निवेश और अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली में, लॉर्ड ग्रीन ब्रिटेन-भारत बिजनेस काउंसिल के गुड़गाँव केन्द्र का उद्घाटन करेंगे। मौजूदा आर्थिक चुनौतियों और भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार के मुद्दों पर चर्चा के लिए वह वरिष्ठ भारतीय मंत्रियों से भी मिलेंगे।
ब्रिटिश वाणिज्य एवं निवेश मंत्री का भारत दौरा
इस दौरे का उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति के लिए ब्रिटेन और भारत के व्यवसाय जगत के लिए साथ मिलकर काम करने के अवसरों की तलाश करना और ब्रिटेन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले निवेश के आकर्षक माहौल से भारतीय व्यवसायियों के लाभान्वित होने की संभावनाओं की पड़ताल करना है ।
लॉर्ड ग्रीन के शब्दों में:
इस वर्ष दूसरी बार भारत आने पर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है और मुझे छोटी बड़ी अनेक कंपनियों को यहां भविष्य में व्यवसाय करने में सहायता देने और प्रोत्साहित करने की यूकेटीआई की प्रतिबद्धता दर्शाने का अवसर मिला है।
हम 2015 तक भारत के साथ अपने व्यापार को दुगुना करने की ओर अग्रसर हैं । ब्रिटिश और भारतीय कंपनियों के बीच स्वाभाविक तालमेल व्यावसायिक सहभागिता के लिए विशाल अवसर उपलब्ध कराते हैं। भारत ने इस बात की पहचान कर ली है कि अपनी आर्थिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति निवेश और अर्थव्यवस्था के लिए उसे क्या चाहिए और विश्वस्तरीय तकनीक और विशेषज्ञता के साथ ब्रिटेन उसकी इस जरूरत को पूरा करने के लिए विशेष तौर पर प्रस्तुत है।
अधिक जानकारी:
दिल्ली में मीडिया जानकारी के लिए +91 9999912015 (M) पर हरलीन सचदेवा से संपर्क करें, और पुणे तथा मुंबई में+91 9820013629 (M) नंबर पर शिरीन मिस्त्री
यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट (यूकेटीआई) ब्रिटिश सरकार का वह विभाग है जो ब्रिटेन आधारित कंपनियों को वैश्विक अर्थव्यवस्था में सफल होने में सहायता करता है। हम विदेशी कंपनियों को ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में उच्च स्तरीय निवेश करने में भी सहायता प्रदान करते हैं जिसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सफलता हासिल करने हेतु यूरोप में सर्वोत्तम माना जाता है। यूकेटीआई ब्रिटेन में, और दुनिया भर के ब्रिटिश दूतावासों एवं अन्य निवेश और अर्थव्यवस्था राजनयिक कार्यालयों के विशेषज्ञों के अपने व्यापक नेटवर्क के जरिए विशेषज्ञता और संपर्क मुहैया करता है। हम कंपनियों को विश्व स्तर पर सफल होने के लिए जरूरी साधन उपलब्ध कराते हैं।
ट्रांसपोर्टेशन एंड लॉजिस्टिक फंड में निवेश पर मिलेगा तगड़ा रिटर्न, अर्थव्यवस्था में सुधार का मिलेगा लाभ
TV9 Bharatvarsh | निवेश और अर्थव्यवस्था Edited By: Neeraj Patel
Updated on: Oct 16, 2022 | 4:51 PM
कोरोना महामारी का असर खत्म होने के बाद आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है. इससे घरेलू अर्थव्यवस्था भी बढ़ रही है. वैश्विक व घरेलू वित्तीय संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की वृद्धि रहेगी. अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ आम निवेशक भी तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में निवेश करके लाभ कमा सकते हैं. आर्थिक वृद्धि में ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़ी- ऑरिजनल उपकरण निर्माता (ओईएम) कंपनियां, वाहन निर्माण में सहायक उपकरण प्रदान करने वाली कंपनियां (आटो एंसिलरीज) और लाजिस्टिक्स क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है.
कार बनी निजी जरूरत
2021 की शुरुआत तक धीमे विकास के बाद ऑटोमोबाइल क्षेत्र एक मजबूत पुनरुद्धार मोड़ पर है और तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जब यात्री कार, युटिलिटी व्हीकल, मोटरसाइकिल, स्कूटर, यात्री और मालवाहक वाहनों की बिक्री बढ़ती है तो इनके साथ ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों की आय भी बढ़ती है. भारत तेजी से मध्यम आय वाला देश बनने की ओर अग्रसर है. बढ़ती आय, अधिक औपचारिक निवेश और अर्थव्यवस्था नौकरियां और स्वस्थ वेतन वृद्धि के साथ कारों व दोपहिया वाहनों सहित कई मदों पर खर्च बढ़ रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि सभी क्षेत्रों में खासतौर पर कोविड के बाद कार लक्जरी के बजाए एक निजी जरूरत बन गई है.
यदि आप ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक क्षेत्र की वृद्धि के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको कम से कम पांच वर्ष की अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल ने भी ट्रांसपोर्टेशन और लाजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेश के लिए नया फंड आफर (एनएफओ) पेश किया है. इस एनएफओ में 20 अक्टूबर तक निवेश किया जा सकता है.
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भारत में निवेश बढ़ाती दुनिया
निश्चित रूप से जिस तरह भारत की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना का आगाज अभूतपूर्व रणनीतियों के साथ हुआ है, उससे भी विदेशी निवेश बढ़ेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा देश में एफडीआई की नई चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे और ऐसे में वैश्विक निवेश बैंक मार्गन स्टेनली के द्वारा 2 नवंबर को प्रस्तुत की गई वह रिपोर्ट साकार होते हुए दिखाई दे सकेगी, जिसमें कहा गया है कि तेजी से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकेगी और साथ ही भारत अपनी आर्थिक अनुकूलताओं से वर्ष 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर दिखाई दे सकेगा। कई कारणों से इस वक्त भारत को विदेशी निवेश के अनुकूल माना जा रहा है…
खपत को कैसे प्रभावित करेगा विकास:
आने वाले दशक में 35,000 डॉलर प्रति वर्ष से अधिक आय वाले परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 2.5 करोड़ से अधिक होने की संभावना है.
घरेलू आय में वृद्धि होने का मतलब है कि 2031 तक सकल घरेलू उत्पाद के दोगुने से अधिक 7.5 ट्रिलियन डॉलर होने, खपत में भारी उछाल आने और आने वाले दशक में बाजार पूंजीकरण का 11 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि 10 ट्रिलियन डॉलर की संभावना है.
इसमें कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2031 में 2,278 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 5,242 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी, जो खर्च में भारी उछाल लाएगी.
ऑफशोरिंग: 'वर्क फ्रॉम इंडिया'
पिछले दो वर्षों में भारत में खोले गए वैश्विक इन-हाउस कैप्टिव केंद्रों की संख्या पिछले चार वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दो सालों के दौरान, भारत में इस उद्योग में कार्यरत लोगों की संख्या 4.3 मिलियन से बढ़कर 5.1 मिलियन हो गई और वैश्विक सेवाओं के व्यापार में देश की हिस्सेदारी 60 आधार अंक बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई.
आने वाले दशक में, देश के बाहर नौकरियों के लिए भारत में कार्यरत लोगों की संख्या कम से कम दोगुनी होकर निवेश और अर्थव्यवस्था 11 मिलियन से अधिक होने की संभावना है. रिपोर्ट का अनुमान है कि आउटसोर्सिंग पर वैश्विक खर्च 180 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 2030 तक लगभग 500 बिलियन डॉलर हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका वाणिज्यिक और आवासीय रियल इस्टेट की मांग दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.
आधार प्रणाली और इसका प्रभाव
भारत की आधार प्रणाली निवेश और अर्थव्यवस्था की सफलता के बारे में बात करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सभी भारतीयों के लिए मूलभूत आईडी है, जिसे छोटे मूल्य के लेनदेन के साथ कम लागत पर उच्च मात्रा में संसाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है निवेश और अर्थव्यवस्था कि धीमी शुरुआत और कानूनी चुनौतियों सहित कई चुनौतियों के बाद, आधार और इंडियास्टैक सर्वव्यापी हो गए हैं. 1.3 अरब लोगों के पास डिजिटल आईडी होने से वित्तीय लेनदेन आसान और सस्ता हो गया है. आधार ने सामाजिक लाभों के सीधे भुगतान को दक्षता और बिना किसी रिसाव के सक्षम किया है.
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