टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं

पैसिवली मैनेज्ड टारगेट फंड की ओर बढ़ा रुझान
जानकारों का मानना है कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन संकट के बाद पैसिवली मैनेज्ड टारगेट फंड की ओर निवेशकों का रुझान बढ़ा है. निवेशकों के मन में एक्टिवली मैनेज्ड फंडों के पोर्टफोलियो की क्रेडिट क्वालिटी को लेकर संदेह पैदा हुआ है. वहीं, फाइनेंशियल प्लानरर लोगों को टैक्स बेनिफिट का फायदा उठाने के लिए इस सेगमेंट में निवेश की सलाह दे रहे हैं. इसमें अधिकतम यील्ड की भी संभावना रहती है. 2026 और 2027 वाले मैच्योरिटी टारगेट फंडों की यील्ड क्रमश: 7.48 और 7.55 है.
टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं?

पिछले कुछ वर्षों में, निवेशक बेहतर टैक्स -एडजस्टेड रिटर्न की तलाश में फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, PPF और पोस्ट ऑफ़िस सेविंग स्कीम्स जैसे पारम्परिक बचत उत्पादों को छोड़कर डेट फंड्स में जा रहे हैं। हालांकि, यह शिफ़्ट करने के दौरान रिटर्न्स की अनिश्चितता और अपनी मूल राशि गँवाने का जोखिम उन पर भारी पड़ता है। टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF) निष्क्रिय डेट फंड्स होते हैं जो FMP सहित अन्य डेट फंड्स की तुलना में कई लाभ प्रदान करते हैं।
इससे पहले कि हम टार्गेट मैच्योरिटी फंड के लाभों के बारे में बात करें, आइए देखें कि डेट फंड्स की इस श्रेणी की परिभाषित विशेषता क्या है। टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स की एक निर्दिष्ट मैच्योरिटी की तारीख़ होती है और उनके पोर्टफोलियो में बॉन्ड्स की एक्सपायरी डेट को इस मैच्योरिटी की तारीख़ के साथ संरेखित (अलाइन) किया जाता है। इसलिए, जैसे-जैसे समय बढ़ता है फंड की मैच्योरिटी की अवधि या समय घटता रहता है। साथ ही, पोर्टफोलियो में बॉन्ड्स मैच्योरिटी तक रखे जाते हैं।
टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं?

म्यूचुअल फंड्स के प्रति बढ़ती जागरूकता और गारंटीकृत बचत उत्पादों में ब्याज दरों में कमी के साथ, जोखिम से बचने वाले कई निवेशक, जो फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, PPF और NSC जैसे पारम्परिक उत्पादों में निवेश करते टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं थे, कुछ अच्छे कारणों से डेट फंड्स की ओर चले गए हैं। डेट फंड्स ऐसे निवेशकों को ज़्यादा लोकप्रिय इक्विटी फंड्स की तुलना में कम अस्थिर तथा बेहतर रिटर्न देने की संभावना के साथ अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, PPF और NSC से ज़्यादा टैक्स कुशल लगते हैं। हालांकि, निवेशकों को अभी भी डिफ़ॉल्ट जोखिम का खतरा है, यानि मूल राशि और ब्याज के भुगतान गँवाने का जोखिम तथा ब्याज दर का जोखिम यानि ब्याज दरों में बदलाव के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव।
क्या है टारगेट मैच्योरिटी फंड, क्यों बढ़ रहा है निवेशकों का इस तरफ रुझान?
- News18Hindi
- Last Updated : टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं June 11, 2022, 13:12 IST
नई दिल्ली. सरकार की ओर से 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ जारी किए जाने के बाद टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश काफी बढ़ा है. भारत बॉन्ड ईटीएफ देश का पहला टारगेट मैच्योरिटी फंड था और इसका प्रबंधन एडलवाइज म्यूचुअल फंड कर रहा है.
टारगेट मैच्योरिटी फंड की एक तय परिपक्वता तिथि होती है. यह वह तिथि होती है जब स्कीम का पोर्टफोलियो निवेश मैच्योर हो जाता है. हालांकि, इसमें आपको जल्द निकासी की सुविधा भी मिल जाती है. टारगेट मैच्योरिटी फंड में होल्डिंग पीरियड के दौरान जो भी ब्याज मिलता है उसे दोबारा इन्वेस्ट कर दिया जाता है.
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- घरेलू निवेशकों के लिए टीएमएफ पहली बार साल 2019 में आया
- इन फंड्स में काफी कम होती हैं क्रेडिट से जुड़ी आशंकाएं
- इन फंड्स में हैं किसी भी समय बाहर निकलने की सुविधा
जानिए इन फंड्स के फायदे
AAA-रेटेड पीएसयू बांड के पैक ने डेट फंडों में टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं क्रेडिट से जुड़ी आशंकाओं के बीच सुरक्षा का अहसास दिलाया। इंडेक्स अवतार ने फंड मैनेजर के विवेक से छुटकारा पाते हुए फंड पोर्टफोलियो में क्या शामिल होगा, इसके बारे में एक हद तक पारदर्शिता देने का काम किया। इसमें एक्सपेंस रेश्यो एक्टिव मैनेजमेंट वाले ओपन एंडेड डेट फंडों की तरफ से वसूले जाने वाले चार्ज से कम होता है। पहले से तय मैच्योरिटी के कारण रिटर्न को लेकर कुछ हद तक अंदाजा लगाना भी मुमकिन हो गया। साथ ही ब्याज दर के जोखिम पर विराम सा लग गया। इसके अलावा इसमें इसमें किसी भी समय बाहर निकलने की सुविधा ने नकदी पाना आसान कर दिया।
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