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शेयर तरलता

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तरलता की मजबूत स्थिति और एशिया के अन्य प्रमुख शेयर बाजारों से मिले शानदार संकेतों के चलते घरेलू शेयर बाजारों को शानदार कारोबारी उछाल मिली। नतीजतन सेंसेक्स और निफ्टी साल के सबसे ऊंचे स्तर पर जा पहुंचे।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स कल के मुकाबले 129.50 अंकों की बढ़त के साथ 17,360.61 के स्तर पर और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 33.80 अंकों की शानदार तेजी दर्शाते हुए 5,178.40 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स को सबसे ज्यादा उछाल वाहन और धातु खंड के शेयरों से मिली। वाहन खंड का सूचकांक 1.5 फीसदी बढ़त के साथ 7,356 के स्तर पर और धातु खंड का सूचकांक 17,334 के स्तर पर बंद हुआ, जिसमें 1.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

बाजार को इस खबर से भी बढ़त दर्ज करने में मदद मिली कि घरेलू शेयर बाजारों में इस वर्ष संस्थागत विदेशी निवेश (एफआईआई) का आंकड़ा 80,500 करोड़ रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है।

शेयर तरलता: बाजार तरलता क्या है?

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स्टॉक लिक्विडिटी: मार्केट लिक्विडिटी क्या है?क्या है?

कई निवेशक यह सोचते हैं कि स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग वॉल्यूम का थोक रिटेल व्यक्तिगत निवेशकों से होता है। हालांकि, यह सच्चाई से दूर नहीं हो सकता है। रिटेल ट्रेडर्स के अलावा, कई संस्थान, फर्म और कॉर्पोरेट भी होते हैं जो दिन-प्रतिदिन शेयर बाजार की गतिविधियों में भाग लेते हैं।

वास्तव में, यहां तक कि स्टॉकबॉकिंग हाउस जिन निवेशकों के पास ट्रेडिंग खाते हैं वे नियमित रूप से शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं और निवेश करते हैं। इस घटना को स्वामित्व ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानना चाहते हैं? इस अनूठी अवधारणा का विवरण जानने के लिए आगे पढ़ें।

मालिकाना व्यापार (प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग) क्या है?

जब एक वित्तीय सेवा फर्म जैसे ब्रोकिंग हाउस, एक निवेश बैंक, एक हेज फंड, या यहां तक कि एक वाणिज्यिक बैंक शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश गतिविधियों में संलग्न होता है, तो गतिविधि को मालिकाना व्यापार के रूप में जाना जाता है। स्टॉक मार्केट पंडित भी अनौपचारिक रूप से इस तरह की गतिविधि को ‘प्रोप ट्रेडिंग’ के रूप में संदर्भित करते हैं। इससे पहले कि आप अन्यथा सोचें, इन फ़ंडों का उपयोग स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग या निवेश के लिए किया जाता है, खुद के लिए भी किया जाता और उनके ग्राहकों के नहीं किया जाता हैं।

अब जब हमने इस प्रश्न का उत्तर दे दिया है कि ‘मालिकाना व्यापार क्या है?’, आइए हम अपना ध्यान इस बात पर केन्द्रित करें कि ऐसी फर्में और संस्थाएं ऐसी व्यापारिक गतिविधियों में क्यों संलग्न करती हैं।

क्यों वित्तीय संस्थान मालिकाना व्यापार में संलग्न होती हैं?

इस प्रश्न का उत्तर काफी सरल है। वित्तीय संस्थानएं कॉर्पोरेट स्व-हित के लिए शुद्ध रूप से प्रोप ट्रेडिंग में भाग लेती हैं। वित्तीय फर्मों और स्टॉक ब्रोकिंग हाउसों द्वारा कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण, वे अपने उत्पादों और सेवाओं पर रेजर-थीन मार्जिन पर काम करती हैं। उनकी प्राथमिक व्यावसायिक गतिविधियों से उत्पन्न राजस्व लंबे समय तक उन्हें बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। और इसलिए, वे शेयर बाजार में व्यापार और निवेश से लाभ के लिए मालिकाना व्यापार में लिप्त होती हैं। तब बाजार से अर्जित राजस्व का उपयोग कंपनी द्वारा अपने व्यवसाय को बनाए रखने और अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

दूसरे, वित्तीय क्षेत्र में फर्मों और निगमों का आमतौर पर खुदरा निवेशक सेगमेंट में बेहतर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ होता है। उनके पास न केवल बड़ी मात्रा में निवेश पूंजी है, बल्कि उच्च-स्तरीय, मूल्य-संवेदनशील जानकारी तक बेहतर और तेज़ पहुंच शेयर तरलता है, जिसका वे अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकते हैं। बांड और टर्म डिपॉजिट जैसे अन्य विकल्पों में निवेश करने की तुलना में मालिकाना व्यापार वित्तीय संस्थानों को रिटर्न की उच्च दर का आनंद लेने की अनुमति देता है।

मालिकाना व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियां किस सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करती हैं?

जबकि वित्तीय फर्म इक्विटी सेगमेंट में शामिल होती हैं, उनका मुख्य ध्यान फ्यूचर और विकल्प जैसे डेरिवेटिव पर होता है। फ्यूचर्स और विकल्पों पर इस तरह की बढ़ी हुई व्यापारिक गतिविधि के लिए प्राथमिक कारणों में से एक तथ्य यह है कि इन फर्मों द्वारा किए जाने वाले ट्रेड लगभग हमेशा शुद्ध सट्टा हैं। मालिकाना व्यापारी कई ट्रेडिंग रणनीतियों जैसे कि मौलिक विश्लेषण, तकनीकी विश्लेषण और विभिन्न आर्बिट्राज के मिश्रण का उपयोग करते हैं।

क्या मालिकाना व्यापार का कोई अन्य लाभ होते है?

तकनीकी रूप से, बाजार में मालिकाना व्यापारियों की उपस्थिति बाजार सहभागियों के लिए एक लाभ के रूप में कार्य करती है। चूंकि वे एक बड़े निवेश पूंजी कोष द्वारा समर्थित हैं, इसलिए वे आसानी से बड़े ट्रेड करने में सक्षम हैं। यह काउंटर में बड़ी मात्रा में तरलता को संक्रमित करता है, जिससे निवेशकों के लिए प्रतिभूतियों को खरीदना और बेचना आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रोप ट्रेडिंग ट्रेडिंग फर्म को बाजार निर्माता बनने की अनुमति देता है, जिससे यह बाजारों पर एक निश्चित डिग्री प्रभाव डालती है।

मालिकाना व्यापार का एक और प्रमुख लाभ यह है कि यह कंपनियों को सूची के रूप में कंपनियों के शेयरों को स्टॉक करने में सक्षम बनाता है। फ़र्म तब स्टॉक किए गए शेयरों को अपने स्वयं के ग्राहकों को बेच सकते हैं जो उन्हें खरीदने की इच्छा रखते हैं, इस प्रक्रिया में लाभ कमाते हैं।

चूंकि फर्म अपने स्वयं के धन का उपयोग प्रॉप ट्रेडिंग के लिए करते हैं, इसलिए वे उच्च स्तर पर जोखिम उठा सकते हैं क्योंकि वे अपने ग्राहकों के लिए जवाबदेह नहीं हैं। हर एक लाभ या हानि जो वे करते हैं, केवल इकाई द्वारा ही वहन करना पड़ता है। बताया गया, प्रोप ट्रेडिंग फर्म जटिल और उन्नत ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करती हैं जो सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होती है। इसके अतिरिक्त, वे एल्गोरिथम और स्वचालित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के साथ-साथ उच्च आवृत्ति ट्रेडिंग के लिए भी उपयोग करते हैं। इससे उन्हें नियमित खुदरा व्यापारियों और निवेशकों पर स्पष्ट बढ़त मिलती है।

Share Market: शेयर बाजार में भारी गिरावट, कंपनियों के दिवालिया होने की आशंका क्यों जता रहे हैं एक्सपर्ट रजत शर्मा

IPO News: अप्रैल के बाद से 20 आईपीओ लिस्टिंग प्राइस से बहुत ऊंचे लेवल पर काम कर रहे हैं। कई आईपीओ ने निवेशकों को 100 से 120 फ़ीसदी तक का रिटर्न दिया।

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महंगा हो गया शेयर बाजार
अगर शेयरों के वैल्यूएशन के हिसाब से देखा शेयर तरलता जाए तो आज भी बाजार बहुत महंगे लेवल पर पहुंच गया है। रजत शर्मा ने कहा कि अगर आप विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) या डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के अप्रैल से लेकर अब तक के आंकड़े देखें तो एफआईआई ने अब तक ₹65,000 करोड़ के शेयरों की बिकवाली की है जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर ने ₹51,000 करोड़ के शेयर खरीदे हैं।

खुदरा निवेशक कर रहे भरपाई
इस तरह से करीब ₹14000 करोड़ का अंतर है जिसे खुदरा निवेशक भर रहे हैं। खुदरा निवेशकों की बाजार में इस बड़ी हिस्सेदारी को देखते हुए ही बाजार के नीचे जाने का डर सता रहा है। इस साल अप्रैल से अब तक शेयर बाजार में जोरदार तेजी दर्ज की जा रही है। अब तक 26 IPO अप्रैल के बाद से बाजार में सूचीबद्ध हो चुके हैं जिनमें से सिर्फ छह लिस्टिंग प्राइस से नीचे कारोबार कर रहे हैं। 20 आईपीओ लिस्टिंग प्राइस से बहुत ऊंचे लेवल पर काम कर रहे हैं। कई आईपीओ ने निवेशकों को 100 से 120 फ़ीसदी तक का रिटर्न दिया। अगर इसमें आपको कुछ गड़बड़ नजर नहीं आता तो यह आपकी दिक्कत है।

तरलता घटने के बाद क्या होगा?
रजत शर्मा ने कहा कि इस समय शेयर बाजार में भरपूर तरलता है। रिजर्व बैंक जमकर नोट छाप रहा है लेकिन कंपनियों की कमाई में कोई सुधार नहीं आया है। अगर कंपनियों की कमाई में थोड़ा बहुत सुधार आया भी तो है तो उसकी वजह पिछले साल का कमजोर बेस रहा है। रजत शर्मा ने कहा कि एक बार जब बाजार से तरलता कम होगी, तब कितनी कंपनियां दिवालिया होंगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

मजबूत कंपनियों में करें निवेश
रजत शर्मा ने कहा कि अगर कोई निवेशक इंफोसिस और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है या अगर कोई निवेशक आईटीसी जैसी कंपनियों के शेयर खरीदता है तो उसमें चिंता वाली कोई बात नहीं है।

35 पैसे का यह शेयर तीन महीने में ही एक लाख रुपये को बना दिया ₹ 2271000

केवल 35 पैसे का स्टॉक महज 3 महीने में अपने निवेशकों का पैसा करीब 22 गुना कर दिया है। हम बात कर रहे हैं मल्टीबैगर पेनी स्टॉक Raj Rayon की। इस स्टॉक ने पिछले 3 महीने में 2171.43 फीसद का रिटर्न दिया है।

35 पैसे का यह शेयर तीन महीने में ही एक लाख रुपये को बना दिया ₹ 2271000

Multibagger Penny Stock: वैसे तो पेनी स्टॉक में निवेश काफी जोखिम भरा होता है, लेकिन यह भी सच है कि जहां जोखिम ज्यादा है, वहां बड़े मुनाफे के भी चांस है। केवल 35 पैसे का स्टॉक महज 3 महीने में अपने निवेशकों का पैसा करीब 22 गुना कर दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मल्टीबैगर पेनी स्टॉक Raj Rayon की। इस स्टॉक ने पिछले 3 महीने में 2171.43 फीसद का रिटर्न दिया है। तीन महीने पहले एनएसई पर इसके एक शेयर की कीमत केवल 35 पैसे थी, जो 2173 फीसद उछलकर 7.95 रुपये पर पहुंच गई है।

राज रेयॉन के शेयरों में जिस किसी निवेशक ने तीन महीने एक लाख रुपये लगाए होंगे, उसका एक लाख अब 22 लाख 71 हजार से अधिक हो गया होगा। अगर कोई निवेशक एक हफ्ते पहले भी इस स्टॉक में एक लाख रुपये का निवेश किया होगा और अभी तक उसके पास इसके शेयर हैं तो उसका एक लाख रुपया 125200 रुपया हे गया होगा। क्योंकि, एक हफ्ते में इस स्टॉक ने 25.2 फीसद का तगड़ा रिटर्न दिया है।

राज रेयॉन के शेयर लगातार जबरदस्त प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले एक महीने में यह 130.43 फीसद का रिटर्न दे चुका है। अगर किसी निवेशक ने एक महीने पहले इसमें एक लाख रुपये का निवेश किया होगा और अब तक इस स्टॉक में बना हुआ है तो उसका एक लाख आज 230430 रुपये में तब्दील हो गया है।

छप्परफाड़ रिटर्न देने वाले इस पेनी स्टॉक का एनएसई पर 52 हफ्ते का हाई 7.95 रुपये और लो 1.35 रुपये है। एक साल में यह 3875 फीसद का रिटर्न दिया है। यानी एक साल में इसने एक लाख रुपये के निवेश को 39 लाख 75 हजार बना दिया है। जबकि तीन साल में एक लाख को इसने 79 लाख 50 हजार रुपये में बदल दिया है।

कैसे करें पेनी स्टॉक की पहचान

पेनी स्टॉक का मार्केट कैप काफी कम होता है। आम तौर पर 10 रुपये से कम बाजार कीमत वाले शेयर इस श्रेणी में आते हैं।-इन शेयरों के शेयरधारक की संख्या काफी कम होती है। इन शेयरों के बारे में बाजार में आम जानकारी भी बहुत कम होती है। पेनी स्टॉक में तरलता भी कम होती है। इसका मतलब यह है बाजार खुलने पर ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम होता है।-इनमें बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है। बाजार खुलने पर यह लोअर या अपर सर्किट में ही खुलते हैं।

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई शेयर तरलता है. यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

शेयर तरलता

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 28,203 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके अलावा करीब पांच माह बाद FPI ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध निवेशक रहे हैं. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों तथा वैश्विक स्तर पर तरलता की स्थिति सुधरने की वजह से FPI का निवेश बढ़ा है.

बयान के मुताबिक, ‘‘विभाग ने ‘कोविड काल’ में करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए भी कई तरह के प्रयास किए हैं, जिनके तहत रिटर्न दाखिल करने की वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तेजी से रिफंड जारी किए गए हैं.’’

दरअसल, कुछ ही दिन पहले अमेरिकी फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने भारत में मौजूद छह फंडों को बंद करने की घोषणा की थी. केंद्रीय बैंक ने म्यूचुअल फंडों के सामने आए तरलता संबंधी दिक्कतों के लिए कोरोनावायरस महामारी की वजह से पूंजी बाज़ारों में उतार-चढ़ाव का ज़िक्र किया है.

दरअसल, कुछ ही दिन पहले अमेरिकी फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने भारत में मौजूद छह फंडों को बंद करने की घोषणा की थी. केंद्रीय बैंक ने म्यूचुअल फंडों के सामने आए तरलता संबंधी दिक्कतों के लिए कोरोनावायरस महामारी की वजह से पूंजी बाज़ारों में उतार-चढ़ाव का ज़िक्र किया है.

एक अभूतपूर्व कदम के तहत फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने स्वेच्छा से अपनी छह ऋण योजनाओं बंद करने का फैसला किया है. ऐसा कोरोना वायरस महामारी के चलते यूनिट वापस लेने के दबाव और बांड बाजार में तरलता की कमी का हवाला देकर किया गया है.

पीएम ने एक ट्वीट कर कहा, 'आरबीआई की आज की घोषणा से तरलता बढ़ेगी और और ऋण आपूर्ति में सुधार होगा.इन कदमों से हमारे छोटे व्यवसायों, एमएसएमई, किसानों और गरीबों को मदद मिलेगी'

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) में तरलता के कायम संकट के कारण बैंकिंग क्षेत्र के लिये भी NPA का जोखिम बढ़ सकता है. मूडीज ने एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की है.

देश के शीर्ष अर्थशास्त्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल के दौरान वृद्धि की सबसे खराब गति को निहार रही है. राजीव कुमार ने कहा, "सरकार बिल्कुल समझती है कि समस्या वित्तीय क्षेत्र में है. तरलता (लिक्विडिटी) इस वक्त दिवालियापन में तब्दील हो रही है. इसलिए आपको इसे रोकना ही होगा. "

धातु, बिजली, वाहन और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर में भारी बिकवाली के चलते शुक्रवार को सेंसेक्स 395 अंक गिरकर बंद हुआ. बजट में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार में रखे जाने वाले शेयरों का अनुपात बढ़ाने बढ़ाने का प्रस्ताव करने की घोषणा तरलता से बाजार सहम गया. बाजार को आशंका हुई है कि इससे तरलता की समस्या हो सकती है.

आरबीआई ने एक बयान में कहा, "मौजूदा तरलता हालात के आकलन के आधार पर और टिकाऊं तरलता की जरूरतें बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक ने मुक्त बाजार संचालन के तहत 125 अरब रुपये राशि की सरकारी प्रतिभूतियों को मल्टी प्राइज मेथड का इस्तेमाल करते हुए मल्टी सिक्युरिटी ऑक्शन के जरिए सात मार्च, 2019 को खरीदने का निर्णय लिया है."

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