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विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश

विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश
हेक्सागोन कैपिटल एडवाइजर्स के एमडी श्रीकांत भागवत ने कहा कि विदेश में निवेश में दिलचस्पी बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि धीरे-धीरे इनवेस्टर्स के बीच जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसे प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जो न सिर्फ आपको विदेश में निवेश करने की सुविधा देते हैं बल्कि ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों की ग्रोथ में हिस्सेदारी करने का भी मौके देते हैं। इनमें एपल, अल्फाबेट और गूगल जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं।

Stock Market: विदेशी निवेशकों के दम पर बाजार में रौनक, अगस्त के तीन हफ्तों में FPI ने 44,500 करोड़ रुपये लगाए

By: ABP Live | Updated at : 21 Aug 2022 01:39 PM (विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश IST)

प्रतीकात्मक तस्वीर ( Image Source : Getty )

Stock Market: पिछले महीने शुद्ध खरीदार बनने के बाद विदेशी निवेशकों ने अगस्त में भी विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश भारतीय शेयर बाजारों के लिए जबरदस्त उत्साह दिखाया है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त में अब तक करीब 44,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अमेरिका में महंगाई कम होने और डॉलर सूचकांक में गिरावट के बीच भारतीय बाजारों के प्रति उनका भरोसा बढ़ा.

9 महीनों तक लगातार बिकवाली के बाद एफपीआई अगस्त में बने विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश खरीदार
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने जुलाई माह में लगभग 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. एफपीआई ने विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश लगातार नौ महीनों तक बड़े पैमाने पर बिकवाली की, जिसके बाद वे जुलाई में पहली बार शुद्ध खरीदार बने थे. इससे पहले अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिक्री की थी.

मुश्किल नहीं है विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना, जानिए क्या है तरीका

पिछले दशक में हमने अमेरिकी मार्केट में जबर्दस्त तेजी देखी है। इंडियन इनवेस्टर्स इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं।

पिछले कुछ समय से विदेश में निवेश करने (Foreign Investment) में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश है। RBI के डेटा के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारतीयों ने 1961.1 करोड़ डॉलर विदेश भेजे। एक साल पहले यह आंकड़ा 1268.4 करोड़ डॉलर था। पिछले कुछ सालों में भारतीयों के विदेश पैसे भेजने के नियमों को आसान बनाया गया है।

कोई भारतीय विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश एक फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 डॉलर विदेश भेज सकता है। भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत यह पैसा भेजा जा सकता है। पिछले कुछ सालों में RBI ने विदेश पैसे भेजने की लिमिट बढ़ाई है। यह स्कीम 2004 में शुरू हुई थी। तब इसकी लिमिट 25,000 डॉलर थी।

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विदेशी शेयरों में म्यूचु्ल फंड्स के जरिए पैसे लगाना आसान है। इंडिया में म्यूचुअल फंड हाउसेज ऐसी स्कीम लॉन्च करते हैं, जो विदेशी शेयरों में निवेश करती हैं। आप पैसा म्यूचुअल फंड्स की ऐसी स्कीम में पैसे रुपये में निवेश करते हैं। यह पैसा आपके जैसे निवेशकों से कलेक्ट करने के बाद विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है।

ACE MF के डेटा के मुताबिक, 15 अक्टूबर तक बाजार में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 63 स्कीमें थीं, जो विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। पिछले तीन साल में विदेश में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कंपाउंडेड आधार पर 124 फीसदी बढ़ा है। सितंबर 2019 के अंत में एयूएम करीब 2,743 करोड़ रुपये था, जो इस साल सितंबर को बढ़कर 30,678 करोड़ रुपये हो गया।

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लगातार 9 माह तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए हैं। जुलाई में एफपीआई ने शेयर बाजारों में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डॉलर इंडेक्स के नरम पड़ने और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों के बाद एफपीआई एक बार फिर लिवाल बन गए हैं। इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों से 50,145 करोड़ रुपये निकाले थे। यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में सबसे अधिक निकासी है। उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे।

विदेशी मुद्रा विनिमय

अपना ओवरसीज ब्रोकरेज एकाउंट खोलने के बाद, आपको अपने बैंक खाते से इसमें पैसे ट्रांसफर करने विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश होंगे। निवेशकों को मुद्रा विनिमय दरों, अवमूल्‍यन और ब्‍याज दरों को लेकर सजग रहना चाहिए। बैंकों द्वारा भारतीय रुपये को अमेरिकी डॉलर में बदलने के लिए शुल्‍क लिया जाता है और यह आपके बैंक के आधार पर न्‍यूनतम 100 रुपये और 0.2 प्रतिशत के विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश एफएक्‍स स्‍प्रेड या अधिकतम 2000 रुपये + 2.0 प्रतिशत का स्‍प्रेड हो सकता है। हालांकि, विदेश में निवेश करके, आपको करेंसी एप्रेसिएसन (या डेप्रिसिएसन) को सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर औसतन 3-5 प्रतिशत के बीच बढ़ता रहा है।

जीवन का क्या है लक्ष्‍य

आपके लिए यह आवश्‍यक है कि आप जिस जीवन लक्ष्‍य की दिशा में कार्य कर रहे हैं, उसका ध्‍यान रखें। क्‍या आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं या वहां प्रवास करना चाहते हैं? यदि ऐसा है, तो आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि उन विशिष्‍ट पोर्टफोलियो वैल्‍यूज को हासिल करने की दिशा में निवेश हो, जिससे आप अपने विश्‍वविद्यालय की पढ़ाई का खर्च या आव्रजन शुल्‍क का भुगतान कर सकें। यदि आप अपने बच्‍चे के यूनिवर्सिटी फीस के लिए 50,000 अमेरिकी डॉलर बचाना चाहते हैं, तो आपको उन अपेक्षाओं के अनुरूप निवेश करने की योजना बनानी होगी।

टैक्स इंप्लीकेशन

आपको रिटर्न्‍स और अंतर्राष्‍ट्रीय विदेशी बाजार में निवेश करते समय देश बाजार में आपके द्वारा किये जाने वाले निवेश से जुड़े आयकर पहलुओं को ध्‍यान में रखना होगा। उदाहरण के लिए, अमेरिकी बाजार में अनिवासियों के लिए पूंजी वृद्धि पर कोई कर नहीं है और लाभांश भुगतान पर सीधा 25 प्रतिशत कर लागू है। दूसरी तरफ, भारतीय आयकर कानूनों के अनुसार, भारतीय निवासियों को उनके आईटी रिटर्न्‍स में विदेश में सभी अचल एवं चल संपत्तियों और बैंक खातों की जानकारी देनी होती है, चाहे आपको कितना भी पूंजी लाभ हुआ हो। आपको रेंटल इनकम और पूंजी वृद्धि सहित किसी भी आय पर भारत में कर चुकाना होता है।

स्टॉक मार्केट: भारतीयों ने अमेरिकी शेयर बाजार में 3200 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया, पांच साल में निवेश 120% बढ़ा

अमेरिकी स्टॉक मार्केट में दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक और तामिलनाडु से अधिक निवेश किया जाता है - Dainik Bhaskar

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश की खबरें हम आए दिन पढ़ते हैं, लेकिन भारतीयों द्वारा विदेशों में निवेश की खबरें कम ही आती हैं। इसीलिए दैनिक भास्कर ने यह जानने की कोशिश की कि भारतीयों द्वारा अमेरिकी स्टॉक मार्केट में कितना निवेश किया जाता है। अमेरिकी मार्केट में निवेश की सुविधा की शुरुआत करने वाले एचडीएफसी सिक्युरिटीज के डिजिटल और डिस्ट्रीब्यूशन के हेड नंदकिशोर पुरोहित ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान भारतीयों ने अमेरिकीस्टॉक मार्केट में 431 मिलियन डॉलर (करीब 3224 करोड़ रुपए) का निवेश किया।

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