बाइनरी ऑप्शन टिप्स

कम अस्थिरता

कम अस्थिरता
फिर भी खुदरा मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति के क्रमिक रुझानों पर बारीक नजर डालने से नीति निर्माताओं के सतर्क बने रहने की अनिवार्यता का पता चलता है। सितंबर माह में हांफने को मजबूर कर देने वाली 18 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी सब्जियों की कीमतों में साल-दर-साल की मुद्रास्फीति पिछले महीने जहां तेजी से घटकर 7.77 फीसदी हो गई, वहीं महीने-दर-महीने की इसकी कीमतों में वृद्धि चार महीने के 4.1 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह तथ्य इस चिंता की ओर इशारा करता है कि सब्जी उगाने वाले क्षेत्रों में बेमौसम बारिश की वजह से आपूर्ति बाधित होने और साथ ही मानसून की बाढ़ से उत्पन्न ‘लॉजिस्टिक्स’ संबंधी दिक्कतों के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव कम से कम फिलहाल बने रह सकते हैं।

बाजार की अस्थिरता के दौरान ये फंड हो सकते हैं सुरक्षित, अन्‍य फंडों के मुकाबले बेहतर दे सकते हैं रिटर्न

जब भी आवश्यक हो सही एसेट क्लास में निवेश करना और उसके बाद फिर से संतुलन स्थापित करना कोई आसान काम नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि एसेट क्लासों के बीच टैक्टिकल एलोकेशन ने लंबे समय में एक सहज निवेश अनुभव सुनिश्चित करने में सहायता की है

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। किसी आम आदमी के लिए सही समय पर सही एसेट क्लास में निवेश करना एक चुनौतीपूर्ण काम होता है। निवेशक अक्सर यह सोचकर हैरान रह जाते हैं कि निवेश का निर्णय लेते समय किसी विशेष एसेट क्लास के लिए मूल्यांकन सस्ता है या महंगा। एक और चुनौती यह भी आती है कि किसी विशेष एसेट क्लास में कब प्रवेश करना और बाहर निकलना है। साथ ही, जब फिर से संतुलन (rebalancing) की बात आती है, तो यहां हर एक्शन पर टैक्स लगता है, चाहे वह छोटी या लंबी अवधि की हो। वास्तव में, जब भी आवश्यक हो, सही एसेट क्लास में निवेश करना और उसके बाद फिर से संतुलन स्थापित करना कोई आसान काम नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि एसेट क्लासों (इक्विटी, डेट और गोल्ड) के बीच टैक्टिकल एलोकेशन ने लंबे समय में एक सहज निवेश अनुभव सुनिश्चित करने में सहायता की है। इसी सिलसिले में आज हम समीक्षा करेंगे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट एलोकेशन फंड (एफओएफ) का।

बाजार की अस्थिरता (Volatility) के कारण

ऐसा लगता है कि विश्व के साथ-साथ ही भारतीय इक्विटी बाजार भी आने वाले समय में उतार चढ़ाव भरा रहने वाला है। इनमें से कुछ घटनाक्रमों से बाजार की परिस्थितियों को मुश्किल में डाल सकते हैं।

  • विश्‍व भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक मौद्रिक सख्ती (Aggressive monetary tightening) और ब्याज दरों में बढ़ोतरी
  • कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें
  • आपूर्ति की चिंताओं के कारण विश्व स्तर पर स्थिर मुद्रास्फीति
  • चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष के बारे में अनिश्चितता

ये सभी वे फ़ैक्टर्स हैं जो बाजार में काफी उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं। ऐसे समय में निवेश करने के लिए एसेट एलोकेशन का पालन करना पड़ता है और एसेट एलोकेशन फंड एक अच्‍छा जरिया बन सकते हैं। पूर्व प्रदर्शन को देखते हुए निवेश एसेट एलोकेशन फंड का चयन कर सकते हैं।

तरल म्युचुअल फंड

तरल म्यूचुअल फंड को सीधे तौर पर रखा जाता है, वित्तीय उपकरण जिनके पोर्टफोलियो में अल्पकालिक उच्च-क्रेडिट गुणवत्ता वाली निश्चित आय होती है, जो डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल जैसे सर्टिफिकेट जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स कमाते हैं। मूल रूप से, लिक्विड म्यूचुअल फंड एक प्रकार के डेट म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें बेहद कम जोखिम वाले वित्तीय साधनों में निवेश किया जाता है। तरल म्युचुअल फंड 91 दिनों तक की परिपक्वता के साथ वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं। ज्यादातर मामलों में, परिपक्वता निर्धारित सीमा से बहुत कम है।

यह एक म्यूचुअल फंड श्रेणी है जिसे दो कारणों से सबसे सुरक्षित और कम से कम अस्थिर में से एक माना जाता है:

  • यह म्यूचुअल फंड स्कीम केवल वित्तीय साधनों में क्रेडिट रेटिंग (P1 +) के साथ निवेश करती है। यह म्यूचुअल फंड श्रेणी है जिसे दो कारणों से सबसे सुरक्षित और कम से कम अस्थिरता में से एक माना जाता है:
  • अस्थिरता इस तथ्य के कारण कम है कि एनएवी में एकमात्र परिवर्तन ब्याज आय के परिणामस्वरूप होता है जो प्राप्त होता है।

लिक्विड फंड में कब निवेश करें?

आदर्श रूप से, लिक्विड फंड उन व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जिनके पास अचानक नकदी की आमद हुई है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि तरल धन का उपयोग बचत बैंक खाते के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। लिक्विड फंड में पैसा तत्काल नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि आप बचत खाते के साथ एटीएम में करते हैं। शॉर्ट टर्म टारगेट हासिल करने के लिए आमतौर पर लिक्विड फंड्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह उचित नहीं है या अपने सभी आपातकालीन फंडों को लिक्विड फंड में रखने के लिए सुरक्षित प्रैक्टिस पर विचार किया जाए क्योंकि इमरजेंसी की स्थिति में इन फंडों को तुरंत वापस नहीं लिया जा सकता है। इन फंडों को जारी करने में एक दिन लगता है।

इन फंडों पर कम ब्याज दर (4-7%) और अल्पावधि में, अपने फंड को लिक्विड फंड स्कीम में रखना उच्च ब्याज और रिटर्न हासिल करने के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। यदि आपके पास कम अस्थिरता मौद्रिक संसाधनों की अचानक कमी है, तो आप उन्हें एक तरल निधि में रखने पर विचार कर सकते हैं।

लिक्विड फंड के फायदे

कम जोखिम

लिक्विड फंड अनिवार्य रूप से म्यूचुअल फंड योजनाओं में से एक है जिसमें सबसे कम जोखिम होता है। यह कम जोखिम और अस्थिरता इस तथ्य के अतिरिक्त कम परिपक्वता अवधि के कारण आता है कि इस फंड के निवेश पोर्टफोलियो में अनिवार्य रूप से उच्च-ऋण साधन शामिल हैं।

उच्च तरलता

जैसा कि नाम से पता चलता है, लिक्विड फंड्स विशेष रूप से तरलता पर अधिक होते हैं, जिससे निवेशकों को आवश्यकतानुसार निवेश को भुनाने की अनुमति मिलती है। लिक्विड फंड्स की यूनिट्स को भुनाने का श्रेय 1-2 दिनों में खाते को दिया जाता है

त्वरित मोचन

कुछ लिक्विड फंड्स हैं जो अधिग्रहीत म्यूचुअल फंड इकाइयों / NAVs के त्वरित मोचन की सुविधा प्रदान करते हैं। मूल रूप से इन फंडों में इसका मतलब है, ऑनलाइन यूनिटों को भुनाने से आपके बैंक खाते में आय तुरंत हो जाएगी। हालाँकि, आपके खाते में धन की तत्काल मोचन के लिए अधिकतम कैपिंग राशि है। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड ने, 50,000 या 90% पोर्टफोलियो की कैप निर्धारित की है, जो भी कम हो। लिक्विड म्यूचुअल फंड में निवेश की कुछ योजनाओं में रिलायंस म्यूचुअल फंड जैसे लिंक्ड डेबिट कार्ड होने का प्रावधान है। निम्नलिखित की निकासी रिलायंस किसी भी समय मनी कार्ड के तहत की जा सकती है:

म्यूचुअल फंड में अगस्त में 6,120 करोड़ रुपये का निवेश, पिछले 10 माह में सबसे कम

जुलाई में 8,898 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह आंकड़ा जून में 18,529 करोड़ रुपये और मई में 15,890 करोड़ रुपये था। अगस्त के महीने में अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे कम निवेश देखा गया। तब इक्विटी म्यूचुअल फंड में 5,215 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। मार्च, 2021 से इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश का प्रवाह देखा जा रहा है।

इससे पहले जुलाई, 2020 से फरवरी, 2021 तक इस तरह की योजनाओं में लगातार आठ महीनों के लिए निकासी देखने को मिली थी। इस दौरान इन योजनाओं से कुल 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे।

बाजार में अस्थिरता बनी हुई है क्योंकि मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। इक्विटी के अलावा, ऋण म्यूचुअल फंड में पिछले महीने 49,164 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो जुलाई में 4,930 करोड़ रुपये के निवेश से काफी अधिक है। कुल मिलाकर, म्यूचुअल फंड उद्योग ने जुलाई में 23,605 करोड़ रुपये की तुलना में अगस्त में 65,077 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया।

बाजार में लंबी अवधि में पैसा बनाने का सही है समय, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड से पोर्टफोलियो करें मजबूत

Mutual Fund Investment: बाजार में अस्थिरता के चलते कुछ और गिरावट देखने को मिल सकती है. लेकिन लंबी अवधि में पैसा बनाने के लिए इक्विटी में आवंटन बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है.

Mutual Fund Investment: इस साल घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव रहा है. महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशन, रेट हाइक और मंदी की आशंका जैसे फैक्टर ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है. हालांकि भारतीय बाजारों ने पियर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. बाजार में घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम है. एफआईआई (FIIs) द्वारा लगातार बिकवाली के बाद भी घरेलू निवेशकों ने बाजार को बैलेंस किया है. एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा समय में अस्थिरता के चलते बाजार में कुछ और गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक मजबूत है. निवेशकों को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balance Advantage Fund) रुख करना चाहिए, जिसमें कम रिस्क के साथ बेहतर रिटर्न की गुंजाइश है.

शेयर बाजार का आउटलुक

PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड के इक्विटी हेड, अनिरुद्ध नाहा ने कहा, भारतीय बाजार तुलनात्मक आधार पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल है और अभी भी अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. बाजार के मौजूदा हालात में FII अन्य बाजारों में बेचना और रोटेट करना जारी रख सकते हैं. भारतीयों का आम तौर पर इक्विटी/इक्विटी म्‍यूचुअल फंड के लिए कम आवंटन होता है. लेकिन अभी साफ तौर पर यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है और हाउस होल्ड लेवल पर इक्विटी में निवेश बढ़ रहा है.

पिछले 9 महीनों में FIIs ने जहां बिकवाली की है, वहीं घरेलू निवेशकों ने कम अस्थिरता बाजार में पैसा लगाना जारी रखा है. बाजार में भारी बिकवाली और अनिश्चितता के बाद भी भारतीय निवेशक परिपक्व दिखे हैं और बाजार में घरेलू फंड के प्रवाह के चलते एफआईआई द्वारा की गई बिक्री को बैलेंस करने में सक्षम होना चाहिए. बाजार में अस्थिरता के चलते कुछ और गिरावट देखने को मिल सकती है. लेकिन लंबी अवधि में पैसा बनाने के लिए इक्विटी में आवंटन बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है.

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड

पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड लंबी अवधि में इक्विटी बाजारों में भाग लेने और अपने निवेशकों के लिए रिस्‍क-एडजस्टेड यानी जोखिम-समायोजित रिटर्न देने का एक स्मार्ट तरीका प्रदान करता है. पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के मॉडल की संरचना और मॉडल की प्रकृति ऐसी है कि यह एक खास एसेट अलोकेशन के अप्रॉच को फॉलो करता है.

यह फंड निवेश के लिए एक काउंटर-साइक्लिक अप्रॉच को फॉलो करता है. जो हमारे पारदर्शी, इन-हाउस मॉडल के माध्यम से प्राप्त किया जाता है. जब मार्केट का वैल्युएशन उच्च स्तर पर होता है, तो फंड आमतौर पर अपने इक्विटी एक्सपोजर के एक हिस्से को हेज करता है और अपनी डेट होल्डिंग्स को भी बढ़ाता है. इससे मार्केट में गिरावट का असर कम होता है. जब मार्केट का वैल्युएशन कम होता है तो फंड इक्विटी में एग्रेसिव तरीके से निवेश करता है. यह फंड लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगाता है. वहीं डेट कैटेगरी में यह फंड एनसीडी, सीडी और टी-बिल में निवेश करता है.

सतर्क रहने की जरूरत : अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति के आंकड़े

अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति के आंकड़ों से निकले कीमतों में एक स्वागत योग्य नरमी के इशारे इस वर्ष की शुरुआत से ही मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए जूझ रहे मौद्रिक नीति से जुड़े अधिकारियों को थोड़ी राहत प्रदान करेंगे। पिछले महीने की खुदरा मुद्रास्फीति या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित कीमतों में वृद्धि सितंबर माह के 7.41 फीसदी से घटकर 6.77 फीसदी हो गई। ऐसा खाद्य पदार्थों की कीमतों में एक सराहनीय गिरावट के कारण संभव हुआ। सरकार के मुताबिक “सब्जियों, फलों, दालों और तेल एवं वसा की कीमतों में हुई गिरावट” की मदद से उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित साल-दर-साल की मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में लगभग 160 आधार अंक गिरकर कम अस्थिरता 7.01 फीसदी हो गई, जोकि पिछले महीने 8.60 फीसदी थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के कुल भार का करीब 46 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले खाद्य और पेय पदार्थ उप-सूचकांक के साथ, खाद्य कीमतों में आई मंदी ने समग्र मुद्रास्फीति को कम कर दिया। यह एक अलग बात है कि कपड़े एवं जूते, आवास और स्वास्थ्य जैसी तीन अन्य आवश्यक श्रेणियों में कीमतें या तो सितंबर से थोड़ी बदलीं या फिर उनमें तेजी आई। थोक कीमतों के स्तर पर भी मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रही और यह 19 महीनों में पहली बार इकाई अंकों में गिरकर सुर्खियों का हिस्सा बनी। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में पसरती अनिश्चितता के बीच कच्चे तेल और इस्पात सहित विभिन्न वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में एक अलग किस्म की नरमी के साथ एक अनुकूल आधार प्रभाव थोक मूल्य वृद्धि को कम करने में काफी हद तक सहायक रहा।

रेटिंग: 4.36
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 444
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *