बाज़ार मूल्य

कंपनी का एमवी = बकाया शेयरों की संख्या * बाजार मूल्य प्रति शेयर
बाज़ार मूल्य
बाजार मूल्य (Bajar muly ) मीनिंग : Meaning of बाजार मूल्य in English - Definition and Translation
- ShabdKhoj
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'बाजार मूल्य'
पार्सल की गहन तलाशी के बाद अवैध अंतरराष्ट्रीय बाजार में ₹15 करोड़ से अधिक मूल्य की गोलियों के रूप में 1.9 किलोग्राम एम्फ़ैटेमिन प्रकार का मादक पदार्थ बरामद हुआ.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मुंबई शाखा ने 26 सितंबर को हवाई अड्डे पर एक विदेशी नागरिक से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ₹13 करोड़ मूल्य की कोकीन जब्त की थी.
अंतरराष्ट्रीय बुलियन बाजार में आज बहुमूल्य बाज़ार मूल्य धातुओं की कीमतों में तेजी के साथ रुपये के मूल्य में गिरावट आने के कारण दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोना 47 रुपये बढ़कर 50,729 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.
इस सौदे ने ट्विटर के तत्कालीन शेयर मूल्य पर 38 प्रतिशत प्रीमियम रखा. जबकि बाजार इस तरह के सौदे पर मूल्य वर्धित होने की उम्मीद रखता है, हाल की घटनाओं ने प्रीमियम (Premium) बाज़ार मूल्य को और भी अधिक बढ़ा दिया है. इससे दोनों पक्षों के शेयरधारकों को कोई फायदा नहीं होगा.
अडाणी विल्मर ने बताया कि नए एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) के साथ खाद्य तेलों का ताजा स्टॉक जल्द ही बाजार में आएगा. कंपनी, फॉर्च्यून ब्रांड के तहत खाद्य तेलों की बिक्री करती है और उसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत की है.
वर्तमान में, टॉप 5,000 ETH व्हेल के पास $663,117,830 मूल्य के SHIB टोकन हैं। 21 जून को, शिबा इनु तेजी से 45% से अधिक बढ़ गया और क्रिप्टो बाजार में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हासिल करने वाला टोकन बना था।
वर्तमान में, टॉप 5,000 ETH व्हेल के पास $663,117,830 मूल्य के SHIB टोकन हैं। 21 जून को, शिबा इनु तेजी से 45% से अधिक बढ़ गया और क्रिप्टो बाजार में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हासिल करने वाला टोकन बना था
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) की 12वीं मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस (12th Ministerial Conference) में इस बार कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य सामग्री की उपलब्धता में कमी और उनकी बढ़ती कीमतों को लेकर बढ़ती चिंता पर मंथन चल रहा है. भारत के लिए इस बार सबसे अहम मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम के प्रोटेक्शन से जुड़ा हुआ है. भारत खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (Public Stockholding) के मुद्दे का स्थायी समाधान चाहता है.
“हम खाद्य वस्तुओं, ईंधन और उर्वरकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदमों से बहुत चिंतित हैं, जो वैश्विक स्तर पर मूल्य वृद्धि तथा बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं. इसलिए, यह मुद्दा भारत से कहीं आगे है.”- IMF
रुपये (Rupee) बाज़ार मूल्य के मूल्य में गिरावट आने से दिल्ली सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोना 133 रुपये की तेजी के साथ 50,907 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.
बाजार मूल्य- अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | बाजार मूल्य का निर्धारण
बाज़ार मूल्य (bazar mulya) किसी वस्तु का वह मूल्य है जो बाज़ार में अति अल्पकाल के लिए प्रचलन में होता है। अति अल्पकाल में इतना कम समय होता है कि केवल माँग के आधार पर ही बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं की क़ीमत तय कर ली जाती है। यानि कि बाज़ार मूल्य अति अल्पकाल में वस्तु की पूर्ति लगभग स्थिर रहती है।
आपने अपने आसपास के हाट-बाज़ारों में यह नज़ारा ज़रूर देखा होगा। जहाँ पर क्रेताओं की संख्या और उनके द्वारा की जाने वाली माँग के आधार पर, उस दिन बेची जाने वाली वस्तुओं का मूल्य निर्धारित होता है।
इतना ही नहीं, बल्कि दिन के अलग अलग भागों में क़ीमतें भी अलग-अलग होती हैं। जैसे दिन के प्रथम प्रहर में क़ीमतें बाज़ार मूल्य थोड़ी ज़्यादा होती हैं तो वहीं दिन के अंतिम समय में बाज़ार के मूल्य कम होते नज़र आते हैं। बाज़ार में क्रेता ज़्यादा संख्या में आ जाएं तो बाज़ार मूल्य (bazar mulya) तेज़ हो जा ता है। कम आ जाएं तो बाज़ार मूल्य भी कम हो जाता है। यानि कि बाज़ार मूल्य में, एक ही दिन में अनेक बार परिवर्तित होने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
अतः हम स्पष्ट शब्दों में कह सकते हैं कि ' अति अल्पकालीन मूल्य (क़ीमत) को बाज़ार मूल्य कहा जाता है।' आइये बाज़ार मूल्य (market value) को पारिभाषिक रूप में समझने का प्रयास करते हैं।
बाज़ार मूल्य क्या है (Bazar mulya kya hai) | Bazar kimat kya hai?
बाज़ार मूल्य किसी वस्तु का वह मूल्य होता है जो बाज़ार में अति अल्पकाल के लिए प्रचलन में होता है। वस्तु की क़ीमत पर माँग का अत्यधिक प्रभाव होता है। माँग जिस दिशा में परिवर्तित होती है। क़ीमत भी उसी दिशा में मुड़ जाती है। अर्थात बाज़ार क़ीमत, माँग और पूर्ति के अस्थायी साम्य के फलस्वरूप निर्धारित होती है। जो कि क्षणिक होती है।
प्रो. मार्शल के अनुसार - " बाज़ार की समयावधि जितनी लंबी होगी। क़ीमत पर पूर्ति का प्रभाव उतना ही अधिक पड़ेगा। इसी प्रकार बाज़ार की समयावधि जितनी कम होगी, क़ीमत पर माँग का उतना ही ज़्यादा प्रभाव पड़ेगा। "
किसी विशेष समय में वस्तु की जो क़ीमत, बाज़ार में प्रचलित होती है वह बाज़ार क़ीमत (market price) कहलाती है।
दूसरे शब्दों में - 'किसी स्थान व समय विशेष पर बाज़ार में किसी वस्तु के वास्तविक प्रचलित मूल्य को बाज़ार मूल्य कहा जाता है।'
बाज़ार मूल्य का निर्धारण (Bazar mulya ka nirdharan)
अति अल्पकाल में समय इतना कम होता है कि पूर्ति को बढ़ाना संभव नहीं हो पाता है। पूर्ति को उसके वर्तमान स्टॉक से ज़्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। यदि वस्तु टिकाऊ है तो पूर्ति केवल गोदामों में रखे स्टॉक तक ही सीमित होती है। इसलिए बाज़ार मूल्य निर्धारण (bazar mulya nirdharan) में प्रमुख रूप से माँग का प्रभाव पड़ता है।
सीधे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि बाज़ार मूल्य के निर्धारण में माँग सक्रिय रूप से प्रभावशील रहता है। इसके विपरीत पूर्ति निष्क्रिय रहती है। अर्थात पूर्ति का प्रभाव बाज़ार मूल्य में नगण्य के बराबर होता है।
यदि माँग बढ़ जाती है तो मूल्य भी बढ़ जाता है। और यदि माँग कम हो जाती है तो मूल्य भी घट जाता है। अतः यह कहा जा सकता है। कि बाज़ार मूल्य (bazar mulya), माँग एवं पूर्ति के अस्थायी संतुलन के परिणामस्वरूप निर्धारित होता है। पूर्ण प्रतियोगी दशाओं में बाज़ार मूल्य की प्रवृत्ति सदैव सामान्य मूल्य की ओर जाने की होती है।
बाजार मूल्य क्या हैं | What Is Market Price In Hindi
बाजार मूल्य से आप क्या समझते हैं। इसको जानने से पहले आपको बाजार और मूल्य दोनों के बारे में काफी अच्छे से जाना होगा तब जाकर आप अपने प्रोडक्ट को बाजार में उतार कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइए समझते हैं बाजार का अर्थ क्या होता हैं?
बाजार का अर्थ क्या हैं?
बाजार शब्द से आश्य एक ऐसे स्थान या फिर जगह से होता है जहां पर क्रेता और विक्रेता उपस्थित होकर आपस में लेन-देन करते हैं। लेन-देन में वस्तु, सामग्री या सेवाएं शामिल हो सकती हैं।
मूल्य से क्या आश्य हैं?
सामान्य अर्थ में किसी वस्तु को खरीदने के लिए जो पैसे दिए जाते हैं वह उस वस्तु का मूल्य (दाम) कहलाता हैं। इस मूल्य में वस्तु की लागत, मुनाफा आदि सभी कुछ सम्मिलित होती हैं।
बाजार मूल्य क्या हैं?
जो मूल्य अति अल्पकालीन बाजार में प्रचलित रहता है उसे बाजार मूल्य कहते हैं। इस प्रकार से ,
बाजार मूल्य ऐसे बाजार में होता है जिसकी अवधि कुछ घंटों, कुछ दिनों अथवा कुछ सप्ताहों की होती बाज़ार मूल्य हैं। यह मूल्य, मांग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन के द्वारा निर्धारित होता है जिसमें मांग पक्ष का प्रभाव पूर्ति पक्ष की अपेक्षा अधिक रहता है।
पूर्ति प्रायः स्थिर रहती है और मूल्य में परिवर्तन मांग में परिवर्तन होने से होता हैं। पूर्ति स्थिर रहने से यदि मांग बढ़ती है तो मूल्य भी घट जाता है।
अस्थायी संतुलन का अर्थ है कि मांग और पूर्ति का अभियोजन तथा सामंजस्य स्थिर नहीं होता और कुछ समय में बदलता रहता है जिसके फलस्वरूप बाजार मूल्य भी बहुत अधिक परिवर्तनशील होता है।
स्टीगलर के शब्दों में – बाजार मूल्य समय की उस अवधि के मूल्य को कहते हैं जिसमें वस्तु की पूर्ति स्थिर रहती हैं।
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बाजार मूल्य का निर्धारण कैसे होता हैं?
बाजार मूल्य मांग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन के द्वारा निर्धारित होता है जो अल्पकालीन मूल्य होता हैं। अल्पकालीन बाजार में पूर्ति स्थिर रहती है और मूल्य निर्धारण में मांग की प्रधानता रहती हैं। बाजार मूल्य के निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों ही शक्तियां कार्यरत रहती है लेकिन पूर्ति की अपेक्षा मांग की प्रधानता अधिक रहती हैं। यह इसलिए होता है कि अति अल्पकालीन बाजार में मांग में होने वाले परिवर्तन के अनुसार पूर्ति में परिवर्तन नहीं होता।
यदि मांग बढ़ जाती है तो मूल्य भी बढ़ जाता है और विक्रेता को बहुत अधिक लाभ होता हैं। यदि मांग घट जाती है तो मूल्य घट जाता हैं और विक्रेता को हानि होता है लेकिन यह नहीं समझना चाहिए कि पूर्ति का मूल्य पर कुछ भी बाज़ार मूल्य प्रभाव नहीं होता हैं। पूर्ति का भी प्रभाव पड़ता हैं।
जैसा कि प्रो मार्शल ने लिखा है कि……….
जिस प्रकार किसी वस्तु को काटने में कैंची की दोनों ही धार की जरूरत होती है कैंची की स्थिर धार की अपेक्षा चलायी जाने वाली धार अधिक क्रियाशील रहती है, अधिक महत्व रखती है, उसी प्रकार बाजार मूल्य में भी मांग और पूर्ति दोनों का ही रहना जरूरी है परंतु मूल्य निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा मांग का महत्व अधिक होता हैं।
बाजार में मूल्य का निर्धारण कैसे होता है?
बाजार मूल्य प्रायः नाशवान वस्तुओं ( Perishable Goods ) का होता हैं। ऐसी वस्तुओं की पूर्ति मांग के बढ़ने- घटने के साथ बढ़ायी-घटायी नहीं जा सकती।
जैसे दूध बाज़ार मूल्य शार्क मछली का बाजार अतुल कालीन बाजार होता है मछली के मूल्य निर्धारण के उदाहरण से बाजार मूल्य के निर्धारण को अधिक स्पष्ट किया जा सकता है
मछली एक नाशवान वस्तु हैं। बाजार में हर समय उसकी पूर्ति भी निश्चित नहीं होती हैं। मछली का विक्रेता चाहता है कि मछली जल्दी ही बिक जाए अगर ऐसा नहीं होता है तो वह खराब हो जाता है और विक्रेता को घाटा लग जाता है। परंतु मछली के मूल्य निर्धारण में मांग की प्रधानता होती हैं।
यदि खरीदने वालों की मांग अधिक होगी तो विक्रेता मछली का मूल्य बढ़ा देता हैं। इस प्रकार मांग घटने से मूल्य भी घट जाता है और बढ़ने से मूल्य भी बढ़ जाता है यदि विक्रेता कम मूल्य पर मछली बेचना नहीं चाहेगा तो मछली उसी के पास रह जाएगी और खराब हो जाएगी और उसे कुछ भी पैसा नहीं मिल पाएगा। इसलिए वह कम मूल्य पर बेचने को तैयार हो जाता है।
बाजार मूल्य
यह अपने बकाया शेयरों की संख्या को मौजूदा शेयर मूल्य से गुणा करके प्राप्त किया जाता है। बाजार मूल्य वह मूल्य है जो एक परिसंपत्ति बाजार में प्राप्त करेगी। एक कंपनी का बाजार मूल्य उसकी व्यावसायिक संभावनाओं के बारे में निवेशकों की धारणा का एक अच्छा संकेत है।श्रेणी बाजार में बाजार मूल्य बहुत बड़ा है, छोटी कंपनियों के लिए INR 500 करोड़ से कम से लेकर बड़े आकार की सफल कंपनियों के लिए लाखों तक।
स्टॉक और फ्यूचर्स जैसे एक्सचेंज-ट्रेडेड इंस्ट्रूमेंट्स के लिए बाजार मूल्य निर्धारित करना सबसे आसान है, क्योंकि उनके बाजार मूल्य व्यापक रूप बाज़ार मूल्य से प्रसारित और आसानी से उपलब्ध हैं, लेकिन फिक्स्ड जैसे ओवर-द-काउंटर उपकरणों के लिए पता लगाना थोड़ा अधिक चुनौतीपूर्ण है।आय प्रतिभूतियां।
हालांकि, बाजार मूल्य निर्धारित करने में सबसे बड़ी कठिनाई के मूल्य का अनुमान लगाने में हैअनकदी अचल संपत्ति और व्यवसायों जैसी संपत्ति, जिन्हें क्रमशः अचल संपत्ति मूल्यांककों और व्यवसाय मूल्यांकन विशेषज्ञों के उपयोग की आवश्यकता हो सकती है।
बाजार मूल्य फॉर्मूला
किसी कंपनी के बाजार मूल्य (एमवी) की गणना निम्न सूत्र का उपयोग करके की जाती है:
कंपनी का एमवी = बकाया शेयरों की संख्या * बाजार मूल्य प्रति शेयर
बाजार मूल्य का निर्धारण निवेशकों द्वारा कंपनियों को दिए गए मूल्यांकन या गुणकों द्वारा किया जाता है, जैसे मूल्य-से-बिक्री, मूल्य-से-आय,उद्यम मान-प्रति-EBITDA, और इसी तरह। मूल्यांकन जितना अधिक होगा, बाजार मूल्य उतना ही अधिक होगा।
बाजार मूल्य का महत्व
प्रारंभिक खरीद से पहले किसी परिसंपत्ति के बाजार मूल्य के भविष्य के अनुमान पर विचार किया जाना चाहिए। विशेष रूप से प्रतिभूतियों और शेयरों के मामले में क्योंकि यहां निवेश भविष्य के बाज़ार मूल्य मूल्य की धारणा के साथ किया जाता है।
उनके तहत बाजार मूल्य रखने वाली कंपनियांपुस्तक मूल्य अक्सर निवेशकों से अपील कर रहे हैं क्योंकि यह इंगित करता है कि इन व्यवसायों का मूल्यांकन कम हो सकता है।
बाजार मूल्य और बुक वैल्यू के बीच अंतर
बुक वैल्यू यह बाज़ार मूल्य दर्शाता है कि किसी व्यवसाय का उसके वित्तीय के अनुसार क्या मूल्य है। जबकि, बाजार मूल्य बाजार सहभागियों के रूप में व्यवसाय के मूल्य को दर्शाता है।
बुक वैल्यू कंपनी की इक्विटी का मूल्य निर्धारित करती है, जो कि इक्विटी वैल्यू हैशेयरधारकों कंपनी के परिसमापन के मामले में प्राप्त करना चाहिए। दूसरी ओर, अत्यधिक के लिए बाजार मूल्य आसानी से निर्धारित किया जा सकता हैचल परिसंपत्ति जैसे किइक्विटीज या वायदा।