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सूचकांक विधि

सूचकांक विधि

आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

आर्थिक संवृद्धि एवं विकास (Economic Growth And Development)

निश्चित समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय की वृद्धि, आर्थिक समृद्धि है। यह एक भौतिक अवधारणा है। यदि, राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है, तो माना जाता है कि आर्थिक संवृद्धि हो रही है।

आर्थिक विकास की धारणा आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक व्यापक है। आर्थिक संवृद्धि उत्पादन की वृद्धि से संबंधित है, जबकि आर्थिक विकास उत्पादन की वृद्धि के साथ-साथ, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक गुणात्मक एवं परिणात्मक सभी परिवर्तनों से सम्बन्धित है। आर्थिक संवृद्धि वस्तुनिष्ट है जबकि आर्थिक विकास व्यक्तिनिष्ठ।

आर्थिक विकास के माप में प्रति व्यक्ति आय के जीवन की गुणवत्ता को सही माप नही माना जाता है। इसकी माप में अनेक चारों को सम्मिलित किया जाता है जैसे-आर्थिक, राजनैतिक तथा सामाजिक संस्थाओं के स्वरूप में परिवर्तन, शिक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवायें प्रति व्यक्ति टिकाऊ उपभोग वस्तु आदि।

  • आर्थिक संवृद्धि = केवल परिमाणात्मक परिवर्तन
  • आर्थिक विकास = परिणात्मक तथा गुणात्मक परिवर्तन

आर्थिक विकास की माप

विभिन्न देशों के आर्थिक विकास की तुलनात्मक स्थिति ज्ञात करने के लिए पाँच दृष्टिकोण हैं-;

(A) आधारभूत आवश्यक प्रत्यागम – (Basic Needs Approaches) इस दृष्टिकोण का प्रतिवादन-1970 में विश्व बैंक ने किया।

(B) जीवन की भौतिक गुणवत्ता निर्देशांक (Physical Quality of Life Indext -PQLI) इस Index के जान टिनवर्जन एवं मारिश डी0 माॅरिश ने प्रस्तुत किया। च्फस्प् के अन्तर्गत आर्थिक विकास के मापन के लिए तीन सूचकांक का प्रयोग किया जाता है।

  1. जीवन प्रत्याशा(Life Expectancy)
  2. बाल मृत्युदर (Infant Mortality)
  3. साक्षरता (Literary)

(C) निवल आर्थिक कल्याण (Net Economic Welfare) मापक -विलियम नोरधस तथा जेम्स टोबिन ने जीवन की गुणवत्ता में सुधार जो आर्थिक विकास की मापक है, की माप के लिए मंजर आॅफ इकनामिक वेलफेयर (MEW) की धारणा विकसित की जिसे बाद में सेमुएलसन और संशोधित किया तथा इसे (NEW) मापक रहा।

NEW =G.N.P (सकल राष्ट्रीय उत्पाद)-(उत्पादन भप्रत्यक्ष लागत तथा आधुनिक नागरिक की हानियां ़ तथा गृहणियों की सीमायें।

(D) क्रय शक्ति समता विधि (Purchasing Power Parity Method):- इस विधि का प्रतिपादन जी0आर0 कैसेल ने किया। इसके अन्तर्गत किसी देश की सकल राष्ट्रीय आय के किसी पूर्व निश्चित अन्तर्राष्ट्रीय विदेशाी विनिमय दर पर व्यक्त न करे, उस देश के भीतर मुद्रा की क्रयशक्ति के आधार पर व्यक्त किया जाता है। वर्तमान के विश्व बैंक इसी विधि का प्रयोग विभिन्न देशों के रहन-सहन की तुलना के लिए कर रहा है।

(E) मानव विकास सूचकांक (Human Ebullient India):- इस सूचकांक की अवधारण यूनाइटेड नेशन्स से जुड़े प्रोग्राम से जुड़े प्रसिद्ध अर्थशास्त्री महबूत उल हक एवं उनके अन्य सहयोगी ए0के0 सेन तथा सिंगर हंस ने 1990 में किया।

इनके द्वारा विकसित मानव विकास सूचकांक तीन चरों पर आधारित है-

  1. दीर्घ एवं स्वस्थ्य जीवन
  2. ज्ञान अथवा शिक्षा
  3. . जीवन निर्वाह स्तर

वर्ष 2010 में इन तीनों आयामों को परिभाषित किया गया तथा मानव विकास के आफलय के तरीके में बदलाव लाया गया। अब मानव विकास के स्तर का पता निम्न चार सूचकांकों के सदंर्भ में लगाया जाता है।

  1. मानव विकास सूचकांक (HDI)
  2. इनइक्वलिटी एडजस्टेड मानव विकास सूचकांक(THDI)
  3. लैगिंक विषमता सूचकांक (GII)
  4. मल्टी डायमेंसनल प्राॅपर्टी इंडेक्स (MPI)

(a) मानव विकास सूचकांक –

2010 के पहले मानव विकास का आकलन जीवन-प्रकाश, साक्षरता और प्रति व्यक्ति आय पर की जाती थी, जबकि 2010 के बाद यह आकलन दीर्घ आयु और स्वस्थ्य जीवन, ज्ञान तक पहुँच और सम्मानजनक जीवन स्तर के आधार पर की जाती है।

(b) इनइक्वलिटी एडजस्टेड मानव विकास सूचकांक (IHDI) :-

यह मानव विकास के प्रत्येक आयामों में असाम्यता को समायोजित करता है। IHDI मानव-विकास सूचकांक असमाम्यता के वास्तविक स्तर को दर्शाता है जबकि मानव-विकास सूचकांक संभावित विकास स्तर को।

लैंगिक विषमता सूचकांक (GII) :-

यह सूचकांक महिलाओं की बंचना के दर्शाता है। इसमें प्रजनन-स्वास्थ्य, सशक्तीकरण और श्रम-बाजार जैसी चीजों को शामिल किया जाता है। GII पुरुषों और महिलाओं के बीच विषमता के कारण मानव विकास के हृास को दर्शाता है। यह 0 से 1 के बीच विचरण करता है। शून्य पूर्ण समता तथा 1 पूर्ण विषमता की स्थिति को दर्शाता है। इसमें निम्नलिखित संदर्भों के सम्मिलित किया जाता है।

  1. मातृ मृत्यु (प्रति लाख जीवित प्रसव)
  2. वयस्क (15-19)
  3. सेकेंडरीय हायर सेकेंडरी स्तर की हासिल करना।
  4. लेबसर फोर्स पार्टिसीयेशन रेट (LFPS)

बहुआयमी निर्धनता सूचकांक (M.P.I) :-

यह सूचकांक व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा और जीवन-स्तर में बचाना की पहचान करता है। डच्प् जनसंख्या के उस हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जो बहु आयमी निर्धनता का शिकार है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन सतर से संबंधित कुल दस उप मानक हैं-

शिक्षा से संबंधितः-

  • पाँच साल की स्कूली शिक्षा से वंचित लोग।
  • स्कूल में जाने-योग्य सूचकांक विधि बच्चों का स्कूल में नामांकन नहीं।

स्वास्थ्य से संबंधित:-

  • कुपोषण
  • शिशु मृत्यु-दर (प्रति हजार जीवित-प्रसव)’ब्ण्

जीवन स्तर में संबंधित:-

  • बिजली नहीं।
  • स्वच्छ पेयजल की कमी।
  • स्वच्छता की व्यवस्था नहीं।
  • स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त ’ईंधन का अभाव।
  • कार (चार पहिया वाहन) नहीं।

मानव विकास का अधिकतम मान 1 और न्यूनतम मान 0 होता है। अर्थात 1 अधिकतम मानव विकास की स्थिति को दर्शाता है और शून्य न्यूनतम मानव विकास की स्थिति को।

सतत् विकास(Sustainable development):-

सतत् विकास की अवधारणा 1987 में पर्यावरण एवं विकास के विश्व आयोग की रिपोर्ट में आंवर काॅमन फ्यूचर’ नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में सर्वप्रथम उभरकर आती है। जिसमें कहा गया है कि-’’वह विकास जो वर्तमान की जरूरतों को, भावी पीढ़ी की अपनी जरूरतों की क्षमता से समझौता किए बिना, पूरा करता है। 1992 के रियो डी जेनेरियो के पृथ्वी सम्मेलन में जहाँ इसके महत्व को स्वीकार किया गया वहीं 2002 में 1 सतत् विकास पर आयोजितविश्व सम्मेलन में जोड़ा संघर्ष प्लाॅन आॅफ इम्पली मेंटेशन को अंतिम रूप दिया गया। दिल्ली उद्घोषणा 2002 में सतत् विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय विधि के सात मूल सिद्धांत पहचाने सूचकांक विधि गये:-

सूचकांक विधि

Post at: Jul 13 2021

13 मार्च, 2021 को कोविड प्रदर्शन सूचकांक (Covid Performance Index:CPI) जारी किया गया।

कोविड प्रदर्शन सूचकांक

  • 13 मार्च, 2021 को कोविड प्रदर्शन सूचकांक (Covid Performance Index:CPI) जारी किया गया।
  • इस सूचकांक को सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) स्थित अंतरराष्ट्रीय नीति थिंक टैंक ‘‘लौवी इंस्टीट्‍यूट (Lowy Institute) द्वारा प्रकाशित किया गया है।
  • भारत को इस सूचकांक में 102 देशों में से 26.3 औसत अंक के साथ 87वें स्थान पर रखा गया है।
  • ध्यातव्य है कि 9 जनवरी, 2021 को भी कोविड प्रदर्शन सूचकांक जारी किया गया था।

मूल्यांकन विधि एवं संकेतक

  • इस रिपोर्ट में 116 देशों को शामिल किया गया है (जहां कम से कम 100 कोविड-19 के मामले दर्ज किए गए है) तथा उसके 43 सप्ताह तक महामारी को किस प्रकार प्रबंधित किया
  • 14 देशों के आंकड़ों में त्रुटि, अपूर्णता या अन्य कारण होने से उन्हें रैंकिंग मंे शामिल नहीं किया गया है।
  • इस रिपोर्ट में 13 मार्च, 2021 तक के तुलनात्मक डाटा को आधार बनाया गया है।
  • परिणामों के आकलन में क्षेत्र, राजनीतिक प्रणालियों, जनसंख्या और आर्थिक विकास के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है।
  • निम्नलिखित छ: संकेतकों के लिए रिपोर्ट में शामिल सभी देशों के नवीनतम चौदह दिनों के रोलिंग आंकड़ों का औसत लिया गया है।
  • कोविड पॉजिटिव मामलों की संख्या (Confirmed Cases)
  • कोविड से हुई मौतें (Confirmed Deaths)
  • प्रति 10 लाख में कोविड पाजिटिव मामले (Confirmed Cases per million people)
  • प्रति 10 लाख में कोविड से हुई मौतें (Confirmed deaths per million people)
  • परीक्षणों के अनुपात में मामलों की संख्या (Confirmed cases as a proportion of tests)
  • प्रति हजार जनसंख्या पर किए गए परीक्षणों की संख्या (Tests per thousand people)
  • इन्हीं संकेतकों के आधार पर प्रत्येक देश को शून्य (0) (सबसे खराब) और सौ (100) (सबसे अच्छा) अंक प्रदान किए गए हैं।

रैंकिंग

कोविड-19 के प्रदर्शन में देशों की रैंकिंग‘कोविड प्रदर्शन सूचकांक’ के अनुसार अग्रलिखित है।

सूचकांक विधि

USAID’s Advancing Partners & Communities (एपीसी) project in Uganda implemented a multisectoral approach to family planning . What lessons from APC’s work can be applied to similar future efforts ?

स्व-देखभाल के उपाय हमें COVID-19 महामारी से निपटने के लिए बेहतर तरीके से कैसे तैयार कर सकते हैं? PSI और Jhpiego के अतिथि योगदानकर्ता अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं.

परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए आपका समूह कैसे सफल साझेदारियों का निर्माण कर सकता है?? हमारी पार्टनरशिप टीम लीड सर्वोत्तम अभ्यास और सीखे गए सबक साझा करती है.

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युवा जुड़ाव पर YIELD प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों का अन्वेषण करें, और युवा परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए परिणामों और सिफारिशों का उपयोग करना सीखें.

जबकि देखभाल की गुणवत्ता और देखभाल के लिए ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण परिवार नियोजन शब्दावली में नए शब्द नहीं हैं, ईसीएचओ के बाद उनका अधिक नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है. यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि शब्द "अधिकार आधारित" और हैं .

दर्शक को देखकर मुस्कुराता युवक.

जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर कम्युनिकेशन प्रोग्राम्स के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कहानी कहने की पहल परिवार नियोजन में काम करने वाले युवाओं के बीच समुदाय और अवसर पैदा कर सकती है।.

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मानवीय संकट के दौरान, प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता समाप्त नहीं होती है. वास्तव में, यह काफी बढ़ जाता है.

नॉलेज SUCCESS भागीदारों के एक संघ के नेतृत्व में पांच साल की वैश्विक परियोजना है और सीखने का समर्थन करने के लिए यूएसएआईडी के जनसंख्या और प्रजनन स्वास्थ्य कार्यालय द्वारा वित्त पोषित है।, और सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के अवसर पैदा करें, परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य समुदाय के भीतर.

संपर्क करना

Johns Hopkins Center for Communication Programs
111 Market Place, Suite 310
Baltimore, MD 21202 USA

इस वेबसाइट को अमेरिकी लोगों के समर्थन से संभव बनाया गया है अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (USAID) ज्ञान सफलता के तहत (उपयोग को मजबूत बनाना, क्षमता, सहयोग, अदला-बदली, संश्लेषण, और साझा करना) परियोजना. नॉलेज SUCCESS को USAID के ब्यूरो फॉर ग्लोबल हेल्थ का समर्थन प्राप्त है, जनसंख्या और प्रजनन स्वास्थ्य का कार्यालय और के नेतृत्व में संचार कार्यक्रमों के लिए जॉन्स हॉपकिन्स केंद्र (सीसीपी) Amref Health Africa के साथ साझेदारी में, बुसारा सेंटर फॉर बिहेवियरल इकोनॉमिक्स (बुद्धिमत्ता), और एफएचआई 360. इस वेबसाइट की सामग्री सीसीपी की एकमात्र जिम्मेदारी है. इस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई जानकारी आवश्यक रूप से यूएसएआईडी के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करती है, संयुक्त राज्य सरकार, या जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय. हमारी पूरी सुरक्षा पढ़ें, गोपनीयता, और कॉपीराइट नीतियां.

भ्रष्टाचार मापन की प्रमुख विधि या मानको की चर्चा कीजिए।

उत्तर- भ्रष्टाचार एक जटिल घटना है यह लगातार अपने नए रूप में सामने आता रहता है हालांकि वर्तमान में भ्रष्टाचार मापने की कई विधियां और उपाय मौजूद हैं लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार के संबंध में कोई स्पष्ट साक्ष्य और इसकी तीव्रता के कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। अनैतिक व्यवहार और भ्रष्टाचार की गतिविधियां सामान्यता छिपी रहती है जोकि भ्रष्टाचार के आकलन को ज्यादा कठिन बना देती है। वर्तमान में भ्रष्टाचार मापन को कहीं साधने का वर्णन इस प्रकार है

भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI)

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के द्वारा जारी किया जाने वाला यह सूचकांक सबसे ज्यादा चर्चित है इसका प्रकाशन प्रतिवर्ष किया जाता है इसका आरंभ वर्ष 1995 से किया गया था।

वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर

इसका प्रकाशन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है यह पब्लिक ऑपिनियन पर आधारित सर्वे है।

घुसदाता सूचकांक

इस सूचकांक का प्रकाशक भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है जो कि विश्व की प्रमुख अर्थ व्यवस्थाओं की कंपनियों द्वारा अपने व्यापार के संबंध में रिश्वत दिए जाने की स्थिति बताता है।

राजस्व पारदर्शिता संवर्धन

यह सूचकांक कंपनियों को उनकी राजस्व पारदर्शिता संबंधी स्थिति के अनुसार सूचित करता है इसमें कंपनियों द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार रोधी कदम और राजस्व संग्रहण संबंधी सूचना को जनता तक पहुंच का मापन किया जाता है।

रक्षा क्षेत्र की कंपनियों का भ्रष्टाचार रोधी सूचकांक

इसका प्रथम प्रकाशन वर्ष 2012 में किया गया था। यह विश्व की 129 रक्षा क्षेत्र की कंपनियों द्वारा भ्रष्टाचार रोधी उपाय का सूचकांक विधि विश्लेषण करता है। शासकीय रक्षा संबंधी भ्रष्टाचार रोधी सूचकांक का प्रथम प्रकाशन वर्ष 2013 में किया गया था। यह विश्व के 82 देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार के जोखिम का विश्लेषण करता है।

वैश्विक शासन संकेतक

इसका प्रकाशन विश्व बैंक द्वारा किया जाता है इसमें विश्व के देशों का आकलन 6 संकेतों जवाबदेहीता और अधिकार राजनीतिक स्थिरता और हिंसा मुक्त क्षेत्र शासन की प्रभावशीलता नियामक संस्थाओं की गुणवत्ता विधि का शासन भ्रष्टाचार पर नियंत्रण आदि पर किया जाता है।

अफ्रीका शासन पर इब्राहिम सूचकांक

मोहम्मद इब्राहिम फाउंडेशन द्वारा अफ्रीकी देशों में शासन की स्थिति दर्शाता है इसकी स्थापना वर्ष 2007 में की गई थी इसमें चार आयाम शामिल हैं सुरक्षा और विधि का शासन सहभागिता और मानव अधिकार सतत आर्थिक अवसर मानव विकास।

वैश्विक सत्यनिष्ठा रिपोर्ट और सूचकांक

इनका प्रकाशन वैश्विक सत्यनिष्ठा द्वारा किया जाता है। यह एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्था है यह वाशिंगटन डीसी में स्थित है इसकी स्थापना 1999 में की गई थी यह विश्व में भ्रष्टाचार और जांच का नया तरीका है। साथ ही भ्रष्टाचार से सरकार कैसे निपटती है इसकी समीक्षा करता है। वैश्विक सत्यनिष्ठा सूचकांक में विश्व के देशों में राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार रोधी उपायों की उपस्थिति प्रभावशीलता और नागरिकों की उन तक पहुँच का परीक्षण भी किया जाता है।

लाभप्रदता सूचकांक

लाभप्रदता सूचकांक (पीआई) को वैकल्पिक रूप से मूल्य निवेश अनुपात (वीआईआर) या लाभ निवेश अनुपात (पीआईआर) के रूप में संदर्भित किया जाता है, एक सूचकांक का वर्णन करता है जो प्रस्तावित सूचकांक विधि परियोजना की लागत और लाभों के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी गणना भविष्य के अपेक्षित नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य और परियोजना में निवेश की गई प्रारंभिक राशि के बीच के अनुपात के रूप में की जाती है। एक उच्च पीआई का मतलब है कि एक परियोजना को अधिक आकर्षक माना जाएगा।

चाबी छीन लेना

  • प्रॉफिटेबिलिटी इंडेक्स (पीआई) एक परियोजना या निवेश के आकर्षण का एक उपाय है।
  • पीआई की गणना परियोजना में प्रारंभिक निवेश राशि द्वारा भविष्य में अपेक्षित नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य को विभाजित करके की जाती है।
  • 1.0 से अधिक पीआई को एक अच्छा निवेश माना जाता है, जिसमें अधिक आकर्षक परियोजनाओं के अनुरूप उच्च मूल्य होते हैं।
  • पूंजी की कमी और पारस्परिक रूप से अनन्य परियोजनाओं के तहत, केवल उच्चतम पीआई वाले लोगों को ही किया जाना चाहिए।

लाभप्रदता सूचकांक को समझना

पीआई विभिन्न परियोजनाओं की रैंकिंग में सहायक है क्योंकि यह निवेशकों को प्रत्येक निवेश इकाई के अनुसार बनाए गए मूल्य को निर्धारित करता है। 1.0 का लाभप्रदता सूचकांक तार्किक रूप से सूचकांक पर सबसे कम स्वीकार्य माप है, क्योंकि उस संख्या से कम किसी भी मूल्य से संकेत मिलता है कि परियोजना का वर्तमान मूल्य (पीवी) प्रारंभिक निवेश से कम है । चूंकि लाभप्रदता सूचकांक का मूल्य बढ़ता है, इसलिए प्रस्तावित परियोजना का वित्तीय आकर्षण होता है।

लाभप्रदता सूचकांक एक संभावित तकनीक है जो संभावित पूंजीगत परिव्यय पर लागू होती है। विधि प्रोजेक्ट की लाभप्रदता निर्धारित करने के लिए अनुमानित पूंजी बहिर्वाह द्वारा अनुमानित पूंजी प्रवाह को विभाजित करती है। जैसा कि उपर्युक्त सूत्र से संकेत मिलता है, लाभप्रदता सूचकांक भविष्य के नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य और पूर्वोचित चर का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रारंभिक निवेश का उपयोग करता है।

परियोजनाओं की वांछनीयता की तुलना करने के लिए लाभप्रदता सूचकांक का उपयोग करते समय, यह विचार करना आवश्यक है कि तकनीक परियोजना के आकार की उपेक्षा कैसे करती है। इसलिए, बड़े नकदी प्रवाह वाली परियोजनाओं के परिणामस्वरूप कम लाभप्रदता सूचकांक गणना हो सकती है क्योंकि उनके लाभ मार्जिन उतने अधिक नहीं हैं।

निम्नलिखित अनुपात का उपयोग करके लाभप्रदता सूचकांक की गणना की जा सकती है:

लाभप्रदता सूचकांक के घटक

भविष्य की नकदी प्रवाह (संख्या) के पी.वी.

भविष्य के नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य को धन गणना के समय मूल्य के कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है। नकदी प्रवाह को भविष्य के नकदी प्रवाह को वर्तमान मौद्रिक स्तरों के बराबर करने के लिए उचित संख्या में छूट दी जाती है। इस विचार के लिए खातों को मजबूत करना कि आज $ 1 का मूल्य एक वर्ष में प्राप्त $ 1 के मूल्य के बराबर नहीं है क्योंकि वर्तमान में पैसा ब्याज-बचत बचत खातों के माध्यम से अधिक कमाई की संभावना प्रदान करता है, धन की तुलना में अभी तक अनुपलब्ध है। भविष्य में आगे प्राप्त होने वाले नकदी प्रवाह को वर्तमान के करीब प्राप्त धन की तुलना में कम वर्तमान मूल्य माना जाता है।

निवेश की आवश्यकता (इनकार)

रियायती अनुमानित नकदी बहिर्वाह एक परियोजना के प्रारंभिक पूंजी परिव्यय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आवश्यक प्रारंभिक निवेश केवल परियोजना की शुरुआत में आवश्यक नकदी प्रवाह है। परियोजना के जीवन के किसी भी बिंदु पर अन्य सभी रूपरेखाएँ हो सकती हैं, और इन्हें अंश में छूट के उपयोग के माध्यम से गणना में विभाजित किया जाता है। ये अतिरिक्त पूंजी व्यय कराधान या से संबंधित लाभ का कारण बन सकते मूल्यह्रास ।

लाभप्रदता सूचकांक की गणना और व्याख्या

क्योंकि लाभप्रदता सूचकांक की गणना नकारात्मक नहीं हो सकती है, इसलिए उपयोगी होने से पहले उन्हें सकारात्मक आंकड़ों में बदल दिया जाना चाहिए। 1.0 से अधिक की गणना भविष्य के अनुमानित रियायती नकदी प्रवाह को इंगित करती है जो अनुमानित रियायती नकदी बहिर्वाह से अधिक है। 1.0 से कम की गणना दर्शाती है कि बहिर्प्रवाह का घाटा रियायती प्रवाह से अधिक है, और परियोजना को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। गणना जो कि 1.0 के बराबर है, उदासीनता की स्थितियों के बारे में लाती है जहां किसी परियोजना से कोई लाभ या हानि कम से कम है।

विशेष रूप से लाभप्रदता सूचकांक का उपयोग करते समय, 1.0 से अधिक की गणना उच्चतम गणना के आधार पर की जाती है। जब सीमित पूंजी उपलब्ध होती है, और परियोजनाएं पारस्परिक रूप से अनन्य होती हैं, तो उच्चतम लाभप्रदता सूचकांक वाली परियोजना को स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि यह सीमित पूंजी के सबसे अधिक उत्पादक उपयोग के साथ परियोजना को इंगित करता है। लाभप्रदता सूचकांक को इस कारण से लाभ-लागत अनुपात भी कहा जाता है। हालाँकि कुछ परियोजनाएँ उच्च शुद्ध वर्तमान मूल्यों में परिणत होती हैं, फिर भी उन परियोजनाओं को पारित किया जा सकता है क्योंकि उनके पास उच्चतम लाभप्रदता सूचकांक नहीं है और वे कंपनी की संपत्ति के सबसे अधिक लाभकारी उपयोग का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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