- Last Updated : September 17, भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें 2022, 07:48 IST
हाइलाइट्स
चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है.
व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.
प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.
मुंबई. भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत पर था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह अनुमान जताया गया है.भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें
भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में यह 54 अरब डॉलर था. ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की वायदा कीमतों में नरमी आई है. वनस्पति तेलों भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें और उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी पहले की तुलना में अधिक नरम दिख रही हैं.
कब से नहीं बदली कीमत
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो कच्चे तेल की कीमत में भारी उतारचढ़ाव आया है लेकिन अपने यहां करीब पांच महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन बीते सात अप्रैल से इसके दाम में कोई घट-बढ़ नहीं हुई है। 22 मई से सरकार ने पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी का फैसला किया। इससे दिल्ली में पेट्रोल का दाम घट कर 96.72 रुपए पर आ गया। पिछले साल सितंबर के बाद पेट्रोल के मुकाबले डीजल का बाजार ज्यादा तेज हुआ था। कारोबारी लिहाज से देखें तो पेट्रोल के मुकाबले डीजल बनाना महंगा पड़ता है। लेकिन भारत के खुले बाजार (Retail Market) में पेट्रोल महंगा बिकता है और डीजल सस्ता बिकता है। इस साल 22 मार्च से डीजल की कीमतें पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा बढ़ी हैं। हालांकि बीते 7 अप्रैल से इसके दाम भी स्थिर हैं। 22 मई को दिल्ली में इसकी कीमतों में 7.35 पैसे कमी हुई थी। उसके बाद इसके दाम घट कर 89.62 रुपये प्रति लीटर पर आ गया।