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पेनांट पैटर्न क्या है

पेनांट पैटर्न क्या है
➥इसी प्रकार बायोपाइरेसी को लेकर दूसरा विवाद हल्दी के उपयोग से संबंधित है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं हल्दी भारत में वर्षों से एक औषधि के रूप में उपयोग की जाती रही है इसका वर्णन भारतीय आयुर्वेद पद्धति के प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में भी मिलता है,
परंतु मई 1995 में अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र ने घाव भरने में हल्दी का उपयोग करने से संबंधित विधि पर पेटेंट प्राप्त कर लिया।।
अमेरिका के विश्वविद्यालय के इस चिकित्सा केंद्र के द्वारा किए गए इस कार्य पर भारत के डॉ आर ए माशेलकर ने काफी पेनांट पैटर्न क्या है सराहनीय कार्य किया डॉक्टर माशेलकर ने पेटेंट मुद्दे पर भारत में काफी जागरुकता फैलाई और उन्हीं के प्रयासों से मात्र 4 महीने में अमेरिकी पेटेंट कार्यालय ने अपने फैसले पर समीक्षा की और उस विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र का पेटेंट रद्द कर दिया।

➥नीम के उपयोग को लेकर के भी इसी प्रकार का बायोपायरेसी से संबंधित विवाद भी काफी सुर्खियों में रहा
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में नीम के विभिन्न भागों का चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक उपयोग प्राचीन काल से होता रहा है परंतु यूरोप की प्रसिद्ध दवा कंपनी डब्लू आर ग्रेट एंड कंपनी पेनांट पैटर्न क्या है में नीम के कवकनाशी गुणों के उपयोग पर एक पेटेंट हासिल कर लिया। हालांकि यूरोपीय पेटेंट कार्यालय में फर्म को पेटेंट एक निष्क्रिय तकनीक पर दिया था ।
परंतु वंदना शिव व अजय फड़के ने इस पैटर्न का विरोध किया, भारतीय मीडिया ने उन्हें पर्याप्त समर्थन दिया एवं यह निर्धारित एवं प्रचारित किया गया कि यूरोपीय पेटेंट कार्यालय में नीम के एंटी फंगल प्रॉपर्टी का पेटेंट फर्म को दिया है ,भारत सरकार ने इस मुद्दे में रुचि दिखाई और अंततः कूटनीतिक दबाव से 2005 में यह पेटेंट रद्द कर दिया गया है।

उपरोक्त वर्णन से बायोपाइरेसी से पेनांट पैटर्न क्या है संबंधित प्रमुख मुद्दों पर आपको अपनी समस्याओं का समाधान अवश्य मिला होगा ,अगर आपको इससे संबंधित कुछ और प्रश्न हो पेनांट पैटर्न क्या है अथवा आप कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।


विभिन्न प्रकार की पेटेंट खोजें हैं, जैसे कि पूर्व-अनुप्रयोग खोज, अन्य कंपनी के अधिकारों की खोज, और प्रौद्योगिकी की प्रवृत्ति खोज। उनमें से, अमान्य सामग्री खोज एक खोज है जिसे व्यापक रूप से कानूनी कौशल, तकनीकी कौशल और खोज कौशल की आवश्यकता होती है।इस बार, मैं अवैध सामग्री की जाँच और जाँच रणनीति की योजना के बारे में संक्षेप में बताऊँगा।

दूसरों के पेटेंट अधिकार व्यवसाय के संचालन के लिए एक बाधा हो सकते हैं।उस स्थिति में, हम पहले डिजाइन में बदलाव आदि के कारण पेटेंट से बचने पर विचार करेंगे, लेकिन अगर इससे बचना मुश्किल है, तो हम विचार करेंगे कि क्या पेटेंट अधिकार को अमान्य किया जा सकता है।उस निर्णय के लिए सामग्रियों की जाँच और वास्तविक अमान्य प्रक्रिया के लिए आवश्यक सामग्री को अमान्य सामग्री जाँच कहा जाता है।पेटेंट कार्यालय द्वारा परीक्षा के बाद पेटेंट अधिकार की स्थापना की जाती है, और परीक्षा आमतौर पर सावधानीपूर्वक की जाती है।अमान्य सामग्री खोज में, प्राथमिक लक्ष्य पेटेंट को उलट देना है जो एक बार ऐसी परीक्षा पास कर चुका है, इसलिए उन्नत कौशल और रणनीतिकता की आवश्यकता होती है।

XNUMX।जांच के पेनांट पैटर्न क्या है लिए दस्तावेज

चूंकि अमान्य सामग्री खोज लक्ष्य ऐसे आविष्कार हैं जो पहले ही खोजे जा चुके हैं और एक बार पेटेंट प्राप्त कर लिए जाने के बाद, परीक्षा के समय केवल खोज को ट्रेस करके अच्छे परिणाम प्राप्त करना संभव नहीं है।तो, यह आवेदक और परीक्षा में परीक्षक (अभियोजन) के साथ बातचीत से दूर हमले का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगा।कम से कम निम्नलिखित दस्तावेजों की जाँच की जानी चाहिए।

  • पेटेंट गजट
  • खोज रिपोर्ट
  • इनकार / परीक्षा संदर्भ के लिए कारणों की अधिसूचना
  • लिखित राय
  • प्रक्रिया में संशोधन

XNUMX।अनुसंधान रणनीति योजना के लिए मुख्य बिंदु

(XNUMX) पेटेंट राजपत्र की पुष्टि

यह तब तक शुरू नहीं होगा जब तक आप पेटेंट राजपत्र की जांच नहीं करते।यह समझने की आवश्यकता है कि पेटेंट दावे का दायरा (दावे) अमान्य है, पृष्ठभूमि प्रौद्योगिकी और उदाहरणों के विवरण के साथ।
अधिकारों की स्थिति और अधिकारों की अवधि की जांच करना भी महत्वपूर्ण है।यदि पेटेंट शुल्क के भुगतान के बिना अधिकार पहले ही समाप्त हो गया है, या यदि शेष अवधि तक अवधि समाप्त हो रही है और अवधि उत्पाद आदि के निर्माण और बिक्री से पहले समाप्त हो रही है (या निर्माण और बिक्री की समाप्ति के बाद) यदि आप समय को स्थानांतरित कर सकते हैं), अमान्य होने की कोई आवश्यकता नहीं है।

(२) परीक्षा में आवेदक का आरोप

लिखित राय में आवेदक पेनांट पैटर्न क्या है के अस्वीकृति के कारणों की सूचना में परीक्षक द्वारा अधिसूचित अस्वीकृति के कारणों को शामिल किया गया है।कई मामलों में, वर्तमान आविष्कार और पूर्व आविष्कार के बीच अंतर पर जोर दिया जाता है, जैसे कि "पूर्व साहित्य में कोई विवरण या सुझाव नहीं है"।यदि दावा स्वीकार कर लिया गया है और एक पेटेंट मिल गया है, तो अंतर अमान्य सामग्री खोज के लिए लक्ष्य करने का बिंदु है।

आपने बहुत बार BIO PIRACY या BIO PATENT शब्द सुना होगा, भारत में पिछले कुछ सालों में बायोपाइरेसी को लेकर विश्व के कुछ देशों के साथ विवाद की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यह शब्द काफी चर्चा में रहा ,आइए इस लेख में BIO-PIRACY या BIO-PATENT से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को आसान भाषा में समझते हैं।

WHAT IS BIO-PIRACY / BIO-PATENT MEANING & DEFINITION IN HINDI


बायोपाइरेसी के अंतर्गत किसी एक देश के जैविक संसाधनों (जैसे पेड़ पौधों ,जंगली वनस्पतियों ) का किसी दूसरे देश के व्यक्ति या संस्था द्वारा उस देश की सहमति या अनुमति के बिना उपयोग लेना जैव -पाइरेसी या बायो-पाइरेसी कहलाता है।

विकासशील देश जीव संसाधन व उससे संबंधित परंपरागत ज्ञान में विकसित देशों से अधिक समृद्ध है ऐसी स्थिति में औद्योगिक रूप से विकसित देश आधुनिक तकनीक अपनाकर विकासशील देशों के जीव संसाधनों का दोहन करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके चलते विकासशील देश आर्थिक रूप से शोषण का शिकार हो रहे हैं।


बायोपायरेसी को लेकर विकसित तथा विकासशील देशों के मध्य विवाद के प्रमुख बिंदु-- -


➱जैव संसाधनों का विश्लेषण कर मूल्यवान जैव संसाधनों की पहचान करके व्यापारिक उपयोग हेतु रणनीति तैयार करना।

➱जैव संसाधन से संबंधित परंपरागत ज्ञान का पेनांट पैटर्न क्या है पेटेंट करा कर उसका व्यवहारिक उपयोग करना
➱अनुवांशिक संसाधनों का संग्रह कर उनका पेटेंट करवाना
➱जैव संसाधनों से मूल्यवान व उपयोगी जीवो का क्लोन तैयार करके उनका पेटेंट करा कर उनका व्यापारिक उपयोग करना।
उपरोक्त क्रियाओं को अपनाकर विकसित पेनांट पैटर्न क्या है देश अपनी प्रौद्योगिकी क्षमता का उपयोग कर विकासशील देशों के जैव संसाधनों का अनैतिक रूप से दोहन कर रहे हैं, जिससे विकासशील देशों को काफी नुकसान पहुंच रहा है ,और अविकसित देश तथा विकासशील देश अपने जैविक संसाधनों एवं परंपरागत जीव विज्ञान के स्वभाविक लाभ से वंचित रह जाते हैं तथा अपने परंपरागत जैविक संसाधन का उपयोग करने के लिए विकसित देशों को धनराशि देने पर बाध्य होना पड़ता है, क्योंकि विकसित देश इन परंपरागत जैव संसाधनों पर येन केन प्रकारेण उसका पेटेंट प्राप्त कर लेते हैं।


BIO-PIRACY/ BIO-PATENT RELATED ISSUE IN INDIA


भारत में बायो पायरेसी या जैव पायरेसी तथा पेटेंट से संबंधित कुछ प्रमुख विवाद निम्नलिखित है--


➥भारत में प्राचीन काल अर्थात हड़प्पा सभ्यता के दौरान से ही चावल की खेती भारत में की जाती रही है ,भारत में चावल पेनांट पैटर्न क्या है की विविधता से विश्व में सर्वाधिक समृद्ध राष्ट्र है

वर्तमान समय में भारत में चावल की करीब सवा दो लाख से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है तथा इनमें बासमती चावल एक प्रमुख किस्म तथा काफी प्रसिद्धि प्राप्त किसमें बन चुकी है बासमती चावल अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद हेतु विश्व प्रसिद्ध है भारत में बासमती की करीब 30 प्रकार की किस्में उगाई जाती है प्राचीन ग्रंथों लोक कथाओं यहां तक कि धार्मिक ग्रंथों रामायण और महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है
परंतु सितंबर 1997 में अमेरिका के टेक्सास प्रांत की एक कंपनी राइस टेक में बासमती चावल वंशावली का एवं खाद्यान्न पर एक पेटेंट हासिल किया ,भारत ने अमेरिकी कंपनी पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के उलंघन व जैव पायरेसी अर्थात बायो-पायरेसी के आरोप लगाए ,भारत ने अपने परंपरागत उपयोग के साक्ष्य प्रस्तुत किए साथ ही धमकी दी कि यदि अमेरिका इस पेटेंट को समाप्त नहीं करेगा तो वह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन अर्थात विश्व व्यापार संगठन में इस मामले को ले जाएगा व अमेरिका पर ट्रिप्स के उल्लंघन का मामला दर्ज करवाएगा ,
कुछ समय तक कूटनीतिक संकट भी पैदा हुआ परंतु अंततः अमेरिकी पेटेंट कार्यालय ने स्वयं के निर्णय की समीक्षा करते कंपनी का पेटेंट समाप्त कर दिया



औद्योगिक डिजाइन, ट्रेडमार्क या पेटेंट का पंजीकरण कैसे कराया जाए?

मे रे पिताजी ने रसोईघर में काम आने वाली एक नयी तरह की पक्कड़ बनायी है। यह पूर्णतया उनके दिमाग की उपज है, और ऐसी कोई पक्कड़ अभी बाज़ार में नहीं है। हम इसका ट्रेडमार्क और डिजाईन रजिस्ट्रेशन चाहते हैं। क्या इसके लिए ऑन लाईन आवेदन किया जा सकता है? या किसी वकील के माध्यम से ही यह प्रक्रिया की जा सकती है? कृपया इसका अनुमानित खर्चा एवं इसमें लगने वाले समय की भी जानकारी देने का कष्ट करें।

– अशोक जैन, बाली, राजस्थान

औ द्योगिक डिजाइन किसी वस्तु के लिए सजावटी या सौंदर्यात्मक पहलू है। डिजाइन वस्तु के आकार और सतह के रूप में त्रिआयामी अथवा पैटर्न लाइनों या रंगों के रूप में द्विआयामी प्रकार का हो सकता है। औद्योगिक डिजाइनों को पेटेंट व डिजाइन अधिनियम के अंतर्गत संरक्षण प्रदान किया जाता है।

ट्रे डमार्क एक विशिष्ठ संकेत चिन्ह होता है जो किसी विशेष व्यक्ति या एन्टरप्राइज द्वारा उत्पादित किए जाने वाले मालों अथवा सेवाओँ की पहचान बन सकता है। ट्रेडमार्क प्रणाली एक अनन्य ट्रेडमार्क द्वारा एक उत्पाद या सेवा को उस की उत्कृष्ठता और गुणवत्ता के लिए पहचानने में उपभोक्ताओं की मदद करती है। एक पंजीकृत ट्रेडमार्क उस के स्वामी के उत्पादों और सेवाओँ की पहचान के रूप में उस के उपयोग के एकाधिकार को सुनिश्चित करता है और उसे केवल ट्रेडमार्क का स्वामी अथवा उस से लायसेंस प्राप्त अन्य कोई व्यक्ति ही उपयोग में ले सकता है।

सेना ने नए डिजाइन और छद्मावरण पैटर्न की वर्दी का आईपीआर पंजीकृत कराया

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजाइन तथा छद्मावरण पैटर्न के विशेष बौद्धिक संपदा अधिकार अब पूरी तरह से भारतीय सेना के पास हैं। इसलिए किसी भी ऐसे विक्रेता द्वारा वर्दी का निर्माण करना, जो ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं है, उसे अवैध गतिविधि में संलिप्त माना जायेगा और कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारतीय सेना के प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए नए छद्मावरण पैटर्न और बेहतर डिजाइन वाली वर्दी के पंजीकरण की प्रक्रिया कोलकाता के पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक द्वारा पूरी कर ली गई है।’’

पंजीकरण को पेटेंट कार्यालय के आधिकारिक जर्नल में 21 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया है। भारतीय थल सेना के सैनिकों के लिए नयी डिजिटल पैटर्न कॉम्बैट वर्दी का अनावरण 15 जनवरी को सेना दिवस पर किया गया था।

From pattern to patent आज ही सोचनी होगी दस साल बाद क्या होंगी हमरी जरूरतें

From pattern to patent आज से दस साल बाद लोगों को जो जरूरतें होंगी, उनके इनोवेशंस के बारे में हमें आज ही सोचना होगा। इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स होने के नाते आप सभी में एक सहज क्षमता होती है चीजों को ‘पैटर्न से पेटेंट तक’ ले जाने की।

इस मौके पर उन्होंने युवाओं के जीवन में आगे आने वाले सवालों के उत्तर के लिए ‘सेल्फ थ्री’का फार्मूला भी सुझाया यानी सेल्फ कॉन्फिडेंस, सेल्फ अवेयरनेस और सेल्फनेसनेस। तकनीक से परिचित युवा समाज और देश की जरूरतों को समझते हुए इस दिशा में अपने कौशल का भरपूर इस्तेमाल कर सकते हैं।

From pattern to patent यही कारण है कि वे उन्हें प्रेरित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते। कोविड के बाद युवाओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रोत्साहन की और ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षो में देश के युवाओं में इनोवेशन और स्टार्टअप को लेकर दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है। इसका प्रमाण हाल में आई इंटरनेट नेटवìकग प्लेटफार्म लिंक्डइन की वह सर्वे रिपोर्ट भी है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संकट के बावजूद 2020 में भारत में फाउंडर और कोफाउंडर्स वाले जॉब प्रोफेशन में दस फीसद की वृद्धि देखी गयी। ऐसा तब है, जब अमेरिका सहित लगभग पूरी दुनिया में स्लोडाउन बना हुआ है।

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