क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं?

सुरक्षित रिटर्न के विकल्प के लिए डेट इंडेक्स फंड हैं बेस्ट, जानें इसके बारे में
बिजनेस डेस्क। आम तौर पर इक्विटी में निवेश को लंबी अवधि में मुनाफे के लिहाज से सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। वहीं, क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? डेट इन्वेस्टमेंट (Debt Investment) में फिक्स्ड रिटर्न के साथ किसी तरह के जोखिम से सुरक्षा मिलती है। डेट इन्वेस्टमेंट की तुलना में इक्विटी में जोखिम बहुत ज्यादा होता है। हालांकि, डेट में भी निवेश पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं होता। इस कैटेगरी में भी अलग-अलग स्कीम में जोखिम के अलग-अलग स्तर होते हैं। बहरहाल, एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिस्क एडजस्टेड रिटर्ल हासिल करने और वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए डाइवर्सिफाइड पोर्टपोलियो रखना जरूरी है। इस लिहाज से डेट इंडेक्स फंड में निवेश किया जा सकता है।
(फाइल फोटो)
डेट इन्वेस्टमेंट में कई तरह के जोखिम होते हैं। इनमें क्रेडिट जोखिम, ब्याज दर जोखिम और लिक्विडिटी जोखिम मुख्य हैं। निवेश करने के पहले इनके बारे में जानना जरूरी है, ताकि परि्स्थिति के मुताबिक सही निर्णय लिया जा सके। (फाइल फोटो)
क्रेडिट जोखिम डिफॉल्ट से संबंधित होता है। अगर जारीकर्ता अपने पेमेंट के दायित्च में चूक करता है, तो निवेश किए गए मूल धन का पूरा मूल्य नहीं प्राप्त हो सकता है। ऐसे में, निवेश करने वाले को घाटे का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डेट फंड में निवेश करते समय इस बात पर जरूर गौर फर्माना चाहिए। (फाइल फोटो)
डेट फंड मे निवेश करने पर ब्याज दर संबंधी जोखिम का भी सामना करना पड़ सकता है। बॉन्ड की कीमतों का ब्याज दरों के साथ विपरीत संबंध होता है। इसका मतलब यह है कि आपके पोर्टफोलियो में ऋण निवेश का क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? मूल्य क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के साथ घट जाएगा और ब्याज दर घटने पर इसमें बढ़ोत्तरी होगी। इससे आपके पोर्टफोलियो में अस्थिरता आ सकती है। (फाइल फोटो)
आपके पास डेट म्यूचुअल फंड्स से लेकर बॉन्ड तक में निवेश करने का विकल्प है। लेकिन टारगेट मेच्योरिटी डेट फंड किसी तरह के जोखिम से बचने के लिए एक सही सॉल्यूशन है। यह एक डेट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है, जिसमें बॉन्ड की खासियत होती है। इसमें मेच्योरिटी तक निवेश बनाए रखने पर एक तय रिटर्न मिलता है। इस फंड के कई फायदे हैं। (फाइल फोटो)
डिफाइंड मेच्योरिटी की वजह से इंडेक्स फंड में मिलने वाले रिटर्न ज्यादातर पहले के अनुमान के मुताबिक होते हैं। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड में इन फंड्स द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किए जाने की वजह से रिस्क बहुत कम हो जाता है। डिफाइंड या टारगेटेड मेच्योरिटी का मतलब है कि बॉन्ड एक तय अवधि में मेच्योर होंगे। (फाइल फोटो)
ईटीएफ में जहां डीमैट खाते की जरूरत पड़ती है, इंडेक्स फंड में यूनिट को खरीदने या बेचने के लिए डीमैट खाते के जरिए लेन-देन करने की जरूरत नहीं होती। इसमें म्यूचुअल फंड योजना की तरह किसी भी फंड हाउस के जरिए यूनिट खरीदे जा सकते हैं। (फाइल फोटो)
बॉन्ड निवेश से कूपन आय पर सीमांत दरों पर टैक्स लागू होते हैं। इसके मुकाबले इंडेक्स फंड ज्यादा टैक्स एफिसिएंट हैं। दूसरी तरफ, इंडेक्स फंड्स पर इंडेक्सेशन के लाभ से टैक्स लगाया जाता है। यह आपके निवेश रिटर्न पर टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकता है। (फाइल फोटो)
म्यूचुअल फंड्स में निवेश से पहले समझें ये जोखिम, फिर करें फायदे का सौदा
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शेयर बाजार यह कैसा नाम है जिसको सुनते ही जैसे मानो सामने पैसा ही पैसा है. शेयर बाजार में रोज करोड़ों के ट्रेडिंग होते हैं, कोई राजा बन जाता है तो कोई कंगाल बन जाता है.
शेयर बाजार में 2 संस्थान है
- NSE नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
- BSE बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
इन दोनों में कंपनियां लिस्ट होती है जहां हम ट्रेडिंग करके पैसे को कमाते हैं अपने पसंदीदा कंपनियों में पैसे लगाते हैं लेकिन यह दोनों में काम करना बहुत ही रिस्की होता है.
इसीलिए शेयर मार्केट की कम जानकारी या नए लोगों को शेयर मार्केट में निवेश करने वाले को सलाह दिया जाता है कि वह म्यूचुअल फंड में निवेश करें. म्यूच्यूअल फंड एक तरफ से बहुत सारी कंपनियों का एक समूह होता है जिसको एक्सपोर्ट ट्रेडर रिसर्च करके बनाते हैं. और म्यूचुअल फंड में जो भी हम करते हैं उसको एक्सपोर्ट अपने हिसाब से उन कंपनियों में लगाते हैं जिसमें एक्सपोर्ट को लगता है कि अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
लेकिन अगर आप समझदारी से मैचुअल फंड का भी चुनाव नहीं करते हैं तो आपके पैसे डूब सकते हैं. इसीलिए झारखंड का चुनाव करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है.
म्यूच्यूअल फंड्स में भी जोखिम
अगर म्यूचुअल फंड में भी जोखिम है तो फिर हम पैसे को निवेश क्यों करें, दरअसल म्यूच्यूअल फंड में निवेश की सलाह इसलिए दिया जाता है कि म्यूच्यूअल फंड बहुत सारे कंपनियों को मिलाकर एक गुच्छे की तरह होता है जिसमें अगर एक कंपनी थोड़ा कमजोर परफॉर्मेंस कर रही है तो दूसरी कंपनी से उसको भर पाया किया जा सकता है. जिसे डायरेक्ट कंपनी में लगाने वाले पैसे से थोड़ा कम रिस्क म्युचुअल फंड में होता है.
और सबसे बड़ी बात यह है कि म्यूचुअल फंड स्कोर शेयर मार्केट के बड़े-बड़े एक्सपोर्ट की टीम मैनेज करके आपके पैसे को सही हनुमान के साथ उचित कंपनी में लगाती है जिससे आपको नुकसान कम से कम हो अच्छा से अच्छा मुनाफा क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? कमा सकें.
म्यूचुअल फंड में शेयर बाजार के जोखिम
म्यूच्यूअल फंड कई तरह के होते हैं, जैसे इक्विटी फंड, बैलेंस फंड, डेट फंड, टैक्स सेविंग फंड, इन सभी फंड कैटेगरी के अंदर भी बहुत सारे अलग-अलग तरह के फंड होते हैं जिसमें आपके पैसे लगते हैं.
म्यूचुअल फंड में सबसे आधारित डांस इक्विटी वाले कैटेगरी मैं मिलता है लेकिन सबसे ज्यादा रिस्क भी इक्विटी में ही होता है. तब यहां बात आती है कि क्यूट एलिफेंट का चुनाव किस तरह से किया जाए, अगर आप लास्ट का पीएम ब्लूचिप फंड में पैसा लगाते हैं तो वहां की गुंजाइश कम होती है रिटर्न भी अच्छा मिलता है वहीं अगर स्मॉल कैप फंड में पैसा लगाते हैं तो रिटर्न तो ज्यादा मिलेगा लेकिन नुकसान की गुंजाइश भी ज्यादा होती है.
बाजार में महंगाई का जोखिम
म्यूचुअल फंड में अगर लंबे समय के लिए आप इन्वेस्ट करते हैं तो फायदे के साथ रिटर्न की गारंटी बढ़ जाती है. इसीलिए म्यूच्यूअल फंड एक्सपोर्ट अपने पॉइंट्स को लंबे समय के लिए बनाकर रखते हैं जिससे महंगाई के असर को कम किया जा सके और अच्छा मुनाफा बाजार से निकाला जा सके.
अगर कोई मैचुअल फंड का एसकेएम हाय रिटर्नस दे रही है तो महंगाई का असर बहुत ही कम पड़ेगा लेकिन अगर रिटर्न कम है तुम महंगाई का दिखने लगता है.
इसीलिए म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टर्स को एक्सपोर्ट सलाह देते हैं कि लंबे समय के लिए आप निवेश करें जिससे कि बाजार के महंगाई के जोखिम को कम किया जा सके और मुनाफा अच्छा निकाला जा सके.
म्यूच्यूअल फंड्स में ब्याज दरों का असर
डेट म्युचुअल फंड्स में रिटर्न तब अच्छा मिलता है जब ब्याज दरों में कटौती होती है, वही अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है तो डेट म्युचुअल फंड्स क्या रिटर्न प्रभावित होने लगते हैं.
वास्तव में, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो कम दरों पर जारी किए गए बांडों के मूल्य में गिरावट आती है, क्योंकि बांड में निवेश करने के इच्छुक निवेशक उच्च कूपन दर को प्राथमिकता देते हैं।
इसलिए, डेट फंड पर स्थिर रिटर्न प्राप्त करने के लिए, आपको योजना चुनते समय दर में वृद्धि या कमी और कई अन्य कारकों पर विचार क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? करने की आवश्यकता है। डेट फंड की विभिन्न श्रेणियां भी हैं जिनमें अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, लिक्विड फंड और ओवरनाइट फंड शामिल हैं, इन सभी का ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
डाइरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड इनवेस्टमेंट के बीच अंतर
हम जानते हैं कि फाइनेंसिएल मार्केट में सभी लेन-देन जोखिम भरे होते हैं और हम हर विज्ञापन के अंत में सावधानी पूर्ण चेतावनी दे सकते हैं – कृपया आप इन्वेस्ट करने से पहले प्रपोज़ल डाक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें। लेकिन हम में से ज्यादातर अनिवार्य रूप से लंबे और बोरियस प्रपोज़ल डाक्यूमेंट को पढ़ने में फेल रहते हैं । यह पोस्ट तीन सिंपल मार्केट साधनों – डाइरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड, और अनुक्रमित निवेशों (Indexed inputs) के बीच अंतर की बेसिक डिटेल को समझने में आपकी मदद करेगा, ताकि आप अपने अनुसार सही निर्णय ले पाएं|
डाइरेक्ट इक्विटी – कंपनी के ओनरशिप के साथ अपने शेयर को प्राप्त करना
जब हम किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं तो हम कानूनी रूप से कंपनी के ओनरशिप को खरीदते हैं। कुल राशि जो कंपनी जुटाने की योजना बना रही है उसे शेयरों में छोटे भाग में विभाजित किया जाता है जिनका प्राइज़ रुपये में है। यदि आप इन शेयरों की मैम्बरशिप लेते है जिससे हमें कंपनी की बैठकों में भाग लेने और निर्णयों पर हमारी ओपिनियन को आवाज़ देने का अधिकार मिलता है लेकिन हम इन्वेस्ट करते हैं इसका मेन कारण भाग किया हुआ है – जो हमारे लिए एक निवेशक के लिए एक प्राइज़ क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? की तरह है क्योंकि यह हमारे पैसे का उपयोग कर रहा है कंपनी एक प्राफ़िट कमाती है जो अब क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? बोनस के रूप में मालिकों को डिवाइड किया जाता है। कोई भी कंपनी को वापस शेयर देना छोड़ सकता है या प्रीमियम के लिए उसे थर्ड पार्टी को बेच सकता है।
म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट – प्रोफेशनल इनवेस्टमेंट और लो रिस्क का आकर्षण
म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी में इन्वेस्ट का विकल्प प्रदान किया है | क्योंकि अधिकांश इन्वेस्टरो के पास न तो स्टॉक रुझानों (Trends) पर नजर रखने के लिए समय है और न ही अपने इन्वेस्ट को द बेस्ट क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? रखने के लिए अप टु डेट फाइनेंसिएल समाचारों के साथ अपडेट होने का । इस प्रकार म्यूचुअल फंड ने इस सोच में अपनी नीव ( Foundation ) मजबूत की | और हमारे इन्वेस्ट का मैनेजमेंट करने वाले आकर्षक प्रोफेशन पर जोर क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? दिया। यह प्रशिक्षित लोग होते हैं – जिन्हें अक्सर पोर्टफोलियो मैनेजर कहा जाता है जिन्होंने तय किया है कि कौन सा शेयर हमारे पैसे का निवेश कर सकेगा। चूंकि यह प्रोफेशनल रूप से किया जाता है म्यूचुअल फंड किए गए लाभ के आधार पर अर्निंग करता है और रिगुलर फीस भी ले सकता है|
म्यूचुअल फंड्स और इक्विटी
इक्विटी पर म्यूचुअल फंड का सबसे अच्छा लाभ यह है कि इसमें रिस्क कम हो जाता है क्योंकि अधिकांश म्यूचुअल फंड विभिन्न कंपनियों के कई शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहते हैं जिससे रिस्क के टोटल रिस्क में कमी आती है | (जैसे कि किसी एक में प्रॉफ़िट –लॉस द्वारा बंद की जा सकती है) । हालाँकि जो रिस्क है वह यह है कि कभी-कभी इन्वेस्ट की पूरी टोकरी (Whole basket) अच्छा नहीं कर सकती है।
म्यूचुअल फंड का एक लॉस (हानि ) यह है कि डाइरेक्ट इन्वेस्ट के रूप में हमें इक्विटी में पर्सनल इन्वेस्ट के मामले में एक स्पेशल पार्ट से पैसे निकालने की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है। इसके अलावा सभी लाभ किसी के साथ शेयर करने की व्यवस्था के बिना शेयरहोल्डर हैं। इस प्रकार एक हाई रिस्क के लिए इक्विटी में अधिक से अधिक प्राइज़ है।
इंडेक्स फंड इन्वेस्टमेंट –
यह इन्वेस्ट उन लोगों के लिए आदर्श है जो सिविलाइज रिटर्न के साथ बहुत कम रिस्क वाले इन्वेस्ट पोर्टफोलियो चाहते हैं। इसे एक निष्क्रिय प्रबंधित (Idle managed) फंड के रूप में जाना जाता है क्योंकि पोर्टफोलियो मैनेजर निफ्टी जैसी बेंचमार्क पर सूचीबद्ध कंपनियों की इक्विटी की तलाश करता है। ये निफ्टी या सेंसेक्स की तरह एक विशेष सूचकांक को ट्रैक करते हैं और सूचकांक के रिटर्न से मेल खाने का प्रयास किया जाता है। चूंकि यह स्थापित प्रदर्शन बेंचमार्क वाली कंपनियों की एक टोकरी है इसलिए कम रिस्क है और निगरानी आसान है। वे भी कम कास्टली हैं क्योंकि कास्ट के मामले में आउटले इंडेक्स के लगभग मैकेनिकल ट्रैकिंग के कारण कम है।
इक्विटी या म्युचुअल फंड पर इस निवेश का नुकसान (लॉस) यह है कि एक निवेशक को भारी बाजार रिटर्न में नकदी की कमी हो सकती है जो कि म्यूचुअल फंड या इक्विटी में पर्सनल इनवेस्टमेंट द्वारा एक्टिव इनवेस्टमेंट से पसिबल हो सकता है।