Stock Broker की रोजाना ज़िन्दगी कैसें होती है

सापूरजी के लोगों ने कहा, ‘ब्रोकर कब किसे फ्लैट किराये पर दे दे, पता ही नहीं चलता’
सुखोबृष्टि में फ्लैट की संख्या : लगभग 12,000, एरिया : 400 एकड़
लगभग 70% लोग रहते हैं किराये पर
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सापूरजी के सुखोबृष्टि के ब्लॉक डी में रहने वाले शुभेंदु दास एमएनसी में काम करते हैं। बुधवार को वह वर्क फ्रॉम होम में ही व्यस्त थे कि अचानक उन्हें खबर मिली कि उनके यहां ब्लॉक बी में एनकाउंटर हुआ है। इसी तरह आईटी कंपनी में काम करने वाले राहुल रॉय भी उस दौरान वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे जब उन्हें एनकाउंटर की बात पता चली। गृहिणी रेखा मान्ना और देबस्मिता दास घर में ही थीं। गुरुवार को ये सभी लोग उस फ्लैट के पास आये थे जहां एनकाउंटर हुआ था। यहां रहने वाले लोगों के कई तरह के आरोप भी हैं। लोगों का कहना है कि आज बहुत बड़ी घटना हुई तो इसके बाद सब कुछ सामने आया। हालांकि इससे पहले कई तरह की घटनाएं हुईं हैं जिसे लेकर कई बार मेंटेनेंस कमेटी को शिकायत भी की गयी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
ब्रोकरों पर लोगों ने मढ़े आरोप
ब्लॉक डी में रहने वाली देबस्मिता दास ने कहा, ‘यहां हालत कुछ ऐसी है कि मालिकों को यह पता भी नहीं होता कि उनके घर में किराये पर कौन रह रहा है। इसका कारण है ब्रोकर। यहां जो ब्रोकर हैं, वे किसी को भी किराये पर दे देते हैं। पुलिस द्वारा इसका सत्यापन भी नहीं किया जाता है। हमारी मांग है कि कम से कम किराये पर रहने वाले लोगों का वेरिफिकेशन हो।’ इसी तरह शुभेंदु दास ने कहा, ‘जब घटना हुई उस समय मैं वर्क फ्रॉम होम कर रहा था। खबर सुनने के बाद मैं यहां आया। यहां काफी चीजें होती रहती हैं जिसे लेकर कई बार हमने शिकायतें भी की हैं। किराये पर रहने वाले लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं होता है। किराया 2 लोगों को दिया जाता है, लेकिन वहां रहते हैं 4 से 6 लोग।’ रेखा मान्ना ने कहा, ‘इस तरह की घटना के बाद काफी डर लग रहा है। यहां सुरक्षा के और भी पुख्ता इंतजाम होना चाहिये।’
वीकेंड में खूब होती है पार्टी, इसे लेकर हुआ था विवाद
सापूरजी में रहने वाले लोगों ने कहा कि यहां वीकेंड में तेज आवाज में काफी पार्टी चलती रहती है। अधिकतर कम उम्र के किरायेदार यहां रहते हैं जो कंपनियों में काम करते हैं। वीकेंड पर वे तेज आवाज में पार्टी करते हैं जिस कारण परिवार के साथ रहने वाले लोगों को काफी मुश्किल होती है। इसे लेकर एक बार काफी विवाद भी हुआ था। इस बारे में डी ब्लॉक Stock Broker की रोजाना ज़िन्दगी कैसें होती है Stock Broker की रोजाना ज़िन्दगी कैसें होती है में रहने वाले राहुल रॉय ने बताया कि गत 12 जनवरी को उन्होंने सुखोबृष्टि के मैनेजमेंट कमेटी को शिकायत की थी कि यहां कई तरह की चीजें अक्सर होती रहती हैं। पत्नी के साथ हुए हादसे का जिक्र करते हुए राहुल रॉय ने कहा, ‘31 दिसम्बर की रात हमारे फ्लैट के पास वाले फ्लैट में ही जोर आवाज में डीजे बजाकर पार्टी चल रही थी। मैं और मेरी पत्नी काफी असहज महसूस कर रहे थे। जब मेरी पत्नी ने इसका विरोध किया तो उस फ्लैट में रह रहे लोगों ने उसके साथ बदतमीजी की। मैं बीच -बचाव करने गया तो उन लोगों ने मुझे मारने की कोशिश की, लेकिन पत्नी बीच में आ गयी जिस कारण उसका सिर फट गया था। यहां मैनेजमेंट कमेटी इस तरह की घटनाओं पर कभी कोई ध्यान नहीं देती।’
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रेरा कानून क्या है? रेरा में रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं?
जब भी आप कोई प्राॅपर्टी या कोई घर खरीदते हैं तो आपको बिल्डर से मिलना पड़ता है फिर किसी रियल इस्टेट के क्षेत्र में काम करने वाले इंसान से. यही लोग आपको प्रापर्टी के बारे में जानकारी देते हैं और आपकी सुविधानुसार आपको एक बेहतर प्राॅपर्टी दिलाने में मदद करते हैं. इन्हीं लोगों के लिए साल 2017 में रेरा एक्ट लाया गया था जो रियल इस्टेट से संबंधित लोगों पर कानूनी नियंत्रण रखता है.
By रवि नामदेव Last updated Feb 28, 2019 9,267 0
जब भी आप कोई प्राॅपर्टी या कोई घर खरीदते हैं तो आपको बिल्डर से मिलना पड़ता है फिर किसीरियल एस्टेट के क्षेत्र में काम करने वाले इंसान से. यही लोग आपको प्रापर्टी के बारे में जानकारी देते हैं और आपकी सुविधानुसार आपको एक बेहतर प्राॅपर्टी दिलाने में मदद करते हैं. इन्हीं लोगों के लिए साल 2017 में रेरा एक्ट लाया गया था जो रियल एस्टेट से संबंधित लोगों पर कानूनी नियंत्रण रखता है.
क्या है रेरा कानून What is Rera Act?
रेरा का पूरा नाम है रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथाॅरिटी (Real estate regulatory authority) यानि रियल एस्टेट विनिमयन और विकास प्राधिकरण. इसे साल 2016 में लागू किया गया था. इसमें कुल 92 धाराएं बनाई गई है. यह अधिनियम घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है. इस कानून से रियल इस्टेट में काम कर रहे लोगों पर नियंत्रण करने में भी मदद मिलती है.
रेरा अधिनियम की मुख्य बातें What is Rera rule?
– रेरा के अंर्तगत राज्य स्तर पररियल एस्टेट नियामक आयोग या प्राधिकरण का गठन करना होगा. इसका काम प्रदेश में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को रजिस्टर करना होगा तथा डेवलपर्स और खरीदारों के बीच होने वाले विवादों का निवारण करना होगा.
– डेवलपर्स और खरीदारों का विवाद 60 दिनों के अंदर सुलझाने का प्रावधान इस अधिनियम में है.
– इस अधिनियम के अंर्तगत पांच हजार वर्गफीट या आठ अपार्टमेंट तक की निर्माण योजनाओं को छोड़कर सभी योजनाओं को रियल इस्टेट नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर करवाना अनिवार्य है.
– बिल्डर्स और डेवलपर्स के लिए ग्राहकों से मिलने वाली राशि का 70 प्रतिशत अलग से बैंक में रखकर उसे निर्माण कार्य में लगाने का प्रावधान
कैसे करवाएं रेरा रजिस्ट्रेशन Rera registration process
रेरा के रजिस्ट्रेशन के लिए आपको ऑनलाइन अप्लाई करना होता है. (Documents for rera registration) आवेदन के साथ प्रोजेक्ट की वैधता प्रमाणित करने वाला दस्तावेज, कंपनी का रजिस्ट्रेशन, पेन कार्ड, रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेट, फीस चार्ट, इंजीनियर का प्रमाण पत्र, प्रमोटर्स का आधार कार्ड, टीएंडसीपी और प्रशासन की अनुमति सहित 18 दस्तावेज सम्मिलित करने होते हैं. इन्हें सबमिट करके आप अपने प्रोजेक्ट को रेरा अप्रूव्ड बना सकते हैं.
रेरा का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें? Online rera registration
रेरा में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है इसलिए आपको आपके राज्य की रेरा वेबसाइट पर जाना होगा. मान लीजिए आप मध्यप्रदेश में है तो मध्य्रपदेश रेरा वेबसाइट पर आएं. यहां आपको रजिस्ट्रेशन का ऑप्शन नज़र आएगा. उस पर क्लिक करें. यहां आपके पास दो आप्शन होते हैं.
1. प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन (Online RERA project Registration) – अगर आप किसी प्रोजेक्ट को रेरा अप्रूव्ड करवाना चाहते हैं तो इस पर जाएं. यहां पर आपको कुछ फीस जमा करनी होती है और साथ ही प्रोजेक्ट की डिटेल देना होती है. ये सब करके आप फाॅर्म को सबमिट कर दें और उसका प्रिंट आउट ले लें.
2. एजेंट रजिस्ट्रेशन (Online RERA agent Regsitration) – अगर आप रेरा रजिस्टर रियल इस्टेट एजेंट बनना चाहते हैं तो इस पर क्लिक करें. यहां भी एजेंट बनने के लिए फीस लगती है. फीस आपको ऑनलाइन मोड में जमा करनी होती है. एक फाॅर्म ऑनलाइन भरना होता है जिसमें आपकी डिटेल्स पूछी जाती है.
बिल्डर्स की शिकायत किससे करें? (Builders complaint forum)
अगर बिल्डर्स रेरा के हिसाब से काम नहीं कर रहा है और आपसे मनचाहा पैसा वसूल रहा है या फिर नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो आप उसकी शिकायत रेरा एक्ट के सेक्शन 31 के हिसाब से कर सकते हैं. (Builders complaint under RERA Act) इसमें प्रमोटरों, आवंटियों और रियल इस्टेट के एजेंटों के खिलाफ शिकायत की जा सकती है. इन शिकायतों का निपटान 60 दिनों के अंदर करने का प्रावधान है.
रेरा एक्ट आपको बिल्डर्स की मनमानी और एजेंटों की धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करवाता है अगर फिर भी कोई आपके साथ ऐसा करे तो आप रेरा एक्ट के तहत उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. इसकी पूरी जानकारी आपको रेरा की वेबसाइट पर मिलेगी. रेरा के लिए अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग वेबसाइट है. आप जिस भी राज्य में है उसका नाम लिखकर रेरा लिखें और गूगल पर सर्च करें वेबसाइट आ जाएगी. कुछ महत्वपूर्ण राज्यों के लिंक हम आपको यहां दे रहे हैं.
Zerodha News : देश की इस जानी-मानी कंपनी ने अपने कर्मचारियों से कहा- वजन घटाइए, बोनस लीजिए
Zerodha News : देश की जानी-मानी शेयर ब्रोकिंग कंपनी (Share Broking Company) जेरोधा (Zerodha) के संस्थापक (Founder) और सीईओ (CEO) अपनी ट्वीट की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। इस बार कर्मचारियों के वजन को लेकर उनकी ओर से किया गया ट्वीट (Tweet) खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इस ट्वीट के जरिए उन्होंने अपनी कंपनी के कर्मचारियों से वजन घटाने और फिट रहने की अपील की है। ऐसा करने पर सफल होने वालों को उन्होंने बोनस देने की घोषणा भी की है। लेकिन सोशल मीडिया कुछ यूजर्स उनकी इस सलाह से खुश नहीं हैं। आइए इस पूरे मामले के बारे में जानते हैं।
कामत ने बीते 7 मार्च को वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर अपनी कंपनी के कर्मचारियों के लिए एक हेल्थ प्रोग्राम की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसे कर्मचारी जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 से कम होगा, उन्हें आधे महीने की सैलरी बोनस के रूप में दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि अभी जेरोधा के कर्मचारियों की औसत बीएमआई 25.3 है। उन्होंने कहा था कि अगर कंपनी के कर्मी अपना बीएमआई घटाकर 24 तक लाते हैं तो उन्हें और आधे महीने की सैलरी बोनस के रूप में Stock Broker की रोजाना ज़िन्दगी कैसें होती है कंपनी देगी।
चैलेंज पूरा करने के लिए कंपनी के कर्मियों को दिया गया अगस्त तक का समय
कामत ने इस चैलेंज को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को अगस्त महीने तक का समय दिया है। इस चैलेंज का मतलब है कि अगले करीब 4 महीने में कर्मचारियों के पास बोनस पाने का मौका है। हालांकि, कंपनी के फाउंडर का यह चैलेंज सिर्फ कंपनी के मोटे कर्मचारियों के लिए ही है। जिनका बीएमआई पहले से कम है, वे चाहकर भी इसका फायदा नहीं उठा सकते हैं।
कर्मचारियो की सेहत पर रहती है फाउंडर की नजर
कामत पहले भी इंप्लॉइज की अच्छी सेहत के लिए कुछ न कुछ प्रोग्राम का ऐलान करते रहे हैं। इससे पहले भी पिछले साल उन्होंने कंपनी में 12 महीने का गेट-हेल्दी गोल प्रोग्राम शुरू किया था। इस कार्यक्रम को कोरोना की महामारी के बीच अपनी सेहत का ध्यान रखने को प्रोत्साहित किया गया था। आपको बता दें उस दौरान वर्क फ्रॉम होम के कारण अपने घरों से ही काम कर रहे थे।
क्या होता है बीएमआई?
बीएमआई का पूरा नाम है बॉडी मास इंडेक्स। इस मापदंड से पता चलता है कि कोई व्यक्ति मोटा है, परफेक्ट है या उसका वजन कम है। इसका फार्मूला बिल्कुल आसान है।
BMI = weight (kg) / height 2
हालांकि बीएमआई को 100 फीसदी सही नहीं माना जा सकता, लेकिन एथलेटिक्स की दुनिया में 25 से ज्यादा बीएमआई को स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता है। जेरोधा फाउंडर कामत ने यह भी साफ किया है कि बीएमआई हेल्थ और फिटनेस को ट्रैक करने का सबसे सटीक तरीका नहीं है, लेकिन यह सेहत को लेकर सावधानी बरतने का सबसे आसान तरीका है। उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों को सलाह देते हुए कहा है कि आप हेल्दी रहना चाहते हैं तो रोजाना 10,000 कदम चलने से शुरूआत कर सकते हैं।
रेंट पर घर लेने से पहले इन 9 बातों का जरूर रखें ख्याल, बाद में नहीं होगी परेशानी
सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया (rent) चुकाएंगे. हर साल किराये (rent) में कितनी वृद्धि हो जाएगी.
- Paurav Joshi
- Publish Date - July 4, 2021 / 07:06 PM IST
अगर आप रेंट (rent) पर फ्लैट या घर ले रहे हैं तो आपको रेंट एग्रीमेंट (Rent agreement) भी बनवाना होता है. घर तय करने से पहले आपको इस रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) को काफी गौर से पढ़ लेना चाहिए. इसके बाद ही एग्रीमेंट पर सिग्नेचर करना चाहिए, ताकि आगे आपको परेशानी का सामना न करना पड़े. इसमें किराया बढ़ाने, सुविधा का चार्ज और अन्य भुगतान के बारे में लिखा होना जरूरी है.
रेंट की शर्त को जरूर पढ़ें
सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया (rent) चुकाएंगे. हर साल किराये (rent) में कितनी वृद्धि हो जाएगी. आमतौर पर 11 महीने पर एग्रीमेंट (Rent agreement) का रिन्यू होता है. साथ ही, 1 साल बाद किराये में अमूमन 10 फीसदी बढ़ोतरी होती है. हालांकि, कई बार किराया बढ़ोतरी दोनों पक्षों की सहमति पर भी निर्भर करता है.
जबरन मकान खाली नहीं कराया जा सकता
रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में 1 महीने के नोटिस का प्रावधान होने के बावजूद कोई भी मकान मालिक किरायेदार से जबरन मकान खाली करने के लिए नहीं कह सकता. अगर कोई मकान मालिक ऐसा करने की कोशिश करे तो कोर्ट से स्टे ऑर्डर लिया जा सकता है.
असली मकान मालिक से ही लें घर
मकान लेने से पहले किरायेदार ये जान ले की जिससे वह मकान ले रहा है, वही मकान का असली मालिक हो. अगर ऐसा नहीं है तो मकान किराये पर देने वाले के पास टेनेंसी का अधिकार होना चाहिए. अगर ये ध्यान में नहीं रखा तो असली मालिक नोटिस देकर मकान खाली करवा सकता है.
सिक्योरिटी डिपॉजिट
रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में पैसे देने की शर्तों पर गौर करें. मकान खाली करते समय इसे कैसे समायोजित किया जाएगा, इस पर ध्यान दें. इस कागजात में किराये का एग्रीमेंट (Rent agreement) रद्द होने की शर्त भी लिखी होती है. नोटिस पीरियड का भी इसमें जिक्र होता है. बेहतर होगा अगर आप किराया चुकाने के माध्यम के बारे में (कैश, चेक या NEFT/RTGS/IMPS) के बारे में भी इसमें लिखवा दें ताकि बाद में कोई विवाद न हो.
किराया देर से भरने पर क्या होगा?
आप किराया (rent) हर महीने कब चुकाएंगे इसकी जानकारी रेंट एग्रीमेंट में जरूर कर लें. यह चेक करें कि एग्रीमेंट में किराया देर से चुकाने पर कोई पेनाल्टी (Penalty) तो नहीं है. इसके अलावा, आपको बिजली, पानी के बिल, हाउस टैक्स और जिम, स्विमिंग पुल, पार्किंग, क्लब आदि की सुविधा और उसके बदले भुगतान के बारे में भी देखना चाहिए.
मकान चेक करें
जिस मकान को आप रहने के लिए किराये के लिए ले रहे हैं, उसका पहले अच्छे से मुआयना कर लें. बहुत से लोग छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन उसे देखना जरूरी होता है. अगर कुछ खराब है या सही नहीं है तो उस बारे में मकान मालिक को जरूर बताएं. शिफ्ट करने से पहले उसे लगवा लें या ठीक करायें.
मेंटेनेंस है जरूरी मसला
यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि घर में नियमित तौर पर मरम्मत और देखभाल का भुगतान कौन करेगा. किस तरह के खर्च कौन वहन करेगा. ऐसा न करने पर आगे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. यह भी चेक करें कि मरम्मत का खर्च आप करेंगे तो वह किराये (rent) में कट जाएगा या मकान मालिक उसे आपको री-इम्बर्स करेगा.
अन्य नियम और शर्तों पर भी दें ध्यान
रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में इसपर ध्यान दें कि कहीं आपके मकान मालिक ने किसी तरह की अलग या अतिरिक्त शर्त तो नहीं जोड़ दी है. अपनी तरफ से रेंट एग्रीमेंट में लिखी गई बातों जिसे पढ़कर आपने सिग्नेचर किया है, उसका खास ध्यान रखें. सेल डीड जैसे डॉक्युमेंट को वेरीफाई करें. इसके साथ ही यदि हाउसिंग सोसाइटी से एनओसी लेना जरूरी हो तो वह प्रक्रिया भी पूरी कर लें.
ब्रोकरेज
ज्यादातर लोग ब्रोकर्स के जरिए घर किराए (rent) पर लेते हैं. किसी भी इलाके में ब्रोकर्स का पूरा एक नेटवर्क होता है और अक्सर आप इससे बच नहीं पाते. लेकिन, ब्रोकर के साथ घर फाइनल करने से पहले ब्रोकरेज चार्ज और दूसरे खर्च, सिक्योरिटी मनी जैसी चीजों पर स्पष्ट बात कर लें. इससे आप बाद में पैदा होने वाले विवाद से बच जाते हैं.