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एक सुरक्षित दलाल कौन है

एक सुरक्षित दलाल कौन है
यदि आप एक को- ऑप बेच रहे हैं तो हो सकता है कि को- ऑप बोर्ड आपके खरीददार का अनुमोदन न करे। आवेदन प्रक्रिया के कारण, एक को- ऑप को बेचने में आमतौर पर ज्यादा लंबा समय (2-4 महिने) लगता है।

Dengue in Gwalior: ग्‍वालियर में डेंगू डंक से अब तक 323 बच्चे बीमार हुए

न्यूयॉर्क में एक अपार्टमेंट देखें

न्यूयॅार्क में रियल एस्टेट बेचने के अनेक कारण हैं। आप खुद यहां रह रहे हैं और ज्यादा स्थान वाली जगह या कस्बे के दूसरे भाग में जाना चाहते हैं। या आप किसी दूसरे शहर या देश में स्थानांतरित होना चाहते हैं। आपके पास निवेश संपत्ति हो सकती है जिसे आप परिसमाप्त करने के लिए तैयार हैं। किसी भी मामले में हम आपकी जगह को बेचने की बारीकियों और पेचीदगियों पर जाने में आपकी मदद करेंगे और आपको समझाएंगे कि काम को पूरा करने के लिए क्या लगेगा ।

यदि यह आपका प्राथमिक निवास है तो आप इसको कुछ निश्चित समय के अंदर बेचना चाहेंगे। यह निश्चित रूप से आपकी बिक्री रणनीति को प्रभावित करेगा, जहां हम एक स्तर के अनुसार संपत्ति का मूल्य चुन सकते हैं जो बाजार में बहुत सी दिलचस्पी बढ़ाएगा। दूसरी ओर, कोई भीड़ नहीं होगी और हम सही व्यक्ति को खोजेंगे जो आपके अपार्टमेंट का सबसे अधिक मूल्य दे।

3 // आपकी संपत्ति की कीमत क्या है?

जब आप संपत्ति बेचते हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि इसकी कीमत क्या है। यदि इसकी कीमत बहुत कम लगाई गई है, तो आप संभावित लाभ खो सकते हैं। यदि इसकी कीमत बहुत ऊँची लगाई गई है तो आप खुद को महिनों के लिए कीमतों में गिरावट और हताशा के लिए स्थापित कर रहे हैं। इसलिए यह जानना बहुत आवश्यक है कि संभावित खरीददार आपकी संपत्ति की क्या कीमत देने को तैयार हैं। हम, आपके दलाल के तौर पर, सही निर्णय लेने के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने में आपकी मदद करेंगे।

  • पड़ोस में तुलनात्मक संपत्तियों की कीमतें
  • एक ही बिल्डिंग में इकाइयों की कीमतें
  • संपूर्ण मांग और आपूर्ति
  • ब्याज दरें, आम शुल्क और कर

4 // समापन लागत क्या है?

विक्रेता द्वारा भुगतानः

  • 6% दलाल का कमीशन (बहु-मिलियन-डालर परिसंपत्तियों के लिए परक्राम्य)
  • राज्य संपत्ति हस्तांतरण कर(0.4%)
  • हवेली कर (1 मिलियन से अधिक संपत्तियों के लिए 1%)
  • सिटी संपत्ति हस्तांतरण कर (एक सुरक्षित दलाल कौन है पहले 500के का 1%, उसके बाद 1.425%)
  • विक्रेता का प्रतिनिधि

क्रेता द्वारा भुगतानः

  • मूल्यांकन और निरीक्षण शुल्क
  • शीर्षक खोज और बीमा शुल्क
  • गिरवी उत्पति शुल्क और अंक (1%-4%)
  • गिरवी रिकार्डिंग कर (1.75%-2.175%)
  • क्रेता का प्रतिनिधि

सुरक्षित प्रसव की राह में रोड़ा बन रहे दलाल

गोपालगंज। सरकारी अस्पताल तथा उसके आसपास दलालों की सक्रियता बढ़ गई है। ये दलाल सुरक्षित प्रसव की राह में रोड़ा बनते जा रहे हैं। प्रसव पीड़ित महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए परिजन घर से उनको साथ लेकर सरकारी अस्पताल के लिए निकलते हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते दलाल उन्हें बहका कर निजी नर्सिंग होम एक सुरक्षित दलाल कौन है लेकर चले जा रहे हैं। दलालों की भूमिका में कुछ आशा कार्यकर्ता भी शामिल बताई एक सुरक्षित दलाल कौन है जाती हैं। निजी नर्सिंग होम ले जाने के बाद महिलाओं का आर्थिक शोषण तो किया ही जाता है। उनकी जान पर भी बन आती है।

बात कुछ दिन पहले की ही एक सुरक्षित दलाल कौन है है। बैकुंठपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एक आशा कार्यकर्ता के झांसे में आने का एक सुरक्षित दलाल कौन है नतीजा एक महिला तथा नवजात बच्चे की मौत के रूप में सामने आया था। प्रसव के लिए सदर अस्पताल आई इस महिला को एक आशा कार्यकर्ता बहला फुसल कर एक निजी नर्सिंग होम में लेकर चली गई थी। जहां प्रसव के बाद महिला तथा नवजात की मौत हो गई। इस घटना के बाद नर्सिंग होम संचालक झोलाछाप चिकित्सक फरार हो एक सुरक्षित दलाल कौन है एक सुरक्षित दलाल कौन है गया तथा आशा कार्यकर्ता को लोगों ने पकड़ कर जमकर धुनाई कर दी थी। बाद में मामला तुल पकड़ने पर इस आशा कार्यकर्ता को स्वास्थ्य महकमा ने हटा दिया।। इस घटना के बाद बीते 25 नवंबर को बैकुंठपुर प्रखंड के रेवतीथ गांव निवासी एक प्रसव पीडित को उसी गांव की आशा कार्यकर्ता सरकारी अस्पताल से बहका कर दिघवा दुबौली के एक सुरक्षित दलाल कौन है एक अवैध नर्सिंग होम में लेकर चली गई। जहां नार्मल प्रसव हुआ। लेकिन जब महिला के घर जाने की बारी आई तो नर्सिंग होम के कर्मियों ने 21 हजार रुपये की मांग किया। तब काफी जद्दोजेहाद और पैरवी के बाद मामला पचास प्रतिशत भुगतान पर सुलझा। सूत्र बताते हैं कि यह नर्सिंग होम भी अवैध रूप से चल रहा है। एक सुरक्षित दलाल कौन है ऐसे कई अन्य नर्सिंग होम भी यहां चल रहे हैं जिसमें न तो कोई एमबीबीएस डॉक्टर आते हैं और ना ही नर्सिंग होम का भवन मानक के अनुसार है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अगल बगल चल रहे इन नर्सिंग होम के प्रति स्वास्थ्य महकमा उदासीन बना हुआ है। आलम यह है कि प्रत्येक माह के नौ तारीख को सरकारी अस्पताल में जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को भी बिना डॉक्टर की सलाह के कुछ आशा कार्यकर्ता निजी एक्सरे तथा अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भेज देती हैं।

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कौन है बिचौलिया सुशेन मोहन गुप्ता, जिसका राफेल डील की दलाली में आया नाम

कौन है बिचौलिया सुशेन मोहन गुप्ता, जिसका राफेल डील की दलाली में आया नाम

राफेल डील में दलाली का मुद्दा एक बार फिर से भारत से लेकर फ्रांस तक में हलचल पैदा करने लग गया है। रविवार को फ्रांस के मीडिया संस्थान मीडियापार्ट की ओर से आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राफेल डील के लिए फ्रेंच एविएशन कंपनी दसॉ ने बिचौलिये को 7.5 मिलियन यूरो की दलाली दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक यह रकम फर्जी कंपनियों और नकली बिलों के जरिए ट्रांसफर की गई थी। इस डील में जिस बिचौलिये का नाम सामने आ रहा है, वह है सुशेन मोहन गुप्ता। सुशेन मोहन गुप्ता को लेकर एक तरफ कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उसने मामले की जांच नहीं कराई। वहीं बीजेपी का कहना है कि यूपीए सरकार के दौर में मिलीभगत से ही सुशेन मोहन ने इस काम को अंजाम दिया है।

मरीजों की दलाली को लेकर माधव डिस्पेंसरी में हुआ देर रात खून खराब

ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि माधव डिस्पेंसरी के बाहर बीती रात को मरीज को एक निजी अस्पताल में शिफ्ट करने को एक सुरक्षित दलाल कौन है लेकर दलालों के बीच जमकर खून खराबा हुआ। इसमें तीन लोग घायल हुए जिसमें से एक के पैर की हड्डी टूटने पर ट्रॉमा सेन्टर में भर्ती किया गया। पैर की हड्डी जोड़ने के लिए उसका ऑपरेशन होना था। डॉक्टरों ने पूरी तैयारी भी ओटी में कर रखी थी पर ज

मरीजों की दलाली को लेकर माधव डिस्पेंसरी में हुआ देर रात खून खराब

ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि

माधव डिस्पेंसरी के बाहर बीती रात को मरीज को एक निजी अस्पताल में शिफ्ट करने को लेकर दलालों के बीच जमकर खून खराबा हुआ। इसमें तीन लोग घायल हुए जिसमें से एक के पैर की हड्डी टूटने पर ट्रॉमा सेन्टर में भर्ती किया गया। पैर की हड्डी जोड़ने के लिए उसका ऑपरेशन होना था। डॉक्टरों ने पूरी तैयारी भी ओटी में कर रखी थी पर जब मरीज को लेकर पहुंचे तो पता चला कि मरीज बैड से गायब है। उसे कुछ लोग एक एंबुलेंस के डालकर ले गए। हालांकि इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इस झगड़े से मरीजों की दलाली का खेल सबके सामने खुल गया और इसमें कौन कौन लिफ्त हैं यह अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुका है॥

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