मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है

क्या सांप्रदायिक थे नुसरत फतेह अली खान?
आजकल एक नया ट्रेंड चला है – कब्रें खोदने का। गड़े मुर्दे उखाड़ने का। मीडिया की नौकरी में काम ऐसा है कि सोशल मीडिया पर सुबह-शाम आँखें कंटेंट तलाशती रहती हैं। इसी बीच एक ट्रेंड देखा जिसमें लोग नुसरत फ़तेह अली खान पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगा रहे थे। क्यों? दरअसल उनकी कव्वाली एक टुकड़ा बदनाम हो रहा है जिसके लिरिक्स कुछ ऐसे हैं –
कुछ तो सोचो मुसलमान हो तुम
काफिरों को न घर में बिठाओ
हो सकता है आपमें से जिन्होंने भी ये कव्वाली न सुनी हो उनमें से ज्यादातर लोगों को ये लाइन नागवार गुजरी हो। ठीक वैसे ही जैसे फैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ की एक लाइन जिसमे लिखा था कि ‘बस नाम रहेगा अल्लाह का…’ सुनकर लोग आहत हो रहे थे।
आगे बढ़ने से पहले एक किस्सा। मेरी तर्बियत लिटरेचर की रही है। मेरे बीए इंग्लिश लिटरेचर के कोर्स में एक बात जो हमें घुट्टी की तरह पिलाई गई वो थी कि ‘ऑलवेज रीड बिटवीन दी लाइन्स’. अब इस ट्रेनिंग की वजह से सीधी बात भी समझने से पहले मैं उस बात के कॉन्टेक्स्ट और इंसान क्या सोचकर यह कह रहा होगा, ये दिमाग में आता है। क्योंकि जो बात कही जा रही है वो कहीं तो जा रही है और कहीं से आ भी रही है। हम जहाँ अभी हैं वहाँ क्या हासिल कर रहे हैं यह समझने की सबसे पहली शर्त यही है कि हमें पता हो कि वो हासिल कहाँ से आ रहा है और कहाँ को जा रहा है।
आते हैं अब नुसरत बाबा पर। नुसरत फतेह अली खान। लंदन के मशहूर रॉयल अल्बर्ट हॉल में जब गाने लगे तो लोग ने साक्षात एक दूसरी दुनिया से भेंट किया। तालियां और वाह रोके नहीं रुक रहे थे और ‘आह’ की तो क्या कहें। उसे तो चाहिए एक उम्र असर होने तक। नुसरत साहब की हस्ती ऐसी थी कि लोगों ने उन्हें बीसवीं सदी के महानतम लोगों में शामिल किया। मेरे प्रिय लेखकों में से एक अशोक पांडे कहते हैं,
‘बुझ जाने के तुरंत बाद काली पड़ गयी मोमबत्ती की नोंक से निकलते धुएं की बारीक सफेद-सलेटी लकीरों का मुलायम ढीला धागा हौले-हौले कुछ तलाश करता हुआ सा खिड़की के बाहर जाकर हवा में घुल कर किसी विराट का हिस्सा बन जाता है। नुसरत की आवाज में शहद के नफीस रेशों से बटे महीन धुएं के जादुई धागे थे। इन धागों के पीछे जाने पर तय था कि पीढ़ियों पुराने अपने किसी बेशकीमती पुरखे से आपकी मुलाक़ात हो जानी थी, सृष्टि की शुरुआत में रचे गए पहले गीतों के बोल आपको रट जाने थे, कुदरत ने अपना लिबास उतार कर अपना सबसे आदिम रक्स आपके वास्ते करना था। एक तेज़ रफ्तार सुनहरी हिरन ने आपको हकबकाते हुए आपकी बगल से गुजर कर एक नीले-फीरोजी झुरमुटे में गुम जाना था। एक शगुफ्ता, सफ़ेद तितली ने आपके कंधे पर बैठे-बैठे अपनी सारी उम्र बिता देनी थी। इतनी ज्यादा नफासत थी उन रेशों में। इतनी ज्यादा रूह!’
अगर आपने भी नुसरत फतेह अली खान की कव्वाली का रास लिया हो तो आप ऊपर लिखी लाइनों से अक्षरशः सहमत होंगे। तब सवाल उठता है कि इतना महान आदमी क्या इस तरह की ओछी बातें कर सकता है? जवाब है हाँ, नहीं, पता नहीं। क्योंकि मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है पाब्लो नेरुदा से लेकर तमाम ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहाँ बेहतरीन आर्ट रचने वाला भी अपने ओछेपन से बाज ना आ सका। इसलिए कभी भी आर्ट और आर्टिस्ट को अलग कर नहीं देखा जा सकता। कम से कम मैं तो नहीं देख सकता। तो क्या नुसरत फतेह अली खान सांप्रदायिक थे?
आप पहले इसी कव्वाली की शुरुआती लाइनें पढ़िए जिनके बाद यह कथित ‘सांप्रदायिक’ लाइन आती है –
साथ देने का वादा किया था
जानेजाँ अपना वादा निभाओ
यूँ ना छोड़ो मुझे रास्ते में
दो कदम तो मेरे साथ आओ
कुछ तो सोचो मुसलमान हो तुम
काफिरों को न घर में बिठाओ
इस पूरी कव्वाली की जगह इसका एक टुकड़ा वायरल या यों कहें कि बदनाम किया जा रहा है। मामला इतना बढ़ गया कि तारेक फतेह ने भी बहती गंगा में हाथ धोते हुए एक ट्वीट चिपका दिया। वो भी देखझिए –
Ustad Nusrat Fateh Ali Khan’s hateful lyrics r delivered with such cavalier innocence, it reflects the systemic hatred of Hindus that is deeply embedded in the souls of Muslims in the Indian Subcontinent. It’s not just shocking, but embarrassing and deserves condemnation by all. https://t.co/piCml4ALSG
— Tarek Fatah (@TarekFatah) July 30, 2022
जबकि नुसरत की इस कव्वाली की आगे-पीछे की बातें सुनकर साफ समझ आता है कि ये बातें अपनी मुहब्बत के लिए कही गई हैं ना कि किसी भी तरह की ‘भावना’ भड़काने के लिए। जैसा कि मैंने पहले ही लिखा कि साहित्य, आर्ट में एक तरह का कॉन्टेक्स्ट यानी कि सन्दर्भ होता है जिसको जस्टिफाई करने के लिए तरह-तरह की उपमाओं का सहारा लिया जाता है। यही बात फैज़ की ‘हम देखेंगे’ के लिए भी कही जा सकती है। जब आप एक पंक्ति ‘बस नाम रहेगा अल्लाह का…’ का मतलब ‘सिर्फ नाम ही रह जाएगा अल्लाह का’ नहीं समझ पाते हैं तभी आप एक नास्तिक और मार्क्सिस्ट विचारों वाले आदमी को धर्म से जोड़कर ओछी बातें कर सकते हैं।
कायदे से बात बस इतनी है कि इस तरह की लंतरानियों में अपना समय जाया करने की बजाय कुछ अच्छा पढ़ें, कुछ अच्छा सुनें। गुनें। और अगर थोड़ा समय ता भी बच जाए तो एक अच्छी सी नींद लें। क्योंकि इस तरह की चीजों में दिमाग खपाने से आपको कुछ हासिल तो नहीं ही होगा, उल्टा आप एक अच्छी सी पावर-नैप भी मिस कर देंगे।
नफरती चिंटुओं के लिए इसी कव्वाली की एक मशहूर लाइन है
मेरी तुर्बत पे क्यों रो रहे हो
नींद आई है मुश्किल से मुझको
कब्र में चैन से सो रहा हूँ
छींटें देकर न मुझको जगाओ
मयंक एक युवा मीडिया प्रोफेशनल हैं और सोशल मीडिया के क्षेत्र में काम करते हैं। पूर्व में इंडिया टुडे, टीवी 9 नेटवर्क जैसे संस्थानों में काम कर चुके हैं। साहित्य के विद्यार्थी रह चुके मयंक सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक मुद्दों पर अपनी राय रखना पसंद करते हैं।
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बाल दिवस 2022 की शुभकामनाएं देश की प्रगति के बच्चे हैं आधार बच्चे करेंगे चाचा नेहरू के सपने साकार.जवाहरलाल नेहरू जयंती के अवसर पर हार्दिक बधाई। बच्चों के साथ समय बिताने का मौका कभी न चूकें क्योंकि वे हमेशा अपार खुशियां लाते हैं। Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Subscribe करेेेेेेेेेेेें।
Last Updated on 06/04/2020 by Sarvan Kumar
5 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर देश के करोड़ों लोगों ने 9 बजे 9 मिनट तक सांकेतिक प्रकाश फैलाया। यह सांकेतिक प्रकाश उन वीर कोरोना फाइटर्स के हौसला अफजाई के लिए था जो अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं। हमारे देश के कुछ लोग मोदी विरोध में पूरी तरह से अंधे हो चुके हैं। तर्क या यूं कहिए कुतर्क देकर इस सांकेतिक प्रकाश उत्सव की भी खामियां निकालकर विरोध में उतर आएं है।
इन लोगों की कुतर्क बातों को सुनकर हंसी, गुस्सा, और उदासी जैसे कई भाव एक साथ मन में उभर आता है। वे कहते हैं कि पूरी दुनिया संकट में है और हम उत्सव मना रहे हैं। विरोध में अंधे हुए ये लोग मोदी को गाली देते हैं, पुतले जलाते हैं और पूछते हैं -क्या दिया जलाने से कोरोना भाग जाएगा। यह आयोजन खुशी का नहीं था यह कोरोना भगाने के लिए या कोरोना को डराने के लिए नहीं था। यह आयोजन पुलिस, मीडिया , चिकित्सक और ऐसे दूसरे कर्मचारियों के लिए था जो घर से बाहर निकलकर हमारी अलग -अलग तरीकों से मदद करने में लगें हैं। यह आयोजन ठीक उसी तरह से था जैसे युद्ध के समय हम अपने जवानों के लिए तालियाँ बजाकर या कविता पाठ कर उनके हौसला अफजाई करतें हैं। यह उस तरह से भी है जैसे कोई दुर्घटना हो जाने पर हम मोमबत्ती जलाकर सांकेतिक प्रकाश फैलाते हैं। क्या हम ऐसा खुशी से करते हैं, यह हम जागरूकता फैलाने और सरकार तक अपनी माँग पहुंचाने के लिए करतें हैं। हम अपनें घरों में बंद हैं और हम अपनी ही मदद कर रहे हैं। जरा उन लोगों के मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है बारे में सोचिए जो घर से बाहर हैं और अलग अलग तरह से हमारी मदद कर रहें है। अस्पतालों में काम करने वाले डाक्टर, नर्स, और दूसरे कई मेडिकल स्टाफ अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना मरीजों के देखभाल करनें में लगें हैं। अभी दिल्ली से एक खबर आई है की 100 से ज्यादा मेडिकल स्टाफ को क्वारनटीन किया गया है।
एक पुलिस वाले की विडियो वायरल हुई जिसमें वह अपने ही घर के बाहर खाना खा रहा है। वह घर के अंदर इसलिए नहीं जा रहा क्योंकी इससे घर के सदस्यों मे कोरोना संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। सब्जी वाला, दूधवाला, राशन वाला सफाई कर्मचारी ऐसे कई लोग जो इस लाॅक डाउन में हमारी मदद कर रहें है यह सांकेतिक प्रकाश उत्सव उन लोगों के लिए है। हमें इनके प्रति आदर और सम्मान होना चाहिए। हमें इनका ऋणी होना चाहिए।बजाए इसके हम विरोध में उतरे हुए हैं। अगर हम इन कोरोना फाइटर्स के लिए कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम हौसला अफजाई तो कर ही सकते हैं।
मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है
लेकिन लेकिन यह सब क्या हो रहा है। यह आगंतुक मोमबत्ती लिये मुझे मेरी ही किन-किन अँधेरी गुफाओं में घुमाता फिर रहा है। किस अधिकार से? किस अनुमति-पत्र के सहारे? इसकी भूमिका जरूरत से ज्यादा लंबी नहीं होती जा रही क्या? आखिर यह चाहता क्या है? उँह, वह सब बाद में पूछ लेना, अभी जो बातें चल रही हैं, ऐसे ही चलने दो न!
"बीजी पैसे।" रत्ती थी, गेहूँ साफ कर पिसाने को ले जा रही थी।
मैं पैसों के साथ-साथ उसे हिदायतें देने लगी थी -- तुम आटे चावल के टीन ठीक से बंद नहीं करतीं, रत्ती! चूहे आने लगेंगे कसकर बंद करके ऊपर से बल्कि कोई भारी बाट या कुछ रख दिया करो
"उसी शादी में भी एक बार तुम शायद आटे-चावल वाली कोठरी में कुछ लेने गयी थीं कि उई --। जोर की चीख सुनाई पड़ी थी। सब लोग भागकर दौड़े आये तो तुम बदहवास पत्ते-सी सन्नो बुआ से चिपकी काँपती रोती जा रही थीं। तमाम लोग तुम्हें थपथपाते पुचकारते जा रहे थे पता चला, तुम्हारा पैर एक बड़े से चूहे पर पड़ गया था।" तुम हँसे थे फिर एक-एक कर मेरी आँखों में सीधे देखते हुए तुमने पूछा था --
"तुम्हें याद है?"
"थोड़ा-थोड़ा --" मैंने झेंपते हुए कहा।
लेकिन नहीं, मैं झूठ बोली थी। मुझे वह बात पूरी, वैसी-की-वैसी याद है यह भी कि किसी के कहने पर, तुम्हीं दौड़कर मेरा रोता मुणह धुलाने के लिए गिलास में पानी लाये थे मैंने यह बात एक बार रवि और बच्चों से भी बतायी थी पर बच्चों या रवि किसी के सामने भी पीले फ्रॉक और पीले रिबन वाली पत्नी या माँ की तसवीर नहीं आ पायी थी। मेरा उत्साह ठंडा पड़ गया था। वे फ्रॉक पहने चोटी किये मुझे बारह साल की कल्पना ही नहीं कर पाये थे।
सचमुच तब कहाँ मालूम था कि बाईस साल पहले की पीले फूलों वाली फ्रॉक वाली मैं, कहीं, किसी जिंदगी के कॉलम में सँवारकर सुरक्षित रखी हुई हूँ। यह जिंदगी भी अजीब कौतुकभरी हैं! जितने लोग उतने ही खानों में बंटी। कभी-कभी हमें पता ही नहीं चलता कि हमारी जिंदगी का कौन-सा हिस्सा किस खाने में बंट गया।
मुझे यह भी याद है कि खंभे से टिकी रोती हुई मैं सोच रही थी कि कोई देखता क्यों नहीं कि मैं इस घुप् अँधेरे में अकेली रो रही हूँ। वह 'कोई' कौन हो सकता है, इसका एहसास न था तब तक। सिर्फ एक अधूरा-सा एहसास।
मुझे यह भी याद है कि तुम उस अँधेरे में, खंभे के पास में जलती मोमबत्ती लिये गुजरे थे। तुम एक शर्मीले से किशोर। और मैंने सोचा था कि काश, तुम्हीं मुझे देख लेते। पर मैंने यही समझा था कि तुम अनजाने गुजर गये और तुमने कुछ भी नहीं देखा।
लेकिन तुमने वह सब देखा, समझा और सँवारकर अपने पास रख भी लिया
मुझे यह भी याद है कि मैंने हर गीत गाते हुए क्षणांश को सोचा था- तुम्हें भी मेरा गाना अच्छा लगा होगा क्या?
मुझे यह भी याद है कि खंभे से टिककर रोते हुए मैंने सोचा था, तुम देखते तो तुम्हें ममता आती क्या मुझ पर?
मुझे यह भी याद है कि
और यह भी याद है
और यह भी
नहीं, -- मुझे कुछ नहीं याद है।
"रवि जी कब तक आते हैं?"
मैं एकदम चौंक जाती हूँ रवि? हाँ, आते हैं -- कभी भी आ सकते हैं अब मेरा मतलब, टाइम हो गया है
"क्या सोचने लगीं?"
"मैं, कुछ नहीं, कुछ नहीं, हाँ, यही कि इतनी देर हो गयी आपको चाय या कॉफी तक नहीं पूछा।"
"हाँ, सो तो है ल़गता है बहुत सोचने-समझने के बाद ही किसी को चाय-कॉफी पूछती हो, न?"
मैं फिर संयत हो उठी थी कि तुमने हँसकर कहा था।" पर सच-सच कहूँ तो मुझे भी याद नहीं था कि तुम अब इतनी बड़ी हो चुकी हो कि बाकायदे चाय-कॉफी के लिए मुझे पूछोगी मैं खुद बाईस साल पीछे था मैं अभी भी तुम्हारे इस गृहिणी रूप के साथ जैसा तादात्म्य नहीं कर पाया हूँ मेरी नजरों में तुम वही।"
यह बाईस साल मुझे एकदम बेतरतीब करता चला जा रहा है। एकदम सबकुछ गड्मड्ड उलझ-सा गया है लेकिन तभी फोन की घंटी बजती है और सबकुछ संभल जाता है।
फोन रवि का रहता है। आगंतुक के बारे में पूछकर कहते हैं।" सुनो, जरा कुछ जरूरी काम आ पड़ा है। मैं देर में आऊँ तो कोई हर्ज? तुम्हीं चलता कर सकोगी उसे? बहुत जरूरी है रुकना, प्ली-ज।"
"उसे -- मैं -- हाँ -- ठीक है।"
"थैंक्स और हाँ, बिंदु का बुखार कैसा है?"
"बुखार? हाँ, पता नहीं -- अभी इधर टेंपरेचर नहीं ले पायी -- कम लगता है।"
"ओ. के.।" रवि ने आश्वस्त भाव से रिसीवर रख दिया है।
लौटने पर तुम पूछते हो
"रवि जी का फोन था?"
"हाँ।"
"आ रहे हैं क्या?"
"नहीं, कुछ जरूरी काम आ पड़ा आपसे क्षमा माँगी है।"
"ओह पर आ गये होते तो अच्छा था मन था उनसे मिलने का।"
मैंने कौतूहलभरी दृष्टि उठायी है।
"सुना है, बहुत अच्छे नेचर के हैं।"
"कैसे मालूम?" मैं हँसी
"यों ही कभी कहीं बातों के बीच किसी ने बताया था।"
मुझे एकदम से याद आया।" और आप शादी तो काफी पहले ही हो गयी थी न पत्नी बच्चे।"
"हाँ, हाँ, बिलकुल।" तुम हँसे थे, मुक्त हँसी।" एक अदद पत्नी निरूपमा -- नीरू और दो बच्चे मधु और छवि।"
बस! इसके बाद फिर एक असहज-सी चुप्पी। और क्या कैसे पूछूँ।
"काफी देर हो गयी चलता हूँ अब, है न!"
फिर से वही आँधी-बवंडर ऊपर-नीचे डावाँडोल किसी तरह संयत हो पूछती हूँ।
"लेकिन आपने यह तो बताया नहीं कि आप आये कैसे थे? मतलब, किस काम से।"
तुमने एक बेहद निष्पाद दृष्टि मुझ पर डाली थी, एक क्षण को वह दृष्टि झील की तरह थमी थी -- मेरे चेहरे पर -- क्या तुम सच-सच अब भी यह जानना चाहती हो।
और बस एक "अच्छा तो --" कहकर तेजी से दरवाजे के बाहर हो गये थे।
IAS इंटरव्यू सवाल : अगर आप एक अँधेरे कमरे में एक मोमबत्ती, एक एक लालटेन और एक दिए के साथ हैं तो सबसे पहले आप क्या जलाएंगे?
सवाल नंबर 01: जब इंस्पेक्टर राघव क्रा’इम सीन पर पंहुचा तो वहां एक व्यक्ति औंधे मुह गिरा था और उसके सर पर गो-ली लगी थी. उसके आस पास एक मोबाइल, रिवा-ल्वर, एक टेप रिकॉर्डर और एक छड़ी पड़ी हुई थी. इंस्पेक्टर राघव ने अपने सहकर्मी सावंत से जब टेप रिकॉर्डर को चलाने के लिए बोला. जब सावंत ने टेप रिकॉर्डर को चलाया तो उसमें से आवाज़ आई – मैं अपने मर्ज़ी से आत्म-ह’त्या कर रहा हूँ, इसमें किसी का कोई हाथ नहीं है. इसके बाद गो’ली चलने की आवाज़ आती है. इंस्पेक्टर राघव तो समझ गए कि उसका म’र्डर हुआ है, क्या आप कुछ समझ पाए?
सवाल नंबर 02: एक बूढा व्यक्ति अपने फ्लैट में अकेले रहता है. बुढ़ापे के कारण उसे चलने फिरने में काफी दिक्कत होती थी, इसलिए ज्यादा से ज्यादा घर के सामान उसे घर पर ही पंहुचा दिया जाता था.
शुक्रवार को जब पोस्टमैन एक पत्र देने आया तो उसे कुछ संदेह हुआ, उसने की-होल से देखने की कोशिश की तो उसे उस व्यक्ति को खून से लतफत फर्श पर पड़ा था. जब इंस्पेक्टर राघव क्रा’इम सीन पर पंहुचा तो उसे वहां तीन दूध की बोतलें और एक अखबार पड़ा था. फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया कि इस व्यक्ति को मंगलवार को मा-रा गया था.
उस वृद्ध से कोई मिलने नहीं आया तो उसे किसने मा-रा था?
सवाल नंबर 03: एक जापानी जहाज़ अरब सागर की तरफ बढ़ रहा था, मौसम साफ़ था और लक्ष्य तक पहुचने में एक दिन और लगते. कप्तान को नहाने की इच्छा हुई, उसने अपनी रोलेक्स की घडी और सोने की चेन को उतारी और नहाने के लिए बाथरूम में चला गया. लेकिन, जब वह बाथरूम से वापस आया तो उसकी चेन और घडी दोनों गायब थीं. उसने जहाज के बाकी सदस्यों से पूछताछ के लिए बुलाया की पिछले पंद्रह मिनट में वे कहाँ थे :कुक : मैं फ्रीज से मीट निकल कर उसे पकाने की तयारी कर रहा था. इंजीनियर (अपने औजार और कैप के साथ) : सर, मैं जनरेटर के इंजन पर काम कर रहा था. रेडियो अफसर : मैं कंट्रोल रूम रेडियो सिग्नल दे रहा था. नाविक : सर, मैं झंडा ठीक कर रहा था, किसी ने गलती से उल्टा लगा दिया था.
सह-कप्तान : सर, थोड़ी आँख लगा गयी थी. कप्तान को समझ आगया कि कौन झूठ बोल रहा था. क्या आपको पता चला?
सवाल नंबर 04: पति-पत्नी मनाली घूमने के लिए गये. दो दिन बाद सिर्फ पति वापस आया. उसने पुलिस को अपनी पत्नी के पानी में बह जाने से मृ’त्यु की रिपोर्ट लिखाई. अगले दिन इंस्पेक्टर राघव पति को पत्नी को मा-रने के इलज़ाम में गिर’फ्तार कर लिया. पुलिस ने बताया कि ट्रेवल एजेंट से सच बात पता चली. इंस्पेक्टर राघव को पता चल गया, क्या आपको सुराग मिला?
सवाल नंबर 05: मान लीजिये आप के पास एक कॉफ़ी का कप है और एक चाय का. आप कॉफ़ी के कप से एक चम्मच कॉफ़ी निकल कर चाय वाले कप में डालते हैं. फिर आप चाय के कप से एक चम्मच चाय निकाल कर कॉफ़ी वाले कप में डालते हैं. अब बताइये, कॉफ़ी वाले कप में ज्यादा चाय है या चाय वाले कप में ज्यादा कॉफ़ी?
सवाल नंबर 06: तीन अक्षर का नाम बतलाये। फल इसका मेवा कहलावे।।प्रथम कट जाए यह तो धन कहलाता। मध्य कटे तो भगतों में बोला जाता।।
सवाल नंबर 07: एक बदमाश प्लेन को हाइ-जैक करता है जिसमें ढेर सारा सोना था. उसने सारा सोना मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है लूट लिया और ग्यारह पैराशूट की मांग की. प्लेन के लोगों ने उसे सभी सोना और ग्यारह पैराशूट दे दिया.
चूंकि सभी यात्रियों ने उसे देख लिया था उसने सबको मा’र दिया और पैराशूट से नीचे कूद गया. सवाल यह है कि उसने ग्यारह पैराशूट की मांग क्यों की?
सवाल नंबर 8 : अगर आप एक अँधेरे कमरे में एक मोमबत्ती, एक एक लालटेन और एक दिए के साथ हैं तो सबसे पहले आप क्या जलाएंगे?
class 6 science chapter 15 Solutions हमारे चारो ओर वायु
आज हम class 6 science chapter 15 Solutions हमारे चारो ओर वायु/ एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 विज्ञान Chapter 13 चुंबको द्वारा मनोरंजन (Hindi Medium) के बारें में बताने वाले है जो स्टूडेंट्स के लिए काफ़ी ज्यादा उपयोगी होगा …
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Class: 6th
Medium: Hindi
Subject : Science
Chapter :15
class 6 science chapter 15 हमारे चारो ओर वायु
Book : NCERT
ncert solution class 6 science pdf (Hindi Medium)-
class 6 science chapter 15 Solutions हमारे चारो ओर वायु
Q.1 वायु के संघटक क्या हैं?
Answer. नाइट्रोजन 76% और ऑक्सीजन 23% गैसें है जो मिलकर वायु का 99% भाग बनाती हैं। शेष 1% में
कार्बन डाइऑक्साइड, कुछ अन्य गैसें, जलवाष्प तथा धूल के कण होते हैं।
Q.2 वायुमंडल की कौन-सी गैस श्वसन के लिए आवश्यक है?
Answer. श्वसन के लिए ऑक्सीजन गैस आवश्यक है।
Q.3 आप यह कैसे सिद्ध करेंगे कि वायु ज्वलन में सहायक होती है।
Answer. जब हम जलती हुई मोमबत्ती मोमबत्ती क्या है और यह कहाँ से आती है को किसी बड़े काँच के गिलास से ढक देते हैं तो मोमबत्ती तुरंत बुझ जाती है । ऐसा जलती हुई मोमबत्ती के वायु से संपर्क टूट जाने के कारण होता है । वायु का एक घटक ऑक्सीजन किसी भी
पदार्थ के जलने में सहायक है। अत: हम कह सकते हैं कि वायु ज्वलन में सहायक है।
Q.4 आप यह कैसे दिखाएँगे कि वायु जल में घुली होती है?
Answer. बीकर या किसी काँच के बर्तन में थोड़ा पानी लीजिए। इसको त्रिपाद स्टैंड के ऊपर रखकर धीरे-धीरे गर्म
करें। पानी के उबलने से पहले सावधानीपूर्वक पात्र के अंदर की सतह को देखिए, छोटे-छोटे बुलबुले इससे चिपके
हुए देखते हैं। ये बुलबुले पानी में घुली हुई वायु के कारण बनते हैं। जब आप पानी गर्म करते हैं तो घुली हुई वायु
बुलबुलों के रूप में बाहर आती है।
Q.5 रुई का ढेर जल में क्यों सिकुड़ जाता है?
Answer. रुई का ढेर जल में सिकुड़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रुई में मौजूद वायु बाहर निकल जाती
Q.6 पृथ्वी के चारों ओर की वायु की परत कहलाती है।
Answer. वायुमंडल
Q.7 हरे पौधों को भोजन बनाने के लिए वायु के अवयव न की आवश्यकता होती है।
Answer. कार्बन डाइऑक्साइड
Q.8 पाँच क्रियाकलापों की सूची बनाइए, जो वायु की उपस्थिति के कारण संभव
Answer. (क) श्वसन
(ख) प्रकाश-संश्लेषण
(ग) ज्वलन
(घ) वायु की उपस्थिति में पवन चक्की विद्युत उत्पन्न करती है।
(ङ) ग्लाइडर पैराशूट को चलाने में सहायता करती है
Q.9 वायुमंडल में गैसों के आदान-प्रदान में पौधे तथा जंतु एक-दूसरे की किस प्रकार सहायता करते हैं?
Answer. पौधे प्रकाश-संश्लेषण की सहायता से वायु में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं तथा
इसके साथ ही ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। जंतु इस ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और बदले में कार्बन
डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
इस प्रकार पौधे और जंतु गैसों के आदान-प्रदान में एक दूसरे की सहायता करते हैं।
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चैप्टर नंबर व चैप्टर का नाम-
Chapter 1 | भोजन : यह कहाँ से आता है |
Chapter 2 | भोजन के घटक |
Chapter 3 | तंतु से वस्त्र तक |
Chapter 4 | वस्तुओं के समूह बनाना |
Chapter 5 | पदार्थों का पृथक्करण |
Chapter 6 | हमारे चारो ओर के परिवर्तन |
Chapter 7 | पौधो को जानिए |
Chapter 8 | शरीर में गति |
Chapter 9 | सजीव एवं उनका परिवेश |
Chapter 10 | गति एवं दूरियों का मापन |
Chapter 11 | प्रकाश – छायाएं एवं परिवर्तन |
Chapter 12 | विद्युत् तथा परिपथ |
Chapter 13 | चुंबको द्वारा मनोरंजन |
Chapter 14 | जल |
Chapter 15 | हमारे चारो ओर वायु |
Chapter 16 | कचरा- संग्रहण एवं निपटान |
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