व्यापार घाटा

आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसोंं के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ना जैसे प्रमुख कारण हैं। इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर 1 जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है। ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि इससे मुद्रास्फीति और व्यापक आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। निःसंदेह इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में वैश्विक मंदी का परिदृश्य उभर रहा है, तब भारत के विदेश व्यापार घाटे में कमी लाना कोई सरल काम नहीं है। फिर भी भारत को अपना व्यापार घाटा कम करना है। इसके लिए उसे अपने स्तर पर कुछ कदम उठाने होंगे।
गोल्ड इंपोर्ट में उछाल से घटेगा व्यापार घाटा करेंट एकाउंट सरप्लस: मार्च में व्यापार घाटा 9,845 करोड रुपए बढ़ा, सोने के इंपोर्ट में लगभग 600% का उछाल
देश का व्यापार घाटा मार्च में सवा अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ गया, यानी इस दौरान निर्यात से ज्यादा आयात हुआ। लेकिन बड़ी बात व्यापार घाटा यह रही कि वित्त वर्ष के अंतिम महीने में इंपोर्ट से ज्यादा बढ़ोतरी एक्सपोर्ट में हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने में आयात में बढ़ोतरी होने की बड़ी वजह सोने के इंपोर्ट में लगभग 600% का उछाल रहा।
सोने का इंपोर्ट उछलने की वजह ग्राहकों में गहनों व्यापार घाटा की भूख नहीं
लेकिन अगर आपको लगता है कि व्यापार घाटा बढ़ाने वाला विलेन सोना है तो ऐसा नहीं है। केडिया एडवाइजरी के फाउंडर और डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, मार्च में सोने का इंपोर्ट उछलने की वजह ग्राहकों में गहनों की भूख नहीं, बल्कि लो बेस इफेक्ट है, जो कोरोना के चलते बना है। आंकड़ों के मुताबिक 2020 में सोने का इंपोर्ट सालाना आधार पर 35% घटकर 690.4 टन से घटकर 446.4 टन रह गया था।
बढ़ता व्यापार घाटा
देश का बढ़ता व्यापार घाटा अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इन दिनों अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार मिली-जुली खबरें आ रही हैं। कभी विकास दर में वृद्धि को लेकर खुशी, तो रुपए का और गिर जाना निराशा पैदा करता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश का निर्यात 20 महीनों के …
देश का बढ़ता व्यापार घाटा अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इन दिनों अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार मिली-जुली खबरें आ रही हैं। कभी विकास दर में वृद्धि को लेकर खुशी, तो रुपए का और गिर जाना निराशा पैदा करता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश का निर्यात 20 महीनों के बाद पहली बार 1.15 फीसदी घटकर 33 अरब डॉलर हो गया जबकि देश का आयात एक साल पहले की तुलना में 37 प्रतिशत बढ़कर 61.68 अरब डॉलर हो गया है। इससे व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक बढ़कर 28.68 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। देश के निर्यात में गिरावट ऐसे समय हुई है जब तेल आयात का बिल बढ़ता जा रहा है।
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तनाव का व्यापार पर असर नहीं: जनवरी-मार्च तिमाही में 15.3% बढ़ा भारत-चीन ट्रेड, व्यापार घाटा बढ़कर 22.23 अरब डॉलर हुआ
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सैन्य गतिरोध के कारण लंबे समय से संबंध तनावपूर्ण है। इसके बावजूद जनवरी-मार्च तिमाही में दोनों देशों के बीच बाइलेटरल ट्रेड 15.3% बढ़कर 31 अरब डॉलर के व्यापार घाटा पार पहुंच गया। भारत को चीन का एक्सपोर्ट 27.1 अरब डॉलर और इंपोर्ट केवल 4.87 अरब डॉलर है। ऐसे में व्यापर घाटा बढ़कर 22.23 अरब डॉलर हो गया। चाइनीज कस्टम्स ने बुधवार को ये डेटा जारी किया है।
बीते साल, भारत-चीन ट्रेड 125 अरब डॉलर से ज्यादा की रिकॉर्ड व्यापार घाटा ऊंचाई पर पहुंच गया था। पिछले साल, भारत को चीन का एक्सपोर्ट 46.2% बढ़कर 97.52 अरब डॉलर रहा था, जबकि चीन को भारत का एक्सपोर्ट 34.2% बढ़कर 28.14 अरब डॉलर हो गया था। व्यापार घाटा 69.38 डॉलर रहा था।