कमीशन और फैलता है

विन्सेंट पाओलो विलानो
विंसेंट पाओलो विलानो 5 अक्टूबर, 2021 को मुख्य संचार अधिकारी के रूप में द लीगल एड सोसाइटी में शामिल हुए, जिसे संगठन के मीडिया, सामग्री, विपणन और ब्रांडिंग रणनीति का नेतृत्व करने का अधिकार मिला। वह नस्लीय, सामाजिक और आर्थिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए संचार का उपयोग करके सरकार, अभियानों और वकालत में एक दशक से अधिक के अनुभव के साथ कानूनी सहायता में शामिल होता है।
एनवाईसी कमीशन ऑन ह्यूमन राइट्स में, एक नागरिक अधिकार कानून प्रवर्तन एजेंसी, विंसेंट यौन उत्पीड़न के लिए फॉक्स न्यूज नेटवर्क के साथ ऐतिहासिक $ 1,000,000 के समझौते सहित अभूतपूर्व कार्रवाइयों पर मीडिया रणनीति का निरीक्षण किया - आयोग के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा नागरिक दंड। उन्होंने COVID-19 से जुड़ी एशियाई-विरोधी पूर्वाग्रह की घटनाओं में वृद्धि के लिए शहर भर में प्रतिक्रिया का समन्वय करने में भी मदद की। प्रसिद्ध कलाकार अमांडा फ़िंगबोधिप्पकिया के साथ, विंसेंट एशियाई विरोधी कलंक से निपटने के लिए एक कला श्रृंखला "आई स्टिल बिलीव इन अवर सिटी" का शुभारंभ किया। कलाकृतियां पूरे अमेरिका में विरोध में फैल गईं, टाइम पत्रिका के कवर पर उतरीं, और आयोग का अब तक का सबसे बड़ा अभियान बन गया।
NYC नागरिक शिकायत समीक्षा बोर्ड में, NYPD की प्रहरी एजेंसी, विंसेंट एरिक गार्नर की हत्या करने वाले अधिकारी के प्रशासनिक परीक्षण में संचार का निरीक्षण किया। पुलिसिंग पर बोर्ड के पहले युवा शिखर सम्मेलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, पुलिसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार पर युवा न्यू यॉर्कर्स की आवाज को बढ़ाना।
अमेरिका के लिए हिलेरी में अपने काम के हिस्से के रूप में, विंसेंट डिजिटल वोटर प्रोटेक्शन हॉटलाइन का नेतृत्व किया, कमीशन और फैलता है जो मतदाताओं को उनके मतदान स्थल पर अनियमितताओं का सामना करने के लिए वास्तविक समय का समर्थन प्रदान करता है।
विंसेंट स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, आप्रवास सुधार और कॉलेज की सामर्थ्य के लिए लड़ रहे सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की युवा आयोजन शाखा में वकालत में अपनी शुरुआत की। ट्रांसजेंडर समानता के लिए राष्ट्रीय केंद्र में, विंसेंट 2015 यूएस ट्रांस सर्वे पर संचार का नेतृत्व किया, जो भेदभाव के साथ ट्रांसजेंडर, गैर-बाइनरी और लिंग गैर-अनुरूप लोगों के अनुभवों पर सबसे व्यापक अध्ययन बना हुआ है।
कमीशन @ 17%, तब ठेका पक्का समझो
ऐसे ही नहीं कहा जाता कि सरकारी विभागों में बिना लेन-देन के कोई काम नहीं होता। जलकल विभाग इसका ताजा उदाहरण है। यहां बेखौफ होकर अधिकारी कमीशन का खेल रहे हैं। भ्रष्टाचार की पोल खोलता ऐसा ही एक ऑडियो टेप लीक हुआ है। इसमें विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी ठेकेदार से ‘डीलिंग’ कर रहे हैं। इसमें टेंडर की फाइल साइन कमीशन और फैलता है करने के लिए ठेकेदार से 17 फीसदी कमीशन मांगा गया है। इसका एक हिस्सा नगर निगम के अधिकारी को भी पहुंचाने की बात कही गई है। कमीशन की रकम कहां और कैसे देनी है, इसका रास्ता भी अधीनस्थ अधिकारी ने ही ठेकेदार को बताया है।
जलकल शहर में पेयजल आपूर्ति भले ही न कर पा रहा हो, लेकिन भ्रष्टाचार के ‘खेल’ में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। लीक हुए ऑडियो टेप की बातचीत के अनुसार, पिछले दिनों पानी की पाइपों के लिए विभाग ने टेंडर किया था। यह टेंडर जिस ठेकेदार को दिया गया, वह अचानक आर्थिक तंगी में आ गया। विभाग जिस क्वालिटी के पाइप चाह रहा था, उसका रेट ज्यादा था। ऐसे में ठेकेदार जलकल के वरिष्ठ अधिकारी से कमीशन में रिआयत देने की गुजारिश करने पहुंचा। कमीशन और पाइपों की क्वालिटी को लेकर अधिकारी और ठेकेदार के बीच लंबी बातचीत हुई। ठेकेदार ने अधिकारी से 17 फीसदी कमीशन को कम करने को कहा। मगर, अधिकारी ने उसे तमाम गणित समझा दिया। बताया कि फाइल पर साइन करने के लिए इसका एक भाग नगर निगम अधिकारी को भी देना पड़ता है। ऐसे में इससे कम कमीशन पर काम नहीं हो सकता।
यहां बात नहीं बनी तो ठेकेदार जलकल के ही दूसरे अधिकारी के पास पहुुंचा। इस अधिकारी के साथ भी बातचीत का ऑडियो टेप किया गया। इसके मुताबिक, इस अधिकारी ने साफ शब्दों में अपने वरिष्ठ अधिकारी के बारे कहा है कि वह ज्यादा खाऊ है। साथ ही ठेकेदार को फाइल साइन कराने के लिए उसने सुझाव भी दिया कि एक लिफाफा लेकर वह उक्त अधिकारी के घर पहुंच जाए। इस ऑडियो टेप ने जलकल में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है।
टेप में वरिष्ठ अधिकारी से बातचीत के कुछ अंश
ठेकेदार : . हम बहुत परेशान हैं, हमारी फाइल पास करा दीजिए।
वरिष्ठ अधिकारी : आप ही काम अटकाए हो। अगर कोई अड़चन आ रही है तो उसका रास्ता निकाला जाएगा।
ठेकेदार : डिपार्टमेंट का जो 17 फीसदी खर्चा है, वह ज्यादा है।
वरिष्ठ अधिकारी : पाइप सप्लाई में 40 रुपये का डिफरेंस भी तो कमीशन और फैलता है आ रहा है। इसको मैं कहीं से मीटआउट. । वैसे भी यह 40 रुपये से ज्यादा तो नहीं है।
अधीनस्थ अधिकारी से बातचीत के कुछ अंश
ठेकेदार : मैं धर्म संकट में चल रहा हूं, परेशान हूं।
अधीनस्थ अधिकारी : देखो, मैने पहले ही बता दिया . ज्यादा खाऊ है। बोला न, उनसे कह देना। अभी मैं 15 दूंगा। सीधे उन्हीं को ऑफर कर दो। अकेले ही जाना।
ठेकेदार : मैं अपने बेटे को तो साथ ले जाऊं।
अधीनस्थ अधिकारी : अरे यार, ले जाओ। कह देना, अभी इतना ही कर सकता हूं। अभी लिफाफा ले जाओ, तुरंत साइन हो जाएंगे।
ठेकेदार : चार लाख रुपये का चेक मिल जाए तो.
अधीनस्थ अधिकारी : व्यापारी आदमी हो, क्यों पचड़े में पड़ रहे हो। ज्यादा बात फैल रही है। देना तो तुम्हें इतना ही है। अभी घर चले जाओ।
नया नहीं है भ्रष्टाचार का खेल
जलकल में भ्रष्टाचार का भले ही यह पहला ऑडियो टेप लीक हुआ हो, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें यहां काफी गहरी हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 28 इंच की पाइप लाइन के लिए विभाग ने 52 लाख रुपये के कॉलर का टेंडर किया था। इसमें कुछ ही कॉलर बदले गए थे। वह भी निम्न गुणवत्ता के थे। यह मामला नगर निगम सदन में भी गूंजा था। इस पर सदन में इस मामले के अलावा पिछले सालों में अन्य खरीदे गए सामानों की जांच के लिए समिति गठित करने पर सहमति बनी थी।
ऑडियो टेप के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा कोई टेप है भी तो वह फेक होगा। इसकी जांच होनी चाहिए।
- मंजू गुप्ता, महाप्रबंधक, जलकल
होता। जलकल विभाग इसका ताजा उदाहरण है। यहां बेखौफ होकर अधिकारी कमीशन का खेल रहे हैं। भ्रष्टाचार की पोल खोलता ऐसा ही एक ऑडियो टेप लीक हुआ है। इसमें विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी ठेकेदार से ‘डीलिंग’ कर रहे हैं। इसमें टेंडर की फाइल साइन करने के लिए ठेकेदार से 17 फीसदी कमीशन मांगा गया है। इसका एक हिस्सा नगर निगम के अधिकारी को भी पहुंचाने की बात कही गई है। कमीशन की रकम कहां और कैसे देनी है, इसका रास्ता भी अधीनस्थ अधिकारी ने ही ठेकेदार को बताया है।
जलकल शहर में पेयजल आपूर्ति भले ही न कर पा रहा हो, लेकिन भ्रष्टाचार के ‘खेल’ में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। लीक हुए ऑडियो टेप की बातचीत के अनुसार, पिछले दिनों पानी की पाइपों के लिए विभाग ने टेंडर किया था। यह टेंडर जिस ठेकेदार को दिया गया, वह अचानक आर्थिक तंगी में आ गया। विभाग जिस क्वालिटी के पाइप चाह रहा था, उसका रेट ज्यादा था। ऐसे में ठेकेदार जलकल के वरिष्ठ अधिकारी से कमीशन में रिआयत देने की गुजारिश करने पहुंचा। कमीशन और पाइपों की क्वालिटी को लेकर अधिकारी और ठेकेदार के बीच लंबी बातचीत हुई। ठेकेदार ने अधिकारी से 17 फीसदी कमीशन को कम करने को कहा। मगर, अधिकारी ने उसे तमाम गणित समझा दिया। बताया कि फाइल पर साइन करने के लिए इसका एक भाग नगर निगम अधिकारी को भी देना पड़ता है। ऐसे में इससे कम कमीशन पर काम नहीं हो सकता।
यहां बात नहीं बनी तो ठेकेदार जलकल के ही दूसरे अधिकारी के पास पहुुंचा। इस अधिकारी के साथ भी बातचीत का ऑडियो टेप किया गया। इसके मुताबिक, इस अधिकारी ने साफ शब्दों में अपने वरिष्ठ अधिकारी के बारे कहा है कि वह ज्यादा खाऊ है। साथ ही ठेकेदार को फाइल साइन कराने के लिए उसने सुझाव भी दिया कि एक लिफाफा लेकर वह उक्त अधिकारी के घर पहुंच जाए। इस ऑडियो टेप ने जलकल में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है।
टेप में वरिष्ठ अधिकारी से बातचीत के कुछ अंश
ठेकेदार : . हम बहुत परेशान हैं, हमारी फाइल पास करा दीजिए।
वरिष्ठ अधिकारी : आप ही काम अटकाए हो। अगर कोई अड़चन आ रही है तो उसका रास्ता निकाला जाएगा।
ठेकेदार : डिपार्टमेंट का जो 17 फीसदी खर्चा है, वह ज्यादा है।
वरिष्ठ अधिकारी : पाइप सप्लाई में 40 रुपये का डिफरेंस भी तो आ रहा है। इसको मैं कहीं से मीटआउट. । वैसे भी यह 40 रुपये से ज्यादा तो नहीं है।
अधीनस्थ अधिकारी से बातचीत के कुछ अंश
ठेकेदार : मैं धर्म संकट में चल रहा हूं, परेशान हूं।
अधीनस्थ अधिकारी : देखो, मैने पहले ही बता दिया . ज्यादा खाऊ है। बोला न, उनसे कह देना। अभी मैं 15 दूंगा। सीधे उन्हीं को ऑफर कर दो। अकेले ही जाना।
ठेकेदार : मैं अपने बेटे को तो साथ ले जाऊं।
अधीनस्थ अधिकारी : अरे यार, ले जाओ। कह देना, अभी इतना ही कर सकता हूं। अभी लिफाफा ले जाओ, तुरंत साइन हो जाएंगे।
ठेकेदार : चार लाख रुपये का चेक मिल जाए तो.
अधीनस्थ अधिकारी : व्यापारी आदमी हो, क्यों पचड़े में पड़ रहे हो। ज्यादा बात फैल रही है। देना तो तुम्हें इतना ही है। अभी घर चले जाओ।
नया नहीं है भ्रष्टाचार का खेल
जलकल में भ्रष्टाचार का भले ही यह पहला ऑडियो टेप लीक हुआ हो, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें यहां काफी गहरी हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 28 इंच की पाइप लाइन के लिए विभाग ने 52 लाख रुपये के कॉलर का टेंडर किया था। इसमें कुछ ही कॉलर बदले गए थे। वह भी निम्न गुणवत्ता के थे। यह मामला नगर निगम सदन में भी गूंजा था। इस पर सदन में इस मामले के अलावा पिछले सालों में अन्य खरीदे गए सामानों की जांच के लिए समिति गठित करने पर सहमति बनी थी।
ऑडियो टेप के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा कोई टेप है भी तो वह फेक होगा। इसकी जांच होनी चाहिए।
- मंजू गुप्ता, महाप्रबंधक, जलकल
स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने स्थगित किए विभिन्न भर्तियों के लिए होने वाले मेडिकल एग्जाम, नोटिस जारी कर दी सूचना
एजुकेशन डेस्क. देश में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। इसके चलते ना सिर्फ अर्थव्यवस्था और कोराबार पर प्रभाव पड़ रहा है,बल्कि कई प्रतियोगी और बोर्ड की परीक्षाएं भी प्रभावित हो रही हैं। इसी बीच अब स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) ने भी एक नोटिस जारी करते हुए गृह मंत्रालय के तहत होने वाली सभी भर्तियों के मेडिकल एग्जामिनेशन को स्थगित करने की सूचना दी है।
विभिन्न भर्तियों की परीक्षा रद्द
जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक गृह मंत्रालय की सहमति के बाद बढ़ते कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इसके तहत 24 मार्च से 30 अप्रैल के बीच सीएपीएफ,एसएसएफ और असम राइफल्स में कॉस्टेबल के पदों के लिए होने वाले भर्ती के लिए रिव्यू मेडिकल एग्जाम को रद्द कर दिया है। इसके अलावा 26 मार्च से 7 अप्रैल को होने वाले डिटेल्ड मेडिकल एग्जाम और 23 से 30 मार्च तक दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के लिए होने वाले डिटेल्ड मेडिकल एग्जाम को भी निरस्त कर दिया है।
560 जिलों में लॉकडाउन
भारत में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। लगभग पूरा देश अब इसकी चपेट में है, जिसके बाद आज कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 516 तक पहुंच गई है। जबकि इस वायरस से मरने वालों में 10 लोग शामिल हैं। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 560 जिलों में पूरी तरह लॉकडाउन की घोषणा की गई है। इस बीच चुनाव आयोग ने 26 मार्च को होने वाला राज्यसभा की 55 सीटों का चुनाव रद्द कर दिया है। 5 राज्यों में कर्फ्यू लगाया गया है। देशभर में लॉकडाउन और कर्फ्यू लागू करवाने के लिए पुलिस सड़कों पर है। पुलिस बैरिकेडिंग कर सिर्फ जरूरी कामों के लिए लोगों को आने जाने की इजाजत दे रही है।
Delhi-NCR में बढ़ते प्रदूषण पर केंद्र का नया कानून, अब होगी 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना
इम कमीशन का काम वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदूषण की निगरानी, नियमों को लागू करने के साथ रिसर्च और इनोवेशन पर रहेगा. इसके अलावा कमेटी पराली जलाने, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण, धूल से होने वाले प्रदूषण सहित अन्य मामलों पर गौर करेगी जिनसे दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में प्रदूषण (Pollution) फैलता है. कमीशन संसद में अपनी सलाना रिपोर्ट जमा करेगी.
Updated on: Oct 29, 2020 | 1:14 PM
दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नया ऑर्डिनेंस (Ordinance) जारी किया है. इस ऑर्डिनेंस के तहत प्रदूषण फैलाने पर पांच साल की जेल और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. इस ऑर्डिनेंस को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को जारी कर दिया है. इसमें दिल्ली- हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक कमीशन नियुक्त करने की बात कही गई है.
इस कमीशन में 18 सदस्य होंगे और एक फुल टाइम चेयरमैन नियुक्त किया जाएगा जो कि राज्य का चीफ सेक्रेटरी या भारत सरकार का सेक्रेटरी होगा. इस कमेटी में 18 में से 10 सदस्य ब्यूरोक्रेट्स होने चाहिए बाकी 8 सदस्य एक्सपर्ट्स और एक्टिविस्ट्स होंगे. इस कमेटी में एक सलेक्शन कमेटी होगी जिसके हेड पर्यावरण मंत्री होंगे. कमेटी में कैबिनेट मंत्री के साथ तीन अन्य मंत्री होंगे. यह सेलेक्शन कमीशन तीन साल के लिए कमीशन के सदस्यों को नियुक्त करेगी.
कमीशन वायु गुणवत्ता को सुधारने पर काम करेगी
इम कमीशन का काम वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदूषण की निगरानी, नियमों को लागू करने के साथ रिसर्च और इनोवेशन पर रहेगा. इसके अलावा कमेटी पराली जलाने, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण, धूल से होने वाले प्रदूषण सहित अन्य मामलों पर गौर करेगी जिनसे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलता है. कमीशन संसद में अपनी सलाना रिपोर्ट जमा करेगी.
EPCA और अन्य संगठनों को करेगी रीप्लेस
इस कमीशन के आने के बाद यह सुप्रीम कोर्ट (SC) की तरफ से नियुक्त इपीसीए और दूसरे सभी संगठनों को रीप्लेस कर देगी. इस नए कमीशन के पास दिल्ली -एनीसीआर में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट का पूरा अधिकार होगा. कमीशन के पास पूरी तरह से अधिकार होगा कि किसी भी परिसर का निरीक्षण करने, प्रदूषण फैलाने वाले इकाइयों को बंद करने और बिजली और पानी की आपूर्ति को बंद करने का आदेश जारी करने का अधिकार होगा.
आयोग के आदेशों के खिलाफ सभी अपीलें केवल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के समक्ष होंगी और किसी अन्य निकाय के पास किसी भी दिशा निर्देश को पारित करने का अधिकार नहीं होगा या उचित मुद्दों पर शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं होगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने बयान दिए जाने के दो दिन बाद अध्यादेश आया है कि सरकार नए कानून पर विचार कर रही है क्योंकि इपीसीए (EPCA) और अन्य निकायों द्वारा प्रवर्तन प्रभावी साबित नहीं हुआ है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे (S.A Bobde) की अधयक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल को गुरुवार से पहले अदालत के सामने अपना कानून बनाने को कहा था.
साहब की मेहरबानियां. राशन के खेल में कमीशन की फैल रही बेल
भरतपुर. रसद विभाग ने तमाम विभागीय कायदों को ताक पर रखकर मनमर्जी का अटैचमेंट करने का मामला सामने आया है। विभागीय मेहरबानी के चलते एक-एक डीलर को अटैचमेंट के नाम पर तीन-तीन दुकान संचालित करने को दे दी हैं। विभाग की इस कार्यप्रणाली पर अब सवाल उठ रहे हैं। इसमें कमीशनखोरी का भी खेल छिपा हो सकता है।
जानकारी के अनुसार विभिन्न कारणों के चलते रिक्त हुईं राशन की दुकानों को दूसरे डीलरों को अटैचमेंट करने का प्रावधान है, लेकिन नियमानुसार एक डीलर को अधिकतम एक ही दुकान अटैचमेंट के लिए दी जा सकती है। वह भी तीन किलोमीटर के दायरे में होनी चाहिए। अब रसद विभाग ने कई डीलरों को दुकान छह-छह किलोमीटर के दायरे में कमीशन और फैलता है कमीशन और फैलता है भी दे दी हैं। कई डीलरों को एक से अधिक दुकानें भी अटैचमेंट के नाम पर दे दी हैं। हाल ही में रसद विभाग की ओर से छह माह या अधिक की अटेचमेंट की अवधि पूर्ण कर लेने वाले उचित मूल्य दुकानदारों को क्षेत्रीय प्रवर्तन अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर नवीन वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, इसमें कायदे ताक पर नजर आ रहे हैं।
जिले में रिक्त, निलंबित, अवकाश व कार्य असमर्थता के चलते छोड़ी गई उचित मूल्य की कई दुकानें हैं। इनका संचालन करने के लिए रसद विभाग दूसरे राशन डीलर को संबंधित उचित मूल्य की दुकान का जिम्मा भी सौंप देता है। एक से अधिक दुकान राशन डीलर के पास होने पर उसे रसद विभाग अटैचमेंट की कमीशन और फैलता है कमीशन और फैलता है श्रेणी में मानता है। उक्त व्यवस्था कार्य व्यवस्थार्थ अल्प समय के लिए की जाती है। इस दौरान विभाग को जल्द ही संबंधित दुकान पर स्थायी रूप से नए डीलर की व्यवस्था करनी होती है, लेकिन जिले में वर्षों से चल रही अटैचमेंट प्रणाली को खत्म नहीं किया जा रहा है।
उचित मूल्य की दुकानों के अटैचमेंट में रसद विभाग ने नियम ताक पर रख दिए हैं। नियमानुसार किसी भी राशन की दुकान का अटैचमेंट संबंधित दुकान के आस-पास वाली राशन की दुकान में करना होता है, लेकिन विभाग ने दस कमीशन और फैलता है किलोमीटर से लेकर चालीस किलोमीटर तक की दूरी वाले उचित मूल्य दुकानदारों को दुकानें अटैच कर रखी है।
नदबई से छह किमी दूर स्थित कटारा के राशन डीलर को वार्ड 15 व 16 के राशन डीलर का काम सौंपा गया है। इससे लोगों को राशन लेने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नदबई के वार्ड तीन व चार, सात व आठ की जिम्मेदारी एक राशन डीलर को दी हुई है। जबकि वह दो वार्डों का पहले से ही डीलर है। नियम के हिसाब से चार वार्डों का ही काम एक डीलर कर सकता है।
राज्य सरकार का जो सरकूलर है वह सुझाव के रूप में है। इसमें तीन किलोमीटर से दूर नहीं होनी चाहिए। जहां विकल्प नहीं होता है, वहां व्यवस्था की जाती है। यदि ऐसा कोई मामला है तो उसकी दोबारा जांच करा लेंगे। नदबई में करीब 30-32 डीलर निरस्त चल रहे हैं। ऐसे में वर्तमान डीलरों के माध्यम से व्यवस्था की गई है। नई भर्ती खुलने पर दुकानें आवंटित की जाएंगी। अपवाद स्वरूप एक-दो ऐसे केस हो सकते हैं, जिन्हें नियमानुसार कराया जाएगा।
- सुभाषचन्द्र गोयल, जिला रसद अधिकारी भरतपुर