दलाल कैसे बने

Nagpur News महाराष्ट्र: जन्मदाता बने दलाल! नागपुर में बच्चे बेचने वाले दम्पति ने लगाई खुद के ही औलाद की 25 हजार में बोली
नागपुर: संतरा नगरी के नाम से मशहूर नागपुर (Nagpur) से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। यहां के चिखली इलाके से आठ महीने (8 Months) के बच्चे का अपहरण करने वाला प्रजापति दम्पति कई वर्षों से बच्चों की खरीद-फरोख्त का धंधा (Child Trafficking) कर रहा था। अब पुलिस के हाथों सबूत लगे है।
पुलिस जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि, इस दम्पति ने महज 25 हजार रुपयों के लिए अपने खुद के बच्चे को भी बेच दिया है। इस मामले में पुलिस (Nagpur Police) ने चार लोगों के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है।
आठ महीने की बच्ची को बेचने के मामले में पुलिस ने आरोपी योगेंद्र प्रजापति से पूछताछ शुरू कर दी है। पूछताछ के दौरान उसने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक दम्पति को अपना बच्चा बेचने की बात कबूल की। इस मामले में जून 2022 में डील हुई थी। उस समय दोनों पति-पत्नी राजनांदगांव रहते थे। पांचवीं बार गर्भवती होने पर उनकी पत्नी को भंडारा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय एक महिला भर्ती भी थी। उस समय प्रजापति की सुरेंद्र मेश्राम नाम के एक शख्स से मुलाकात हुई थी।
मेश्राम से बातचीत में प्रजापति ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं। मेश्राम ने उसकी बातों पर विश्वास किया और एक बच्चे के लिए अनुरोध किया, क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। इसके बदले में उन्होंने 25 हजार रुपए देने की बात की। इसके बाद प्रजापति ने अपने एक साल के बेटे सनी को मेश्राम दम्पति को बेच दिया।
इस मामले में पुलिस ने प्रजापति दम्पति के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा बच्चा खरीदने वाले राजनांदगांव के मेश्राम दम्पति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
2017 में शादी के बंधन में बंधे प्रजापति दम्पति को पांच साल में 5 साल बच्चे हुए। पुलिस को इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि प्रजापति का दावा है कि राजनांदगांव में बेचा गया लड़का उसका अपना है, लेकिन पुलिस यह भी जांच कर रही है कि, क्या वह वास्तव में उसका बेटा है।
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद प्रजापति दम्पति राजनांदगांव के छुरिया तालुका के बागनदी गांव गए और मेश्राम दम्पति से मिले। वे वहां एक सप्ताह तक रहे। उन्होंने बताया कि प्रजापति द्वारा इस संदर्भ में गोद लेने का पत्र और नोटरीकृत तैयार किया गया था। पुलिस ने गोद लेने के प्रमाण पत्र की जांच की तो पता चला कि प्रजापति का नाम प्रभुलाल थलाल और उनकी पत्नी का नाम रीता थलाल लिखा हुआ था। उसने फर्जी नाम से गोद लेने के दस्तावेज तैयार किए थे।
वाराणसी : आरपीएफ की हत्थे चढ़ा टिकट दलाल, 34 हजार के ई-टिकट बरामद
वाराणसी। रेलवे सुरक्षा बल और सीआईबी वाराणसी की टीम ने बुधवार को सुंदरपुर, खोज़वां स्थित विनायक साइबर कैफे में छापेमारी कर रेलवे टिकट की दलाली करने के आरोपी ऋषि गप्ता को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को आरोपी के पास से 33 ई टिकट बरामद हुऐ हैं, जिनकी कीमत 34 हजार रुपये हैं।
इंस्पेक्टर अभय कुमार राय और सब इंस्पेक्टर संजय कुमार शुक्ला की टीम ने खोजवां में साइबर कैफे एंड ट्रेवेल्स दुकान के संचालक ऋषि गुप्ता पुत्र उपदेश गुप्ता निवासी सुल्तानपुर को रेलवे टिकट का अवैध धंधा करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी ऋषि गुप्ता अलग अलग आईडी से आरक्षित रेल ई टिकट बनाकर जुरुरतमंद ग्रहकों को ऊंचे दामों में बेचता था। गिरफ्तारी करने वाली टीम में एसआई हरिश्चंद्र, एसआई प्रमोद सिंह,हेड कांस्टेबल दीश्वर राय, हेड कांस्टेबल विनोद सिंह, हेड कांस्टेबल कमलेश राय, कांस्टेबल गोविंद यादव ने मुख्य भूमिका निभाई।
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स्टिंग में हुआ बड़ा खुलासा, आधार कार्ड बनवाने के लिए दलाल बोले 150 रुपये दो फटाफट बनेगा कार्ड.
150 रुपये दो, नंबर लगवा दूंगा, आपका आधार कार्ड फटाफट बन जाएगा, वरना चक्कर काटते रह जाओगे, लाइन देख रहो हो, ये खत्म होने वाली नहीं है. संजय प्लेस डाकघर के बाहर दलाल इसी तरह लोगों से पैसे मांग रहे हैं। आधार कार्ड के लिए सुबह चार बजे से लाइन लग जाती है। यहां अभी रोजाना आवेदन ही लिए जाते हैं जबकि करीब 150 से ज्यादा लोग आधार कार्ड बनवाने पहुंच रहे हैं। दलाल इसी का फायदा उठा रहे हैं। अमर उजाला ने सोमवार दोपहर को 12 से एक बजे के बीच वीडियो कैमरे में दलालों की बातचीत रिकॉर्ड की.
रिपोर्टर : आधार बनवाना है, फार्म कहां से मिलेगा।
दलाल : हमारे पास मिलेगा, आपका कार्ड बन जाएगा।
रिपोर्टर : कार्ड कैसे बनेगा, यहां तो लंबी लाइन है।
दलाल : लाइन की चिंता छोड़ो, आपका नंबर फटाफट लगवा दूंगा।
रिपोर्टर : अच्छा कैसे, उसके लिए क्या करना होगा?
दलाल : कुछ नहीं, आप सिर्फ 150 रुपये दो, कार्ड फटाफट बनेगा।
रिपोर्टर : फार्म कितने रुपये का है, उसके पैसे अलग से तो नहीं लगेंगे।
दलाल : यह सिर्फ 15 रुपये का है।
फार्म निशुल्क है, दलालों के चक्कर में न पड़ें
प्रवर डाक अधीक्षक आनंद कुमार सिंह का कहना है कि आधार कार्ड का आवेदन फार्म निशुल्क है। लोग दलालों के चक्कर में न पड़ें। भीड़ ज्यादा होने पर कुछ समय लग सकता है। धैर्य रखें लेकिन दलालों के पास न जाएं। अगर दलाल दबाव बनाएं तो पुलिस से शिकायत करें।
मजबूरी में दलाल को पैसे देने पड़े
आधार कार्ड बनवाने के लिए मैंने बड़े डाकघर के कई चक्कर काटे। वहां कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में दलाल को 150 रुपये देना मजबूरी हो गया। - रईसुद्दीन, रसूलपुर
दलालों को प्रवेश कैसे मिल रहा है
आधार कार्ड बनवाने के लिए आवेदन फार्म निशुल्क है। दलाल इसके 15 रुपये ले रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि दलालों को दफ्तर के अंदर प्रवेश कैसे मिल रहा है। - मुनेंद्र चौधरी, किरावली
आधार कार्ड के लिए केंद्र बढ़ाए जाएं
मुझे अपने आधार पर मोबाइल नंबर लिंक करवाने के लिए दलाल की 150 रुपये देने पड़े हैं। आधार कार्ड के लिए और केंद्र खोले जाने चाहिए। - दलाल कैसे बने दिनेश कुमार, नगला पदी
दो महीने में नहीं बना कार्ड
आधार कार्ड बनवाने के लिए दो महीने से डाकघर के चक्कर लगा रहा हूं, फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। - दीपक बघेल, बोदला
इसलिए लग रही भीड़
कॉलेजों में दाखिले, वजीफे, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, राशन कार्ड बनवाने केलिए आधार कार्ड की जरूरत पड़ रही है। लॉकडाउन में कार्ड बने नहीं, इसलिए अब भीड़ लग रही है।
राकेश झुनझुनवाला: महज 5 हजार से की शुरुआत और ऐसे खड़ा कर दिया था हजारों करोड़ का कारोबार.
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में पांच हजार रुपये का निवेश कर इन्वेस्टर के रूप में करियर की शुरुआत की थी. साल 1985 में मुंबई के दलाल स्ट्रीट में कदम रखने वाले राकेश झुनझुनवाला अपने पिता से प्रेरणा लेकर इस कारोबार में आए थे.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 14 अगस्त 2022, 10:02 AM IST)
- पिता ने नहीं दिए थे निवेश के लिए पैसे
शेयर मार्केट (Share Market) के बिग बुल (Big Bull) के नाम से मशहूर दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) ने 62 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली है. उन्हें 2-3 सप्ताह पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था. स्टॉक मार्केट (Stock Market) में निवेश करने वाले झुनझुनवाला ने महज 5 हजार रुपये से हजारों करोड़ की संपत्ति खड़ी कर दी थी.
1985 में रखा था दलाल स्ट्रीट में कदम
राकेश झुनझुनवाला की इस सफल कहानी की शुरुआत महज पांच हजार रुपये से हुई थी. आज उनकी नेटवर्थ करीब 40 हजार करोड़ रुपये के आसपास है. साल 1985 में मुंबई के दलाल स्ट्रीट में कदम रखने वाले राकेश झुनझुनवाला अपने पिता से प्रेरणा लेकर इस कारोबार में आए थे. लेकिन जब उन्होंने शेयर बाजार में पैसे लगाने का मन बनाया, तो उनके पिता ने पैसे देने से मना कर दिया. साथ ही ये भी कह दिया कि इसके लिए वो अपने किसी दोस्त से पैसे लेने की कोशिश भी ना करें. झुनझुनवाला से उनके पिता ने कहा कि अगर तुम शेयर बाजार में उतरना चाहते हो, तो इसके लिए पैसा खुद की मेहनत से कमाओ.
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टाटा के शेयर ने कराया मुनाफा
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राकेश झुनझुनवाला ने इसके दलाल कैसे बने बाद 1985 में पांच हजार रुपये का निवेश कर इन्वेस्टर के रूप में करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने एक समय टाटा समूह (Tata Group) की कंपनी टाटा टी (Tata Tea) के पांच हजार शेयर 43 रुपये के हिसाब से खरीदा.
तीन महीने में ही टाटा टी का शेयर काफी चढ़ गया. तब झुनझुनवाला ने इस शेयर को 143 रुपये के हिसाब से बेच डाला. ये 1986 की बात है और इस फैसले ने झुनझुनवाला को तीन महीने में ही 2.15 लाख के निवेश पर पांच लाख रुपये का मुनाफा करा दिया.
ऐसे बने शेयर मार्केट के बिग बुल
अगले तीन साल में राकेश झुनझुनवाला शेयर में पैसे लगाकर करोड़पतियों की फेहरिस्त में आ गए. इन तीन सालों में उन्होंने करीब करोड़ का मुनाफा कमाया था. इसके बाद उन्होंने टाटा ग्रुप के एक और कंपनी के शेयर में दांव लगाया और उसने राकेश झुनझुनवाला को बिग बुल बना दिया.
उन्होंने साल 2003 में टाटा समूह की कंपनी टाइटन (Titan) में पैसे लगाए थे. उस वक्त उन्होंने तीन रुपये के हिसाब से टाइटन के छह करोड़ शेयर खरीदे लिए थे. एक समय झुनझुनवाला के पास टाइटन के करीब 4.5 करोड़ दलाल कैसे बने शेयर हो गए थे, जिनकी वैल्यू 7000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई.
हाल ही में राकेश झुनझुनवाला ने करीब 50 मिलियन डॉलर के भारी निवेश से अकासा नाम से अपनी एयरलाइन की शुरुआत की थी.
ब्रोकर क्या है ब्रोकर वेतन कैसे बनें?
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