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विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है

विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42)

संसद इस अधिनियम जून, 2000 को केंद्र सरकार के 1 दिन अस्तित्व में आया विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 की जगह के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 अधिनियमित किया है। उक्त अधिनियम के तहत मामलों की जांच के ऊपर लेने के उद्देश्य के लिए, निदेशक और अन्य अधिकारियों के साथ प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना की है।

अधिनियम की वस्तु को मजबूत करने और विदेशी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य के साथ और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून में संशोधन करने के लिए है।

यह अधिनियम पूरे भारत में फैली हुई है और यह भी लागू होते हैं भारत में निवासी व्यक्ति के स्वामित्व या नियंत्रण भारत से बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों और एजेंसियों के लिए लागू होता है। यह इस अधिनियम के लागू होता है जिसे करने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर प्रतिबद्ध किसी उल्लंघन के लिए भी लागू होता है।

RBI ने किया हस्तक्षेप तो विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर हुई कम, रिजर्व बैंक अधिकारियों की स्टडी में आया सामने

Foreign Exchange Reserves of India: 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है.

Foreign Exchange Reserves of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार (foreign exchange reserves) में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक अगर बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है.

यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद केवल छह प्रतिशत की कमी
खबर के मुताबिक, आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार (Foreign Exchange Reserves) 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए. रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को हासिल करने में सफल रहा है. यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है.

29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी
Reserve bank के अध्ययन के मुताबिक, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves of विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है india) में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई. जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई. वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं.

अभी कितना है लेवल
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves of india) बीते 5 अगस्त को खत्म सप्ताह में 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 2.315 अरब डॉलर बढ़कर 573.875 अरब डॉलर रहा था. आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर हो गया.

RBI Action: वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच विदेशी मुद्रा लाने के नियम किए गए आसान, चिंता में क्यों है आरबीआइ

RBI action to boost indian economy वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने बड़े फैसले लिए हैं। आरबीआइ (Reserve Bank of India) ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। जानें क्‍यों चिंतित है केंद्रीय रिजर्व बैंक.

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। डालर के मुकाबले लगातार रुपये की घटती कीमत, देश में बढ़ते कारोबार घाटे (निर्यात के मुकाबले आयात पर ज्यादा खर्च) और वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में पांच अहम कदम उठाकर पहली बार यह संकेत दिया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा भविष्य में भी पैसा निकाले जाने की संभावना है और इससे रुपये की कीमत और गिरावट आ सकती है।

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चिंता में क्यों हैं आरबीआइ

1-चालू वित्त वर्ष डालर के मुकाबले रुपया 4.1 प्रतिशत गिरा

2-अप्रैल-जून की तिमाही में 61 अरब डालर का हुआ कारोबारी घाटा

3-शेयर बाजार से बाहर निकल रहे हैं विदेशी संस्थागत निवेशक

4-विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 593 अरब डालर पर आया

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ईसीबी से कर्ज लेने की सीमा को किया दोगुना

यह भी आश्चर्यजनक है कि अभी कुछ समय पहले तक कारपोरेट घरानों की तरफ से वाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाने वाले आरबीआइ ने अब ईसीबी से कर्ज लेने की सीमा को दोगुना कर दिया है।

केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदम

  • विदेशों से ज्यादा कर्ज ले सकेंगे कारपोरेट
  • घरेलू ऋण बाजार में ज्यादा निवेश कर सकेंगे विदेशी निवेशक
  • प्रवासी भारतीयों से विदेशी मुद्रा में ज्यादा जमा जुटा सकेंगे बैंक

घरेलू मुद्रा बाजार को बचाकर रखने के निर्देश

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केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि वह पूरे हालात पर नजर विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है रखे है और उसकी पूरी कोशिश है कि वैश्विक स्तर पर जो हालात बन रहे हैं उससे घरेलू मुद्रा बाजार को बचाकर रखा जा सके। जो उपाय किए गये हैं उसमें बैंकों को प्रवासी भारतीयों से ज्यादा से ज्यादा विदेशी मुद्रा में जमा राशि जुटाने को कहा गया है।

बैंकों को दिया सुझाव

अभी प्रवासी भारतीयों के लिए लागू विदेशी मुद्रा वाली जमा स्कीमों (एफसीएनआरबी) के तहत बैंक कितनी ब्याज दर दे सकते हैं इसको लेकर सख्त नियम लागू है। इन विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है स्कीमों के तहत जमा की परिपक्वता अवधि के हिसाब से कितना ब्याज दिया जा सकता है, इसकी सीमा तय की गई है। अब केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा है कि वो 31 अक्टूबर, 2022 तक ब्याज दरों की उक्त सीमा के इतर जमा राशि आकर्षित कर सकते हैं।

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एफपीआइ के लिए खोले दरवाजे

इसी तरह से ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) के लिए निवेश के दरवाजे और खोल दिए गए हैं। अभी एफपीआइ के लिए कंपनियों के ऋण प्रपत्रों में कम से कम एक वर्ष के लिए निवेश करने की शर्त लागू है। इस नियम को बदलते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा है कि एफपीआइ कारपोरेट ऋण प्रपत्रों के तहत कमर्शियल पेपर, गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडी) आदि में एक वर्ष से कम अवधि के लिए भी निवेश कर सकते हैं।

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निवेश की शर्तें की आसान

सरकारी प्रतिभूतियों में भी एफपीआइ के लिए निवेश की मौजूदा शर्त को आसान कर दिया गया है। अभी इस श्रेणी में एक वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले प्रपत्रों में एफपीआइ के कुल निवेश का 30 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नहीं लगाया जा सकता। अब इस नियम को हटा दिया गया है यानी अब एफपीआइ ज्यादा राशि सरकारी प्रतिभूतियों में कम अवधि के लिए भी निवेश कर सकेंगे।

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कंपनियों को अब विदेश से डेढ़ अरब डालर तक लेने की छूट

एक अहम फैसला ईसीबी को लेकर किया गया है। अभी कंपनियों को आटोमोटिक रूट के जरिये विदेश से 75 करोड़ डालर लेने की छूट है। इस सीमा को बढ़ाकर 1.5 अरब डालर कर दिया गया है। ईसीबी के तहत पहली बार भारतीय कंपनियों को विदेशों से इतनी बड़ी मात्रा में कर्ज लेने की छूट मिली है। यह नियम 31 दिसंबर, 2022 तक लागू होगी। इसके अलावा बैंकों से कहा गया है कि वे भी विदेशों से ज्यादा कर्ज ले सकेंगे ताकि जो कंपनियां ईसीबी से सीधे उधारी नहीं ले सकते हैं, उन्हें वो ज्यादा विदेशी मुद्रा में कर्ज दे सकें। यह नियम 31 अक्टूबर, 2022 तक लागू होगा।

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केंद्रीय बैंक ने कहा, विकास संभावनाओं पर नहीं पड़ेगा कोई असर

इन नियमों को लागू करते हुए आरबीआइ ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर मंदी के बादल छाए हैं। वित्तीय बाजार में जोखिम बढ़ा है और उभरती बाजार की अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर लगातार गिरावट का दबाव है। केंद्रीय बैंक भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक है और मानता है कि भारत की विकास संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। हालांकि बढ़ते कारोबारी घाटे और चालू खाता घाटे का बढ़ता स्तर चिंताजनक है। यह भी कहा है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 अरब डालर है। डालर के मुकाबले रुपया बुधवार को 79.30 के स्तर पर बंद हुआ है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक

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