अमेरिकी विकल्प

मगर, विदेश मंत्री ने अमेरिका और योरोपीय संघ की यह कहते हुए आलोचना की है कि इस पहल का लाभ निर्धनतम देशों तक फ़िलहाल नहीं पहुँचा है. अमेरिका और योरोपीय संघ ने रूसी निर्यात के रास्ते से अवरोधों को पूरी तरह नहीं हटाया है और वे अब भी योरोपीय बन्दरगाहों में फँसे हुए हैं.
US China Tension: पहली बार ताइवान पर बाइडन प्रशासन हुआ आक्रामक, अगर चीनी सेना ने ताइपे पर हमला किया तो क्या करेगी अमेरिकी सेना- एक्सपर्ट व्यू
US China tension ताइवान पर हक जताने वाला चीन क्या अमेरिका के साथ युद्ध के लिए तैयार होगा। ताइवान मामले में अमेरिका को ललकारने वाले चीन के पास क्या विकल्प है। क्या ताइवान स्ट्रीट पर चीनी सैन्यअभ्यास जारी रहेगा। बाइडन के इस फैसले का क्या संदेश गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। China vs America: अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिकी विकल्प अमेरिका अब आक्रामक मूड में दिख रहा है। अमेरिका ने ताइवान के मामले में अपनी नीति साफ कर दिया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो उसकी सेना मदद में उतरेंगी। बाइडन प्रशासन ने इस बार संकेत में ही अपनी नीति को साफ किया है। अब गेंद पूरी तरह से चीन के पाले में है। ऐसे में सवाल उठता है ताइवान पर हक जताने वाला चीन क्या अमेरिका के साथ युद्ध के लिए तैयार होगा। ताइवान मामले में अमेरिका को ललकारने वाले चीन के पास क्या विकल्प है। क्या अब भी वह पश्चिमी देशों के प्रतिनिधिमंडल के आने पर रोक लगाएगा। क्या ताइवान स्ट्रीट पर चीन का सैन्य अभ्यास जारी रहेगा। बाइडन प्रशासन के इस फैसले का दुनिया में क्या संदेश गया है। इस पर क्या है विशेषज्ञों की राय।
CNOOC संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी संपत्तियां बेचती है
इस निर्णय के साथ CNOOC आर्थिक अनिश्चितता के संदर्भ का हिस्सा है। चीन वास्तव में रूस पर अपनी स्थिति के बाद मजबूत पश्चिमी प्रतिबंधों से डरता है। चीनी सरकार कई महीनों से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने से इनकार करती रही है।
इस प्रकार, संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी, यह आश्वासन देते हुए कि यदि वे प्रतिबंधों के तहत रूसी तेल खरीदते हैं तो परिणाम गंभीर होंगे। चीन भी रूस के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना जारी रखता है। चीन की आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए रूस के पास हाइड्रोकार्बन और कच्चा माल होने के कारण दांव ऊंचे हैं।
CNOOC अमेरिकी महाद्वीप पर बहुत मौजूद है, इस प्रकार, इसके तटवर्ती ईगल फोर्ड और रॉकी शेल बेसिन में रुचि है। ये संपत्तियां अमेरिकी शेल ड्रिलिंग कंपनी चेसापीक एनर्जी कॉर्प की हैं। अमेरिकी कंपनी ने अपनी संपत्ति खुद बिक्री के लिए रखी है, लेकिन इससे CNOOC की योजनाओं पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
विभिन्न विकल्प
तेल और गैस दिग्गज की विशेष रूप से मैक्सिको की खाड़ी में पकड़ है: एपोमैटॉक्स और स्टैम्पेड। चीन ब्रिटिश निर्माता हार्बर एनर्जी के साथ बातचीत कर रहा था। इस प्रकार देश मैक्सिको की खाड़ी से हटने और अपनी संपत्ति बेचने के लिए एक समझौते की मांग कर रहा है।
सीएनओयूसी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से काफी हद तक लाभ उठाने में सक्षम था। इस प्रकार, इसका तीसरी तिमाही का मुनाफा पिछले महीने दोगुना अमेरिकी विकल्प हो गया होता। प्रमुख चीनी निर्माता के रूप में इसकी स्थिति 15 बिलियन डॉलर की राशि के लिए कैनेडियन नेक्सन के अधिग्रहण का परिणाम है।
अंत में, चीनी कंपनी ब्रिटिश उत्तरी सागर में एक खरीदार की तलाश कर रही है। आज तक, नार्वेजियन कंपनी इक्विनोर जीतने का सबसे अच्छा मौका वाला उम्मीदवार प्रतीत होता है। यह कथित तौर पर $ 2 और $ 3 बिलियन के बीच के सौदे में उन दांवों को खरीदने पर विचार कर रहा है।
रूस: यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, विदेश मंत्री
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने शनिवार, 24 सितम्बर, को यूएन महासभा के सभ के दौरान उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.
रूसी महासंघ के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोफ़ ने यूएन महासभा के 77वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन की सरकार ने पूर्वी हिस्से में अपने ही लोगों के विरुद्ध युद्ध छेड़ा हुआ था, और पश्चिमी देश बातचीत के लिये असमर्थ नज़र आ रहे थे. इन हालात में रूस के पास यूक्रेन में तथाकथित विशेष सैन्य अभियान को शुरू करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.
रूस के विदेश मंत्री ने शनिवार, 24 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के उच्चस्तरीय खण्ड के दौरान अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया.
रूस का कहना है कि यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों में रहने वाले रूसी समुदायों की रक्षा और सुरक्षा ख़तरों से निपटने के इरादे से ये विशेष सैन्य अभियान शुरू किया गया.
उकसाने की कोशिशें
विदेश मंत्री लैवरोफ़ के अनुसार, अमेरिका विभाजित करने वाली लकीरों को थोप रहा है, और देशों को बता रहा है कि या तो आप हमारे साथ हैं, या फिर विरुद्ध हैं.
इसका अर्थ यह है कि ईमानदार संवाद के बजाय, ग़लत व भ्रामक सूचना फैलाने और उकसाने की कोशिशें की जा रही हैं.
रूसी विदेश मंत्री ने यूएन महासचिव की सराहना की, जिन्होंने यूक्रेन में युद्ध के कारण उपजे वैश्विक खाद्य व ऊर्जा संकट से निपटने के लिये संगठित प्रयास किये हैं.
उन्होंने वैश्विक महामारी के दौरान पश्चिमी देशों पर आर्थिक कुप्रबन्धन के लिये दोषारोपण किया, और कहा कि उनके देश के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबन्ध, रूस के विरुद्ध आर्थिक युद्ध छेड़े जाने अमेरिकी विकल्प के समान है.
उन्होंने काला सागर अनाज निर्यात पहल की प्रशंसा की, जिससे यूक्रेन व रूस से भोजन व उर्वरक की आपूर्ति सम्भव हुई है और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में भी कमी लाने में मदद मिलेगी.
‘रूसोफ़ोबिया’ का दावा
विदेश मंत्री लैवरोफ़ ने महासभा को बताया कि जिनसे आपत्ति है, उनके विरुद्ध पश्चिमी जगत ने ‘धर्मयुद्ध’ छेड़ा हुआ है.
उनके मुताबिक़ NATO संगठन, क्षेत्र में और उससे परे भी अपने दबदबे के रास्ते में रूस को केवल एक ख़तरे के रूप में देखता है.
उन्होंने कहा कि रूस से भय व नापसन्दगी (Russophobia) अभूतपूर्व स्तर तक पहुँच गया है, और पश्चिमी देश ये छिपा भी नहीं रहे हैं कि वे रूस को सैन्य रूप से हराना, ध्वस्त व तोड़ना चाहते हैं.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमर्शहॉल्ड को उद्धत करते हुए कहा कि, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना मानवता को स्वर्गलोक तक ले जाने के लिये नहीं हुई है, बल्कि उसे नर्क से बचाने के लिये हुई है.
विदेश मंत्री ने कहा कि भावी पीढ़ियों के लिये शान्तिपूर्ण व समरसतापूर्ण विकास की परिस्थितियाँ सृजित करने के लिये, हमारे वैयक्तिक व सामूहिक दायित्व को समझा जाना होगा, और इसके लिये राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शाए जाने की आवश्यकता है.
अमेरिका बोला: रूस को रोकने का एक ही विकल्प, तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग हर दिन के साथ आक्रामक होती जा रही है। यूक्रेन के आत्मसमर्पण से इंकार के बाद पुतिन ने अपनी सेना को हमले और तेज करने का आदेश दे दिया है। इसके बाद रूसी सेना यूक्रेन पर चारों तरफ से टूट चुकी है। यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में गैस पाइपलाइन को उड़ा दिया गया है। एक अमेरिकी विकल्प तेल डिपो पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला हुआ है। इसी बीच अमेरिका का बड़ा बयान सामने आया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि, रूस को रोकने के दो ही विकल्प हैं। पहला यह कि, रूस से सीधे तौर पर युद्ध लड़ा जाए और तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की जाए। या फिर दूसरा विकल्प यह है कि, यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करेगा, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि, प्रतिबंधों का एक मात्र विकल्प तीसरा विश्व युद्ध ही होगा। उन्होंने कहा कि, जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका व्यापक असर होगा।
विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग हर दिन के साथ आक्रामक होती जा रही है। यूक्रेन के आत्मसमर्पण से इंकार के बाद पुतिन ने अपनी सेना को हमले और तेज करने का आदेश दे दिया है। इसके बाद रूसी सेना यूक्रेन पर चारों तरफ से टूट चुकी है। यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में गैस पाइपलाइन को उड़ा दिया गया है। एक तेल डिपो पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला हुआ है। इसी बीच अमेरिका का बड़ा बयान सामने आया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि, रूस को रोकने के दो ही विकल्प हैं। पहला यह कि, रूस से सीधे तौर पर युद्ध लड़ा जाए और तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की जाए। या फिर दूसरा विकल्प यह है कि, यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करेगा, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि, प्रतिबंधों का एक मात्र विकल्प तीसरा विश्व युद्ध ही होगा। उन्होंने कहा कि, जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका व्यापक असर होगा।
Koo: ट्विटर का विकल्प बनने के लिए भारत में विकसित कू ने फैलाए पंख, अमेरिका में सोशल मीडिया सर्विस लांच की तैयारी
नई दिल्ली: भारत में विकसित सोशल मीडिया साइट कू ने देश के बाहर अमेरिका में कारोबार फैलाने की योजना बनाई है. माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पहुंच और यूजर की संख्या के मामले में ट्विटर के बाद दूसरे नंबर पर है. अब कंपनी ग्लोबल मार्केट में कारोबार की संभावनाएं तलाश रही है. कू के को फाउंडर ने कहा, "दुनिया अब ट्विटर का विकल्प ढूंढने में जुटी है और कू अमेरिका में अपनी सर्विस लॉन्च कर जल्द ही इस विकल्प को उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है."
Success Story: मुफ़लिसी में मुंबई की सड़कों पर बेचे लाइटर, अब 15 करोड़ का टर्नओवर, 99 पैनकेक्स के विकेश शाह की कहानी जानिए
कंपनी ने पहले ही टूल्स और टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू कर दिया है. भारत में बने कू को अब ग्लोबल ऑडियंस के लिए पेश किया जाने वाला है. कू जल्द ही एक आउटरीच प्रोग्राम शुरू करने वाली है जिससे दुनिया भर के लीडर इस प्लेटफार्म पर आ सकें, इसके साथ ही उनके फॉलोवर की संख्या भी कू पर तेजी से बढ़ सकती है.